डे ट्रेडिंग स्टॉप लॉस

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कैसे करें इन हिंदी, शेयर बाज़ार, शेयर ट्रेडिंग, इंट्राडे शेयर ट्रेडिंग, ट्रेडिंग टिप्स
दोस्तों, आजकल शेयर बाज़ार में कमाई (share market me kamai) का आकर्षण सर चढ़कर बोल रहा है। आज का हर इंसान ये जाने बग़ैर कि शेयर डे ट्रेडिंग स्टॉप लॉस मार्केट में ट्रेडिंग कैसे करते हैं? (share market me trading kaise karte hain?) शेयर बाज़ार (share market) में आकर्षक फ़ायदा देखकर ख़ुद भी शेयर मार्केट में पैसा लगाकर मनचाहा पैसा कमाना चाहता है। वाक़ई शेयर मार्केट का लालच इतना मज़ेदार है कि आजकल लाखों लोग इस मार्केट का हिस्सा बनना चाहते हैं। आज हम इस अंक में जानेंगे शेयर मार्केट में पैसा कैसे कमाया जाता है? (share market me paisa kaise kamaya jata hai?)
आज मैं आपकी इस समस्या का आसान समाधान करने वाला हूँ बस आप इस लेख के अंत तक बने रहिये। निश्चित तौर पर आप जान जायेंगे कि शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कैसे करें? (Share market me trading kaise kare?) मुझे पूरा डे ट्रेडिंग स्टॉप लॉस यक़ीन है कि आप इस अंक में बताए गए तरीक़ों से अच्छा ख़ासा पैसा कमाने वाले हैं।
शेयर बाज़ार में आने वाले हर आदमी का यही उद्देश्य होता है कि वह शेयर मार्केट में प्रवेश करने के बाद कम से कम ₹1000 से ₹2000 रोज़ाना तो कमा ही ले, वैसे भी आजकल हर व्यक्ति अपनी जॉब के साथ-साथ कुछ पार्ट टाइम काम करना चाहता है। फ़िर ऐसे में शेयर मार्केट से बेहतर भला कौन सा रास्ता हो सकता है? क्योंकि शेयर बाज़ार का रिटर्न भी काफी आकर्षक होता है।
कितने निवेश की आवश्यकता पड़ेगी?
सबसे पहले तो आप यह जानना चाह रहे होंगे कि शेयर मार्केट में इस तरह के रिटर्न्स पाने के लिए आपको कम से कम कितने amount की ज़रूरत होगी। तो मैं आपको बता दूँ कि लगभग ₹1000 कमाने के लिए आपको कम से कम ₹25000 के निवेश करने की आवश्यकता होगी। इससे भी आप ज़्यादा कमाना चाहते हैं तो इसकी कोई सीमा नही। बल्कि यदि आप अधिक निवेश investment करते हैं तो आपके नुक़सान के चांस उतने ही कम होते चले जायेंगे। यदि आपको पता है कि ट्रेडिंग कैसे किया जाता है? (trading kaise kiya jata hai?) डे ट्रेडिंग स्टॉप लॉस तो निश्चित रूप से आप अच्छे इन्वेस्टर के साथ-साथ अच्छे ट्रेडर भी साबित हो सकते हैं।
इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है? | Intraday trading in hindi
शेयर बाज़ार में पूरे दिन में, कुछ घंटो के लिए या किसी एक ट्रेडिंग सेशन के लिए पैसा लगाने को इंट्राडे ट्रेडिंग कहा डे ट्रेडिंग स्टॉप लॉस जाता है। मान लीजिये बाज़ार खुलने के समय आपने एक शेयर में पैसा लगाया और देखा की आपको आपके मन मुताबिक़ मुनाफ़ा मिल रहा है तो आप उसी समय square off यानि कि उस शेयर को बेचकर निकल सकते हैं।
इंट्राडे में अगर आपने उस ख़रीदे हुए शेयर को नहीं भी बेचा। तब भी वह अपने आप सेल ऑफ हो जाता है। अर्थात आपको मुनाफ़ा हो या घाटा, हिसाब उस दिन के अंत तक हो जाता है। जबकि डिलीवरी ट्रेडिंग में आप शेयर को जब तक चाहें होल्ड hold करके रख सकते हैं। इंट्रा डे की एक विशेषता यह है कि आपको ब्रोकरेज ज़्यादा देनी पड़ती है। लेकिन इस ट्रेडिंग की एक ख़ासियत यह भी है कि इसमें आप जब चाहे तभी मुनाफ़ा कमाकर निकल सकते हैं।
इंट्राडे में ट्रेड करने के फ़ायदे | Intraday trading in hindi
आप कम पैसे लगाकर ज़्यादा आकर्षक कमाई की सोच रहे हैं तो आपके लिए इंट्राडे ट्रेडिंग intraday trading एक बेहतर मौक़ा बनकर आ सकता है। क्योंकि इसमें आपको अच्छा मार्जिन मिलता है वो भी काफ़ी आकर्षक। यह मार्जिन आपको आपके ब्रोकर के द्वारा दिया जाता है जिसका आपसे कोई चार्ज भी नहीं लिया जाता है। यानि कि इंट्राडे में ट्रेडिंग के फ़ायदे (intraday trading ke fayde) बहुत अच्छे हैं।
वैसे आपको अधिक से अधिक फ़ायदा और कम डे ट्रेडिंग स्टॉप लॉस से कम नुक़सान यानि कि कम से कम रिस्क पर ट्रेडिंग करनी हो तो मेरी सलाह यही रहेगी कि आप जितना हो सके इंट्राडे ट्रेडिंग (intraday trading) ही करें। क्योंकि कम पैसा लगाकर ज़्यादा कमाई करने के लिये इंट्राडे ट्रेंडिंग बेहतर माध्यम हो सकता है।
तो चलिये अब देर न करते हुए मैं आपको कुछ ऐसे टिप्स दे देता हूँ जिसे अपनाकर आप इंट्राडे ट्रेडिंग (intraday trading) में अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं।
इंट्राडे ट्रेडिंग टिप्स | Intraday trading tips in hindi
दोस्तों शेयर मार्केट के जानकारों के मुताबिक़, आप इंट्राडे ट्रेडिंग में निवेश करें या डिलीवरी ट्रेडिंग में। सबसे पहले तो आपको इस मार्केट के लिए ख़ुद को तैयार करना होगा। यही कि आप किसलिए इस share market में निवेश (investment) करना चाहते हैं? आपका लक्ष्य क्या है? ताकि आप उसी हिसाब से अपनी रणनीति बना सकें। और अपनी कमाई कर सकें।
इंट्राडे ट्रेडिंग में वैसे तो कमाई बहुत अच्छी हो सकती है। लेकिन इसमें बहुत सारा रिस्क भी है। इसीलिये अगर आप इंट्राडे ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो कुछ अहम बातें ध्यान में रखनी होगी। चाहे परिस्थितियाँ जैसी भी हों।
इसलिए मैं आपको इंट्राडे ट्रेडिंग में मनचाहा पैसा कमाने के लिए इंट्राडे ट्रेडिंग टिप्स इन हिंदी बताना चाहता हूँ। जिन्हें फॉलो करके आप इंट्रा डे ट्रेडिंग से अपने मुताबिक़ मुनाफ़ा कमा सकते हैं। तो चलिए शुरू करते हैं intraday me trading kaise kare? इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें? कुछ महत्वपूर्ण टिप्स-
1. सबसे पहले हाई लिक्विड वाले शेयर का चुनाव करना है तथा उन पर पैनी नज़र रखना होगा। पैनी नज़र का अर्थ है पिछले कुछ दिनों से कुछ चुनिंदा शेयरों की चाल को ध्यान में रखना। ताकि उन शेयरों के उतार-चढ़ाव को देखकर आप अपना सटीक अनुमान लगा सकें। वोलेटाइल स्टॉक से दूरी बनाए रखें। इसी में आपकी भलाई है।
2. शुरुआती दिनों में इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय ज़्यादा रिस्क लेना जायज़ नहीं होगा। यह आपके लिए बेहद ख़तरनाक हो सकता है। इसके लिए न्यूज़ वगैरह में एनालिसिस देखते रहें।
3. आपको 10 से 12 स्टॉक की एक सूची बना लेनी चाहिए ताकि जब भी कोई ट्रेड करना हो। इन्हीं 10-12 स्टॉक की सूची में से किसी शेयर को चुन सकें। कभी भी दूसरे के विश्लेषण से काम न करें पहले अपना दिमाग़ अवश्य लगाएं। इंट्राडे ट्रेडिंग में अंधाधुंध 8-10 स्टॉक में ट्रेडिंग करने के बजाय अच्छे वाले 2-3 शेयर्स का चुनाव करते हुए उनमें ट्रेड करना बेहतर होता है।
4. शेयर चुनते वक्त बाज़ार का ट्रेंड देखना ज़्यादा बेहतर डे ट्रेडिंग स्टॉप लॉस होता है। साथ ही कंपनी की पोर्टफोलियो भी चेक करते रहें। आप चाहे तो किसी शेयर को के बारे में किसी ट्रेडिंग एक्सपर्ट की राय भी ले सकते हैं।
5. इंट्राडे ट्रेडिंग में अचानक किसी भी स्टॉक में उछाल अथवा गिरावट तेज़ी से आने लगते हैं। इसलिए ज़्यादा लालच नहीं करना चाहिए और पैसा लगाने के पहले उसका लक्ष्य और स्टॉप लॉस ज़रूर तय कर लेना चाहिए। जिससे टारगेट पूरा होते देख स्टॉक को सही समय पर बेचा जा सके। यही इंट्राडे ट्रेडिंग का मूल मंत्र है।
6. इंट्राडे ट्रेडिंग में जितना हो सके अच्छे कोरेलेशन वाले शेयरों की ही ख़रीदारी करें। ताकि इन शेयरों के बारे में आप अच्छी तरह अनुमान लगा सकें। इस तरह के शेयरों की प्रकृति एक दूसरे से मिलती जुलती होती है। ऐसे शेयर्स का ट्रेंड भी मिलता जुलता होता है।
7. इंट्राडे ट्रेड के लिये उतनी ही धनराशि में निवेश करें जितना आप नुक़सान सहने यानि कि जोख़िम उठाने में सक्षम हों। ख़ुद को जितना हो सके, भावनात्मक रूप से प्रभावित होने से बचाएँ। अपने आपको इस तरह नियंत्रित करने से किसी भी वित्तीय संकट से बचने में मदद मिलती है।
8. इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए सबसे ख़ास बात होती है सही समय में एंट्री। सही समय में मार्केट में entry करना ही डे ट्रेडिंग स्टॉप लॉस उस दिन की ट्रेड की दिशा निश्चित करती है। ग़लत समय में की गयी entry आपके मुनाफ़े को नुक़सान में बदल सकती है। चूँकि बाज़ार शुरू होने से लगभग 1 घंटे तक अस्थिर होता है। इसलिए बेहतर अवसर का इंतज़ार करें। अतिउत्साह में market में entry लेने से बचें।
9. किसी भी ट्रेड को करने से पहले उस ट्रेड का target और stop loss तय कर लें। स्टॉप लॉस (stop loss) लगाने से आप किसी संभावित नुक़सान को सीमित कर सकते हैं।
10. डर, लालच और घबराहट और अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखें। क्योंकि अगर आप नियंत्रित करने में क़ामयाब हो जाते हैं तो यूँ समझिए कि आपको शेयर मार्केट में सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। अगर ऐसा नहीं है तो समझिए शेयर मार्केट आपके लिए नहीं है।
उम्मीद है इस अंक में आपने शेयर बाज़ार से पैसा कमाने का तरीका जान लिया होगा। मैं आशा करता हूँ आप इस इंट्राडे ट्रेडिंग फार्मूला को ज़रूर फॉलो करेंगे। और इंट्राडे ट्रेडिंग में अपना मनचाहा मुनाफ़ा सुनिश्चित करेंगे।
जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्या हैं इसके फायदे
Swing Trading: बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मदद करना होता है.
- nupur praveen
- Publish Date - August 31, 2021 / 12:52 PM IST
म्युचुअल फंड निवेश के मामले में भले ही काफी लोगों को अट्रैक्टिव लगते हों, लेकिन पुरानी धारणाओं के कारण लोग उनसे दूर रहना पसंद करते डे ट्रेडिंग स्टॉप लॉस हैं. अगर आपने भी शेयर बाजार में हाल ही में शुरुआत की है तो स्विंग ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) उन ट्रेडिंग टेक्निक्स में से एक है, जिसमें ट्रेडर 24 घंटे से ज्यादा समय तक किसी पोजीशन को होल्ड कर सकता है. इसका उद्देश्य प्राइस ऑस्कीलेशन या स्विंग्स के जरिए निवेशकों को पैसे बनाकर देना होता है. डे और ट्रेंड ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडर्स कम समय में अच्छा प्रॉफिट बनाने के लिए स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का विकल्प चुनता है. स्विंग ट्रेडिंग टेक्नीक में ट्रेडर अपनी पोजीशन एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक रख सकता है.
यहां पर स्विंग ट्रेडिंग के जरिये एक ट्रेडर का लक्ष्य छोटे-छोटे प्रॉफिट के साथ लॉन्गर टाइम फ्रेम में एक बड़ा प्रॉफिट बनाने का होता है. जहां लॉन्ग टर्म निवेशकों को मामूली 25% लाभ कमाने के लिए पांच महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है. वहीं स्विंग ट्रेडर हर हफ्ते 5% या इससे ज्यादा का भी प्रॉफिट बना सकते हैं बहुत ही आसानी से लॉन्ग टर्म निवेशकों को मात दे सकता है.
स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में अंतर
शुरुआत के दिनों में नए निवेशकों को स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और डे ट्रेडिंग एक ही लग सकते हैं, लेकिन जो स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग को एक दूसरे से अलग बनाता है वो होता है टाइम पीरियड. जहां एक डे ट्रेडर अपनी पोजीशन चंन्द मिनटो से ले कर कुछ घंटो तक रखता है वहीं एक स्विंग ट्रेडर अपनी पोजीशन 24 घंटे के ऊपर से ले कर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. ऐसे मे बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है और प्रॉफिट बनाने की सम्भावना भी काफी अधिक होती है जिसके कारण ज्यादातर लोग डे ट्रेडिंग की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.
स्विंग ट्रेडिंग टेक्निकल इंडीकेटर्स पर निर्भर करती है. टेक्निकल इंडीकेटर्स का काम मार्किट में रिस्क फैक्टर को कम करना और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मद्दत करना होता है. जब आप अपने निवेश को किसी विशेष ट्रेडिंग स्टाइल पर केंद्रित करते हैं तो यह आपको राहत भी देता है. और साथ डे ट्रेडिंग स्टॉप लॉस ही साथ आपको मार्किट के रोज़ के उतार-चढ़ाव पर लगातार नजर रखने की भी जरुरत नही पड़ती है. आपको सिर्फ अपनी बनाई गई रणनीति को फॉलो करना होता है.
स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े कुछ जरूरी टर्म्स
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.
कितने टाइप के होते है स्विंग ट्रेडिंग पैटर्न
स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे
– हेड एंड शोल्डर पैटर्न
– फ्लैग पैटर्न
– कप एंड हैंडल पैटर्न
– ट्रेंगल पैटर्न
– मूविंग एवरेज का क्रॉसओवर पैटर्न
भारत में सबसे लोकप्रिय स्विंग ट्रेडिंग ब्रोकरों में एंजेल ब्रोकिंग, मोतीलाल ओसवाल, आईआईएफएल, ज़ेरोधा, अपस्टॉक्स और शेयरखान शामिल है.
What is Target - Stop loss in share market | Stop Loss और Target क्या डे ट्रेडिंग स्टॉप लॉस होता है ?
शेयर मार्केट (share market) में निवेश के लिए स्टॉपलॉस (Stop loss) और टारगेट (Target) काफी महत्वपूर्ण रहते हैं। शेयर मार्केट में आने से पहले आपको यह बात पता होनी चाहिए कि शेयर मार्केट में जितना फायदा हो सकता है उतना ही आपको नुकसान भी शेयर मार्केट में हो सकता है ।
अगर आपको पता नहीं है कि स्टॉपलॉस और टारगेट क्या होता है तो आपके लिए यह बात जानना बेहद जरूरी है । आइए इसका मतलब जानने की कोशिश करते हैं । किसी भी शेयर का स्टॉप लॉस डे ट्रेडिंग स्टॉप लॉस वह मूल्य है जिससे ज्यादा आप को नुकसान नहीं हो सकता । आइए इसको एक उदाहरण से समझे है ।
मान लीजिए कि आपने किसी कंपनी का शेयर ₹100 में खरीदा है और उसका टारगेट प्राइस ₹150 रखा है और इसका स्टॉपलॉस प्राइस आपने ₹70 रखा है तो इसका मतलब यह है कि अगर यह शेर ₹70 के नीचे जाएगा तो आपकी पोजीशन वहां से कट कर दी जाएगी मतलब की आपको उससे ज्यादा लॉस नहीं हो सकता और ठीक वैसे ही आपने टारगेट प्राइस 130 रखा है इसका मतलब यह है कि अगर शेयर 130 डे ट्रेडिंग स्टॉप लॉस की टारगेट प्राइस तक पहुंचता है तो आपका प्रॉफिट वहां से बुक हो जाएगा ।
अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से शेयर करें ताकि उनको भी शेयर मार्केट की जानकारी मिल सके ।
What is Target - Stop loss in share market | Stop Loss और Target क्या होता है ? Reviewed by Share Market Help on मार्च 03, 2021 Rating: 5