अमीर कैसे बने?

रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में देश के सबसे ज्यादा अमीर हैं और यहां 6.4 लाख परिवार सुपर रिच की कैटेगरी में आते हैं। इन परिवारों की सालाना आमदनी 2 करोड़ रुपये से ज्यादा है। वहीं दूसरे स्थान पर दिल्ली का नाम है। जहां कुल 1.81 लाख हाउसहोल्ड सुपर रिच की कैटेगरी में हैं। गुजरात तीसरे स्थान पर है जहां 1.41 लाख परिवार सुपर रिच की कैटेगरी में हैं।
दिल्ली MCD चुनाव में किसी भी पार्टी ने गैर हिंदी भाषी को टिकट नहीं दिया है
दिल्ली एमसीडी चुनाव की प्रतीकात्मक तस्वीर | ANI
मिनी इंडिया का दर्जा हासिल कर चुकी देश की राजधानी दिल्ली सियासत में सबको बराबर का हक अमीर कैसे बने? देने में नाकाम रही. उसके पास आगामी 4 दिसंबर को होने वाले दिल्ली नगर निगम के चुनावों में अपनी छवि को उजला करने का मौका था. वह अपने को बदल सकती थी. पर दिल्ली इस बार नहीं बदली. उसे यथास्थितिवादी रहना ही पसंद आता रहा. वह चाहती तो मुंबई की तरह समावेशी हो सकती थी. उसके पास अनुपम अवसर था बांग्ला, तमिल, मराठी, तेलुगू, गुजराती भाषियों को अपना नगर सेवक चुनने का.
भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने 250 सदस्यों के निगम के सदन के लिए किसी गैर-हिन्दी भाषी को टिकट नहीं दिया. अफसोस कि इन्हें एक भी गैर-हिन्दी भाषी नहीं मिला जिसे ये अपना उम्मीदवार बना पाते. ये सब दिल्ली में दशकों से रह रहे हैं और इस महानगर को समृद्ध कर रहे हैं. इन सबने दिल्ली में दर्जनों श्रेष्ठ स्कूल खोले, जिनसे लाखों बच्चों ने पढ़ाई की और अमीर कैसे बने? वे बेहतर नागरिक बने. ये दिल्ली के खेल, शिक्षा और बिजनेस जगत में भी अपनी छाप छोड़ते रहे हैं.
सबसे अमीर कौन
आमतौर पर माना जाता है कि दिल्ली में पैसा पंजाबियों और बनियों ने सबसे ज्यादा कमाया है. तमिल भाषी शिव नाडार इस सोच को ध्वस्त करते हैं. वे मूलरूप से तंजावुर जिले से हैं. शिव नाडार की नेटवर्थ- 14.3 बिलियन डॉलर है. फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, शिव नाडार राजधानी के सबसे धनी शख्स हैं. उन्होंने यहां आकर कुछ साल डीसीएम डाटा प्रोडक्ट्स में नौकरी की. उसे 1976 में छोड़कर एचसीएल इंटरप्राइजेज की स्थापना की और एक गैराज से केलकुलेटर और माइक्रो प्रॉसेसर बनाने लगे. आगे चलकर उन्होंने एचसीएल टेक्नोलॉजी की स्थापना की.अब करीब आधा दर्जन देशों में, 100 से ज्यादा कार्यालय, करीब एक लाख पेशेवर उनके साथ जुड़े हैं.
दिल्ली-नोएडा में तो शिव नाडर के दफ्तरों की भरमार है. फिलहाल, एचसीएल की 80 फीसदी आमदनी कंप्यूटर और ऑफिस इक्विपमेंट्स बेचकर होती है. शिव का बचपन अभावों में बीता. उन्होंने शिक्षा ग्रहण करने के लिए बड़े पापड़ बेले हैं. इसलिए वे अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा बेहतर स्कूल और अन्य शिक्षण संस्थान स्थापित करने में इनवेस्ट करना पसंद करते हैं. शिव ने दिल्ली से जितना लिया उससे ज्यादा वह इसे दे रहे हैं. उनसे मिलते-जुलते अनेक उदाहरण मिल सकते हैं. दिल्ली ने गैर-हिन्दी भाषियों को आगे बढ़ने के मौके दिए पर सियासत के संसार से दूर ही रखा.
सिर्फ हिंदी भाषियों को टिकट
अपने को राष्ट्रीय होने का दावा करने वाले दलों ने इस बार भी निकाय चुनाव में टिकट सिर्फ हिंदी भाषियों को ही दिये हैं. यहां पर पूर्वोतर राज्यों के लाखों लोगों की बात करना ही व्यर्थ है. उन्हें कौन दिल्ली की राजनीति में हक देता है. अब ये मत कहिए कि गैर-हिंदी भाषियों ने स्थानीय सियासत में अपना हक नहीं मांगा. वे मांगते रहे हैं, पर एक-दो उदाहरणों को छोड़कर उनके हिस्से में निराशा ही आई है.
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आप 1958 से लेकर, होने जा रहे नगर निगम चुनावों के इतिहास के पन्नों को खंगालिए. आप पाएंगे कि सिर्फ एक गुजराती भाषी यहां पर नगर निगम पार्षद बना. उनका नाम था शांति देसाई. वे मूल रूप से गुजरात से थे और दिल्ली की राजनीति में अपनी जगह बनाने में सफल रहे थे. वे 2000 में दिल्ली के मेयर भी रहे. वे इससे पहले दिल्ली नगर निगम की स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन भी थे. वे चांदनी चौक से नगर निगम का चुनाव लड़ते थे. शांति देसाई के अलावा कोई दूसरा गैर-हिंदी भाषी नगर सेवक नहीं मिलता.
इनकम बढ़ी लेकिन नहीं पटी अमीर और गरीब राज्यों की खाई, बिहार का बुरा हाल, देखें पूरी डिटेल
नवभारत टाइम्स अमीर कैसे बने? 2 दिन पहले
नई दिल्ली:
देश में तेजी से विकास हो रहा है। भारत में रहने वाले लोगों की इनकम भी बढ़ी है। देश के छोटे शहरों से भी अब सुपर रिच लोग निकल रहे हैं। देश में अमीरों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है। लेकिन इन सबके बावजूद देश के अमीर और गरीब राज्यों के बीच की खाई अभी भर नहीं पाई है। देश के जो राज्य अमीर हैं वो और अमीर होते जा रहे हैं। वहीं गरीब राज्य अभी भी गरीब ही बने हुए हैं। देश के पूर्वी और मध्य क्षेत्र जहां पर देश की करीब आधी आबादी रहती है। इसका कुल मिलाकर राष्ट्रीय आय केवल 29 फीसदी हिस्सा है। पूर्व आय का सबसे कम हिस्सा जनरेट करना है। आर्थिक अनुसंधान संगठन पीपल रिसर्च ऑन इंडियाज कंज्यूमर इकोनॉमी (People Research on India’s Consumer Economy) के सर्वे में ये आंकड़े सामने आए हैं। इस सर्वे के मुताबिक इसके विपरीत, दक्षिण राज्य देश की आबादी के पांचवें अमीर कैसे बने? हिस्से के साथ 30 फीसदी की डिस्पोजेबल आय उत्पन्न करता है।
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इसके बाद आप घर बैठे ही पैसे कमा सकते हैं। अगर आपको किसी भी सिक्के के बारे में जानकारी नहीं है तो फिर हम यहां आपको इसके बारे में बताएंगे। आज का यह आर्टिकल ऐसे ही एक सिक्के के बारे में होने वाला है जो दिखने में बहुत ही खूबसूरत है और आप चाहे तो इसके हजारों रुपए कमा सकते हैं।
भारत में ऐसे कई वेबसाइट है जिस पर सिक्कों की खरीद बिक्री होती है। यहां आप अपने सिक्के को बेच अच्छा पैसा कमा सकते हैं। इन वेबसाइट पर आज भी लाखों रुपए का कारोबार होता है और आप भी इन का हिस्सा बन सकते हैं। हर सिक्के की अपनी खासियत होती है और इसी हिसाब से आपको पैसे बनते है।
ब्रिटिश काल के बने सिक्के जिसमें चांदी और तांबे का प्रयोग होता था उनकी कीमत अभी के समय में सबसे ज्यादा है। लेकिन अगर आपके पास कुछ असाधारण सिक्के हैं तो वह भी लाखों में बिक जाते हैं।
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Special Number Notes :- ना पसीना बहाने की जरूरत है और ना ही बाहर जाने की इन खास नंबर के नोटों से आज ही बने अमीर,जाने कैसे होगा ये करिश्मा। पुराने नोट और सिक्के बेच अमीर कैसे बने? कर कमा सकते हो लाखो रूपये जानिए इसकी पूरी प्रोसेस दुनिया में लोगों को अजीबो-गरीब चीजों को इकट्ठा करने का शौक होता है। ऐसा ही एक शौक होता है पुराने और एंटीक सिक्कों को कलेक्ट करना, पुराने सिक्कों को कलेक्ट करने का यह शौक कुछ लोगों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है। लोग इन पुराने सिक्कों के लिए लाखों रुपये तक देने को तैयार रहते हैं।
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इन नोटों की इंटरनेशनल मार्केट में बहुत ज्यादा डिमांड There is a lot of demand for these notes in the international market.
आपकी जानकारी के लिए बता दे 786 सीरियल नंबर वाले नोट सभी किसी को चाहिए। इन नोटों की डिमांड इंटरनेशनल मार्किट में बहुत ज्यादा है। ऐसा माना जाता है कि इस्लाम लोग इस नंबर को काफी ज्यादा लकी मानते है और इसलिए वो इस नंबर वाले नोट को अपने पास रखना चाहते है। कहा तो ये भी जा रहा है कि ये संख्या सिर्फ इस्लाम के लिए ही नहीं बल्कि हिन्दुओं के लिए और साथ ही बाकी धर्मों के लिए भी काफी लकी है इसलिए लोग इस नोटों के लिए आपको मुँह मांगी रकम देने को तैयार रहते है।
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कहां बेचें 786 सीरियल नंबर वाले नोट Where to sell notes with serial number 786
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हर कोई अपने रिटायरमेंट को लेकर चिंतित रहता है
हर कोई अपने रिटायरमेंट को लेकर चिंतित रहता है. ऐसे में जरूरी है कि सही समय पर आप इसके बारे में सोचना शुरू कर दें. किसी भी व्यक्ति का पोस्ट रिटायरमेंट वाला समय और उसके कमाई के जीवन का समय बराबर होता है. इसलिए किसी व्यक्ति के लिए यह जरूरी है कि वह अपनी सर्विस की शुरुआत से ही रिटायरमेंट प्लान के बारे में सोचना शुरू कर दें. ताकि बिना ज्यादा तनाव लिए एक पोस्ट रिटायरमेंट अमाउंट इकठ्ठा हो सके. इसलिए, जितनी जल्दी आप रिटायरमेंट के लिए प्लान बनाकर इन्वेस्ट करना शुरू करेंगे, उतना ही बेहतर होगा.
मौजूदा समय की बात करें तो एक व्यक्ति को अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए प्रति माह कम से कम 50,000 रुपये की जरूरत होती है. हालांकि, अगर आप कुछ साल बाद ही रिटायर होने जा रहे हैं, तो हर साल से साथ मासिक आवश्यकता बढ़ती जाएगी. चलिए देखते हैं कि अलग-अलग इन्वेस्टमेंट प्लान के तहत वर्तमान में 50,000 रुपये प्रति माह प्राप्त करने के लिए आपको क्या करने की जरूरत होगी.