भारत मे क्रिप्टोकरेंसी कनुनी तौर पर वैध है या नही

Cryptocurrency Ban: क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग और माइनिंग पर लगेगा भारी जुर्माना, क्या होगी 10 साल तक की जेल?
केंद्र सरकार जल्द ही देश में क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग, माइनिंग और इसकी होल्डिंग को प्रतिबंधित करने के लिए सख्त कानून बनाने जा रही है
केंद्र सरकार जल्द ही देश में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) की ट्रेडिंग, माइनिंग और इसकी होल्डिंग को प्रतिबंधित करने के लिए सख्त कानून बनाने जा रही है। इस मामले से जुड़े सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी रायटर्स को बताया कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी को रखने, इसकी ट्रेडिंग और माइनिंग करने वालों पर भारी जुर्माना लगाएगी, साथ ही ऐसे लोगें को जेल की दवा भी खानी पड़ सकती है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार क्रिप्टोकरेंसी को बैन करने के लिए जो कानून बनाने जा रही है, उसमें क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग, माइनिंग और इसकी होल्डिंग कानूनन जुर्म होगा। अगर संसद से क्रिप्टो को बैन करना वाला कानून डिजिटल करेंसी बिल, 2021 पास होता है तो भारत कानून बनाकर क्रिप्टोकरेंसी को बैन करने वाला पहला देश बन जाएगा।
आपको बता दें वर्ष 2019 में सरकार द्वारा गठित एक समिति ने क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग करने, इसे रखने, इसकी माइनिंग या इसे दूसरे व्यक्ति को ट्रांसफर करना वालों को 10 साल जेल की सजा देने की सिफारिश की थी। हालांकि, सूत्रों ने यह नहीं बताया कि प्राइवेट डिजिटल करेंसी को बैन करने वाले बिल में सजा का प्रावधान जोड़ा गया है या नहीं, लेकिन इस बिल को लेकर बातचीत अंतिम चरण में है।
निवेशकों को इससे बाहर निकलने का मौका मिलेगा
क्रिप्टोकरेंसी को बैन करने के प्रस्तावित बिल में यह प्रावधान किया गया है कि भारतीय कंपनियां और आम लोग डिजिटल करेंसी के तौर पर संपत्ति इकट्ठा नहीं कर पाएंगे। हालांकि, बिटकॉइन जैसी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर भारत मे क्रिप्टोकरेंसी कनुनी तौर पर वैध है या नही प्रतिबंध लगाने से पहले केंद्र सरकार इसके निवेशकों को इससे बाहर निकलने का मौका देगी, लेकिन क्रिप्टो ऐसेट्स को वैध यानी लीगल करने के लिए निवेशकों को भारी पेनाल्टी चुकानी होगी।
अभी फाइनलाइज नहीं हुआ है बिल
डिजिटल करेंसी बिल, 2021 को अभी फाइनलाइज किया जाना बाकी है। वित्त मंत्रलाय के सूत्रों ने बताया कि इस बिल क्रिप्टो ऐसेट्स से एग्जिट करने और इसे लीगलाइज करने के लिए कितना जुर्माना भरना होगा यह अभी तय नहीं है। डिजिटल करेंसी बिल का मकसद RBI द्वारा जारी की जाने वाली आधिकारिक डिजिटल करेंसी या सरकारी क्रिप्टोकरेंसी के निर्माण के कानूनी रास्ता तैयार करना है।
सरकार के नजरिए में बदलाव के संकेत
केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने पिछले सप्ताह कहा था कि केंद्र सरकार खुले मन से नई टेक्नोलॉजी को एक्सप्लोर करने के साथ उनका मूल्यांकन करने और इन्हें प्रोत्साहित करने के लिए तैयार है और इस नई टेक्नोलॉजी में क्रिप्टोकरेंसी भी शामिल है। अनुराग ठाकुर ने कहा कि ब्लॉकचेन नई उभरती हुई तकनीक है। अनुराग ठाकुर के इस बयान को क्रिप्टोकरेंसी पर सरकार के नजरिए में बदलाव के तैर पर देखा गया। एक्सपर्ट्स बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को भविष्य की करेंसी कहते हैं।
रिकॉर्ड ऊंचाई पर बिटक्वाइन
भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगने की खबरें ऐसे समय में आ रही है जब दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटक्वाइन (Bitcoin) की कीमतों में जबरदस्त उछाल आई और शनिवार को पहली बार यह सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए 60,000 डॉलर के पार पहुंच गई। रविवार को इसमें और तेजी आई और एक बिटक्वाइन की कीमत 61,556 डॉलर यानी 44.77 रुपये तक पहुंच गई।
मार्च, 2020 में एक Bitcoin की कीमत केवल 5000 डॉलर थी जो अब 61 हजार डॉलर के पार हो गई है। यानी एक साल में Bitcoin की कीमतों में 1100% से अधिक उछाल आई है। आज सुबह 10.30 बजे Bitcoin 59,915 डॉलर पर ट्रेड कर रही थी।
भारत सरकार बिटकॉइन और भारत मे क्रिप्टोकरेंसी कनुनी तौर पर वैध है या नही दूसरी क्रिप्टोकरेंसी पर क्यों प्रतिबंध लगाना चाहती है ?
अगर सरकार के नए क्रिप्टोकरेंसी रेगुलेशन बिल को संसद की मंजूरी मिल जाती है तो बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री भारत में गैरकानूनी हो जाएगी. सरकार के इस प्रस्ताव के बाद क्रिप्टोकरेंसी औंधे मुंह गिर रही है.
हैदराबाद : 29 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है. इस सत्र में सरकार 26 नए विधेयकों को विचार के लिए संसद में पेश करेगी. इन नए विधेयकों में 'द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021' भी शामिल है. अभी इस बिल का मसौदा सार्वजनिक नहीं किया गया है, मगर यह माना जा रहा है कि इस बिल को संसद से मंजूरी मिल जाती है, तो भारत में क्रिप्टो करेंसी की खरीद बिक्री पर प्रतिबंध लग सकता है. इसके बाद इथेरियम और बिटकॉइन जैसी करेंसी में निवेश करना गैर-कानूनी हो जाएगा.
लोकसभा बुलेटिन के 10वें नंबर पर 'द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल भारत मे क्रिप्टोकरेंसी कनुनी तौर पर वैध है या नही डिजिटल करेंसी बिल, 2021' शामिल है.
सरकार के फैसले से लुढ़क गई क्रिप्टो करेंसी : लोकसभा की बुलेटिन में 'द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021' की लिस्टिंग होने की खबर से क्रिप्टो या डिजिटल करेंसी की बिकवाली शुरू हो गई. बाद डॉगकॉइन, शीबा इनू, इथेरियम और बिटकॉइन जैसे क्रिप्टोकरेंसी के रेट में जबर्दस्त गिरावट हुई. Bitcoin की कीमत 9 नवंबर को 68,327.99 डॉलर थी. बुधवार को इसकी वैल्यू वजीरएक्स पर 25.51 प्रतिशत घटकर 46,601 डॉलर (लगभग 34 लाख रुपये) हो गई. दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी इथेरियम भी आज 22.86 फीसदी गिर गई थी. इसके अलावा अन्य क्रिप्टोकरेंसी रिप्पल, डोगेक्वाइन, कारडानो और शीबा इनू में भी 25 से 30 फीसदी की गिरावट आई है.
अब सरकार ने यह फैसला क्यों किया ? : सरकार ने दो नवंबर, 2017 को आर्थिक मामलों के सचिव की अगुवाई में एक समिति गठित की थी. समिति ने वर्चुअल करेंसी से संबंधित मुद्दों पर अध्ययन करने के बाद सरकार को जुलाई 2021 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. समिति के अन्य सदस्यों में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी सचिव, सेबी के चेयरमैन और रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर शामिल थे. समिति ने निजी क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े जोखिमों, उनके मूल्य में उतार-चढ़ाव के मद्देनजर इन पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी. साथ ही देश में क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित किसी भी तरह की गतिविधि के लिए जुर्माना लगाने का भी सुझाव दिया था.
भारत सरकार लाएगी अपनी वर्चुअल करेंसी ? : आरबीआई (RBI) चरणबद्ध तरीके से भारत में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लॉन्च करेगा. यह करेंसी रिटेल और होलसेल दो तरीके से उपलब्ध होगी. रिटेल डिजिटल करेंसी का उपयोग आम जनता और कंपनियां करेंगी जबकि होलसेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल वित्तीय संस्थाओं द्वारा किया जाएगा. भारत सरकार और रिजर्व बैंक क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री पर लगाम लगाने जा रहा है ताकि डिजिटल करेंसी को सही तरीके से लॉन्च किया जा सके और बाजार में इसकी प्रमाणिकता बनी रहे. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, देश में 70 लाख भारतीयों के पास करीब एक अरब डॉलर मूल्य की क्रिप्टोकरेंसी है. पिछले साल 2020 के मुकाबले इसमें सात गुना उछाल आया है.
इससे पहले रिजर्व बैंक ने 2018 में क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) की लेनदेन पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च, 2020 को यह पाबंदी हटा दी थी.
किन देशों में क्रिप्टो करेंसी को मान्यता मिली है : अभी मध्य अमेरिका के देश अल सल्वाडोर बिटकॉइन को लेकर सुर्खियों में हैं. अल सल्वाडोर ने दुनिया की पहली 'बिटकॉइन सिटी' बनाने की घोषणा की है. राष्ट्रपति नायब बुकेले ने कहा कि इस शहर के निवासियों को कोई आय, संपत्ति, पूंजीगत लाभ या पेरोल कर भी नहीं देना होगा. वहां की सरकार 'बिटकॉइन सिटी' के लिए 1 बिलियन डॉलर के बिटकॉइन बॉन्ड जारी करेगी. हालांकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने बिटक्वाइन से जुड़े जोखिमों को देखते हुए अल सल्वाडोर को बिटकॉइन को वैध मुद्रा के तौर पर इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी है.
इससे पहले कनाडा ने फरवरी 2021 में बिटकॉइन-ट्रेडेड फंड को मंजूरी दी थी. ब्रिटेन में क्रिप्टोकरेंसी को संपत्ति का दर्जा प्राप्थ है और निवेशक क्रिप्टो मुनाफे पर इनकम टैक्स भरते हैं. अधिकतर यूरोपीय संघ (ईयू) देशों में क्रिप्टोकरेंसी भी कानूनी है. नेपाल में बिटकॉइन पर बैन है. वियतनाम में इसकी खरीद-बिक्री पर भारी जुर्माना लगता है. चीन में भी क्रिप्टोकरेंसी की लेन-देन पर प्रतिबंध लगाया गया है.
क्रिप्टोकरेंसी के प्रति टेस्ला के सीईओ एलन मस्क की दीवानगी अक्सर दिखती है. कुछ दिन पहले उन्होंने एक ट्वीट कर कहा था कि टेस्ला को बिटकॉइन के माध्यम से भी खरीद सकते हैंं.
क्रिप्टोकरेंसी या बिटकॉइन कैसे भारत मे क्रिप्टोकरेंसी कनुनी तौर पर वैध है या नही बनता है : क्रिप्टो करेंसी का वर्चुअल सिक्का माइनिंग के जरिये बनता है. इसके लिए माइनर को जटिल क्रिप्टोग्राफिक मैथमेटिकल पहेली सुलझानी होती है. बिटकॉइन ऑनलाइन माइनिंग पूल का मेंबर को मैथ्स से जुड़े समीकरण सुलझाने की इजाजत दी जाती है. क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग के लिए स्पेशल सॉफ्टवेयर वाले कम्प्यूटर की जरूरत होती है. जब माइनर एक इक्वेशन सुलझा लेता है, तो एक क्रिप्टोकरेंसी का जारी किया जाता है. बदले में माइनर को क्रिप्टोकरेंसी ही दी जाती है. बिटकॉइन के डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर में केवल मान्यता प्राप्त माइनर्स को ही डिजिटल लेजर में ट्रांजैक्शंस अपडेट करने की अनुमति है.
क्रिप्टोकरेंसी पर लगाए गए तीस प्रतिशत कर के क्या मायने हैं
भारत में क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन के कर निहितार्थ के बारे में काफी अनिश्चितता के बाद केंद्र सरकार ने अंततः 2022-23 के केंद्रीय बजट में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (वीडीए) से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत के समग्र कर की घोषणा की.
क्रिप्टो रिसर्च एजेंसी क्रेबैको (CREBACO) ने बताया है कि 30% टैक्स लागू होने के बाद पहले दो दिनों में भारतीय एक्सचेंज में इसके वॉल्यूम में लगभग 55% की और डोमेन ट्रैफिक में 40% से अधिक की गिरावट देखी है. यह कई मायनों में इस बात का संकेत है कि भारतीय क्रिप्टो स्पेस नए कर दिशानिर्देशों पर कैसे प्रतिक्रिया दे रहा है.
दूसरी ओर, भारत सरकार ने ग्यारह क्रिप्टो एक्सचेंज से चुकाई नहीं गई जीएसटी के 95.86 करोड़ रुपये (958 मिलियन डॉलर) की वसूली की है. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने कई क्रिप्टो एक्सचेंज जैसे कॉइन डीसीएक्सम बाई यूकॉइन, कॉइन स्विच कुबेर, अनकॉइन और फ्लिटपे (Coin DCX, Buy Ucoin, Coin Switch Kuber, Unocoin , Flitpay) द्वारा बड़े पैमाने पर जीएसटी चोरी का पता लगाया था. हालांकि, ज़ानमाई लैब्स बड़ी चोरी का पता लगा था, जहां वज़ीरएक्स नाम का एक क्रिप्टो एक्सचेंज संचालित होता था.
जीएसटी की वसूली और क्रिप्टो लेनदेन से होने वाली आय पर 30% कर ने भारत में क्रिप्टो टैक्स पर चल रही बहस को बढ़ाया ही है.
30 प्रतिशत कर का नियम 1 अप्रैल, 2022 से प्रभावी हुआ है, लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष (2021-22 की अवधि) के लिए क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन पर भी कर लगाया जाएगा. इसके लिए आयकर अधिनियम, 1961 में एक नई धारा 115 BBH जोड़ी गई है.
वीडीए पर लगे अन्य करों में ट्रांसफर पर एक प्रतिशत टीडीएस, कोई बुनियादी छूट नहीं, किसी नुकसान पर कोई सेट-ऑफ नहीं, होल्डिंग अवधि के बावजूद कोई इंडेक्सेशन लाभ नहीं है और उपहार का लगने वाला टैक्स भी शामिल हैं.
भारत में स्टॉक और इक्विटी फंड से होने वाले लाभ पर 10-15 प्रतिशत और गैर-इक्विटी विकल्प, संपत्ति और सोने पर 20 प्रतिशत या मामूली दर से कर लगाया जाता है. वर्चुअल संपत्तियों पर इतनी ऊंची दर पर टैक्स लगाने को उद्योग के हितधारकों ने आक्रामक कदम माना है.
वीडीए पर लगे नए कर में क्रिप्टो संपत्तियां जैसे बिटकॉइन, डॉगकोइन आदि, नॉन-फंजीबाल टोकन (एनएफटी) और ऐसी कोई भी संपत्ति जो भविष्य में विकसित हो सकती है, शामिल हैं. गौर करने वाली बात यह है कि महज क्रिप्टोकरेंसी परिसंपत्तियों पर भारत मे क्रिप्टोकरेंसी कनुनी तौर पर वैध है या नही टैक्स लगाने से वे भारत में वैध नहीं हो जाते हैं. यहां परिभाषा, कराधान और गणना (computation) जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर स्पष्टता का व्यापक अभाव है.
यहां तक कि कुछ समय पहले भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी केंद्र से यह स्पष्ट करने के लिए कहा था कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार या वर्चुअल डिजिटल मुद्रा वैध है या नहीं.
सरकार ने स्पष्ट किया है कि भारत में वीडीए को विनियमित करने वाला एक कानून पेश किया जाएगा – लेकिन तब जब उनके विनियमन पर वैश्विक सहमति बन जाएगी. सरकार क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में कानून पर काम कर रही है, लेकिन इसे तैयार होने में समय लग सकता है.
क्रेबैको के अनुसार, 105 मिलियन से अधिक लोग, जो भारत की कुल आबादी का 7.90 प्रतिशत है, वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी के मालिक हैं, जिनकी कुल संपत्ति 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है. उच्च कर दर बड़े निवेशकों को प्रभावित नहीं करेगी, जो थे पहले से ही 30 प्रतिशत टैक्स ब्रैकेट में थे लेकिन छोटे निवेशक और छात्र, जो अब तक क्रिप्टो निवेश पर टैक्स फ्री रिटर्न का लाभ ले रहे थे, अब प्रभावित होंगे.
देश के प्रमुख डिस्काउंट स्टॉक ब्रोकर ज़ेरोधा के संस्थापक और सीईओ नितिन कामथ का मानना है कि ‘अन्य टोकन या कटौती के खिलाफ नुकसान को सेट-ऑफ करने के विकल्प के बिना 30% टैक्स टर्नओवर में गिरावट का कारण बन सकता है.’
1 जुलाई 2022 से नफे या नुकसान की स्थिति में किसी रेजिडेंट सेलर द्वारा वीडीए के ट्रांसफर पर एक प्रतिशत कर कटौती (टीडीएस) लागू होगा. हालांकि यह कटौती कुल देयता (liability) के साथ एडजस्ट हो जाती है और टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय बाद में रिफंड का दावा किया जा सकता है. लेकिन हितधारकों की शिकायत है कि प्रावधान लिक्विडिटी को प्रभावित कर रहा है और ऐसे व्यापारी, जो ऐसी संपत्ति की लगातार खरीद-बिक्री में शामिल होते हैं, बड़े पैमाने पर प्रभावित होंगे. उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यापारी एक वर्ष में 300 बार ट्रेड कर रहा है, तो उसकी पूरी पूंजी टीडीएस में लॉक हो सकती है.
इस प्रावधान को विभिन्न कारणों से सबसे अधिक समस्याग्रस्त माना जा रहा है. पूंजी का ऐसे लॉक हो जाना और अनावश्यक अनुपालन आवश्यकताओं को बढ़ाने के अलावा यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि ‘ट्रांसफर’ के दायरे में क्या-क्या आता है.
उल्लेखनीय है कि क्रिप्टो को न केवल खरीदा और बेचा जाता है, बल्कि एयरड्रॉप, फोर्किंग, स्टेकिंग, पी2पी लेंडिंग और वॉलेट ट्रांसफर के माध्यम से भी लेन-देन होता है. इसे वस्तुओं और सेवाओं के बदले भुगतान के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. ऐसे में सरकार को यह स्पष्ट करने की आवश्यकता है कि भारत मे क्रिप्टोकरेंसी कनुनी तौर पर वैध है या नही क्या ट्रांसफर के ये सभी तरीके उन ट्रांसफर जिन पर टीडीएस कटौती लागू होगी, के दायरे में आएंगे.
2022-23 के केंद्रीय बजट में कहा गया है कि टीडीएस काटने और जमा करने की जिम्मेदारी खरीदार पर होगी. हालांकि, खरीदार के पास विक्रेता डेटा जैसे पैन आदि की अनुपलब्धता सरीखी लॉजिस्टिक कठिनाइयों के कारण यह जिम्मेदारी एक्सचेंज पर आ सकती है.
भारत में वीडीए पर टैक्स देते समय अधिग्रहण की लागत को छोड़कर किसी भी व्यय के लिए कोई कटौती की अनुमति नहीं होगी. इसी तरह, ऐसी संपत्ति के ट्रांसफर से लाभ कमाने वाले व्यक्ति पर कर लगाते समय किसी भी छूट पर विचार नहीं किया जाएगा, चाहे उनकी आय या उम्र कुछ भी हो.
हितधारकों ने इन टैक्स प्रावधानों को निवेशकों को हतोत्साहित करने वाला बताया है. ऐसा कहा जा रहा है कि इंडेक्सेशन जैसे उपायों के माध्यम से निवेशकों को इस तरह के निवेश को लंबी अवधि के लिए प्रोत्साहित करने के बजाय सरकार एक प्रतिशत टीडीएस के नियम के जरिये बार-बार व्यापारियों को सजा-सी दे रही है.
ओकेएक्स डॉट कॉम (OKX.com) के सीईओ जय हाओ के अनुसार, ‘क्रिप्टोकरंसी एसेट्स से 30% पर लाभ का कर सभी हितधारकों को समान रूप से खुश नहीं कर सकता है. उच्च कर निवेशकों को क्रिप्टो को निवेश के तरीके के रूप में चुनने के लिए हतोत्साहित कर सकते हैं और इससे भारत में क्रिप्टो परिसंपत्तियों को बड़े पैमाने पर जनता द्वारा अपनाए जाने में भी देरी हो सकती है.’
उद्योग से जुड़े पर्यवेक्षकों को डर है कि भारत मे क्रिप्टोकरेंसी कनुनी तौर पर वैध है या नही भारत मे क्रिप्टोकरेंसी कनुनी तौर पर वैध है या नही इस तरह के कदम से उद्योग या तो अंडरग्राउंड हो जाएगा, या भारत से बाहर थाईलैंड, यूएई और जापान जैसे देशों, जिन्होंने क्रिप्टोकरेंसी हब बनने के लिए अपनी कर दरों को कम कर दिया है, में स्थानांतरित हो जाएगा. डिजिटलीकरण और प्रौद्योगिकी आगे चलकर अर्थव्यवस्था के हर पहलू को परिभाषित करेगी, और यदि भारत सुगम शासन के माध्यम से इस तरह के नवाचारों को अपनाने के लिए अनुकूल माहौल प्रदान नहीं करता है, तो यह प्रमुख व्यवसायों और निवेशों को खो सकता है.
(वैशाली बसु शर्मा रणनीतिक और आर्थिक मसलों की विश्लेषक हैं. उन्होंने नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटरिएट के साथ लगभग एक दशक तक काम किया है.)
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Cryptocurrency पर लगेगा बैन? सरकार का बिल अभी तैयार नहीं, जानें मामले से जुड़े लोगों ने क्या कहा..
Cryptocurrency Bill को लेकर सरकार ने लोकसभा की वेबसाइट पर नोटिफिकेशन में कहा है कि बिल भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने का प्रयास कर रहा है, लेकिन कुछ अपवादों को क्रिप्टोकरेंसी और इसके उपयोग की अंतर्निहित तकनीक को बढ़ावा देने की अनुमति देगा.
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भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर तरह-तरह की खबरें सामने आ रही हैं. केंद्र सरकार के सख्त रुख के बाद क्रिप्टो मार्केट में गिरावट भी देखने को मिली है. अब मामले से जुड़े लोगों ने बताया है कि भारत छोटे निवेशकों की सुरक्षा करते हुए क्रिप्टोकरेंसी को वित्तीय संपत्ति (Cryptocurrency as an asset) के रूप में मानने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है. ब्लूमबर्ग के मुताबिक भारत में क्रिप्टो को लेकर उथल-पुथल तब से है जब से यह खबर आई है कि क्रिप्टो को लेकर अधिकारी एक विधेयक को अंतिम रूप देने में लगे हैं. जिसे केंद्र सरकार 29 नवंबर से शुरू होने वाले सत्र में पेश कर सकती है. पहचान छिपाने की शर्त पर इससे जुड़े लोगों ने बताया कि क्रिप्टो को वैध करेंसी मान्यता नहीं दी जाएगी. लेकिन डिजिटल मुद्रा के भारत मे क्रिप्टोकरेंसी कनुनी तौर पर वैध है या नही रूप में इसमें निवेश हो सकेगा, उसके लिए भी न्यूनतम राशि निर्धारित की जा सकती है.
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सरकार ने लोकसभा की वेबसाइट पर मंगलवार की देर रात एक नोटिफिकेशन में कहा था कि बिल भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने का प्रयास कर रहा है, लेकिन कुछ अपवादों को क्रिप्टोकरेंसी और इसके उपयोग की अंतर्निहित तकनीक को बढ़ावा देने की अनुमति देगा.
अनिश्चितता ने बुधवार को Shiba Inu और Dogecoin को बहुत नीचे ढकेल दिया. भारत के प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों में से एक, WazirX प्लेटफॉर्म पर ट्रेडिंग में 20% से अधिक नीचे थे. वे Binance या Kraken जैसे ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर बहुत कम प्रभावित हुए.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) डिजिटल मुद्राओं पर पूर्ण प्रतिबंध चाहता है क्योंकि केंद्रीय बैंक को लगता है कि यह देश की व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता को प्रभावित कर सकता है. जबकि सरकार अगले बजट में क्रिप्टोकरेंसी से लाभ पर कर लगाने पर विचार कर रही है, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले हफ्ते कहा था कि देश को इस मुद्दे पर बहुत गहन चर्चा की जरूरत है.
लोगों ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय इस मुद्दे पर सक्रियता से विचार कर रहा है और विधेयक की विषय-वस्तु को अंतिम रूप देने के बाद इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट के पास ले जाया जाएगा.
इस महीने की शुरुआत में, पीएम मोदी ने क्रिप्टोकरेंसी पर एक बैठक की थी, जिसके बाद अधिकारियों ने कहा कि भारत अनियमित क्रिप्टो बाजारों को मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग का रास्ता नहीं बनने देगा.