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वर्चुअल मनी

वर्चुअल मनी
Interest Rates on Loan : जल्द ही बढ़ सकती है आपके लोन की ईएमआई, जानिए इस समय क्या हैं पर्सनल लोन पर ब्याज दरें
बजट में हुई थी घोषणा
अक्टूबर में आरबीआई ने कहा था कि वह खास यूज के लिए ई-रूपी के इस्तेमाल के बारे में जल्दी ही एक पायलट लॉन्च करेगा। साथ ही केंद्रीय बैंक ने सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) पर एक कॉन्सेप्ट नोट भी जारी किया था। इसका मकसद इस तरह की करेंसीज के बारे में जागरूकता पैदा करना है। सीबीडीसी मीडियम ऑफ पेमेंट और लीगल टेंडर होगी। इसे बैंक मनी या कैश में भी बदला जा सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने 2022-23 के बजट में घोषणा की वर्चुअल मनी थी कि आरबीआई इस फाइनेंशियल ईयर में एक डिजिटल रूपी लेकर आएगा।

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RBI Digital Currency: आते ही छा गई आरबीआई की डिजिटल करेंसी, पहले दिन हुए 275 करोड़ रुपये के 50 ट्रांजैक्शन

आरबीआई (RBI) की डिजिटल करेंसी (Digital Currency) आज हकीकत बन गई। केंद्रीय बैंक (Reserve Bank वर्चुअल मनी of India) ने डिजिटल रुपी (होलसेल सेगमेंट) का पहला पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया। पहले दिन कई बैंकों ने इस वर्चुअल मनी का इस्तेमाल करते हुए सरकारी बॉन्ड से जुड़े करीब 50 ट्रांजैक्शन किए। इनकी कुल वैल्यू 275 करोड़ रुपये है।

digital rupee

हाइलाइट्स

  • आरबीआई ने शुरू किया डिजिटल रुपी का पायलट प्रोजेक्ट
  • पहले दिन 275 करोड़ रुपये के 50 ट्रांजैक्शन हुए पूरे
  • इस पायलट प्रोजेक्ट में हिस्सा ले रहे हैं नौ बैंक

RBI Digital Currency: कल आ रही है आरबीआई की 'बिटकॉइन', अब कैश लेकर घूमने की जरूरत नहीं!
कैसे काम करती है यह
इसमें हिस्सा लेने वाले हर बैंक का एक डिजिटल करेंसी अकाउंट है जिसे सीबीडीसी अकाउंट (CBDC Account) नाम दिया गया है। इसे आरबीआई मेनटेन कर रहा है। बैंकों को पहले अपने अकाउंट्स से इस अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने होंगे। अगर एक्स बैंक किसी वाई बैंक से बॉन्ड्स खरीद रहा है तो एक्स बैंक के सीबीडीसी बैंक से डेबिट होगा और वाई बैंक के उसी अकाउंट में क्रेडिट होगा। इसमें उसी दिन डिजिटल सेटलमेंट होगा।

इसमें हिस्सा ले रहे एक बैंक के ट्रेडर ने कहा कि अगर यह पायलट प्रोजेक्ट सफल रहता है तो आरबीआई दूसरे होलसेल ट्रांजैक्शंस में भी सीबीडीसी के इस्तेमाल का दायरा बढ़ा सकता है। सूत्रों के मुताबिक अभी क्रिप्टोग्राफी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है जिसे विकसित होने में समय लगेगा। रिटेल ट्रांजैक्शन में सीबीडीसी के इस्तेमाल से जुड़ा पायलट प्रोजेक्ट बाद में शुरू किया जा सकता है। आरबीआई बिटकॉइन (Bitcoin) जैसी क्रिप्टोकरेंसीज का विरोध करता आया है।

Interest Rates on Loan : जल्द ही बढ़ सकती है आपके लोन की ईएमआई, जानिए इस समय क्या हैं पर्सनल लोन पर ब्याज दरें
बजट में हुई थी घोषणा
अक्टूबर में आरबीआई ने कहा था कि वह खास यूज के लिए ई-रूपी के इस्तेमाल के बारे में जल्दी ही एक पायलट लॉन्च करेगा। साथ ही केंद्रीय बैंक ने सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) पर एक कॉन्सेप्ट नोट भी जारी किया था। इसका मकसद इस तरह की करेंसीज के बारे में जागरूकता पैदा करना है। सीबीडीसी मीडियम ऑफ पेमेंट और लीगल टेंडर होगी। इसे बैंक मनी या कैश में भी बदला जा सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने 2022-23 के बजट में घोषणा की थी कि आरबीआई इस फाइनेंशियल ईयर में एक डिजिटल रूपी लेकर आएगा।

एक बार पैसा गया मतलब गया, यहां रिवर्स नहीं होता ट्रांजेक्‍शन, पढ़ें क्रिप्‍टोकरेंसी के बारे में सबकुछ

वर्चुअल करेंसीज पर RBI की ओर से 2018 में लगाए गए प्रतिबंध को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया है. आइए जानते हैं कि ये करेंसीज कैसे काम करती हैं, RBI ने क्‍या चिंताएं जताई थीं और बैन हटने के बाद अब क्‍या होगा?

एक बार पैसा गया मतलब गया, यहां रिवर्स नहीं होता ट्रांजेक्‍शन, पढ़ें क्रिप्‍टोकरेंसी के बारे में सबकुछ

TV9 Bharatvarsh | Edited By: पीयूष शर्मा

Updated on: Jun 23, 2021 | 1:13 PM

भारतीय बैंक और फायनेंशियल इंस्‍टीट्यूशंस अब वर्चुअल करेंसी होल्‍डर्स और एक्‍सचेंज से डील कर सकेंगी. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की ओर से 2018 में लगाए गए प्रतिबंध को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया है. आइए जानते हैं कि ये करेंसीज कैसे काम करती हैं, RBI ने क्‍या चिंताएं जताई थीं और बैन हटने के बाद अब क्‍या होगा?

Virtual currencies और Cryptocurrencies क्‍या हैं?

वर्चुअल वर्चुअल मनी करेंसी की कोई परिभाषा नहीं है. कुछ एजेंस‍ियां इसे वैल्‍यू एक्‍सचेंज का तरीका बताती हैं, कुछ इसे गुड्स आइटम, प्रोडक्‍ट या कमोडिटी कहती हैं. मॉडर्न वर्चुअल करेंसी Bitcoin और उसकी बेस टेक्‍नोलॉजी Blockchain के फाउंडर सतोषी नाकामोटो के मुताबिक, Bitcoins ‘एक नया इलेक्‍ट्रॉनिक कैश सिस्‍टम है जो पूरी तरह से पीर-टू-पीर है और इसमें कोई थर्ड पार्टी इंवॉल्‍व वर्चुअल मनी नहीं होती.’

नाकामोटो के हिसाब से जाएं तो वर्चुअल करेंसीज का कोई सेंट्रल रेगुलेटर नहीं क्‍योंकि उन्‍हें ऐसी जगह रखा जाता है जो सारे यूजर्स को विजिबल होगी. ऐसी करेंसीज के सारे यूजर्स रियल टाइम में ट्रांजेक्‍शंस ट्रैक कर सकते हैं.

वर्चुअल करेंसीज को अधिकतर लोकल वर्चुअल नेटवर्क्‍स के जरिए बनाया, बांटा और स्‍वीकार किया जाता है. Cryptocurrencies इस मामले में थोड़ी अलग हैं. उनमें एनक्रिप्‍शन एग्‍लोरिद्म्‍स के रूप में सिक्‍योरिटी की एक्‍स्‍ट्रा लेयर रहती है.

क्‍या हैं फीचर्स?

क्रिप्‍टोकरेंसी में होने वाले ट्रांजेक्‍शन रिवर्स नहीं होते यानी एक बार पैसा गया, मतलब गया. इसमें किसी को पैसा भेजने के लिए आपको उसकी पहचान पता होना जरूरी नहीं है. आपका क्रिप्‍टो करेंसी एड्रेस ही इस दुनिया में आपकी पहचान है.

क्रिप्‍टोकरेंसी का एक फायदा ये भी है कि आपकी इंफॉर्मेशन सिक्‍योर रहती है और डेटा ब्रीच का रिस्‍क नहीं रहता है. पीर-टू-पीर होने की वजह से कोई मिडलमैन नहीं होता.

Bitcoin keys दो प्रकार की होती हैं- Public और Private. Public Key का यूज पैसा रिसीव करने के लिए होता है. अगर आपको अपने Bitcoins एक्‍सेस करने हैं तो Private Key चाहिए होगी. अगर Private Key खो गई तो समझिए आपके Bitcoins भी गए.

Cryptocurrency से खतरा?

एक्‍सपर्ट्स वर्चुअल करेंसीज में डील करते समय सावधान रहने की सलाह देते हैं. रिस्‍क तो है, मगर दुनियाभर के टेक्‍नोक्रेट्स वर्चुअल करेंसीज पर बैन के खिलाफ हैं. उनका मानना है कि पूरी तरह प्रतिबंध लगा तो पूरा सिस्‍टम वर्चुअल मनी अंडरग्राउंड हो जाएगा, यानी इसपर कोई रेगुलेशन नहीं होगा.

जून 2013 में, RBI ने पहली बार वर्चुअल करेंसीज के यूजर्स, होल्‍डर्स और ट्रेडर्स को वार्निंग जारी की. RBI ने कहा कि इसके फायनेंशियल, ऑपरेशनल, लीगल और कस्‍टमर प्रोटेक्‍शन और सिक्‍योरिटी से जुड़े रिस्‍क होंगे जिनसे वे लोग दो-चार होंगे.

2014 में फायनेंशियल एक्‍शन टास्‍क फोर्स की एक रिपोर्ट आई. इसमें वर्चुअल करेंसीज के कानूनी इस्‍तेमाल और पोंटेंशियल रिस्‍क्स को हाईलाइट किया गया था. एक और रिपोर्ट तो यहां तक दावा करती है कि वर्चुअल करेंसीज का यूज टेरर फायनेंसिंग ग्रुप्‍स के बीच बढ़ रहा है.

क्‍यों लगा था बैन?

RBI ने वर्चुअल करेंसीज के ट्रेड और इस्‍तेमाल पर बैन लगाने के पीछे कई वजहें गिनाई थीं. सबसे बड़ी वजह तो इनकी वैल्‍यू में एक्‍सेसिव वोलाटिलिटी होना रही. यानी कब करेंसी की वैल्‍यू आसमान और कब गर्त में चली जाएगी, कुछ कहा नहीं जा सकता. इसके अलावा इन करेंसीज का नेचर पूरी तरह से गुमनाम होता है जो कि ग्‍लोबल मनी लॉन्ड्रिंग रूल्स के खिलाफ है.

डेटा सिक्‍योरिटी और कंज्‍यूमर प्रोटेक्‍शन के खतरे तो हैं ही, RBI को लग रहा था कि इससे उसकी मॉनेटरी पॉलिसी का प्रभाव भी कम हो सकता है. RBI ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि वह ये नहीं चाहती कि वर्चुअल करेंसीज कुकुरमुत्‍तों की तरह फैलें, इसलिए उसने बैन लगाया.

RBI बैन के खिलाफ याचिका लगाने वालों का तर्क था कि नॉन-फिएट करेंसी दरअसल कोई करेंसी ही नहीं है. उन्‍होंने अदालत में कहा कि RBI का फैसला बेहद कड़ा था और उसके पीछे कोई स्‍टडी नहीं की गई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने क्‍या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने 180 पेज में फैसला दिया है. अदालत ने कहा है कि RBI वर्चुअल मनी ने जो निर्देश दिए, उसमें प्रपोर्शनलिटी का खयाल नहीं रखा. केंद्रीय बैंक ने इस फैसले से मूल अधिकारों पर होने वाले डायरेक्‍ट, इनडायरेक्‍ट असर को ध्‍यान में नहीं रखा. अदालत ने यह भी कहा कि भारत की अमेरिका, जापान, वर्चुअल मनी सिंगापुर या यूके जैसे देशों से तुलना नहीं हो सकती क्‍योंकि वे विकसित अर्थव्‍यवस्‍थाएं हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि “जिस भी अदालत ने वर्चुअल करेंसीज की पहचान तय करने की कोशिश की, उसने जैन धर्म के अनेकतावाद दर्शन में बताए गए 4 अंधे पुरुषों की तरह कार्यवाही की. जो एक हाथी का ब्‍यौरा देते समय उसके शरीर के बारे में सिर्फ एक बात बता पाते हैं, और कुछ नहीं.”

इस फैसले के बाद क्‍या?

अब वर्चुअल करेंसीज को लेकर RBI अपनी पॉलिसी में चेंज कर सकता है. हो सकता है एक नया फ्रेमवर्क लाया जाए जो इन टेक्‍नोलॉजिकल एडवांसमेंट्स से डील करे.

आईआईटी कांसेटो में वर्चुअल मनी से निवेश कर छात्र दिखाएंगे फायदा

आईआईटी कांसेटो में वर्चुअल मनी से निवेश कर छात्र दिखाएंगे फायदा

आने वाला समय वर्चुअल मनी का है या नहीं। इसपर विश्वभर में चर्चा चल रही है, लेकिन आईआईटी आईएसएम के छात्र कांसेटो 2018 में बफेट मनी बैग प्रतियोगिता के माध्यम से रू-ब-रू होंगे। आईआईटी आईएसएम के छात्र वर्चुअल मनी (अभासी राशि) को ऑनलाइन स्टॉक में निवेश कर यह बताएंगे कि किस क्षेत्र में और कैसे निवेश करें, तो इससे वर्चुअल मनी फायदा होगा। जर्मनी के स्टॉक एक्सजेंस की तर्ज पर प्रतियोगिता का आयोजन होगा। सभी प्रतिभागियों को एक लाख वर्चुअल डॉलर दिए जाएंगे।

छात्र तीन दिनों तक ऑनलाइन शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव का आनंद लेंगे। अगर अपने पोर्टफोलियो को बनाए रखने वर्चुअल मनी व लाभ अर्जित करने में सफल रहता है और अंतिम दिन अधिकत कमाई करता है, तो शीर्ष तीन प्रतिभागियों को विजेता घोषित किया जाएगा। छात्रों का कहना है कि बुफे मनी बैग ऑनलाइन घटना है, जिसे प्रतियोगिता का रूप दिया गया है। घटना को मार्केट वॉच पर होस्ट किया जाएगा। कांसेटो 2018 में आईआईटी धनबाद के अलावा अन्य तकनीकी संस्थानों के छात्र-छात्रा हिस्सा ले रहे हैं। को-ऑर्डिनेटर छात्र सचिन ने बताया कि 14 जनवरी तक 28 प्रतियोगिता का आयोजन होगा। विजेताओं के बीच 2.10 लाख रुपए नगद पुरस्कार का वितरण किया जाएगा।

आकर्षण का केंद्र बना रोबोटिक्स

संस्थान के स्टूडेंट एक्टिविटी सेंटर में कांसेटो के पहले दिन रोबोटिक्स आकर्षण का केंद्र रहा। रोबोटिक्स प्रतियोगिता में विभिन्न बाधाओं के साथ रोबो ट्रैक तैयार किया गया। बाधाओं को पाकर रोबो को मंजिल पर पहुंचना था। छात्र-छात्राओं को रोबोट के लिए ऑनस्पॉट प्रोग्रामिंग करनी थी। पहले से रास्ते की जानकारी नहीं दी गई। वहीं रोबोट के लिए मेज रनर प्रतियोगिता थी। यह एक तरह से भूल-भूलैया की तरह था। रोबोट को रास्ता पहचान कर मंजिल तक पहुंचना था। छात्रों ने बताया कि बिना रिमोट के रोबोट का संचालन करना था। रोबोट सेंसर की मदद से चल रहा था। शनिवार को रोबो वार प्रतियोगिता होगी।

सौ आईसक्रीम स्टिक से लंदन ब्रिज की तर्ज पर पुल

आईआईटी के छात्र कांसेटो में लंदन ब्रिज की तर्ज पर पुल बनाकर दिखाएंगे। सिविल इंजीनियरिंग विभाग के छात्र ट्रस द फ्रेम प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगे। यह हाईड्रोलिक एवं मुवेबल होगा। सौ आईसक्रीम की स्टिक से, एक फेविकॉल बोतल से यह पुल बनाना है। पुल निर्माण के लिए दो दिन का समय मिलेगा। निर्णायक दल यह देखेगा कि किस पुल में अधिकतम दक्षता है। विजेताओं को नगद पुरस्कार दिया जाएगा। वहीं स्काई लाइन प्रतियोगिता में छात्र-छात्रा आम चीजों से ग्लाइडर बना रहे हैं। द ट्राई स्टेट, मॉडल यूनाइटेड नेशन, जियो ओलंपियाड, पेपर प्रजेंटेशन, रियलिटी ट्रेजर हंट, ब्रेकिंग बैड, रोबोटिक्स समेत अन्य प्रतियोगिताओं पर छात्रों की नजरें हैं।

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