स्टॉक मार्केट चार्जेज

दुनिया के ज्यादातर सफल ट्रेडर करते है ऑप्शन ट्रेडिंग, आप भी जाने इसके बारे में
ऑप्शन ट्रेडिंग स्टॉक मार्केट चार्जेज हमें किसी भी मार्केट कंडीशन में कम जोखिम के साथ ज्यादा लाभ करने की अनुमति देता है. ऑप्शन ट्रेडिंग, स्टॉक ट्रेडिंग के मुकाबले थोड़ा अलग है पर इसें सही तरह से समझा जाए तो ऑप्शन सबसे अच्छा तरीका है ट्रे करने का.
ऐसे समझे ऑप्शन ट्रेडिंग को
जैसे बैंक से पैसे निकालने या जमा करने के लिए हमें बैंक में खाता खुलवाना होता है, वैसे ही अगर आप स्टॉक मार्केट में ट्रेंडिग करना चाहते है तो आपको किसी ब्रोकर के पास ट्रेडिंग खाता खोलना होगा. इसके लिए आपको एक डीमैट खाता और ट्रेडिंग खाता खोलना होगा तभी आप ऑप्शन ट्रेडिंग कर पाएंगे.
ट्रेडिंग खाता खोलते समय रखे इन बातों का ध्यान
- हमें लंबे समय तक ट्रेड करना है इसलिए ऐसा स्टॉक ब्रोकर चुने, जिसकी ब्रोकरेज चार्जेज कम हो और अन्य चार्जेज भी कम हो, क्योंकि अगर शुल्क ज़्यादा हुये तो इससे आपका मुनाफा घट सकता है.
- ऐसा स्टॉक ब्रोकर चुने, जिसका ट्रेडिंग पोर्टल और एप बहुत ही सिम्पल हो, और जिसमें टेक्निकल गड़बड़ी कम हो. क्योंकि कभी-कभी कुछ स्टॉक ब्रोकर के पोर्टल और एप में टेक्निकल गड़बड़ी हो जाती है जिससे ट्रेडर्स को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
ऑप्शन ट्रेडिंग के बेसिक्स को अच्छी तरह से समझें
- ऑप्शन क्या होते है?
- ऑप्शन कितने तरह के होते है?
- ऑप्शन कैसे काम करते है?
बिना ऑप्शन के बेसिक्स को समझे आप ऑप्शन ट्रेडर नहीं बन सकते है क्योंकि ऑप्शन बेसिक्स हमारे स्टॉक मार्केट चार्जेज नींव की तरह काम करते है. जब आप कोई स्टॉक खरीदते हैं, तो आप केवल यह तय करते हैं कि आपको कितने शेयर चाहिए और आपका ब्रोकर मौजूदा बाजार मूल्य या आपके द्वारा निर्धारित सीमा मूल्य पर ऑर्डर भरता है लेकिन ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए ज़रूरी होती है सिर्फ एक सही स्ट्रेटेजी की समझे. इसके लिए नीचे आपको समझाया जायेगा कि ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं.
ऑप्शन खरीददार और ऑप्शन स्टॉक मार्केट चार्जेज सेलर
- ऑप्शन खरीददार :- ऑप्शन खरीददार बहुत कम पैसो के साथ ट्रेडिंग शुरुआत कर सकते है क्योंकि ऑप्शन खरीददार को सिर्फ ऑप्शन प्रीमियम देना होता है लेकिन ऑप्शन खरीददार की लाभ कमाने की प्रवृति ऑप्शन सैलर के मुकाबले बहुत कम होती है.
- ऑप्शन सेलर :- ऑप्शन सेलर बनने के लिए आपको अपने अकाउंट में मार्जिन रखना होता है और इसी कारण एक ऑप्शन सेलर को ज़्यादा पैसो की जरुरत होती है. जबसे सेबी ने नया मार्जिन नियम लागू किया है तब से ऑप्शन सेलिंग के लिए मार्जिन की ज़रुरत कई गुना तक बढ़ गई है लेकिन फिर भी एक ऑप्शन सेलर के लाभ कमाने की प्रवृति ऑप्शन खरीददार से ज्यादा होती है. आपने जो भी ऑप्शन ट्रेडिग के केपिटल रखा है उस हिसाब से आप देख सकते है कि आप ऑप्शन खरीददार बनना चाहते है या ऑप्शन सेलर
- कॉल ऑप्शन :- यह एक अनुबंध है जो आपको एक निश्चित समय के अंदर ही एक पूर्व निर्धारित मूल्य पर स्टॉक खरीदने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं.
- पुट ऑप्शन :- एक पुट ऑप्शन आपको अनुबंध समाप्त होने से पहले एक निश्चित कीमत पर शेयर बेचने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं.
आप किस दिशा में क्या ऑप्शन खरीदेंगे या बेचेंगे?
अगर आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत बढ़ेगी: कॉल ऑप्शन खरीदें या पुट ऑप्शन बेचें.
अगर आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत स्थिर रहेगी: कॉल ऑप्शन बेचें और पुट ऑप्शन भी बेचें.
अगर आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत नीचे जाएगी: पुट ऑप्शन खरीदें या कॉल ऑप्शन बेचें.
एक्स्चेंज द्वारा तय सही स्ट्राइक प्राइस का चयन करें
ऑप्शन में ट्रेडिंग करते समय हमें बहुत सावधानी के साथ स्ट्राइक प्राइस का चयन करना होता स्टॉक मार्केट चार्जेज है क्योंकि किसी भी स्टॉक या इंडेक्स की स्ट्राइक प्राइस एक्स्चेंज द्वारा तय की जाती है और एक ऑप्शन ट्रेडर सिर्फ उन्ही स्ट्राइक प्राइस पर ट्रेड कर सकता है जो एक्स्चेंज द्वारा तय की गई है.
उदाहरण के लिए, यदि आप मानते हैं कि किसी कंपनी का शेयर मूल्य वर्तमान में ₹2000 पर ट्रेड कर रहा है, और भविष्य की किसी तारीख तक ₹2050 तक बढ़ जाएगा, आप ₹2050 से कम स्ट्राइक मूल्य के साथ एक कॉल ऑप्शन खरीद सकते है. फिर जैसे-जैसे कंपनी का शेयर मूल्य ₹2050 के नजदीक जाता जाएगा, आपका लाभ बढ़ता जायेगा. इसी तरह अगर कंपनी का शेयर मूल्य उस भविष्य की तारीख तक ₹2000 से जैसे-जैसे कम होगा, आपका मुनफा कम होता चला जायेगा लेकिन ऑप्शन खरीदते हुए आपका अधिकतम नुकसान आपने जो प्रीमियम दिया है सिर्फ वही होगा.
इसी तरह, अगर आपको लगता है कि किसी कंपनी का शेयर मूल्य वर्तमान में ₹500 रु पर ट्रेड कर रहा है, और भविष्य की किसी तारीख तक ₹450 स्टॉक मार्केट चार्जेज तक घट जाएगा, तब आप ₹450 से कम स्ट्राइक मूल्य के साथ एक पुट ऑप्शन खरीद सकते है.
फिर जैसे-जैसे कंपनी का शेयर मूल्य ₹450 के नजदीक जाता जायेगा, आपका लाभ बढ़ता जायेगा. इसी तरह अगर कंपनी का शेयर मूल्य उस भविष्य की तारीख तक ₹500 से जैसे-जैसे बढ़ेगा, आपका मुनाफा कम होता चला जायेगा. इस में भी ऑप्शन खरीदते हुये आपका अधिकतम नुकसान आपका प्रिमियम है.
ऑप्शन ट्रेडिंग की समय सीमा निर्धारित करें
- ऑप्शन में सबसे अहम रोल एक्सपायरी का होता है. ऑप्शन एक्सपायरी एक तिथि होती है जहां पर ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट एक भविष्य की तारिख पर शून्य हो जाते है. प्रत्येक ऑप्शन की समाप्ति अवधि तक उस भविष्य तारीख के अंतिम दिन तक उस ट्रेड में बने रह सकते है. ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट के लिए तीन एक्सपायरी होती है-
- नियर मंथ (1महीना)
- मिडिल मंथ (2महीना)
- फार मंथ (3 महीना)
- उदाहरण के लिए, अभी निफ्टी 15000 पर ट्रेड कर रहा है और आप निफ्टी में ट्रेड करना चाहते है तो आप साप्ताहिक एक्सपायरी या महीने की एक्सपायरी को लेकर ट्रेड कर सकते है.यदि आपको लगता है निफ्टी इस महीने के अंत तक 15500 तक या उससे ज्यादा तक पहुंच जायेगा, तब 15500 कॉल ऑप्शन महीने की जो आखिरी एक्सपायरी है उस पर खरीदते है.
समाप्ति तिथियां साप्ताहिक से लेकर महीनों तक हो सकती हैं. लेकिन साप्ताहिक ऑप्शन सबसे अधिक जोखिम वाले होते हैं और अनुभवी ऑप्शन ट्रेडर्स ज्यादातर इन्ही में ट्रेड करते हैं.
लंबी अवधि के ट्रेडर्स के लिए, मासिक तिथियां बेहतर होती हैं. लंबी एक्सपायरी स्टॉक को आगे बढ़ने के लिए अधिक समय देती है जो एक ऑप्शन खरीदार को मुनाफा कमाने का अवसर प्रदान करती है.
लॉकडाउन के बाद मोबाइल मार्केट का ट्रेंड बदला, सस्ते फोन की मांग बढ़ी, महंगे की बिक्री घटी
लॉकडाउन खुलने के बाद से मोबाइल फोन कारोबार का ट्रेंड बदल गया है। अब सस्ते मोबाइल खूब बिक रहे हैं, लेकिन महंगा मोबाइल खरीदने वाले शोरूम से वापस लौट रहे हैं। वजह, बैंक नए ग्राहकों को फाइनेंस करने से हिचक रहे हैं तो चार्जेज भी महंगे हो गए हैं। हालांकि उन ग्राहकों को फोन फाइनेंस कराने में कोई दिक्कत नहीं हुई, जिनका रिकॉर्ड पहले से अच्छा था। कुल मिलाकर लॉकडाउन के पहले और बाद के कारोबार में कोई फर्क नहीं आया है। स्टॉक मार्केट चार्जेज पहले भी शहर का महीने का कारोबार 80 करोड़ रुपये का था और अब भी उतना ही है। बदलाव सिर्फ कारोबार के ट्रेंड में ही आया है।
लॉकडाउन से पहले राजधानी में रोजाना लगभग ढाई हजार मोबाइल बिकते थे, इनमें दो हजार मोबाइल पांच हजार से 12 हजार रुपये वाले और पांच सौ महंगे मोबाइल 15 हजार से एक लाख रुपये वाले थे। जो महंगे मोबाइल पहले बिक रहे थे, उनमें 90 प्रतिशत खरीदार फाइनेंस कराते थे। यह सेल खास तौर पर मोबाइल के करीब सौ बड़े शोरूमों में लगती थी। इनमें से महंगे मोबाइल बेचने का हब हजरतगंज के अशोक मार्ग स्थित श्रीराम टावर है।
लखनऊ मोबाइल एसोसिएशन के अध्यक्ष नीरज जौहर के मुताबिक, वर्तमान में आठ सौ शोरूम व दुकानों के कारोबारी सस्ते और महंगे तीन हजार मोबाइल रोजाना बेच रहे हैं। इसकी वजह लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन शुरू स्टॉक मार्केट चार्जेज स्टॉक मार्केट चार्जेज हुई पढ़ाई है। इन तीन हजार मोबाइल में सौ मोबाइल ही महंगे बिक रहे हैं, जिनकी कीमत 15 हजार से एक लाख रुपये है। इनमें भी एक लाख कीमत के चार से पांच मोबाइल ही शामिल है, जबकि 2900 मोबाइल पांच हजार से 12 हजार रुपये वाले स्टॉक मार्केट चार्जेज बिक रहे हैं। ऐसे मोबाइल सर्वाधिक नाका बाजार से बिकते हैं।
सेकंड हैंड मोबाइल की खरीद-फरोख्त ठप
कारोबारियों ने बताया कि लॉकडाउन के बाद से सेकंड हैंड मोबाइल की खरीद फरोख्त भी ठप है। अधिकतर कंपनियों ने अब तक मोबाइल के नए मॉडल मार्केट में नहीं उतारे स्टॉक मार्केट चार्जेज हैं। इससे जो शौकीन 30 से 40 हजार रुपये का मोबाइल खरीदकर छह माह के बाद उसे बेचकर नया खरीदते थे, वे बाजार में नहीं आ रहे हैं, जबकि बाजार में सेकंड हैंड मोबाइल के खरीदार रोजाना आते हैं।
फाइनेंस कराने पर अब 5800 रुपये तक देने होंगे अतिरिक्त चार्ज
नाका के मोबाइल कारोबारी मन्नू तेजवानी ने बताया कि जो ग्राहक फाइनेंस के जरिये महंगे मोबाइल खरीद रहे थे, उनपर दोहरी मार पड़ गई है। फाइनेंस कराने में मुश्किल तो आ ही रही है, अब फाइनेंस महंगा भी हो गया है। कंपनियों ने फाइनेंस के लिए प्रोसेसिंग फीस के साथ अब 399 रुपये फाइल चार्ज भी लागू कर दिया है। इसके साथ इंश्योरेंस को भी अनिवार्य कर दिया है।
फोन की कीमत के मुताबिक, 30 हजार से एक लाख रुपये तक के फोन पर इंश्योरेंस तीन कैटेगरी में लागू किया गया है। पहले कैटेगरी में 2500, दूसरे में 3500 रुपये और तीसरे में 5400 रुपये इंश्योरेंस चार्ज रखा गया है। ऐसे अब महंगा फोन फाइनेंस कराने पर 2900 रुपये से 5800 रुपये तक अतिरिक्त चार्ज देने पड़ेंगे।
Sensex में डॉ रेड्डीज की जगह लेगा Tata Group का ये स्टॉक, 19 दिसंबर से लागू होगा बदलाव
Zee Business हिंदी 18-11-2022 ज़ीबिज़ वेब टीम
Sensex reconstitution: बीएसई (BSE) के इंडेक्स में दिसंबर महीने से बदलाव होने जा रहा है. एशिया इंडेक्स प्राइवेट लिमिटेड के मुताबिक, फार्मा कंपनी डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज लिमिटेड (Dr Reddy's Laboratories Ltd) अब सेंसेक्स-30 से बाहर होगी. इसकी जगह टाटा ग्रुप (Tata Group) की टाटा मोटर्स लिमिटेड (Tata Motors Ltd) शामिल होगी. ये बदलाव 19 दिसंबर 2022 को बाजार खुलने के साथ लागू हो जाएगा.
S&P BSE 100 इंडेक्स से ये होगा बाहर
विज्ञप्ति के मुताबिक, एसएंडपी बीएसई 100 (S&P BSE 100) और एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स नेक्स्ट 50 (S&P BSE SENSEX Next 50) से अडानी टोटल गैस लिमिटेड (Adani Total Gas) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Hindustan Petroleum Corp) के शेयरों को हटा दिया जाएगा. इसकी जगह अडानी पावर लिमिटेड (Adani Power) और इंडियन होटल (Indian Hotels) को शामिल किया जाएगा.
© Zee Business हिंदी द्वारा प्रदत्त BSE
बता दें कि एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स 50 (S&P BSE SENSEX 50) और एसएंडपी बीएसई बैंकेक्स (S&P BSE BANKEX) इंडेक्स में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
बाजार लगातार दूसरे दिन फिसला
ग्लोबल बाजारों में सुस्त रुख और ऑटो, फाइनेंस और एनर्जी कंपनियों के शेयरों में बिकवाली से घरेलू शेयर बाजार में शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन गिरावट दर्ज की गई. शुरुआती स्टॉक मार्केट चार्जेज स्टॉक मार्केट चार्जेज कारोबार में 400 से अधिक अंक लुढ़कने के बाद 30 शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स कुछ हद तक उबरते हुए 87.12 अंक या 0.14% टूटकर 61,663.48 पर बंद हुआ. इसी तरह निफ्टी 36.25 अंक या 0.20% की गिरावट के साथ 18,307.65 पर बंद हुआ.
लॉकडाउन के बाद मोबाइल मार्केट का ट्रेंड बदला, सस्ते फोन की मांग बढ़ी, महंगे की बिक्री घटी
लॉकडाउन खुलने के बाद से मोबाइल फोन कारोबार का ट्रेंड बदल गया है। अब सस्ते मोबाइल खूब बिक रहे हैं, लेकिन महंगा मोबाइल खरीदने वाले शोरूम से वापस लौट रहे हैं। वजह, बैंक नए ग्राहकों को फाइनेंस करने से हिचक रहे हैं तो चार्जेज भी महंगे हो गए हैं। हालांकि उन ग्राहकों को फोन फाइनेंस कराने में कोई दिक्कत नहीं हुई, जिनका रिकॉर्ड पहले से अच्छा था। कुल मिलाकर लॉकडाउन के पहले और बाद के कारोबार में कोई फर्क नहीं आया है। पहले भी शहर का महीने का कारोबार 80 करोड़ रुपये का था और अब भी उतना ही है। बदलाव सिर्फ कारोबार के ट्रेंड में ही आया है।
लॉकडाउन से पहले राजधानी में रोजाना लगभग ढाई हजार मोबाइल बिकते थे, इनमें दो हजार मोबाइल पांच हजार से 12 हजार रुपये वाले और पांच सौ महंगे मोबाइल 15 हजार से एक लाख रुपये वाले थे। जो महंगे मोबाइल पहले बिक रहे थे, उनमें 90 प्रतिशत खरीदार फाइनेंस कराते थे। यह सेल खास तौर पर मोबाइल के करीब सौ बड़े शोरूमों में लगती थी। इनमें से महंगे मोबाइल बेचने का हब हजरतगंज के अशोक मार्ग स्थित श्रीराम टावर है।
लखनऊ मोबाइल एसोसिएशन के अध्यक्ष नीरज जौहर के मुताबिक, वर्तमान में आठ सौ शोरूम व दुकानों के कारोबारी सस्ते और महंगे तीन हजार मोबाइल रोजाना बेच रहे हैं। इसकी वजह लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन शुरू हुई पढ़ाई है। इन तीन हजार मोबाइल में सौ मोबाइल ही महंगे बिक रहे हैं, जिनकी कीमत 15 हजार से एक लाख रुपये है। इनमें भी एक लाख कीमत के चार से पांच मोबाइल ही शामिल है, जबकि 2900 मोबाइल पांच हजार से 12 हजार रुपये वाले बिक रहे हैं। ऐसे मोबाइल सर्वाधिक नाका बाजार से बिकते हैं।
सेकंड हैंड मोबाइल की खरीद-फरोख्त ठप
कारोबारियों ने बताया कि लॉकडाउन के बाद से सेकंड हैंड मोबाइल की खरीद फरोख्त भी ठप है। अधिकतर कंपनियों ने अब तक मोबाइल के नए मॉडल मार्केट में नहीं उतारे हैं। इससे जो शौकीन 30 से 40 हजार रुपये का मोबाइल खरीदकर छह माह के बाद उसे बेचकर नया खरीदते थे, वे बाजार में नहीं आ रहे हैं, जबकि बाजार में सेकंड हैंड मोबाइल के खरीदार रोजाना आते हैं।
फाइनेंस कराने पर अब 5800 रुपये तक देने होंगे अतिरिक्त चार्ज
नाका के मोबाइल कारोबारी मन्नू तेजवानी ने बताया कि जो ग्राहक फाइनेंस के जरिये महंगे मोबाइल खरीद रहे थे, उनपर दोहरी मार पड़ गई है। फाइनेंस कराने में मुश्किल तो आ ही रही है, अब फाइनेंस महंगा भी हो गया है। कंपनियों ने फाइनेंस के लिए प्रोसेसिंग फीस के साथ अब 399 रुपये फाइल चार्ज भी लागू कर दिया है। इसके साथ इंश्योरेंस को भी अनिवार्य कर दिया है।
फोन की कीमत के मुताबिक, 30 हजार से एक लाख रुपये तक के फोन पर इंश्योरेंस तीन कैटेगरी में लागू किया गया है। पहले कैटेगरी में 2500, दूसरे में 3500 रुपये और तीसरे में 5400 रुपये इंश्योरेंस चार्ज रखा गया है। ऐसे अब महंगा फोन फाइनेंस कराने पर 2900 रुपये से 5800 रुपये तक अतिरिक्त चार्ज देने पड़ेंगे।