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विदेशी मुद्रा बाजार में प्रमुख भागीदार कौन हैं

विदेशी मुद्रा बाजार में प्रमुख भागीदार कौन हैं
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध लिवाल रहे और उन्होंने शुक्रवार को 214.76 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे।

अमेरिका की मुद्रा निगरानी सूची से भारत का निष्कासन: भारत के लिए संभावित परिणाम?_40.1

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13.4% रह गई । चाय का निर्यात घटकर केवल 1.0% रह गया । इस अवधि में कपास के निर्यात में विदेशी मुद्रा बाजार में प्रमुख भागीदार कौन हैं भी गिरावट आई है। 1960-61 में कपास के निर्यात की भागीदारी 3.4% थी.जो घटकर 2000-01 में 0.1% रह गई । मछलियों के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है । यह अब बढ़कर 0.7% से 3.1% हो गई है।

होता है । वस्तुओं का आयात विनिवेश, उत्पादन तथा निवेश के लिए भी किया जाता है। भारत के आयात व्यापार संघटन में निम्नलिखित वस्तुएँ सम्मिलित हैं-

हुआ । कुल निर्यात में इनकी भागीदारी 17.2 तथा 10.7% थी । अन्य प्रमुख वस्तुयें सूती वस्त्र, धागे, मशीनें, दवाइयाँ, सूक्ष्म रसायन और उपकरण आदि हैं । निम्न तालिका निर्यात संघटन को दर्शाती है।

व्यापार की मात्रा का परिणाम है कि प्रति व्यक्ति विदेशी व्यापार विकसित और अनेक विकासशील देशों की तुलना में काफी कम है ।

Foreign Exchange Reserve: विदेशी मुद्रा भंडार के मोर्चे पर मिली अच्छी खबर, एक साल में सबसे तेज गति से बढ़ा

नवभारत टाइम्स लोगो

नवभारत टाइम्स 19-11-2022

नई दिल्ली

: विदेशी मुद्रा विदेशी मुद्रा बाजार में प्रमुख भागीदार कौन हैं भंडार के मोर्चे पर अच्छी खबर मिली है। बीते 11 नवंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान देश के विदेशी मुद्रा भंडार में एक साल से ज्यादा की सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई है। इसके साथ ही अपना विदेशी मुद्रा भंडार 544 अरब डॉलर के पार चला गया।

भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, 11 नवंबर 2022 को समाप्त सप्ताह के दौरान देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 14.73 अरब डॅालर की वृद्धि रही है। इसके साथ ही अब देश का विदेशी मुद्रा भंडार 544.72 अरब डॅालर पर पहुंच गया है। विदेशी मुद्रा भंडार में अगस्त 2021 के बाद यह सबसे ज्यादा वृद्धि रही है। बीते चार नवंबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 529.99 अरब डॅालर था। 2022 की शुरुआत में देश का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 630 अरब डॅालर था। तब से रुपये में गिरावट का माहौल है।

मई में भी विदेशी निवेशकों ने की बड़े पैमाने पर बिकवाली, बेचे कुल 40 हजार करोड़ के शेयर

मई में भी विदेशी निवेशकों ने की बड़े पैमाने पर बिकवाली, बेचे कुल 40 हजार करोड़ के शेयर

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का भारतीय बाजारों से निकासी का सिलसिला मई में विदेशी मुद्रा बाजार में प्रमुख भागीदार कौन हैं लगातार आठवें महीने जारी रहा. अमेरिकी केंद्रीय बैंक (US Federal reserves) द्वारा आक्रामक तरीके से दरों में बढ़ोतरी की आशंका से निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई है. एफपीआई (Foreign Portfolio Investors) ने मई में भारतीय शेयर बाजारों (Indian Share Market) से करीब 40,000 करोड़ रुपए की निकासी की है. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इस तरह 2022 में एफपीआई अब तक 1.69 लाख करोड़ रुपए के शेयर बेच चुके हैं. आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने मई में शेयर बाजारों से कुल 39,993 करोड़ रुपए की निकासी की है. भारतीय बाजारों में कमजोरी की एक बड़ी वजह एफपीआई की निकासी ही है. अक्टूबर, 2021 से मई, 2022 तक आठ माह में एफपीआई भारतीय शेयर बाजारों से 2.07 लाख करोड़ रुपए निकाल चुके हैं.

डॉलर में मजबूती से बिकवाली का दबाव बढ़ा

बीडीओ इंडिया (BDO India) के भागीदार और लीडर (वित्तीय सेवा कर) मनोज पुरोहित ने कहा, इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) को लेकर चिंता के बीच एफपीआई असमंजस में हैं. युद्ध की वजह से वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल (Crude Oil) के दाम चढ़ रहे हैं. अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा नीतिगत दरों में बढ़ोतरी, वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक रुख को सख्त करने और विदेशी मुद्रा डॉलर दर में बढ़ोतरी से विदेशी निवेशक संवेदनशील बाजारों में बिकवाली कर रहे हैं.

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने हालांकि कहा कि अब एफपीआई की बिकवाली की रफ्तार धीमी हुई है. जून के शुरुआती दिनों में उनकी बिकवाली काफी कम रही है. उन्होंने कहा कि यदि डॉलर और अमेरिकी बांड पर प्रतिफल स्थिर होता है, तो एफपीआई की बिकवाली रुक सकती है.विदेशी मुद्रा बाजार में प्रमुख भागीदार कौन हैं

रुपया 47 पैसे की गिरावट के साथ 81.80 प्रति डॉलर पर

मुंबई, पांच दिसंबर (भाषा) घरेलू बाजार में कमजोरी के रुख और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी की वजह से सोमवार को अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 47 पैसे की गिरावट के साथ 81.80 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में डॉलर के कमजोर होने से रुपये की गिरावट पर कुछ अंकुश लग गया।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 81.26 पर खुला। बाद में रुपये का आरंभिक लाभ लुप्त हो गया और कारोबार के अंत में यह 47 पैसे की गिरावट दर्शाता 81.80 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान रुपये ने 81.25 के उच्चस्तर और 81.82 के निचले स्तर को छुआ। इससे पिछले कारोबारी सत्र में रुपया सात पैसे की गिरावट के साथ 81.33 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।

इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की कमजोरी या मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.10 प्रतिशत की गिरावट के साथ 104.44 रह गया।

अमेरिका की मुद्रा निगरानी सूची से भारत का निष्कासन: भारत के लिए संभावित परिणाम?

अमेरिका की मुद्रा निगरानी सूची से भारत का निष्कासन: भारत के लिए संभावित परिणाम?_30.1

अमेरिका की मुद्रा निगरानी सूची (करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट) से भारत का नाम का हटाया जाना यूपीएससी की प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा दोनों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है। अमेरिका की मुद्रा निगरानी सूची से भारत को हटाए जाने का मुद्दा यूपीएससी पाठ्यक्रम से विभिन्न प्रकार से संबंधित है, जैसे जीएस2 (सरकारी नीतियां एवं अंतःक्षेप, द्विपक्षीय समूह एवं समझौते, भारत के हितों पर देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव) एवं जीएस 3 (बैंकिंग क्षेत्र) एवं एनबीएफसी, वैधानिक निकाय)।

कौन से देश हटाए गए और कौन से नहीं?

  • हाल ही में, यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ ट्रेजरी ने अपने प्रमुख व्यापारिक भागीदारों की मुद्रा निगरानी सूची से भारत का नाम हटा दिया है।
  • कांग्रेस को अपनी द्विवार्षिक रिपोर्ट में, अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने बताया कि भारत के साथ-साथ उसने मेक्सिको, थाईलैंड, इटली एवं वियतनाम को भी सूची से हटा दिया था।
  • इसके साथ, वर्तमान निगरानी सूची में सम्मिलित सात अर्थव्यवस्थाओं में जापान, चीन, कोरिया, सिंगापुर, जर्मनी, मलेशिया तथा ताइवान शामिल हैं।
  • अमेरिका की मुद्रा निगरानी सूची अमेरिका के कुछ प्रमुख व्यापार भागीदारों की मुद्रा नीतियों का सूक्ष्मता से अनुसरण करती है।
  • यदि कोई देश सूची में प्रकट होता है, तो उसे “मुद्रा मैनिपुलेटर” माना जाता है। एक ‘मुद्रा प्रकलक’ (करेंसी मैनिपुलेटर) एक पदनाम है जो अमेरिकी सरकार के प्राधिकारी उन देशों को देते हैं, जो अमेरिका के अनुसार व्यापार लाभ के लिए “अनुचित मुद्रा प्रथाओं” में संलग्न हैं।
  • इस प्रकार, सूची में सम्मिलित होने का सीधा सा तात्पर्य है कि देश दूसरों पर लाभ प्राप्त करने हेतु कृत्रिम रूप से अपनी मुद्रा के मूल्य को कम कर रहा है।
  • ऐसा इसलिए है क्योंकि कम मुद्रा मूल्य से उस देश से निर्यात लागत कम हो जाती है।
  • स्थिति की रिपोर्ट यूएस डिपार्टमेंट ऑफ ट्रेजरी द्वारा अर्ध-वार्षिक रिपोर्ट के रूप में की जाती है जिसमें यह वैश्विक आर्थिक विकास को ट्रैक करता है तथा विदेशी मुद्रा दरों की समीक्षा करता है।
  • यह अमेरिका के 20 प्रमुख व्यापारिक साझेदारों की मुद्रा व्यवहार की सूक्ष्मता से निगरानी एवं समीक्षा भी करता है।

अमेरिका की मुद्रा निगरानी सूची से भारत को हटाने के संभावित परिणाम क्या होंगे?

  • अमेरिकी ट्रेजरी विभाग द्वारा अमेरिका की मुद्रा निगरानी सूची से भारत को हटाने को बाजार पहलू एवं भारत की मौद्रिक नीति-निर्माण दोनों के संदर्भ में एक सकारात्मक खबर के रूप में देखा जा सकता है।
  • यदि भारतीय बाजार विशेषज्ञों की मानें तो विकास का अर्थ है कि भारतीय रिजर्व बैंक ( रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया/RBI) अब मुद्रा प्रकलक के रूप में टैग किए बिना प्रभावी ढंग से विनिमय दरों का प्रबंधन करने के लिए मजबूत उपाय कर सकता है।
  • यह बाज़ार के दृष्टिकोण से एक बड़ी जीत भी हो सकती है एवं वैश्विक विकास में भारत की बढ़ती भूमिका को भी दर्शाती है।
  • रुपये में गिरावट के बीच विनिमय दरों को प्रबंधित करने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में अतिरिक्त अंतर्वाह के समय डॉलर की अधिक खरीद तथा बहिर्वाह के समय डॉलर की बिक्री जैसे उपाय किए थे।
  • विशेषज्ञ भी अमेरिका की मुद्रा निगरानी सूची से भारत को हटाने को एक अच्छी खबर के रूप में देख विदेशी मुद्रा बाजार में प्रमुख भागीदार कौन हैं रहे हैं, इस दृष्टिकोण से रुपये का अधिमूल्यन हो सकता है।

प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र. भारत को अमेरिका की मुद्रा निगरानी सूची से हटाना भारत के लिए अच्छा है या बुरा?

उत्तर: अमेरिकी ट्रेजरी विभाग द्वारा अमेरिका की मुद्रा निगरानी सूची से भारत को हटाने को बाजार पहलू एवं भारत की मौद्रिक नीति-निर्माण दोनों के संदर्भ में एक सकारात्मक खबर के रूप में देखा जा सकता है।

  1. भारत को अमेरिका की मुद्रा निगरानी सूची से किसने हटाया?

उत्तर: संयुक्त राज्य अमेरिका के वित्त विभाग ने भारत को अमेरिका की मुद्रा निगरानी सूची से हटा दिया।

प्र. मुद्रा प्रकलक (करेंसी मैनीपुलेटर) कौन है?

उत्तर: एक करेंसी मैनिपुलेटर एक पदनाम है जो अमेरिकी सरकार के अधिकारी उन देशों को देते हैं, जो अमेरिका के अनुसार व्यापार लाभ के लिए अनुचित मुद्रा व्यवहार में संलग्न हैं।

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