सर्वश्रेष्ठ CFD ब्रोकर्स

विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आ रही गिरावट

विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आ रही गिरावट

दो सालों के निचले स्तर पर फिसला विदेशी मुद्रा भंडार, इस साल रुपए में आई 7% की गिरावट, अब आगे क्या?

Foreign Exchange Reserves: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कहा कि देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 8 बिलियन डॉलर की गिरावट आई और यह दो सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है. डॉलर के मुकाबले गिरते रुपए को संभालने के लिए RBI फॉरन रिजर्व का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रहा है.

Foreign Exchange Reserves: देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट आ रही है. अब तो यह फिसलकर 2 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है. 2 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 8 बिलियन डॉलर की गिरावट आई और यह फिसल कर 553 बिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने कहा कि यह 9 अक्टूबर 2020 के बाद सबसे न्यूनतम स्तर है. पिछले पांच सप्ताह से लगातार फॉरेक्स रिजर्व में गिरावट देखी जा रही है.

109 पर डॉलर इंडेक्स बंद

इस साल अब तक रुपए में 7 फीसदी की गिरावट आ चुकी है. डॉलर के मुकाबले रुपया इस समय 80 के करीब है. डॉलर इंडेक्स इस सप्ताह 109 के स्तर पर बंद हुआ. फेडरल रिजर्व की तरफ से इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी के कारण डॉलर को मजबूती मिल रही है. ऐसे में इमर्जिंग मार्केट्स की करेंसी पर दबाव बहुत ज्यादा है. हालांकि, तुलनात्मक आधार पर रुपए का प्रदर्शन ज्यादा मजबूत है.

रुपया कई बार फिसला फिर संभला रुपया

जानकारों का कहना है कि डॉलर के मुकाबले फिसलते रुपए को संभालने के लिए रिजर्व बैंक ने लगातार फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व का इस्तेमाल किया. उसने बड़े पैमाने पर डॉलर रिजर्व बेचे, जिससे रुपए को मजबूती मिली है. पिछले कुछ महीनों में रुपए ने कई बार 80 के स्तर को पार किया है, लेकिन उसमें रिकवरी आई है.

करेंसी असेट्स में सबसे ज्यादा गिरावट

विदेशी मुद्रा भंडार में 8 बिलियन डॉलर की गिरावट में सबसे बड़ा योगदान फॉरन करेंसी असेट्स का रहा. यह 498.65 बिलियन विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आ रही गिरावट डॉलर से फिसल कर 492.12 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया. गोल्ड रिजर्व 39.64 बिलियन डॉलर से फिसलकर 38.30 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है.

आगे रुपए में तेजी का अनुमान

इधर रुपए के प्रदर्शन को लेकर IIFL सिक्यॉरिटीज के अनुज गुप्ता ने कहा कि आने वाले सप्ताह में रुपए में मजबूती आ सकती है. डॉलर के मुकाबले रुपया 79.20 से 80 के दायरे में ट्रेड कर सकता है. ग्लोबल मार्केट में तेजी और कच्चे तेल के दाम में गिरावट के कारण रुपए को मजबूती मिलेगी. इंटरनेशनल मार्केट में ब्रेंट क्रूड इस सप्ताह 93 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर और WTI क्रूड 87 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर बंद हुआ. डॉलर इंडेक्स इस सप्ताह 109 के स्तर पर बंद हुआ जो ओवरबाउट जोन में है. इसमें करेक्शन आएगा, जिससे रुपए को मजबूती मिलेगी.

2013 के टैपर-टैंट्रम की तरह विदेशी मुद्रा भंडार खाली कर रहा भारत, रिजर्व बैंक धड़ल्ले से बेच रहा डॉलर

रुपये की जोरदार गिरावट को थामने के लिए आरबीआई ने 2013 के दौरान भी विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर की बिक्री की थी. आरबीआई ने जून से सितंबर 2013 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार से 13 अरब डॉलर की बिक्री कर दी थी. मई 2013 में फेडरल रिजर्व ने इस बात के संकेत दिए थे कि वह अपने बॉन्ड खरीद कार्यक्रम को बंद करेगा.

विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर बेच रहा आरबीआई

नई दिल्ली : घरेलू शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की बिकवाली से रुपये में आई कमजोरी को थामने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) विदेशी मुद्रा भंडार को तेजी से विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आ रही गिरावट खाली कर रहा है. वह लगातार डॉलर को बेचने में जुटा है. मीडिया की रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि आरबीआई रुपये की गिरावट को थामने के लिए जिस प्रकार से डॉलर की बिक्री कर रहा है, उसने 2013 के टैपर-टैंट्रम की याद दिला दी है. वर्ष 2013 में भी रुपये की गिरावट को थामने के लिए आरबीआई ने विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल करते हुए डॉलर की धड़ल्ले से बिक्री की थी.

आरबीआई की ओर से बीते शुक्रवार 17 सितंबर को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, केंद्रीय बैंक ने जनवरी 2022 से जुलाई 2022 के दौरान भारत के विदेशी मुद्रा भंडार से करीब 38.8 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आ रही गिरावट बिक्री की है. इसमें केवल जुलाई महीने में ही आरबीआई ने करीब 19 अरब डॉलर की बिक्री की. हालांकि, अगस्त महीने में भी रुपया जब डॉलर के मुकाबले 80 रुपये प्रति डॉलर के स्तर के नीचे पहुंच गया. आंकड़ों के अनुसार, आरबीआई का फॉरवर्ड डॉलर होल्डिंग अप्रैल के 64 अरब डॉलर के मुकाबले घटकर 22 विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आ रही गिरावट अरब डॉलर के स्तर पर आ गया.

2013 में भी आरबीआई ने धड़ल्ले से बेची थी डॉलर

बता दें कि रुपये की जोरदार गिरावट को थामने के लिए आरबीआई ने वर्ष 2013 के दौरान भी विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर की बिक्री की थी. मीडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि आरबीआई ने जून से सितंबर 2013 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार से करीब 13 अरब डॉलर की बिक्री कर दी थी. उस समय मई 2013 में अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने इस बात के संकेत दिए थे कि वह अपने बॉन्ड खरीद कार्यक्रम को बंद करेगा, जो वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण वैश्विक स्टॉक और बॉन्ड्स में अचानक बिकवाली का दौर शुरू हो गया था. इसका मतलब यह था कि अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व धन की आपूर्ति बंद कर देगा. जब फेडरल रिजर्व बॉन्ड खरीद कार्यक्रम को बंद करने वाला बयान दिया था, तब यह माना गया था कि अमेरिका का केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेगा. इसका नतीजा यह निकला कि निवेशकों ने उभरती अर्थव्यवस्थाओं से दूरी बना ली. उन्होंने शेयर बाजारों से रातोंरात अपना पैसा निकल लिया. अर्थशास्त्रियों ने निवेशकों की इस गतिविधि को टैपर-टैंट्रम नाम दिया था.

विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आ रही गिरावट

दरअसल, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अक्टूबर 2021 में 642 अरब डॉलर के शिखर से गिरकर 550 अरब डॉलर के दो साल के निचले स्तर पर आ गया. वास्तविक डॉलर की बिक्री के अलावा, भंडार यूरो और येन जैसी प्रमुख मुद्राओं में ग्रीनबैक और ए के मुकाबले गिरावट से भी प्रभावित होता है. वहीं, विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट और आयात में तेजी का मतलब है कि यह पूल अब लगभग नौ महीने के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त है, जबकि 16 महीने चरम पर है. टेंपर टैंट्रम के समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार से आयात करने की क्षमता विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आ रही गिरावट सात महीने से कम हो गया था. इस महीने की शुरुआत में एक रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के बीच आयात उतार-चढ़ाव के कारण आयात क्षमता अगस्त 2018 के बाद से सबसे निचले स्तर पर आ गया है.

विदेशी मुद्रा भंडार और गोल्ड रिजर्व में फिर छाया गिरावट का दौर

Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। देश में जितना भी विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार जमा होता है, उसके आंकड़े समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए जाते हैं। इन आंकड़ों में उतार-चढ़ाव होता रहता है। काफी समय तक विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) में बढ़त दर्ज होने के बाद अब एक बार फिर इसमें बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। उधर स्वर्ण भंडार (Gold Reserves) में भी इस बार गिरावट दर्ज हुई है। इस बात का खुलासा RBI द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों से हुआ है। बता दें, यदि विदेशी मुद्रा परिस्थितियों में बढ़त दर्ज की जाती है तो, कुल विदेशी विनिमय भंडार में भी बढ़त दर्ज होती है।

विदेशी मुद्रा भंडार के ताजा आंकड़े : 10 जून, 2022 को

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 10 जून 2022 समाप्त सप्ताह में 4.599 करोड़ डॉलर घटकर 596.458 अरब डॉलर पर आ गिरा है। जबकि, 3 जून 2022 समाप्त सप्ताह में 30.6 करोड़ डॉलर घटकर 601.057 अरब डॉलर पर आ गिरा है। वहीं, उससे पहले 27 मई, 2022 को समाप्त सप्ताह में 3.9 बिलियन डॉलर बढ़कर 601.363 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। उससे भी पहले देखा जाए तो 20 मई को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 4.23 अरब डॉलर बढ़कर 597.509 अरब डॉलर पर था। बताते चलें, 27 मई को विदेशी मुद्रा भंडार में यह बढ़त लगभग 10 हफ्तों तक लगातार दर्ज हो रही गिरावट के बाद यह दूसरी बार बढ़त विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आ रही गिरावट दर्ज हुई है। उस समय दर्ज हुई बढ़त के बाद विदेशी मुद्रा भंडार एक बार फिर से 600 अरब डॉलर को पार कर गया था।

गोल्ड रिजर्व की वैल्यू :विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आ रही गिरावट

बताते चलें, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत के गोल्ड रिजर्व की वैल्यू में भी पिछले कुछ समय तक लगातार बढ़त दर्ज होने के बाद आज गिरावट दर्ज हुई है। इस प्रकार समीक्षाधीन सप्ताह में गोल्ड रिजर्व की वैल्यू 10 लाख डॉलर की मामूली गिरावट के साथ 40.842 अरब डॉलर पर जा पहुंची है। हालांकि, इससे पहले भी गोल्ड रिजर्व में गिरावट ही दर्ज की गई थी। रिजर्व बैंक (RBI) ने बताया कि, आलोच्य सप्ताह के दौरान IMF के पास मौजूद भारत के भंडार में मामूली वृद्धि हुई। बता दें, विदेशी मुद्रा संपत्तियों (FCA) में आई गिरावट के चलते विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई है। RBI के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा परिस्थितियों में बढ़त दर्ज होने की वजह से कुल विदेशी विनिमय भंडार में बढ़त हुई है और विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का एक अहम भाग मानी जाती हैं।

आंकड़ों के अनुसार IMF :

रिजर्व बैंक (RBI) के साप्ताहिक आंकड़ों पर नजर डालें तो, विदेशीमुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होती हैं। बता दें, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में बढ़कर होने की वजह से मुद्रा भंडार में बढ़त दर्ज की गई है। इस प्रकार अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) में देश का मुद्रा भंडार 4 करोड़ डॉलर घटकर 4.985 अरब डॉलर पर पहुंच गया। जबकि, IMF में देश का विशेष आहरण अधिकार (SDR) 2.3 करोड़ डॉलर घटकर 18.388 अरब डॉलर पर आ पंहुचा है।

क्या है विदेशी मुद्रा भंडार ?

विदेशी मुद्रा भंडार देश के रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आ रही गिरावट स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। इसका उपयोग आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में भी किया जाता है। कई लोगों को विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी का मतलब नहीं पता होगा तो, हम उन्हें बता दें, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आ रही गिरावट अच्छी बात होती है। इसमें करंसी के तौर पर ज्यादातर डॉलर होता है यानि डॉलर के आधार पर ही दुनियाभर में कारोबार किया जाता है। बता दें, इसमें IMF में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।

विदेशी मुद्रा भंडार के फायदे :

विदेशी मुद्रा भंडार से एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति आसानी से की जा सकती है।

अच्छा विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है।

यदि भारत के पास भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है तो, सरकार जरूरी सैन्य सामान की तत्काल खरीदी का निर्णय ले सकती है।

विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार की प्रभाव पूर्ण भूमिका होती है।

ताज़ा ख़बर पढ़ने के लिए आप हमारे टेलीग्राम चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। @rajexpresshindi के नाम से सर्च करें टेलीग्राम पर।

एक डॉलर की कीमत 80 रुपये पर पहुंची, जानें- क्यों कमजोर होता जा रहा है रुपया, अभी और कितनी गिरावट बाकी?

Rupee Vs Dollar: एक डॉलर की कीमत 80 रुपये पर पहुंच गई है. संसद में सवालों के जवाब में केंद्र सरकार की तरफ से जवाब दिया गया है कि 2014 के बाद से डॉलर के मुकाबले रुपये में अभी तक 25 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी है.

Updated: July 19, 2022 12:44 PM IST

Dollar Vs Rupee

Rupee Vs Dollar: मंगलवार को शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपया मनोवैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण विनिमय दर के स्तर डॉलर के मुकाबले 80 रुपये के स्तर से नीचे चला गया. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, रुपया घटकर 80.06 प्रति डॉलर पर आ गया.

Also Read:

रुपया विनिमय दर क्या है?

अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपये की विनिमय दर अनिवार्य रूप से एक अमेरिकी डॉलर को खरीदने के लिए आवश्यक रुपये की संख्या है. यह न केवल अमेरिकी सामान खरीदने के लिए बल्कि अन्य वस्तुओं और सेवाओं (जैसे कच्चा तेल) की पूरी मेजबानी के लिए एक महत्वपूर्ण मीट्रिक है, जिसके लिए भारतीय नागरिकों और कंपनियों को डॉलर की आवश्यकता होती है.

जब रुपये का अवमूल्यन होता है, तो भारत के बाहर से कुछ खरीदना (आयात करना) महंगा हो जाता है. इसी तर्क से, यदि कोई शेष विश्व (विशेषकर अमेरिका) को माल और सेवाओं को बेचने (निर्यात) करने की कोशिश कर रहा है, तो गिरता हुआ रुपया भारत के उत्पादों को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाता है, क्योंकि रुपये का अवमूल्य विदेशियों के लिए भारतीय उत्पादों को खरीदना सस्ता बनाता है.

डॉलर के मुकाबले रुपया क्यों कमजोर हो रहा है?

सीधे शब्दों में कहें तो डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है, क्योंकि बाजार में रुपये की तुलना में डॉलर की मांग ज्यादा है. रुपये की तुलना में डॉलर की बढ़ी हुई मांग, दो कारकों के कारण बढ़ रही है.

पहला यह कि भारतीय जितना निर्यात करते हैं, उससे अधिक वस्तुओं और सेवाओं का आयात करते हैं. इसे ही करेंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) कहा जाता है. जब किसी देश के पास यह होता है, तो इसका तात्पर्य है कि जो आ रहा है उससे अधिक विदेशी मुद्रा (विशेषकर डॉलर) भारत से बाहर निकल रही है.

2022 की शुरुआत के बाद से, जैसा कि यूक्रेन में युद्ध के मद्देनजर कच्चे तेल और अन्य कमोडिटीज की कीमतों में बढ़ोतरी होने लगी है, जिसकी वजह से भारत का सीएडी तेजी से बढ़ा है. इसने रुपये में अवमूल्यन यानी विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आ रही गिरावट डॉलर के मुकाबले मूल्य कम करने का दबाव डाला है. देश के बाहर से सामान आयात करने के लिए भारतीय ज्यादा डॉलर की मांग कर रहे हैं.

दूसरा, भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश में गिरावट दर्ज की गयी है. ऐतिहासिक रूप से, भारत के साथ-साथ अधिकांश विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में CAD की प्रवृत्ति होती है. लेकिन भारत के मामले में, यह घाटा देश में निवेश करने के लिए जल्दबाजी करने वाले विदेशी निवेशकों द्वारा पूरा नहीं किया गया था; इसे कैपिटल अकाउंट सरप्लस भी कहा जाता है. इस अधिशेष ने अरबों डॉलर लाए और यह सुनिश्चित किया कि रुपये (डॉलर के सापेक्ष) की मांग मजबूत बनी रहे.

लेकिन 2022 की शुरुआत के विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आ रही गिरावट बाद से, अधिक से अधिक विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि भारत की तुलना में अमेरिका में ब्याज दरें बहुत तेजी से बढ़ रही हैं. अमेरिका में ऐतिहासिक रूप से उच्च मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए अमेरिकी केंद्रीय बैंक आक्रामक रूप से ब्याज दरों में वृद्धि कर रहा है. निवेश में इस गिरावट ने भारतीय शेयर बाजारों में निवेश करने के इच्छुक निवेशकों के बीच भारतीय रुपये की मांग में तेजी से कमी की है.

इन दोनों प्रवृत्तियों का परिणाम यह है कि डॉलर के सापेक्ष रुपये की मांग में तेजी से गिरावट दर्ज की गयी है. यही वजह है कि डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है.

क्या डॉलर के मुकाबले केवल रुपये में ही आई है गिरावट?

यूरो और जापानी येन समेत सभी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर मजबूत हो रहा है. दरअसल, यूरो जैसी कई मुद्राओं के मुकाबले रुपये में तेजी आयी है.

क्या रुपया सुरक्षित क्षेत्र में है?

रुपये की विनिमय दर को “प्रबंधित” करने में आरबीआई की भूमिका को समझना महत्वपूर्ण है. यदि विनिमय दर पूरी तरह से बाजार द्वारा निर्धारित की जाती है, तो इसमें तेजी से उतार-चढ़ाव होता विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आ रही गिरावट है – जब रुपया मजबूत होता है और रुपये का अवमूल्यन होता है.

लेकिन आरबीआई रुपये की विनिमय दर में तेज उतार-चढ़ाव की अनुमति नहीं देता है. यह गिरावट को कम करने या वृद्धि को सीमित करने के लिए हस्तक्षेप करता है. यह बाजार में डॉलर बेचकर गिरावट को रोकने की कोशिश करता है. यह एक ऐसा कदम है जो डॉलर की तुलना में रुपये की मांग के बीच के अंतर को कम करता है. जिससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आती है. जब आरबीआई रुपये को मजबूत होने से रोकना चाहता है तो वह बाजार से अतिरिक्त डॉलर निकाल लेता है, जिससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी होती है.

एक डॉलर की कीमत 80 रुपये से ज्यादा होने के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या रुपये में और गिरावट आनी बाकी है? जानकारों का मानना है कि 80 रुपये का स्तर एक मनोवैज्ञानिक स्तर था. अब इससे नीचे आने के बाद यह 82 डॉलर तक पहुंच सकता है.

ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें की और अन्य ताजा-तरीन खबरें

रेटिंग: 4.64
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 594
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *