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सकल आय गठन

सकल आय गठन
रायसीना हिल की नॉर्थ और साउथ ब्लॉक, प्रतीकात्मक तस्वीर | Manisha Mandal | ThePrint

भारतीय अर्थव्यवस्था

जब देश की मुद्रा के मूल्य को किसी अन्य देश की मुद्रा के मूल्य के सापेक्ष जानबूझ कम कर दिया जाता है तो उस प्रक्रिया को मुद्रा का अवमूल्यन कहते हैं। अवमूल्यन से निर्यात बढ़ती है और आयात कम होता है अर्थात अवमूल्यन से विदेश व्यापार संतुलन की दिशा में बढ़ता है। अब तक 1948 में,1966 में तथा 1991 में तीन बार भारतीय मुद्रा का अवमूल्यन सकल आय गठन किया जा चुका है।

विमुद्रीकरण:

जब किसी मूल्य वर्ग की मुद्रा को समाप्त कर दिया जाता है तो उस प्रक्रिया को विमुद्रीकरण कहते हैं। विमुद्रीकरण का उद्देश्य कालाधन को अर्थव्यवस्था से समाप्त करना होता है। भारत में अब तक तीन बार विमुद्रीकरण हो चुका है।

  1. 1946 में 1000 रुपए तथा 10000 रुपए के नोट समाप्त कर दिए​ गये।
  2. 1978 में 1000,5000 तथा 10000 रुपए के नोट बाहर कर दिए गए।
  3. 08 नवंबर 2016 को 500 रुपए और 1000 रुपए के नोटों का प्रचलन बंद कर दिया गया।
  • एक रुपए के नोट पर भारत के वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते हैं।
  • एक रुपए से ज्यादा मूल्य के नोटों पर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं।

भारत में तीन सिक्योरिटी प्रेस हैं:

  • नेशनल सिक्योरिटी प्रेस – नासिक,
  • इंडियन सिक्योरिटी प्रेस – हैदराबाद और
  • करेंसी पेपर मिल – होशंगाबाद।

नोट प्रेस:

  • करेंसी नोट प्रेस – नासिक,
  • बैंक नोट प्रेस – देवास (मध्यप्रदेश), साल्वनी (पश्चिम बंगाल), मैसूर (कर्नाटक)।

मुद्रा स्फीति:

जब मुद्रा का मूल्य घट जाता है और वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती हैं।

मुद्रा स्फीति के प्रभाव:-

  1. इसमें मुद्रा का मूल्य कम हो जाता है।
  2. क्रय शक्ति कम होने से वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य में वृद्धि हो जाती है
  3. विनिमय दर कम हो जाता है जिससे आयात घटती है और निर्यात बढ़ती है।
  4. उत्पादकों और निवेशकों को लाभ होता है।
  5. कर्मचारियों और मजदूरों को हानि होती है।
  6. ऋणी को लाभ होता है किंतु ऋणदााओं हानि होती है।

हल्की मुद्रा स्फीति अर्थव्यवस्था के लिए लाभदायक होती है।

मुद्रा संकुचन:

जब मुद्रा का मूल्य बढ़ जाता है और वस्तुओं की कीमतें घट जाती है। यह मुद्रा स्फीति से बिल्कुल विपरीत चीज है।

मुद्रास्फीतिजनित मंदी (Stagflation):

जब मुद्रा स्फीति और बेरोजगारी दोनों एक ही साथ ऊंची​दरों पर हो तो एसी स्थिति को मुद्रास्फीतिजनित मंदी कहते हैं जो किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए भयंकर खतरनाक स्थिति है।

प्रभावी सकल आय

एक सकल आय गठन रिक्ति और संग्रह के नुकसान के लिए भत्ता के बाद वास्तविक संपत्ति के सभी कार्यों से अनुमानित आय । [ स्पष्टीकरण की आवश्यकता ] प्रभावी सकल आय में अन्य आय का गठन करने वाली वस्तुएं शामिल हैं: वास्तविक संपत्ति के संचालन से सकल आय गठन उत्पन्न आय जो अंतरिक्ष किराये से प्राप्त नहीं होती है (जैसे पार्किंग किराये या वेंडिंग मशीनों से आय )।

उदाहरण के लिए, यदि दो संपत्तियों की संभावित आय $ 15,000 है, यदि वे सभी अधिकतम अधिभोग से भरी हुई हैं, और नकद में संपत्तियों की औसत रिक्ति दर $ 1,250 है (किराए का योग जो संपत्तियों में रिक्ति से नहीं आ रहा है) ) औसत रिक्ति दर तब संपत्तियों को किराए पर लेने से संभावित आय से घटा दी जाती है, इसलिए कुल $ 13,750 है, जो प्रभावी सकल आय बन जाती है।

मोदी सरकार की सिफारिश- ओबीसी क्रीमीलेयर की आयसीमा बढ़ाकर सालाना 12 लाख की जाय

मोदी सरकार द्वारा गठित एक पैनल ने ओबीसी क्रीमीलेयर के लिए आयसीमा बढ़ाने और सकल वार्षिक आय में वेतन को शामिल करने के लिए कहा है.

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रायसीना हिल की नॉर्थ और साउथ ब्लॉक, प्रतीकात्मक तस्वीर | Manisha Mandal | ThePrint

नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के क्रीमीलेयर के लिए आय सीमा 8 लाख रुपए से बढ़ाकर 12 लाख रुपये प्रति वर्ष करने की सिफारिश की है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

सरकार द्वारा नियुक्त समिति ने ओबीसी आरक्षण के लिए क्रीमीलेयर सीलिंग को प्रति वर्ष 8 लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख रुपये प्रति वर्ष करने की सिफारिश की है. इसका मतलब यह है कि अगर किसी घर की वार्षिक आय 12 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक है, तो वह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आरक्षण के लिए पात्र नहीं होगा. समिति ने वार्षिक आय की गणना में वेतन को शामिल करने का भी प्रस्ताव दिया है. 10 हेक्टेयर से अधिक भूमि वाले परिवारों और 4 हेक्टेयर सिंचित भूमि वाले परिवारों को आरक्षण से बहार रखे जाने का प्रावधान किया जा सकता है.

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने समिति की सिफारिशों पर अन्य मंत्रालयों से सुझाव और इनपुट मांगते हुए एक कैबिनेट नोट जारी किया है. सितंबर 2017 में, सरकार ने क्रीमीलेयर सीलिंग को 6 लाख रुपये से बढ़ाकर 8 लाख रुपये प्रति वर्ष कर दिया था.

अंतिम निर्णय होने के बाद इस मामले को जल्द ही कैबिनेट में रखा जाएगा. मार्च 2019 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों (एसईबीसी) के बीच क्रीमीलेयर तुल्यता से संबंधित मुद्दों के लिए बीपी शर्मा, कार्मिक विभाग के पूर्व सचिव और प्रशिक्षण विभाग की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है.

यह आय सीमा महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वह सीमा है जिस पर एक ओबीसी उम्मीदवार को सरकारी नौकरियों में जाति-आधारित आरक्षण और सरकार द्वारा वित्तपोषित शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश पर रोक होगी. यह रिपोर्ट पिछले साल 19 सितंबर को सौंपी गई थी.

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मंत्रालय ने क्या चर्चा की है

सूत्रों के अनुसार, समिति की रिपोर्ट पर मंत्रालय द्वारा चर्चा की गई, जिसमें बताया गया कि आय/धन परीक्षण उन सभी पर लागू किया जाना चाहिए, जो पहले से ही अपनी स्थिति के आधार पर आरक्षण के दायरे से बाहर नहीं हैं. लेकिन, समिति बताती है कि वेतनभोगी वर्ग के लिए वेतन से होने वाली आय क्रीमीलेयर के निर्धारण में शामिल नहीं है.

एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, समिति द्वारा दो विकल्प सुझाए गए थे, जिसमें संवैधानिक/वैधानिक/वरिष्ठ सरकारी पद धारण करने वाले कुछ सकल आय गठन श्रेणियों को छोड़कर सभी श्रेणियों पर समान रूप से वार्षिक आय सीमा को लागू करने का प्रस्ताव किया गया था. यह सकल आय गठन भी ऑप्शन था कि जिनके पास 10 हेक्टेयर से ज्यादा (कृषि भूमि है) जिसमें से कम से कम 4 हेक्टेयर सिंचाई के अधीन है तो उनको भी इससे बाहर रखा जायेगा.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘समिति ने सुझाव दिया है कि वेतन सहित सभी कर योग्य आय को गिना जाना चाहिए, जो किसी भी भेदभाव की संभावना को दूर करेगा और सरल भी होगा.’

समिति द्वारा प्रदान किया गया दूसरा विकल्प कुछ संशोधनों के साथ वर्तमान प्रणाली को जारी रखना है (जिसमें वेतन कुल आय का हिस्सा नहीं है). समिति ने 8 लाख रुपये की वर्तमान आय सीमा बढ़ाने का सुझाव दिया सकल आय गठन है जिसके बाद मंत्रालय ने प्रस्ताव दिया है कि इसे बढ़ाकर 12 लाख रुपये किया जा सकता है. सभी मंत्रियों से इनपुट मिलने के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा और फिर इसे कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाएगा.

वर्तमान नियम क्या कहते हैं

ओबीसी सकल आय गठन सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण के हकदार हैं. हालांकि, क्रीमीलेयर को इस तरह के लाभों से बाहर रखा गया है.

मंडल कमीशन मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ओबीसी के बीच की क्रीमीलेयर को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा और सरकार से यह निर्धारित करने के लिए मापदंड तय करने को कहा था.

वर्तमान में 8 लाख रुपये और उससे अधिक की वार्षिक पैतृक आय (खेती, कृषि भूमि आदि से होने वाली आय को छोड़कर) वाले आरक्षण लाभ के लिए पात्र नहीं हैं.

वर्तमान में, सरकारी क्षेत्र में संवैधानिक पदों पर आसीन होने और क्लास-ए के पदों पर प्रवेश करने वाले सभी लोग स्वचालित रूप से इस क्रीमीलेयर में शामिल हैं. वे लोग क्रीमीलेयर श्रेणी में नहीं आते हैं, 1993 के आदेश ने एक आय/ धन मानदंड निर्धारित किया है, जिसके तहत एक निश्चित आय से परे व्यक्तियों को क्रीमीलेयर से संबंधित माना जाएगा.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

कृषि को मिले उद्योग का दर्जा

जौनपुर। अद कार्यकर्ताओं ने मांगों को लेकर शनिवार को कलेक्ट्रेट में जिला प्रशासन को पत्रक सौंपकर प्रदर्शन किया। डीएम को सौंपे गए पत्रक में कहा कि कृषि को उद्योग का दर्जा दिया जाए। सकल घरेलू आय का 50 प्रतिशत मतदाता पेंशन के रूप में दिया जाए। किसान आयोग का गठन किया जाए और कृषि को उद्योग का दर्जा दिया जाए। इससे पहले कार्यकर्ताओं ने आजादी की प्रथम क्रांति दिवस की 15वीं वर्षगांठ मनायी। अद के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. सोनेलाल पटेल को श्रद्धासुमन अर्पित किया। जिलाध्यक्ष शिवनायक पटेल ने कहा कि सोनेलाल पटेल की हत्या की जांच सीबीआई से कराई जाए। इस मौके पर अखिलेश सिंह, गोकरण पटेल, शेष नारायण, राजनाथ, रामचंद्र, नंदलाल, श्याम लाल, तीर्थराज, कृपाशंकर मौजूद रहे।

जौनपुर। अद कार्यकर्ताओं ने मांगों को लेकर शनिवार को कलेक्ट्रेट में जिला प्रशासन को पत्रक सौंपकर प्रदर्शन किया। डीएम को सौंपे गए पत्रक में कहा कि कृषि को उद्योग का दर्जा दिया जाए। सकल घरेलू आय का 50 प्रतिशत मतदाता पेंशन के रूप में दिया जाए। किसान आयोग का गठन किया जाए और कृषि को उद्योग का दर्जा दिया जाए। इससे पहले कार्यकर्ताओं ने आजादी की प्रथम क्रांति दिवस की 15वीं वर्षगांठ मनायी। अद के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. सोनेलाल पटेल को श्रद्धासुमन अर्पित किया। जिलाध्यक्ष शिवनायक पटेल ने कहा कि सोनेलाल पटेल की हत्या की जांच सीबीआई से कराई जाए। इस मौके पर अखिलेश सिंह, गोकरण पटेल, शेष नारायण, राजनाथ, रामचंद्र, नंदलाल, श्याम लाल, तीर्थराज, कृपाशंकर मौजूद रहे।

घर की संपत्ति से होने वाली आय के बारे में आपको जो कुछ भी जानना है

क्या आपको लगता है कि संपत्ति खरीदने से पहले आपको वित्तीय योजना के बारे में चिंता करनी चाहिए थी? जितनी जल्दी आपको यह पता चलता है कि संपत्ति की चाबी नहीं मिलती है, यह पूरी तरह से वित्तीय योजना के एक नए चक्र की शुरुआत थी और इसके साथ पूरी तरह से समर्पण किया गया था। भारत में आयकर कानूनों के तहत, आपकी संपत्ति में एक वर्ष में एक निश्चित आय अर्जित करने की क्षमता है, और आपको इस आय पर करों का भुगतान करना होगा। आयकर विभाग इस आय को सिर के नीचे से “आय से” कर देता हैघर की संपत्ति ”। इस लेख में, हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि घर की संपत्ति से आय का गठन कैसे होता है, इसकी गणना कैसे की जाती है और कटौती आप इस आय पर दावा कर सकते हैं ।

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