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स्टॉक डिविडेंड vs स्टॉक स्प्लिट

स्टॉक डिविडेंड vs स्टॉक स्प्लिट

Split Share Meaning in Hindi

शेयर मार्केट की भाषा में, स्टॉक स्प्लिट एक बहुत ही सामान्य शब्द है, लेकिन शेयर बाजार में स्टॉक स्प्लिट का अर्थ क्या है? अगर आप भी ये जानना चाह रहे है तो इस लेख में split share meaning in hindi विस्तार में बताया गया है।

स्टॉक स्प्लिट मार्केट में एक अनूठा अवसर है जो मार्केट में हर दिन नहीं आता है। चलो इस बारे में अधिक जानें कि स्टॉक स्प्लिट आपके पोर्टफोलियो और निवेश योजनाओं को कैसे प्रभावित कर सकता है।

स्टॉक स्प्लिट क्या है?

जब कोई एक कंपनी अपने प्रति शेयर की वैल्यू कम करना चाहती है तो वह अपने मौजूदा लिस्टेड शेयर का विभाजन करती है जिसको स्टॉक स्प्लिट कहा जाता है।

इसमें कंपनी अपने स्टॉक को कई स्टॉक में विभाजित करती है, जिसमें मौजूदा शेयरधारको को उनके शेयर्स और स्प्लिट अनुपात के हिसाब से शेयर्स दिए जाते है।

अब इसके लिए कंपनी के शेयर बाजार के नियम का पालन करना होता है।

नियमो के अनुसार शेयरों में विभाजन उस कंपनी के आधार पर 1 के लिए 2 या 1 के लिए 3 या 1 के लिए 5 भी हो सकता है। यहां एक स्टॉक स्प्लिट उदाहरण दिया गया है। जिसकी मदद से शेयर स्प्लिट को आसानी से समझा जा सकता है।

यदि एक कंपनी के शेयर आपके पास हैं, जो अपने शेयर्स स्प्लिट करना चाहती है और वह कंपनी 1 स्टॉक स्प्लिट के लिए 3 का फैसला करती है, तो शेयरधारक के रूप में आपको प्रत्येक 1 शेयर के लिए 3 शेयर मिलेंगे।

इसलिए, यदि शेयर विभाजन से पहले उस कंपनी के पास 10,000 बकाया शेयर थे, तो अब वह बकाया शेयरों की संख्या 30,000 होगी। हालांकि, कंपनी का बाजार कैपिटाईलेशन वही रहेगा। क्योंकि जब एक कंपनी अपने शेयरों को विभाजित करती है तो उसी हिसाव से शेयर्स की प्राइस भी कम हो जाता है।

कंपनी स्टॉक स्प्लिट क्यों करती है?

अभी आप Split Share Meaning in Hindi स्टॉक डिविडेंड vs स्टॉक स्प्लिट में समझ गए हैं, तो आइए स्टॉक विभाजन के कारणों को समझते हैं, कि कंपनियां अपने शेयर्स को स्प्लिट क्यों करती है।

लिक्डिटी बढाने के लिए

यह स्टॉक स्प्लिट के प्राथमिक कारणों में से एक है। किसी कंपनी का शेयर प्राइस काफी ज़्यादा होता है जिसकी वजह से निवेशक उसमे निवेश नहीं कर पाते। स्टॉक स्प्लिट के माध्यम से स्टॉक के मूल्य को कम करके, शेयरों को सभी के लिए सुलभ बनाया जाता है। जिससे सभी निवेशक आसानी से वह शेयर्स को खरीद और बेच सके।

शेयरधारक आधार बढ़ाने के लिए

स्टॉक स्प्लिट से, कंपनी के बकाया शेयरों की संख्या बढ़ जाती है और यह अधिक निवेशकों को शेयर खरीदने का अवसर देता है। जिससे कि यह एक कंपनी के लिए शेयरधारक आधार को बढ़ाने में मदद करता है।

भविष्य के विकास की धारणा

स्टॉक स्प्लिट के लिए जाने वाली कंपनियों को बढ़ती हुई कंपनी के रुप में जाना जाता है। निवेशकों के बीच यह एक सामान्य धारणा है कि यदि कोई कंपनी स्टॉक स्प्लिट के लिए जाती है तो उसके पास विकास की योजना है, और यह विश्वास मार्केट में कंपनी की सकारात्मक छवि को बनाता है।

स्टॉक स्प्लिट के प्रभाव

चूंकि स्टॉक विभाजन का कारण स्पष्ट हैं, तो आइए समझते हैं कि इसके प्रभाव क्या हैं। स्टॉक स्प्लिट के साथ, किसी एक कंपनी के आपके पोर्टफोलियो में शेयरों की संख्या तय अनुपात के अनुसार गुणा हो जाती है। स्प्लिट अनुपात के अनुसार, प्रति शेयर आय भी प्रभावित होती है। उदाहरण के लिए, यदि स्टॉक स्प्लिट अनुपात 2:1 है, तो प्रति शेयर आय (EPS) भी आधी हो जाती है।

हालांकि, ध्यान दें कि स्टॉक स्प्लिट से पहले और बाद में आपके पास जितने शेयर हैं, उनके लिए आपके पोर्टफोलियो में कुल कमाई में कोई बदलाव नहीं आता है।

स्टॉक स्प्लिट फॉर्मूला

कंपनी के शेयरों की संख्या की गणना करने के लिए, आपके पोर्टफोलियों में उस कंपनी के शेयर्स होनी चाहिए। अब किस तरह से स्टॉक स्प्लिट होता है उसके लिए शेयर मार्केट का गणित को समझना ज़रूरी है।

अब आप मौजूदा शेयरों की संख्या को प्रत्येक मौजूदा शेयर के लिए जारी किए गए नए शेयरों की संख्या से गुणा करें।

उदाहरण के लिए, यदि एबीसी कंपनी के आपके पास 150 शेयर हैं, और वह कंपनी 2:1 के अनुपात में स्टॉक स्प्लिट कर रही है, तो आपके पास जितने नए शेयर होंगे, वह 300 (150×2) होंगे।

स्टॉक स्प्लिट के बाद शेयर की कीमत जानने के लिए, नीचे दिए गए फॉर्मूले को लागू कर सकते है:

नया शेयर प्राइस = पुराना शेयर प्राइस / स्टॉक स्प्लिट अनुपात

नया शेयर प्राइस = 100 /(3:1)

यदि उस स्टॉक का अंतिम ट्रेडिंग प्राइस ₹100 था, और स्टॉक स्प्लिट अनुपात 3:1 है, तो शेयर की नई प्राइस ₹100/(3:1) = ₹33.33 होगी।

स्टॉक स्प्लिट vs बोनस शेयर

स्टॉक स्प्लिट से आपके मौजूदा इक्विटी शेयर ( equity meaning in hindi ) कई गुना तक उस कंपनी के स्प्लिट अनुपात के अनुसार बढ़ जाते हैं। जिससे शेयर की प्राइस तो कम हो जाती है, लेकिन आपके पोर्टफोलियो में कुल शेयरों के मूल्यांकन पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है।

दूसरी ओर, बोनस शेयरों ( bonus share meaning in hindi ) के मामले में, आपको आपके शेयरों की संख्या के अनुसार फ्री शेयर दिए जाते है जो कि आपके लिए वेहतर है क्योंकि इससे आपके पोर्टपोफियों की वैल्यु बढ जायेगी। बोनस शेयर आम तौर पर मौजूदा शेयरधारकों को सकारात्मक रुप से प्रभावित करते हैं।

स्टॉक डिविडेंड vs स्टॉक स्प्लिट

स्टॉक डिविडेंड, स्टॉक स्प्लिट से बिलकुल ही अलग है।

डिविडेंड मीनिंग इन हिंदी को समझा जाये तो इसमें इक्विटी शेयरों के रूप में निवेशकों के बीच प्रॉफिट वितरित किया जाता है, जैसे मानलो आपने किसी कंपनी में निवेश किया है और वह अपने शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड देने जा रही है तो एक तरह से कंपनी अपने प्रॉफिट का हिस्सा अपने शेयरहोल्डर्स के साथ बांटना चाहती है लेकिन ये निर्णय स्टॉक डिविडेंड vs स्टॉक स्प्लिट पूरी तरह से कंपनी पर निर्भर करता है कि वह कंपनी डिवीडेंट देना चाहती है या नही।

स्टॉक स्प्लिट में, कोई नया शेयर आवंटित नहीं किया जाता है, बल्कि मौजुदा शेयर्स को कई हिस्सो में तोड़ दिया जाता है। इसके अलावा, स्टॉक स्प्लिट का निर्णय तब लिया जाता है जब किसी शेयर का मार्केट प्राइस अधिक हो जाता है और जब उसे कम करने की आवश्यकता होती है।

रिवर्स स्टॉक स्प्लिट

रिवर्स स्टॉक स्प्लिट एक ऐसा अभ्यास है जिसमें एक इकाई एक निश्चित गुणक द्वारा बकाया शेयरों की कुल संख्या को कम करती है और उस गुणक द्वारा शेयर की कीमत बढ़ा दी जाती है।

उदाहरण के लिए, यदि आपके पास एवीसी कंपनी के 10 शेयर ₹200 प्रति शेयर की हिसाव से लिए हुये है और कंपनी 1:2 के रिवर्स स्टॉक स्प्लिट के लिए जाने का निर्णय लेती है, तो आपके पास ₹400 प्रत्येक 5 शेयर के अनुसार होंगे।

रिवर्स स्टॉक स्प्लिट विभिन्न अनुपातों में काम करता है जो 5:1, 10:1 या इससे भी अधिक हो सकता है।

यह कंपनी पर निर्भर करता है कि वह किस अनुपात पर स्टॉक स्प्लिट रिवर्स के साथ जाना चाहती है। ध्यान दें कि यह अभ्यास एक विशेष तिथि पर किया जाता है जिसे रिकॉर्ड तिथि के रूप में जाना जाता है।

इस तिथि के बाद, मर्ज किए गए शेयर एक्सचेंजों में बढ़ी हुई कीमत पर कारोबार करना शुरू कर देंते है।

स्टॉक स्प्लिट रिवर्स का उदाहरण

मान लीजिए कि एक विशेष कंपनी के शेयर जिनके शेयर आपके पास हैं, और कंपनी 100 शेयरों के लिए 1 के रिवर्स स्टॉक स्प्लिट की घोषणा करती हैं। इसलिए, यदि आपके पास 100 शेयर हैं, तो यह 100 शेयर का 1 शेयर बन जाएगा। मान लीजिए यदि आपके पास ₹10 के मौजूदा प्राइस पर कंपनी के 1000 शेयर हैं, तो स्टॉक स्प्लिट रिवर्स से पहले कीमत ₹ 10,000 (1000 x 10) होगी।

जबकि रिवर्स स्टॉक स्प्लिट के बाद, आपके पास ₹1000 की कीमत वाले 10 शेयर होंगे। 10 शेयरों की कुल कीमत स्थिर रहेगी, यानी कि 10,000, इस प्रकार, स्टॉक स्प्लिट रिवर्स मार्केट कैपिटलाइलेशन को प्रभावित नहीं करता है।

स्टॉक स्प्लिट रिवर्स के लाभ

रिवर्स स्टॉक स्प्लिट, एक कंपनी को घाटे से उबरने और डीलिस्टिंग के प्रतिकूल परिणाम से बचने में भी मदद करता है।

अतीत में, बहुत से शेयरों ने इस अभ्यास के बाद प्राइस में तेजी दिखाई है। अल्पावधि में, यह एक शेयर की प्राइस को बढ़ा भी सकता है।

आपके लिए एक निवेशक के रुप में रिवर्स स्टॉक स्प्लिट बेहतर लिक्विडिटी के साथ ट्रेड करने की अनुमति देता है। इस अभ्यास के बाद हायर प्राइस के साथ शेयरों का मनोवैज्ञानिक मूल्य भी बढ़ जाता है।

अंत में, स्टॉक स्प्लिट- या यहां तक ​​कि रिवर्स स्टॉक स्प्लिट- का स्टॉक डिविडेंड vs स्टॉक स्प्लिट कंपनी के मौजूदा निवेशकों पर कोई बहुत बड़ा व्यावहारिक प्रभाव नहीं पड़ता है।

स्टॉक स्प्लिट का सबसे बड़ा फायदा उन निवेशकों के लिए होता है जो किसी विशेष स्टॉक को काफी लम्बे समय से देख रहे हैं और ज्यादा प्राइस होने की बजह से खरीद नही पा रहे है तो बह स्टॉक स्प्लिट के बाद आसानी से उस कंपनी में निवेश शुरु कर सकते है।

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Tata Steel Dividend: निवेशकों की लगी लॉटरी, टाटा स्टील ने 51 रुपये डिविडेंड देने का किया ऐलान

Tata Steel Stock Split: दुनिया की सबसे बड़ी इस्पात कंपनियों में से एक टाटा स्टील ने न सिर्फ मार्च तिमाही में बल्कि पूरे फाइनेंशियल ईयर में शानदार बिजनेस किया है. इसके बाद बोर्ड ने डिविडेंड और स्टॉक स्प्लिट की सिफारिश की है.

बोर्ड ने की डिविडेंड की सिफारिश

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 04 मई 2022,
  • (अपडेटेड 04 मई 2022, 1:47 PM IST)
  • मार्च तिमाही में टाटा स्टील को तगड़ा मुनाफा
  • कमाई में टीसीएस से आगे निकली कंपनी

टाटा समूह (Tata Group) की इस्पात कंपनी टाटा स्टील (Tata Steel) ने अपने इन्वेस्टर्स को मार्च तिमाही के रिजल्ट के बाद शानदार तोहफा दिया है. मार्च तिमाही में फाइनेंशियल परफॉर्मेंस जबरदस्त रहने के बाद कंपनी ने अपने शेयरहोल्डर्स को प्रति शेयर 51 रुपये का डिविडेंड (Tata Steel Dividend) देने का फैसला किया है. इसके अलावा बोर्ड (Tata Steel Board) ने स्टॉक को 10:1 के रेशियो में स्प्लिट (Tata Steel Stock Split) करने की भी सिफारिश की है.

टीसीएस से आगे निकली टाटा स्टील

टाटा स्टील दुनिया की सबसे बड़ी इस्पात कंपनियों में से एक है. कंपनी के पास अभी सालाना 34 मिलियन टन क्रूड स्टील (Crude Steel) बनाने की क्षमता है. कंपनी का मुनाफा (Tata Steel Profit) मार्च तिमाही में 37 फीसदी से ज्यादा बढ़ा है.

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शेयर बाजार को दी गई जानकारी के अनुसार, मार्च तिमाही में टाटा स्टील को 9,835 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है. यह साल भर पहले यानी मार्च 2021 तिमाही के 7,165 करोड़ रुपये के मुनाफे की तुलना में 37.32 फीसदी ज्यादा है. कंपनी अब मुनाफा देने के मामले में समूह की आईटी कंपनी टीसीएस (TCS) से भी आगे निकल गई है. अब टीसीएस नहीं बल्कि टाटा स्टील ही टाटा ग्रुप की सबसे ज्यादा मुनाफे वाली कंपनी बन गई है.

पूरे फाइनेंशियल ईयर में इतना मुनाफा

पूरे फाइनेंशियल ईयर (FY22) की बात करें तो टाटा स्टील को 2021-22 में 41,749 करोड़ रुपये का जबरदस्त मुनाफा हुआ है. यह एक साल पहले यानी फाइनेंशियल ईयर 2020-21 (FY21) की तुलना में 5 गुने से भी अधिक है. 2020-21 में टाटा स्टील को 8,190 करोड़ रुपये का प्रॉफिट हुआ था. कंपनी ने बताया कि उसके पास कंसोलिडेटेड कैश फ्लो (Consolidated Cash Flow) के नाम पर 27,185 करोड़ रुपये हैं. यह कैश फ्लो वर्किंग कैपिटल (Working Capital) में 9,618 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी, 10522 करोड़ रुपये के कैपेक्स (Capex) और 11902 करोड़ रुपये के टैक्सेज (Taxes) के बाद है.

कंपनी के सीईओ ने दिया ये बयान

टाटा स्टील ने बताया कि उसके बोर्ड ने Fully Paid इक्विटी शेयरों पर 51 रुपये और Partly Paid इक्विटी शेयरों पर 12.75 रुपये का डिविडेंड देने की सिफारिश की है. इसके अलावा बोर्ड ने 10:1 के अनुपात में शेयरों को स्प्लिट करने की भी सिफारिश की है. टाटा स्टील के एमडी एवं सीईओ टीवी नरेन्द्रन (TV Narendran) ने शानदार रिजल्ट के बारे में कहा, 'टाटा स्टील ने कोविड और जिओपॉलिटिकल टेंशन के चलते प्रतिकूल परिस्थितियों के बाद भी शानदार परफॉर्म करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है. हमारे भारतीय बिजनेस ने कस्टमर रिलेशन, डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क और पोर्टफोलियो पर लगातार फोकस करने से ब्रॉड-बेस्ड ग्रोथ दिखाया है.'

इस पेट्रोकेम स्टॉक ने घोषित किया 100 फीसदी का अंतरिम डिविडेंड, अगले सप्ताह है रिकॉर्ड तिथि

सुप्रीम पेट्रोकेम स्टॉक ने 100 फीसदी का अंतरिम डिविडेंड घोषित किया है. इसके लिए 4 नवंबर 2022 को रिकॉर्ड तिथि घोषित की गई है.

Updated: October 28, 2022 11:40 AM IST

Supreme Petrochem announces 100 dividend to its shareholders, record date is November 4, 2022

जुलाई-सितंबर 2022 या Q2 FY23 को समाप्त अवधि के लिए अपनी दूसरी तिमाही की आय की घोषणा करते हुए, सुप्रीम पेट्रोकेम लिमिटेड ने कहा कि उसके बोर्ड ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए ₹4 (100%) का अंतरिम लाभांश स्वीकृत और घोषित किया है. कंपनी ने अगले सप्ताह शुक्रवार, 4 नवंबर, 2022 को रिकॉर्ड तिथि की घोषणा की है.

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कंपनी ने एक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि कंपनी के निदेशक मंडल ने 27 अक्टूबर, 2022 को हुई बैठक में 4 रुपये अंकित मूल्य वाली कंपनी के प्रति इक्विटी शेयर 4 रुपये के अंतरिम डिविडेंड को मंजूरी की घोषिणा किया है.

इस बीच, कंपनी ने उक्त अंतरिम लाभांश की पात्रता के उद्देश्य से शुक्रवार, 4 नवंबर, 2022 को “रिकॉर्ड तिथि” के रूप में निर्धारित किया है. उसके अनुसार, कंपनी के शेयरधारक शुक्रवार, 4 नवंबर, 2022 को कारोबार के अंत में लाभांश के भुगतान के लिए पात्र होंगे.

कंपनी मिलियन टन पॉलिमर और एक्सपेंडेबल पॉलीस्टाइनिन के निर्माण में लगी हुई है और भारत में दो स्थानों से अत्याधुनिक उत्पादन सुविधाओं का स्वामित्व और संचालन करती है. रायगढ़, महाराष्ट्र में नागोथाने के पास अमदोशी – वंगानी गांव और न्यू मनाली टाउन में तमिलनाडु में चेन्नई के पास है. सुप्रीम पेट्रोकेम के शेयर 2022 (YTD) में अब तक लगभग 2% नीचे हैं, जबकि पेट्रोकेम स्टॉक में एक साल की अवधि में 11% से अधिक की वृद्धि हुई है.

इसके अलावा, कंपनी ने एक इक्विटी शेयर से कंपनी के मौजूदा इक्विटी शेयर के स्टॉक विभाजन या उप-विभाजन की भी घोषणा की, जिसका अंकित मूल्य 4 रुपये प्रत्येक, अंकित मूल्य वाले 2 इक्विटी शेयरों में पूरी तरह से भुगतान किया गया है. कंपनी ने कहा कि इस तरह के सबडिवीजन/इक्विटी शेयरों के बंटवारे की रिकॉर्ड तारीख की सूचना उचित समय पर दी जाएगी.

स्टॉक स्प्लिट मौजूदा शेयरधारकों को अधिक शेयर जारी करके बकाया शेयरों की संख्या को बढ़ाएगा. स्टॉक स्प्लिट से व्यक्तिगत शेयरों का मूल्य बाजार मूल्य से कम हो जाएगा. हालांकि, कंपनी के बाजार पूंजीकरण में कोई परिवर्तन नहीं होगा.

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विभाजन कैलेंडर

वेदांता बोर्ड बैठक परिणाम: 1,750% का तीसरा अंतरिम लाभांश, राशि और रिकॉर्ड डेट

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ये हैं ज्‍यादा डिविडेंड देने वाले 5 शेयर, सुरक्षा के साथ अच्छा रिटर्न

जनवरी-मार्च के दौरान जहां हाई वैल्‍यूएशन वाली कई कंपनियां धराशायी हुईं. वहीं, यह गिरावट ज्‍यादा डिविडेंड देने वाली अधिकतर कंपनियों में सीमित रही.

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दूसरे शब्‍दों में कहें तो यह उन निवेशकों के लिए है जो 'लो रिस्‍क, लो रिटर्न' स्‍ट्रैटेजी को फॉलो करने वाले हैं. यूटीआई म्‍यूचुअल फंड की फंड मैनेजर स्‍वाति कुलकर्णी कहती हैं कि बाजार में तेजी के दौरान इस स्‍ट्रैटेजी से बहुत शानदार रिटर्न नहीं मिलेंगे. लेकिन, इसमें गिरावट सीमित रहेगी. कारण है कि गिरावट के समय हाई यील्‍ड कुशन का काम करेगी. इस तरह यह स्‍ट्रैटेजी अच्‍छा रिस्‍क एडजेस्‍टेड रिटर्न देती है.

वैसे निवेशकों को इस मुगालते में नहीं रहना चाहिए कि इस स्‍ट्रैटेजी से जोखिम खत्‍म हो जाता है. प्रिंसिपल म्‍यूचुअल फंड में हेड ऑफ इक्विटीज रवि गोपालकृष्‍णन कहते हैं कि डिविडेंड यील्‍ड स्‍ट्रैटेजी को फॉलो करने वाले निवेशकों को यह नहीं मान लेना चाहिए कि यह रिस्‍क फ्री है. आखिरकार आपका निवेश इक्विटी में है. इसलिए जोखिम खत्‍म नहीं हो जाएगा.

कहीं डिविडेंड यील्‍ड ट्रैप तो नहीं है?
डिविडेंड यील्‍ड और डिविडेंड के फंदे में बहुत बारीक सी लाइन है. पहले अच्‍छा डिविडेंड दे चुकी कई कंपनियां भविष्‍य में शायद ऐसा नहीं कर पाएं. स्‍वाति कहती हैं कि अकेले डिविडेंड के पैमाने को नहीं देखना चाहिए. निवेशकों को और भी पैमाने देखने की जरूरत है. ऐसा नहीं करने पर वे डिविडेंड के जाल में फंस सकते हैं.

मार्केटमोजो डॉट कॉम के सीआईओ सुनील दमानिया कहते हैं कि अगर आप केवल डिविडेंड यील्‍ड को देखेंगे तो डिविडेंड ट्रैप में फंस सकते हैं. यहां तक अगर कंपनी लगातार डिविडेंड का भुगतान करती है तो भी अंत में आप पैसा गंवा सकते हैं. कारण है कि शेयर भाव में गिरावट प्राप्‍त होने वाले डिविडेंड से ज्‍यादा हो सकती है. ऐसे में इससे बचने के लिए आपको कुछ बातों को समझना होगा.

पहला, डिविडेंड की कंसिस्‍टेंसी यानी निरंतरता को देखिए. गोपालकृष्‍णन कहते हैं कि वास्‍तविक डिविडेंड से डिविडेंड की कंसिस्‍टेंसी ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण है. डिविडेंड का नियमित भुगतान दिखाता है कि कंपनी के प्रबंधन को भरोसा है कि वह प्रॉफिट को बनाए रखेगा. कई कंपनियों ने 31 मार्च 2020 से पहले टैक्‍स कानूनों में बदलाव के चलते भारी-भरकम डिविडेंड का भुगतान किया था. ये शायद भविष्‍य में ऐसा नहीं कर पाएं. इसलिए हमने उन्‍हीं शेयरों की पहचान की है जिन्‍होंने एक अप्रैल, 2020 के बाद डिविडेंड का एलान किया है.

दूसरा, चेक करें कि क्‍या कंपनी भविष्‍य में भी डिविडेंड दे पाने में समर्थ होगी. कारण है कि डिविडेंड यील्‍ड को हिस्‍टॉरिकल डिविडेंड के आधार पर निकाला जाता है. निवेशकों को किसी चक्र में अच्‍छा करने वाली इंडस्‍ट्री की कंपनियों को लेकर ज्‍यादा सतर्क रहने की जरूरत है. कारण है कि अच्‍छे समय में इनका कैश फ्लो जोरदार होगा. वहीं, साइकिल बदलने पर कैश फ्लो अचानक नीचे आ जाएगा. इसका मतलब है कि अच्‍छे समय में दिया गया शानदार डिविडेंड खराब समय में गुम हो जाएगा. इसलिए केवल उन्‍हीं कंपनियों पर दांव लगाएं जिनके भविष्‍य में भी अच्‍छा करने के आसार हैं.

तीसरा, देखें कि क्‍यों डिविडेंड ज्‍यादा हैं. गोपालकृष्‍णन कहते हैं कि निरंतर डिविडेंड देने वाली कंपनियों पर ही दांव लगाएं. इसके लिए इनकी ग्रोथ रेट और फ्री कैश फ्लो (एफसीएफ) को देखा जा सकता है.

चौथा, चेक कर लें कि क्‍या मौजूदा हाई डिविडेंड उचित हैं. इसका पता करने के लिए रिटर्न ऑन इक्विटी, रिटर्न ऑन कैपिटल एम्‍प्‍लायड जैसे रिटर्न रेशियो को देखा जा सकता है. आइए, अब कुछ डिविडेंड यील्‍ड शेयरों को देखते हैं जिनमें अभी निवेश किया जा सकता है.

1. कैस्‍ट्रॉल इंडिया

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कैस्‍ट्रॉल कैलेंडर वर्ष के हिसाब से चलती है. इसलिए पिछले साल के लिए इसका अंतिम डिविडेंड 31 मार्च से पहले घोषित हो गया था. हमारी लिस्‍ट में इस शेयर को इसलिए जगह दी गई है क्‍योंकि जून 2020 में इसने अंतरिम डिविडेंड का भुगतान किया है. वैसे तो इसकी लॉन्ग टर्म ग्रोथ को लेकर कुछ चिंताएं हैं. लेकिन, दूसरे पहलू बहुत मजबूत है. 946 करोड़ रुपये के कैश बैलेंस के अलावा 2019 में इसने 860 करोड़ रुपये का एफसीएफ भी जेनरेट किया है. इसका रिटर्न ऑन इक्विटी 65 फीसदी है जो ज्‍यादातर कंपनियों के लिए सपना होता है.

2. एचपीसीएल

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इस कंपनी की प्रमोटर भारत सरकार है. सरकार को राजकोषीय जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसे की जरूरत होगी. इसलिए कंपनी भविष्‍य में डिविडेंड देना जारी रखेगी. 2019-20 में एचपीसीएल ने 97 फीसदी भुगतान किया था. मुनाफे में गिरावट के बाद भी कंपनी ने इसे कायम रखा है. चूंकि, सरकार जबरन तेल सब्सिडी का बोझ नहीं डाल रही है. इसलिए सरकारी तेल कंपनियों ने अच्‍छा कैश फ्लो जेनरेट करना शुरू कर दिया है. वैसे तो एचपीसीएल का एफसीएफ 2018-19 और 2019-20 में निगेटिव हो गया था. लेकिन, 2020-21 में एफसीएफ के दोबारा पॉजिटिव हो जाने के आसार हैं. 2020-21 में एफसीएफ यील्‍ड करीब 14 फीसदी पर पहुंच सकती है. इसका मतलब यह है कि एचपीसीएल दोबारा डिविडेंड रेट को बढ़ा सकती है.

3. आईटीसी

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यह बुनियादी रूप से एक और मजबूत कंपनी है. यह अपनी कोर फील्‍ड (सिगरेट) में ग्रोथ की चुनौतियों का सामना कर रही है. हालांकि, इस चुनौती से निपटने के लिए वह फूड जैसे एफएमसीजी ग्रोथ सेगमेंट में निवेश कर रही है. जहां लॉकडाउन में दूसरी इंडस्‍ट्रीज ने संघर्ष किया. वहीं, इस दौरान पैकेटबंद फूड इंडस्‍ट्री का प्रदर्शन अच्‍छा रहा. साफ-सफाई और सेहत की बढ़ी चिंता का फायदा उठाने के लिए आईटीसी ने सरफेस डिसइंफेक्‍टेंट स्‍प्रे, फ्रूट एंड वेजिटेबल वॉश जैसे प्रोडक्‍ट लॉन्‍च किए हैं. इसका कैश बैलेंस 31 मार्च तक 7,277 करोड़ रुपये था. वहीं, 2019-20 तक एफसीएफ 11,693 करोड़ रुपये था. इसके आगे और बढ़ने के आसार हैं. इसलिए आने वाले वर्षों में कंपनी के लिए हाई डिविडेंड को मेनटेन रख पाना कोई बड़ी समस्‍या नहीं होगी.

4. पेट्रोनेट एलएनजी

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पेट्रोनेट अभी बहुत अच्‍छी स्थिति में है. वजह है कि यह डिविडेंड यील्‍ड और ग्रोथ स्‍टॉक दोनों है. कंपनी का लंबी अवधि का लाउटलुक शानदार है. नेचुरल गैस की मांग बढ़ने से इसे फायदा होगा. इसकी मांग बढ़ना लाजिमी है. यह सस्‍ती स्टॉक डिविडेंड vs स्टॉक स्प्लिट है और प्रदूषण नहीं करती है. इसके पास 4,400 करोड़ रुपये का कैश बैलेंस है. इसलिए यह ज्‍यादा डिविडेंड का भुगतान बनाए रखेगी.

5. टाटा पावर

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आईटीसी की तरह टाटा पावर भी अपने बिजनेस मॉडल में तमाम चीजें दोबारा तलाश रही है. इसकी वजह पर्यावरण संबंधी मुद्दे और नियामकीय बंदिशें हैं. उदाहरण के लिए टाटा पावर अब कोल बेस्‍ड पावर प्‍लांट से क्‍लीन एनर्जी की तरफ रुख कर रही है. पिछले पांच साल में इसने इस दिशा में उल्‍लेखनीय बढ़त हासिल की है. रूफटॉप सोलर पावर जेनरेशन, सोलर पंप, इलेक्ट्रिकल व्‍हीकल चार्जिंग, माइक्रो ग्रिड, होम ऑटोमेशन जैसे कंज्‍यूमर आइटम की पेशकश से वह रिटेल रेवेन्‍यू बढ़ाना चाहती है. अभी कंपनी का जोर कर्म घटाने पर है. इस योजना को अमलीजामा पहना लेने पर कंपनी अपना डिविडेंड पेआउट रेशियो बढ़ा सकती है.

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