कॉमर्स का कार्य

ई-कॉमर्स परंपरागत व्यवसाय अथवा विपणन/वितरण के तौर-तरीकों की तुलना में व्यावसायिक संस्थाओं तथा उपभोक्ताओं को कई तरह के लाभ उपलब्ध कराता है। उदाहरणार्थ,
कॉमर्स का कार्य
E-commerce in recent times has been growing rapidly across the world. It is a type of business model, or segment of a larger business model, that enables a firm or individual to conduct business over an electronic network, typically the internet. Electronic commerce operates in all four of the major market segments: business to business, business to consumer, consumer to consumer and consumer to business.
In India, there are three type of e-commerce business model are in vogue (i) Inventory base model of e-commerce (ii) Marketplace base model of e-commerce (iii) Hybrid model of inventory based and market place model.
Indian Information Technology Act and E-commerce: Indian Information Technology (IT) Act gives legal recognition to electronics records and electronic signature. These are the foremost steps to facilitate paper less trading. Under this Act Ministry of Electronics & Information Technology also has Information Technology कॉमर्स का कार्य Rule, 2000 for Reasonable security practices and procedures and sensitive personal data or information. Under section 72A of IT Amendment Act, 2008, punishment for disclosure of information in breach of a lawful contract is laid down.
ई-कॉमर्स क्या है ई-कॉमर्स कितने प्रकार के होते हैं?
क्या कभी आपने इंटरनेट के माध्यम से कुछ सामान खरीदा है? या कुछ बेचा हो? अगर हाँ तो इसका मतलब आपने ई-कामर्स क्या इलेक्ट्रानिक वाणिज्य में भाग लिया है। ई-कामर्स एक ऐसी कार्यप्रणाली है जिसके द्वारा इंटरनेट का प्रयोग करते हुए सामान खरीदते तथा बेचते हैं। वाणिज्य का प्रयोग सदियों से वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीददारी के लिए जाना जाता है परन्तु आज के युग में इसका स्वरूप पूर्णतया बदल चुका है। इसे अब आन लाइन सुविधा के साथ अच्छी तरह से किया जा रहा है। इस तरह के ऑनलाइन वाणिज्य को ई-काॅमर्स या ‘‘इलेक्ट्रानिक कामर्स’’ कहा जाता है। इसके द्वारा हम घर बैठे ही राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय वस्तुओं का आसानी से खरीद और बेच कर सकते हैं। आज यह सभी देशों के बाजारों का महत्वपूर्ण अंग है।
ई-कामर्स का प्रारम्भ 1990 का दशक माना जाता है और आज इसका प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है। इस समय लगभग हर कम्पनी की अपनी अलग ऑनलाइन उपस्थिति हैं तथा वह अपनी दमदार पहचान बनाने में जुटी है, देखा जाए तो ई-कामर्स एक आवश्यकता भी बन गई है। आज घरेलू सामान से लेकर, कपड़ा, किताबें, फर्नीचर, बिल्स, फोन चार्ज यात्रा टिकट मनोरंजन, सब कुछ ऑनलाइन है। आज बड़ी-बड़ी कम्पनियां जैसे पेटीएम अमेजाॅन, फ्लिपकार्ट इस प्रकार की सुविधाएं दे कर रही है। जिसमें आप जहां चाहे वहां सामान मंगवा सकते हैं। इस तरह से ई-कामर्स के जरिये धन का कॉमर्स का कार्य आदान प्रदान भी किया जा सकता है।
ई-कॉमर्स क्या है
इलेक्ट्रानिक कामर्स एक प्रकार की बिक्री-खरीददारी का माडल है जिसमें इंटरनेट का उपयोग किया जाता है। इसके दो आधारभूत प्रकार है: कॉमर्स का कार्य व्यवसाय से व्यवसाय (B.2.B) और व्यवसाय से उपभोक्ता (B.2.C), B.2.B में कम्पनियाँ अपने आपूर्तिकर्ताओं, वितरकों एवं दूसरे सहयोगियों के साथ इलैक्ट्रानिक नेटवर्क कॉमर्स का कार्य के माध्यम से व्यापार करती है एवं B.2. में कम्पनियाँ अपने उत्पादों एवं कॉमर्स का कार्य सेवाओं को अपने उपभोक्ताओं को इलेक्ट्रानिक नेटवर्क के माध्यम से उपलब्ध कराती है या बेचती है। हालांकि इसके बाद कई दूसरे तरह के ई-कामर्स माॅडल भी चर्चा में है जैसे कि C.2. C (उपभोक्ता-से-उपभोक्ता), C.2.B (उपभोक्ता-से-व्यवसाय), सी .2.A (बिजनेस-टू-एडमिनिस्ट्रेशन) एवं C.2.A (उपभोक्ता-से-एडमिनिस्ट्रेशन) आदि।
ई-कामर्स की अवधारणा का आशय इंटरनेट अर्थव्यवस्था एवं डिजिटल अर्थव्यवस्था से है। इंटरनेट अर्थव्यवस्था का आशय ऐसी अर्थव्यवस्था से है जिसमें राजस्व उत्पन्न करने के लिए इंटरनेट का उपयोग किया जाता है। जबकि डिजिटल अर्थव्यवस्था कम्प्यूटर, साफ्टवेयर और डिजिटल नेटवर्क जैसी डिजिटल तकनीकों पर आधारित है। ई-कामर्स का विकास इलेक्ट्रानिक डाटा इंटरचेज के बाद हुआ। पहले कंपनियां इसका उपयोग व्यावसायिक दस्तावेजों के आदान-प्रदान के लिए करती थी। धीरे-धीरे इसका प्रारूप बदला और कम्पनियों में इसका उपयोग सामान खरीदने एवं बेचने के लिए करना आरम्भ कर दिया। अब यह हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया।
ई-कॉमर्स के प्रकार
जब हम ई-कामर्स की बात करते हैं, तो हमारे मन में जो छवि उभरती है वह उत्पादक व उपभोक्ता के मध्य आनलाइन व्यापारिक लेन-देन की ही होती है जो कि कुछ हद तक सही भी है, ई-कामर्स को छह प्रमुख प्रकारों में विभाजित किया गया है जिनकी अपनी-अपनी कुछ विशेषताएं हैं-
- व्यवसाय से व्यवसाय (B 2 B) बिजनेस-टू-बिजनेस
- व्यापार-टू-उपभोक्ता (B 2 C) या बिजनेस-टू-कस्टूमर
- उपभोक्ता-टू-उपभोक्ता (C 2 C) या कस्टूमर-टू-कस्टूमर
- उपभोक्ता-टू-व्यवसाय (C 2 B) या कस्टूमर-टू-बिजनेस
- व्यापार-टू-प्रशासन (B 2 A) या बिजनेस-टू-एडमिनिस्ट्रेशन
- उपभोक्ता-टू-प्रशासन (C 2 A) या कस्टूमर-टू-एडमिनिस्ट्रेशन
1. व्यवसाय से व्यवसाय (B 2 B) बिजनेस-टू-बिजनेस
जब दो या दो से अधिक कम्पनियाँ आपस में सामान अथवा सेवाओं का लेन-देन इलेक्ट्रानिक तरीके से करते हैं तो इस तरह के ई-कामर्स को व्यवसाय से व्यवसाय (B 2 B) बिजनेस-टू-बिजनेस कहते हैं।
कॉमर्स का कार्य
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आपके लिए कौन सा माध्यम ठीक रहेगा
ई-कॉमर्स यानी बिजनेस को ऑनलाइन ले जाने के लिए सबसे पहले यह देखना होता है कि आपका बिजनेस किस चीज का है और आपके ग्राहक कौन लोग हैं। इसके बाद माध्यम का चुनाव करना ठीक रहता है।
जैसे बी2बी बिजनेस में कारोबारी सीधे ग्राहक से डील करते हैं। तो इसके लिए फ्लीपकार्ट, अमेज़न जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म उपयोग करना ठीक रहता है। क्योंकि, यहां पर आपकी मार्केटिंग कास्ट बच जाता है। जो लोग उस ई-कॉम प्लेटफॉर्म पर आयेंगे, उनको आपका भी प्रोडक्ट दिखेगा। पसंद आने पर ग्राहक ऑर्डर भी करेगा।
वहीं, बी2बी यानी बिजनेस 2 बिजनेस सेगमेंट में आपका बिजनेस है तो, आपको ग्राहक से डील न करके बिजनेस से डील करना होता है। दूसरे बिजनेस को कुछ चाहिए, तो वह आपकी वेबसाइट पर आयेगा। इसलिए इस सेगमेंट में खुद की वेबसाइट बनवाकर, खुद की होस्टिं लेना ज्यादा सही होता है। इससे आपके बिजनेस की पहचान कायम होती है।
Types of E-Commerce in Hindi
ई-कॉमर्स मुख्यतः चार प्रकार के होते है आईये बताते है उनके बारे में:
- Business-To-Business (B2B):- इसमें एक व्यवसाय से दूसरे व्यवसाय यानि एक कंपनी से दूसरी कंपनी से लेन-देन किया जाता है। व्यवसाय से व्यवसाय ई-कॉमर्स में उपभोक्ता का कोई रोल नहीं है। इसमें आमतौर पर कच्चे माल, सॉफ़्टवेयर, या संयुक्त उत्पाद जैसे उत्पाद शामिल होते है। निर्माता बी2बी ईकॉमर्स के माध्यम से सीधे खुदरा विक्रेताओं (Retailers) को भी बेचते है।
- Business-To-Consumer (B2C):- B2C ई-कॉमर्स सबसे लोकप्रिय ई-कॉमर्स मॉडल है। जिसमें उद्योगपति अपने प्रोडक्ट या सर्विस इंटरनेट के माध्यम से सीधा ग्राहक को बेचता है। बिजनेस टू कंज्यूमर का मतलब है कि बिक्री एक व्यवसाय और एक उपभोक्ता के बीच होती है। ऑनलाइन स्टोर जैसे कि अमेज़न, फ्लिपकार्ट पर सेलर अपने सामान ग्राहकों तक पहुंचता है और उसका उचित मूल्य लेता है।
इ कॉमर्स बिज़नेस कैसे स्टार्ट करे
यदि आप E Commerce Business Kaise Start Kare के बारे में जानना चाहते है तो इसके लिए आपको निचे बताये गए बिंदुओं को पढ़े।
अपने व्यवसाय का नाम दें
व्यावसायिक नाम हमेशा महत्वपूर्ण होते है क्योंकि यह मार्केट में आपको पहचान दिलाता है कि आप क्या बेचना चाहते है। यह आपके व्यवसाय की कानूनी पहचान होगी। आपके द्वारा चुना गया नाम सरल और अद्वितीय होना चाहिए।
डोमेन नाम सेट करें
आप अपने व्यवसाय के नाम पर एक डोमेन नेम यानि वेबसाइट भी बना सकते है। यह आपके और आपके ग्राहकों के बीच संपर्क के रूप में कार्य करता है। यह सुविधाजनक है क्योंकि यहां पर ग्राहक आपके प्रोडक्ट को डायरेक्ट देख सकते है और अगर उन्हें आपका प्रोडक्ट पसंद आता है तो वे उसे यहां से खरीद भी सकते है।
व्यवसाय के प्रकार की पहचान करें और रजिस्टर करें
Conclusion
यदि आप भारत में ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जुड़ना या अपना स्वयं को कोई प्लेटफॉर्म शुरू करना चाहते है तो भारत में सभी वेबसाइटों से जुड़ने की प्रक्रिया समान व आसान है। अमेज़न, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील आदि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म छोटे उद्योगों के लिए बहुत ही उपयोगी है। आप बिज़नेस पार्टनर के रूप में उनसे जुड़ सकते है और अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा सकते है।
तो ये थी E Business Kya Hai और E Business in Hindi से जुड़ी जानकारी उम्मीद करते है आपको ई-Commerce Ke Bare Mein Bataiye यह जानकारी अच्छी लगी होगी और आपको सब कुछ अच्छे से समझ में आ गया होगा। इस लेख को अपने दोस्तों के साथ भी ज़रूर शेयर करें, और अगर आपके पास हमारे लिए कोई सवाल हो, तो आप उसे Comment में लिख कर हमसे पूछ सकते है।