ट्रेंड लाइन

दूसरी तरफ, तुलनात्मक रूप में सपाट ट्रेंड लाइन दर्शाती है कि शेयर का बर्ताव सामान्य है और वह समान रुझान लंबे समय तक जारी रख सकता है. इसके लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज के चार्ट में हरी रेखा पर गौर करें.
ट्रेंडलाइन ब्रेकआउट पर कैसे ट्रेड करे।
हेलो दोस्तों मैं आशा करता हूं कि आपने पहला आर्टिकल पढ़ लिया होगा। ट्रेंडलाइन ब्रेक आउट स्टेटर्ज और स्विंग और वेव थ्योरी भी पता होगा यह दोनों लेख पड़ने के बाद ही यह लेख पड़े। यह दूसरा पाठ है। इस आर्टिकल तो आइए शुरू करते हैं ट्रेंडलाइन पर ट्रैक कैसे करें।
दोस्तों ट्रेंडलाइन ब्रेक आउट पर ट्रेड लेने से पहले कुछ बातों का ध्याfन रखें। जिससे आप की एक्यूरेसी बढ़ेगी और आपको काफी अच्छा मुनाफा होगा।
- ट्रेंडलाइन दो प्रकार के बनते है। इसे ध्यान से पड़े यह सीक्रेट है।
- दो सुविंग को लाइन की सहायता से मिलाना है।
- ट्रेंडलाइन कैंडल के विग टच करके बनाना है।
- टाइम 5 मिनट रखना है।
- 5 मिनट का केंडल क्लोज़ होने के बाद ही ट्रेड करे।
ट्रेंडलाइन कितने प्रकार के बनते है।
मेरे अनुभव से ट्रेन लाइन दो प्रकार के होते हैं। दोस्तों इसे ध्यान से समझे आपको यह किसी किताब में या किसी और ब्लॉग में नहीं मिलेगा। यह मेरा अनुभव है। आप इसे ट्रेन लाइन का सीक्रेट भी कह सकते हैं।
पहला कांसेप्ट ट्रेंडलाइन ब्रेक आउट स्टेटर्ज।
दोस्तों थोड़ा समझने की कोशिश करना। आपने लाइन की मदद से दो स्विंग को आपस में जोड़कर एक ट्रेंडलाइन बनाया और तीसरी बार में उसने वह ट्रेंडलाइन को ब्रेक कर दिया ।
उसके बाद हमें उसका रिटेस्ट का इंतजार करना है और आपको रीटेस्ट पर ट्रेड करना है। रीटेस्ट कितना होना चाहिए यह फिब रिट्रेसमेंट (Fib Retracement) यह टूल की मदद से हम देखेंगे और यह टूल के 50% आते ही हम ट्रेड बाय कर लेंगे नीचे दिए गए फोटो में समझाया गया है।
दूसरा कांसेप्ट ट्रेंडलाइन ब्रेक आउट स्टेटर्ज।
मैं आशा करता हूं कि आपको पहला कॉन्सेप समझ में आ गया होगा। दूसरा यह है कि आपने लाइन की मदद से दो स्विंग को जोड़कर ट्रेंडलाइन बनाया और इस बार ट्रेन लाइन को टच करके मार्केट तीसरा स्विंग बना रहा है। या चौथा पांचवा छठा ट्रेंड लाइन कितने भी स्विंग हो सकते हैं।
जब भी ट्रेन लाइन का ब्रेक आउट होगा आपको ट्रेड नहीं करना है। जब तक तीसरे वाले स्विंग का ब्रेक आउट होने के बाद कैंडल क्लोज होने पर ट्रेड बाय करना है। नीचे दिए गए फोटो में अच्छे से समझ सकते हैं।
बेयरिश ट्रेंड लाइन पेटर्न बुलिश ट्रेंड लाइन पेटर्न
ध्यान रहे कि इस कांसेप्ट में स्विंग कितने भी बने उस से मतलब नहीं है। मतलब यह है कि जब भी इस ट्रेन लाइन का ब्रेक आउट होगा। हमें तब तक ट्रेड नहीं करना है। जब तक तीसरे स्विंग का ब्रेकआउट होकर 5 मिनट की कैंडल क्लोज ना हो जाए क्लोज होते ही। आपको ट्रेड बुय कर लेना है और उसी कैंडल के नीचे अपना स्टॉपलॉस लगाना है।
ट्रेंड लाइन के आधार पर कैसे समझें निवेश का पैटर्न?
तुलनात्मक रूप में सपाट ट्रेंड लाइन दर्शाती है कि शेयर का बर्ताव सामान्य है और वह समान रुझान लंबे समय तक जारी रख सकता है.
जब बाजार में तेजी हावी होती है और यह अगली गिरावट का आधार तय करती है, तो ऐसी स्थिति ट्रेंड लाइन में ट्रेड लाइन ऊपर बढ़ने के साथ-साथ हमेशा सपोर्ट स्तर प्रदान करती है, जो समय के साथ बदलता रहता है. इस स्थिति में ऐसी ट्रेंड लाइन के करीब की कीमतों पर खरीदारी करना फायदेमंद रहता है.
हालांकि, यदि सपोर्ट स्तर पार हो जाता है तो गिरावट दर्ज की जा सकती है. ऐसे में कारोबारियों को इसी ट्रेंड लाइन पर अपनी स्टॉप लॉस कीमत निर्धारित करनी चाहिए. इसी प्रकार गिरावट के हावी रहने पर सपोर्ट स्तर की जगह रेसिस्टेंस दर्ज किया जाता है. निवेशकों को इस दौरान बिक्री करनी चाहिए.
Trend Line क्या होता है?
प्राइस एक्शन ट्रेडिंग में सबसे महत्वपूर्ण चीज़ होती है वह है Trend Line इसके आधार पर ही आप ट्रेडिंग कर सकते है, अब यह सवाल आता है कि यह Trend Line होता क्या है, इसको जानने के लिए आपको यह जानना होगा कि लाइन क्या होता है!
जब हम किसी भी दो बिंदु को मिलाते है एक सीधी रेखा के मदद से तब हम उसको लाइन कहते है, इस लाइन को जब हम किसी चार्ट का ट्रेंड निकलाने के लिए उपयोग किया जाता है, तब हम उसको Trend Line कहते है! इसमें हम उन 2 बिंदुओं को लेते हैं जहां पर से शेयर बार-बार सपोर्ट किया रजिस्टेंस ले रहा होता है फिर उन दोनों बिंदुओं को मिलाकर एक ट्रेन लाइन निकलते हैं जिससे कि हमें उस शेयर में ऊपर या नीचे ट्रेंड का पता चलता है!
TECHNICAL ANALYSIS ट्रेंड लाइन – TREND
यह TECHNICAL ANALYSIS में सबसे महत्वपूर्ण CONCEPTS अवधारणाओं में से एक है।और हम TECHNICAL ANALYSIS में इसी ट्रेंड्स को समझने का प्रयास करते है.
ट्रेंड के बारे में ऐसा माना जाता है, कि जो भी ट्रेंड्स बना हुआ है, वो आगे भी बना रहेगा, जब तक कि कोई दूसरा ट्रेंड न आये,
यानी अगर कोई STOCK UP TREND LINE दिखा रहा है, मतलब वो कुछ समय और हो सकता है UPTREND यानी (तेजी ) बना रहेगा,
यानी अगर कोई STOCK DOWN TREND LINE दिखा रहा है, मतलब वो कुछ समय तक हो सकता है DOWNTREND (मंदी )में रहेगा, और BULLISH बना रहेगा.
अगर सीधा सीधा कहा जाये तो मार्केट में , तेजी और मंदी को एक नजर में समझने के लिए हम ट्रेंड लाइन का इस्तेमाल करते है.
TRENDS LINE क्या होता है?
एक चार्ट पे किसी STOCK के PRICE को उसके TIME FRAME के अनुसार उसके अलग अलग PRICE POINT को मिलाते हुए एक लाइन खिंची जाती है, इसी लाइन को STOCK की ट्रेंड लाइन कहते है.
पुरे TECHNICAL ANALYSIS में ट्रेंड लाइन तीन प्रकार की होती है,
UP TREND LINE
जब TREND LINE ऊपर की तरफ जाये तो कह सकते है कि STOCK , UP TREND कहते है
अप ट्रेंड को बुलिश ट्रेंड (तेजी का दौर ) भी कहा जाता है,
DOWN TREND LINE
जब ट्रेंड लाइन नीचे की तरफ जाये तो कह सकते है कि STOCK , डाउन ट्रेंड में है ,
डाउन ट्रेंड को बिअरिश ट्रेंड (मंदी का दौर ) भी कहा जाता है,
SIDEWAYS TREND LINE
जब TREND LINE ना ऊपर जाये और ना ही नीचे, बल्कि सीधी लाइन बन जाये तो इस तरह कि TREND LINE को SIDEWAYS ट्रेंड (करेक्शन, CORRECTION)भी कहते है,
Pennant-पेन्नैंट
क्या होता है पेन्नैंट?
टेक्निकल विश्लेषण में पेन्नैंट (Pennant) एक प्रकार का निरंतरता पैटर्न होता है जिसका निर्माण तब होता है, जब सिक्योरिटी में बड़ा मूवमेंट होता है, जिसे फ्लैगपोल कहा जाता है। उसके बाद कन्वर्जिंग ट्रेंड लाइन, पेन्नैंट के साथ एक समेकन अवधि होती है और उसके बाद उसी दिशा में ब्रेकआउट मूवमेंट होता है जो फ्लैगपोल के दूसरे आधे हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है।
मुख्य बातें
- पेन्नैंट एक प्रकार का निरंतरता पैटर्न होता है जहां टेक्निकल विश्लेषण में प्रयुक्त एक ब्रेकआउट के द्वारा समेकन की अवधि आती है।
- पेन्नैंट में वॉल्यूम पर गौर करना महत्वपूर्ण होता है, समेकन की अवधि में निम्नतर वॉल्यूम होना चाहिए और ब्रेकआउट उच्चतर वॉल्यूम पर होना चाहिए।
- अधिकांश ट्रेडर पेन्नैंट का उपयोग टेक्निकल विश्लेषण के अन्य रूपों के संयोजन में करते हैं जो पुष्टि के रूप में कार्य करते हैं।