बांड में निवेश

सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड
सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड एक सरकारी प्रतिभूति है जो कि सोने के ग्राम मूल्यवर्ग में उपलब्ध है. यह भौतिक सोना का एक विकल्प है. स्कीम खुलने पर निवेशक इन बॉन्ड्स में निवेश करते हैं और इसे परिपक्वता पर भुनाया जाता है. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा भारत सरकार की ओर से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स योजना का प्रबंधन किया जाता है.
बैंक ऑफ़ बड़ौदा अपने ग्राहकों को देश की सभी शाखाओं के माध्यम से सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड योजना में निवेश करने का अवसर प्रदान करता है.
सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड : सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड लाभ
- डिमैट प्रारुप में धारित गोल्ड बॉण्ड
- भौतिक रुप से सोने को रखने का कोई झंझट नहीं
- रिडेम्पशन पर कोई कैपिटल गेन बांड में निवेश टैक्स नहीं
- ऑनलाइन निवेशकों के लिए छूट
- ऋण के लिए संपार्श्विक के रूप में प्रयोग किया जा सकता है
- रिडेम्पसन (मोचन) सोने के प्रचलित मूल्य से संबद्ध
सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड : सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड विशेषताएं
न्यूनतम और अधिकतम निवेश :
इस बॉन्ड में किया जाने वाला न्यूनतम निवेश 1 ग्राम है. प्रत्येक व्यक्ति या हिन्दू अविभक्त परिवार (HUF) ऐसे बॉन्ड में प्रत्येक वर्ष अधिकतम 4 किलोग्राम तक सोना रख सकता है. ट्रस्टों, धर्मार्थ संस्थानों के लिए, अधिकतम सीमा 20 किलोग्राम है.
निश्चित ब्याज दर :
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर 2.5% वार्षिक की दर से ब्याज अर्जित होता है जिसका भुगतान अर्ध वार्षिक आधार पर किया जाएगा.
कीमतों में पारदर्शिता :
गोल्ड बॉन्ड की कीमतें पारदर्शी होती है क्योंकि वे बाजार में सोने की कीमतों से संबद्ध होती हैं.
निकास विकल्प :
बॉन्ड जारी होने की तारीख के 5 वें वर्ष के बाद निवेशकों के लिए एक निकास विकल्प है. इसकी चुकौती ब्याज भुगतान की अगली तिथि पर की जाएगी.
संयुक्त धारकों और नामितियों की अनुमति है:
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड निवेशकों को संयुक्त धारक और नामिति रखने का विकल्प देता है.
स्टॉक एक्सचेंज में व्यापार किए गए बॉन्ड:
डीमैट रूप में धारित बॉन्ड स्टॉक एक्सचेंजों पर कारोबार के लिए पात्र होंगे.
भुगतान का प्रकार
भारत में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के भुगतान के लिए नकद, मांग ड्राफ्ट, चेक अथवा इंटरनेट बैंकिंग जैसे माध्यम स्वीकार्य है. तथापि, नकदी रु. 20,000/- तक ही स्वीकार की जाएगी.
सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड : सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड 2022-23
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना 2022-23 (सिरीज - I ) : 20 जून 2022 से 24 जून, 2022 तक
एसजीबी - सिरीज - 2022-23-सिरीज I के लिए निर्गम मूल्य रू. 5,091/- प्रति ग्राम है और भारत सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक के परामर्श से ऑनलाइन आवेदन करने वाले निवेशकों के लिए नाममात्र मूल्य से कम अर्थात इस मूल्य पर रू. 50/- प्रति ग्राम की छूट देने का निर्णय लिया है. ऐसे निवेशकों के लिए निर्गम मूल्य रू. 5,041 प्रति ग्राम होगा.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना 2022-23 (सिरीज -II) 22nd अगस्त 2022 to 26th अगस्त, 2022.
एसजीबी - सिरीज - 2022-23-सिरीज II के लिए निर्गम मूल्य रू. 5,197/- प्रति ग्राम है और भारत सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक के परामर्श से ऑनलाइन आवेदन करने वाले निवेशकों के लिए नाममात्र मूल्य से कम अर्थात इस मूल्य पर रू. 50/- प्रति ग्राम की छूट देने का निर्णय लिया है. ऐसे निवेशकों के लिए बांड में निवेश बांड में निवेश निर्गम मूल्य रू. 5,147 प्रति ग्राम होगा.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड 2022-23, सिरीज I, II
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा की गई घोषणा के अनुसार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, ट्रेंच I एवं II की अनुसूची निम्न अनुसार है. इसके प्रावधानों के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा पूर्व सूचना देकर नीचे दर्शायी गई अवधि से पहले इस योजना को बंद किया जा सकता है.
क्र.सं. | ट्रेंच | अभिदान की तारीख | निर्गम तारीख |
---|---|---|---|
1 | 2022-23- सिरीज I | 20 - 24 जून, 2022 | 28 जून, 2022 |
2 | 2022-23 सिरीज II | 22 - 26 अगस्त, 2022 | 30 अगस्त, 2022 |
निवेश के लिए पात्रता
इस योजना के तहत गोल्ड बॉन्ड्स किसी न्यास, एचयूएफ, चैरिटेबल संस्थान, यूनिवर्सिटी या भारत में रहने वाले किसी व्यक्ति की या नाबालिग बच्चे के लिए अथवा किसी अन्य व्यक्ति के साथ संयुक्त रूप से लिया जा सकता है.
प्रतिभूति का स्वरूप
यह गोल्ड बॉन्ड्स फॉर्म 'सी' में विनिर्दिष्ट स्टॉक बांड में निवेश सर्टिफिकेट के रूप में जारी किए जाएंगे.
यह गोल्ड बॉन्ड्स डीमैट स्वरूप में परिवर्तित किए जाने के लिए पात्र होंगे.
आवेदन
शाखाओं द्वारा अभिदान हेतु निर्धारित सप्ताहों में सामान्य बैंकिंग कार्यावधि के दौरान निवेशकों से आवेदन प्राप्त किए जाएंगे.
निर्गम की तारीख
जारी करने की तारीख उपर्युक्त उल्लिखित विवरण के अनुसार होगी.
मूल्यवर्ग
बॉण्ड का मूल्यवर्ग (डिनॉमिनेशन) एक ग्राम सोना और इसके गुणकों में होगा. बॉण्ड में निवेश की न्यूनतम सीमा एक ग्राम होगी तथा अधिकतम अभिदान सीमा प्रति वित्त वर्ष (अप्रैल–मार्च) व्यक्तियों के लिए 4 किलोग्राम, हिन्दू अविभक्त परिवार(एचयूएफ़) के लिए 4 किलोग्राम और न्यास (ट्रस्ट) और इस तरह की संस्थाएं जो भारत सरकार द्वारा समय-समय पर जारी अधिसूचना के अनुसार होगी, के लिए 20 किलोग्राम होगी.
बॉण्ड के अंकित मूल्य पर निर्गम जारी करने की तारीख से प्रति वर्ष 2.5 % की दर (स्थायी दर) से ब्याज का भुगतान किया जाएगा. ब्याज छमाही आधार पर दिया जाएगा तथा अंतिम ब्याज परिपक्वता पर मूलधन के साथ देय होगा.
भुगतान
बॉण्ड जारी होने की तारीख से आठ वर्षों के बाद देय होगा. बॉण्ड के परिपक्वता पूर्व भुगतान की अनुमति इसके जारी होने की तारीख से पांचवे वर्ष से होगी तथा ऐसा भुगतान अगले ब्याज भुगतान की तारीख को किया जाएगा.
बॉण्ड का भुगतान मूल्य भारतीय रुपये में निर्धारित किया जाएगा जो भुगतान की तारीख से पिछले सप्ताह में भारतीय बुलियन एवं ज्वेलर्स संघ लिमिटेड द्वारा अंतिम तीन कार्यदिवस हेतु 999 मार्क शुद्ध सोने के लिए जारी बाजार बंद होने के समय के भाव के साधारण औसत मूल्य पर आधारित होगा.
आरबीआई/ डिपॉजिटरी द्वारा गोल्ड बॉण्ड की परिपक्वता से एक माह पहले निवेशक को परिपक्वता तारीख की सूचना दी जाएगी.
*सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स के एवज में ऋण ऋणदाता बैंक / संस्था के निर्णय के अधीन होगा और यह स्वर्ण गोल्ड बांड धारक के अधिकार के रूप में नहीं माना जाएगा.
कर उपाय
बॉण्ड से अर्जित ब्याज आयकर अधिनियम, 1961 (43 of 1961). के प्रावधानों के अनुसार करयोग्य होगा. व्यक्तियों को स्वर्ण गोल्ड बांड के भुगतान से अर्जित होने वाले पूंजीगत लाभ पर कर में छूट प्राप्त है. बॉण्ड के हस्तांतरण से किसी को प्राप्त दीर्घावधि पूंजीगत अभिलाभ पर सूचकांक लाभ (इन्डेक्सेशन बेनिफिट) प्रदान दिया जाएगा.
संयुक्त धारिता एवं नामांकन
इसमें संयुक्तधारकों तथा नामितियों की (पहले धारक की) अनुमति है. संयुक्त धारिता के मामले में, -4- किलोग्राम की निवेश सीमा केवल प्रथम आवेदक पर लागू होगी.
नामांकन एवं इसका निरस्तीकरण क्रमश: फॉर्म ‘डी’ एवं ‘ई’ में किया जाना चाहिए.
किसी अनिवासी भारतीय को उसके नाम पर किसी मृत निवेशक का नामिति होने पर उसके नाम अंतरित प्रतिभूति मिल सकती है, बशर्तें कि:
- अनिवासी निवेशक द्वारा निर्धारित समय से पूर्व भुगतान कराने या इसकी परिपक्वता तक प्रतिभूति को धारण आवश्यक होगा; तथा
- निवेश की ब्याज और परिपक्वता की प्राप्तियां प्रत्यावर्तनीय नहीं होगी.
हस्तांतरणीयता
स्टॉक सर्टिफिकेट के रूप में जारी बॉन्ड्स फार्म ‘एफ’ के अनुसार लिखत (इंस्टूमेंट) के निष्पादन द्वारा हस्तांतरणीय होंगे.
ट्रेडिंग योग्यता
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित तारीख से बॉण्ड ट्रेडिंग के लिए पात्र होगा. (यह नोट किया जाए कि डिपॉजिटरी के साथ केवल डीमैट फॉर्म में रखे गए बॉन्ड्स की ही शेयर बाज़ार में खरीद-बिक्री की जा सकती है).
अपने ग्राहक को जानिए (केवायसी) आवश्यकताएं
प्रत्येक आवेदन आयकर विभाग द्वारा निवेशकों (व्यक्तियों और अन्य संस्थाओं) को जारी किए गए 'पैन विवरण' के साथ होना चाहिए. केवाईसी दस्तावेज जैसे मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड / पैन या टैन / पासपोर्ट आवश्यक होगा.
निरस्तीकरण
निर्गम के बंद होने तक अर्थात् सब्स्क्रिप्शन के विशिष्ट सप्ताह के दौरान के शुक्रवार तक आवेदन के निरस्तीकरण की अनुमति होगी. गोल्ड बॉन्ड्स खरीदने के लिए प्रस्तुत आवेदन के आंशिक निरस्तीकरण की अनुमति नहीं होगी.
ग्रहणाधिकार चिन्हित करना
इन बॉन्ड्स के सरकारी प्रतिभूति होने के कारण, ग्रहणाधिकार अंकन आदि सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006 के मौजूदा नियम एवं कानूनी प्रावधानों के अनुसार होगा.
भारत में बैंक ऑफ़ बड़ौदा की सभी शाखाएँ स्वर्ण गोल्ड बांड जारी करने के लिए अधिकृत हैं.
सरकारी बॉन्ड में कैसे निवेश कर सकता है आम आदमी, खून-पसीने की कमाई को कितनी सुरक्षा देगी सरकार
निवेश की सुरक्षा की बात करें तो आपका पैसा सरकार के पास होगा और ऐसे में आपके पैसों को निवेश के लिए सरकार से से पुख्ता सुरक्षा और कोई नहीं दे सकता.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: सुनील चौरसिया
Updated on: Nov 15, 2021 बांड में निवेश | 6:58 PM
मौजूदा समय में आम आदमी के पास निवेश के लिए कई विकल्प मौजूद हैं. हालांकि, कई बार लोगों के लिए सुरक्षित निवेश का विकल्प चुनना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. आम जनता के हितों को बांड में निवेश ध्यान में रखते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अभी हाल ही में आम जनता के लिए रिटेल डायरेक्ट स्कीम की शुरुआत की है, जिसमें देश का आम आदमी भी आसानी से सुरक्षित निवेश कर सकेगा. इस योजना के तहत देश का छोटे-से-छोटा निवेशक भी सरकारी सिक्योरिटीज या बॉन्ड में निवेश कर सकता है.
फिक्स्ड डिपॉजिट के मुकाबले मिलेगा ज्यादा ब्याज
देश का आम आदमी अपने पैसों को सुरक्षित निवेश करने के लिए बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट पर सबसे ज्यादा भरोसा करता है, जहां उसे एक निश्चित ब्याज दर के साथ तय समय पर पूरी रकम मिल जाती है. इसके अलावा देश के छोटे निवेशकों को इन बैंकों पर भरोसा भी रहता है. ऐसे में सरकार ने आम निवेशकों के लिए निवेश का दायरा बढ़ा दिया है. सरकार की इस योजना के तहत निवेशकों को सामान्य फिक्स्ड डिपॉजिट के मुकाबले ज्यादा ब्याज दर मिलेगा. निवेश की सुरक्षा की बात करें तो आपका पैसा सरकार के पास होगा और ऐसे में आपके पैसों को निवेश के लिए सरकार से से पुख्ता सुरक्षा और कोई नहीं दे सकता.
निवेश करने के लिए लोगों को मिलेंगे ये 4 विकल्प
सरकारी की इस योजना के तहत निवेशकों को 4 विकल्प मिलेंगे. इन 4 विकल्पों में ट्रेजेरी बिल्स (ये केंद्र सरकार के बॉन्ड होंगे, जिन्हें 91 दिनों से एक साल तक के लिए जारी किया जाएगा), डेटेड गवर्नमेंट बॉन्ड (ये केंद्र सरकार के बॉन्ड होंगे, जिन्हें एक साल से लंबी अवधि के लिए जारी किया जाएगा), स्टेट डेवलपमेंट लोन (राज्य सरकार के बॉन्ड) और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड. बताते चलें कि सरकारी बॉन्ड में निवेश करने के लिए आपको RDG अकाउंट खोलना होगा और रिजर्व बैंक के पोर्टल पर जाकर बॉन्ड खरीदना होगा. इसके साथ ही मुनाफा देखकर आप उन्हें इसी पोर्टल पर बेच भी सकते हैं.
क्या होते हैं सरकारी बॉन्ड
कोई भी सरकार या कंपनी रकम जुटाने के लिए बॉन्ड जारी करती है. इसके लिए सरकार निवेशकों को उस रकम के लिए निश्चित ब्याज और आपके पैसे की सुरक्षा की पूरी गारंटी देती है. निवेशकों से बॉन्ड के बदले मिलने वाली रकम को सरकार आम जनता के लिए शुरू की गई योजनाओं पर खर्च करती है.
खुदरा निवेशकों के लिए बांड को आकर्षक निवेश विकल्प बना रहा है यह स्टार्टअप
Bonds India ने खुदरा निवेशकों के लिए बांड बाजार में आसानी से भाग लेने के लिए एक टेक प्लेटफॉर्म बनाया है। बांड बाजार में फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में अधिक रिटर्न जेनरेट करने की क्षमता के साथ, बहुत ज्यादा खरीदार नहीं थे।
एक खुदरा निवेशक के लिए पारंपरिक निवेश के रास्ते फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी), म्यूचुअल फंड या स्टॉक बांड में निवेश के इर्द-गिर्द घूमते हैं। लेकिन टेक-सक्षम वित्तीय सेवा स्टार्टअप Bonds India उन्हें एक और समान रूप से पुरस्कृत विकल्प - बांड दिखाने के लिए उत्सुक है। फरवरी 2020 में अंकित गुप्ता और पुनीत अग्रवाल द्वारा स्थापित, दिल्ली स्थित स्टार्टअप खुदरा निवेशकों को बॉन्ड की दुनिया से परिचित कराने और उन्हें यह दिखाने का इच्छुक है कि कोई फिक्स्ड डिपॉजिट यानी सावधि जमा (FD) की तुलना में अधिक रिटर्न कैसे उत्पन्न कर सकता है।
बॉन्ड विभिन्न फॉर्मैट्स में आते हैं जैसे सरकारी प्रतिभूतियां, सार्वजनिक क्षेत्र के बॉन्ड, कॉरपोरेट बॉन्ड आदि। इस बाजार में मुख्य रूप से ऐसे निवेशक हैं जो एचएनआई, कॉरपोरेट और संस्थान श्रेणियों से संबंधित हैं।
अंकित कहते हैं, "एफडी की तुलना में बॉन्ड एक बेहतर विकल्प है क्योंकि इसमें उच्च उपज, बेहतर मुनाफे जैसे फायदे हैं और यह सुरक्षित भी है।"
हालांकि, अंकित और पुनीत दोनों ने जो सबसे बड़ी चुनौती देखी, वह थी खुदरा निवेशकों द्वारा बांड बाजार के बारे में जागरूकता की कमी।
जैसा कि पुनीत कहते हैं, "एक खुदरा निवेशक को यह नहीं पता होता है कि इन बांडों को कहां से खरीदना या बेचना है।"
यात्रा और चुनौतियां
बॉन्ड्स इंडिया के संस्थापक लगभग दो दशकों से वित्तीय सेवा उद्योग से जुड़े हुए हैं। अंकित एक चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं और पुनीत एक निवेश बैंकिंग पेशेवर हैं।
यह महसूस करते हुए कि पूरे बांड बाजारों में निवेशकों के बीच जागरूकता की कमी है, संस्थापकों ने कई मोर्चों पर बांड में निवेश काम करना शुरू कर दिया, जिसमें नियामकों, स्टॉक एक्सचेंजों के साथ बातचीत, एक तकनीकी मंच बनाना और इस खंड के बारे में जानकारी का प्रसार करना शामिल था।
बॉन्ड इंडिया ने जिन प्रमुख चुनौतियों को देखा, जो खुदरा निवेशकों की उच्च भागीदारी में बाधा थीं, वे बाजार की पहुंच के साथ-साथ स्पष्टता की कमी थी। बांड बाजार में भाग लेने वाले खुदरा निवेशकों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित नहीं कर रहे थे क्योंकि उन्हें लगा कि वे अपना पैसा निवेश करने के इच्छुक नहीं होंगे।
दूसरी ओर, सरकारी प्रतिभूतियों जैसे बॉन्ड इंस्ट्रूमेंट्स 6.5 प्रतिशत की आय अर्जित करते हैं, जबकि कॉरपोरेट सेगमेंट से आपको 9 से 12 प्रतिशत के बीच कुछ भी रिटर्न मिल सकता है। रिटर्न पारंपरिक FD की तुलना में अधिक है।
पुनीत कहते हैं, "बड़ी चुनौती एक ऐसा टेक प्लेटफॉर्म बनाना था, जो स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग के समान हो, जहां कोई अपने घर बैठे निवेश शुरू कर सके।"
दूसरी चुनौती यह थी कि निवेशक बॉन्ड से संबंधित सभी डेटा सिंगल सोर्स से हासिल नहीं कर सकते थे - चाहे वह बॉन्ड की कीमत से संबंधित हो, जो रिटर्न प्रदान करेगा, या ये कि वे कैसा परफॉर्म कर रहे हैं।
अंकित कहते हैं, 'निवेशकों के बीच यह धारणा है कि शेयर बाजार में ट्रेडिंग आसान है जबकि बॉन्ड मुश्किल है।'
अंत में, बांड बाजार की लिक्विडिटी के आसपास भी चुनौती थी क्योंकि ये इंस्ट्रूमेंट आमतौर पर मैच्योरिटी प्रोडक्ट्स की तरह काम करते हैं और खुदरा निवेशक आशंकित थे कि क्या उन्हें स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग की तरह अपना पैसा जल्दी मिल सकता है।
प्रोडक्ट ऑफरिंग और रेवेन्यू
बांड्स इंडिया ने इन समस्याओं को व्यवस्थित तरीके से हल किया। इसने सबसे पहले एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) संचालित टेक प्लेटफॉर्म बनाया, जिसने निवेशकों को आसानी से ऑनबोर्डिंग करने में सक्षम बनाया - चाहे वह उनकी केवाईसी आवश्यकता हो, खाता खोलना या इन इंस्ट्रूमेंट्स में ट्रेडिंग करना। दूसरे, इसने बांड बाजार के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कई वेबिनार आयोजित किए।
पुनीत कहते हैं, "हमने अपने संचालन के केंद्र में तकनीक को रखा, जो खुदरा निवेशकों की सभी समस्याओं को वास्तविक समय में हल कर सकता था।"
बॉन्ड्स इंडिया ने बॉन्ड उत्पादों की एक क्यूरेटेड लिस्ट भी बनाई है जिसे एक निवेशक खरीद या व्यापार कर सकता है और यह एक सतत प्रक्रिया है क्योंकि यह एक विशाल बाजार है।
आज, बॉन्ड्स इंडिया प्राथमिक और द्वितीयक बाजार, पीएसयू मुद्दों, कॉर्पोरेट एफडी और सरकारी प्रतिभूतियों जैसे बॉन्ड के सभी प्रकार के निश्चित आय साधन प्रदान करता है।
स्टार्टअप ने सितंबर 2021 में अपनी पेशकश शुरू की और इसे पहले ही 20,000 रजिस्टर्ड यूजर मिल चुके हैं, जिनका कारोबार लगभग 1,000 करोड़ रुपये है। पुनीत के अनुसार, बॉन्ड्स इंडिया खुदरा निवेशक के लिए संपूर्ण एंड-टू-एंड सेवाएं प्रदान करता है, और प्लेटफॉर्म 24/7 उपलब्ध है। अंकित का कहना है कि संस्थान अब महसूस कर रहे हैं कि खुदरा निवेशक बाजार में बड़े भागीदार हो सकते हैं।
मार्केट और बिजनेस मॉडल
बांड्स इंडिया तीन तरह से रेवेन्यू उत्पन्न करता है - एक आईपीओ बांड जारी करने की फीस है; दूसरे, यह अपनी बुक्स पर कुछ बांड रखता है जहां यह ब्याज प्रसार पर कमाता है; और अंत में, यह उन उत्पादों को सोर्स कर सकता है जो उस प्लेटफॉर्म पर नहीं हैं जहां यह एक निश्चित आय अर्जित करता है।
संस्थापकों का दावा है कि यह ग्राहकों को जोड़ने के टिकाऊ ऑर्गेनिक ग्रोथ के साथ अपने संचालन को एक स्थायी तरीके से चलाने में सक्षम है।
भारत में बांड या ऋण बाजार काफी बड़ा है, जिसमें सबसे बड़ा घटक सरकार का है जो आकार में $1 ट्रिलियन है जबकि अन्य कॉरपोरेट, पीएसयू आदि हैं।
बॉन्ड्स इंडिया अगले 18 महीनों में 2.5-3 लाख क्लाइंट जोड़ने और कुल कारोबार को 2,000-2,500 करोड़ रुपये के दायरे में ले जाने की योजना बना रहा है ।
प्रतिस्पर्धी मोर्चे पर, बाजार में गोल्डनपी, द फिक्स्ड इनकम जैसे अन्य खिलाड़ी हैं जो समान सेवाएं प्रदान करते हैं, लेकिन बॉन्ड्स इंडिया का दावा है कि यह अपने ग्राहकों के लिए सेवाओं की पूरी श्रृंखला प्रदान करके अलग खड़ा है।
अंकित के मुताबिक, देश में 1.6 लाख करोड़ रुपये की FD बकाया है और अगर इस रकम का एक छोटा सा हिस्सा भी बॉन्ड मार्केट में आता है, तो इससे काफी फर्क पड़ेगा।
पुनीत कहते हैं, "हम अभी भी बाजार के शुरुआती चरण में हैं और खुदरा निवेशकों को बॉन्ड सेगमेंट को समझने में कुछ समय लगेगा।"
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फ्लोटिंग दर बचत बॉण्ड
भारत सरकार ने फ्लोटिंग दर बचत बॉण्ड, 2020 (कर योग्य) के शुभारंभ की घोषणा की है. बैंक ऑफ बड़ौदा की 93 शाखाओं को इस योजना के अंतर्गत सदस्यता हेतु अधिकृत किया गया है. इन शाखाओं की विस्तृत सूची देखने के लिए यहां क्लिक करें.
- निवेश के लिए पात्रता :
- भारत में रहने वाले व्यक्ति, उनकी व्यक्तिगत सामर्थ्य के अनुसार, अथवा संयुक्त रूप से व्यक्तिगत सामर्थ्य के अनुसार अथवा या किसी एक या उत्तरजीवी आधार पर व्यक्तिगत सामर्थ्य के अनुसार अथवा माता/पिता / कानूनी अभिभावक के रूप में नाबालिग की ओर से
- हिंदू अविभाजित परिवार
- सॉवरेन गोल्ड बांड डीमैट और पेपर दोनों रूपों में उपलब्ध होंगे।
- बांड की न्यूनतम अवधि 5 से 7 साल होगी जहां यूनिट को कभी भी लिक्विडेटेड किया जा सकेगा।
- इन पर निवेश की गई पूंजी और बांड के लिए घोषित ब्याज दर और जमा (अक्रूड) दोनों पर सॉवरेन गारंटी होगी।
- हालांकि बांड को कर्ज के लिए जमानत के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
- इसके अलावा, यदि किसी निवेशक की इच्छा जल्दी बाहर निकल जाने की है तो बदले में बांड को एक्सचेंजों में बेचने की अनुमति होगी।
- सॉवरेन गोल्ड बांड में कैपिटल गेन्स टैक्स ट्रीटमेंट वही होगा जो फिजिकल गोल्ड के मामले में एक ‘व्यक्तिगत’ निवेशक के लिए होता है। राजस्व विभाग का कहना है कि अगर परिपक्व होने के पहले ही बांड को ट्रांसफर कर दिया जाता है तो वे इनडेक्सेशन बेनिफिट पर विचार करेंगे और भुगतान करते समय कैपिटल गेन टैक्स एक्जेम्पसन को पूरा करेंगे।
यह बॉण्ड निम्न लोगों द्वारा लिया जा सकता है :-
बांड की ब्याज दर 1 जनवरी, 2021 से शुरू करते हुए अर्धवार्षिक (कूपन भुगतान तिथि के साथ संबद्ध) रूप से रिसेट की जाएगी एवं तत्पश्चात संबंधित एनएससी दर से (+) 35 बीपीएस के विस्तार सहित प्रत्येक 1 जुलाई एवं 1 जनवरी को और लागू राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी) की दर से संबद्ध होगी / आंकी जाएगी.
दिनांक 01 जनवरी, 2022 से 30 जून, 2022 की अवधि के लिए और दिनांक 01 जुलाई, 2022 को देय एफआरएसबी 2020 (टी) की कूपन दर 7.15%, (6.80% + 0.35% = 7.15%) पिछले छमाही से अपरिवर्तित है.
बाण्ड धारक की मृत्यु हो जाने पर किसी निवेशक के लेजर खाते (बीएलए) में जमा किए गए बॉन्ड इसके नामिती(यों) के कानूनी उत्तराधिकारी के अतिरिक्त किसी के लिए भी हस्तांतरणीय नहीं होंगे.
बॉण्ड पर ब्याज (30 जून और 31 दिसंबर तक के) का भुगतान छमाही अंतराल पर किया जाएगा.
समय-समय पर बांड पर ब्याज का भुगतान करते समय स्रोत पर कर कटौती की जाएगी और इसे सरकारी खाते में जमा किया जाएगा.
यह बॉन्ड द्वितीयक बाजार में कारोबार योग्य नहीं होंगे तथा बैंकों, वित्तीय संस्थानों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से ऋण प्राप्त करने हेतु संपार्श्विक के रूप में पात्र नहीं होंगे.
बॉण्ड जारी होने की तारीख से 7 (सात) वर्ष की समाप्ति पर इसकी अदायगी हो जाएगी.
60 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तिगत निवेशकों को परिपक्वता पूर्व भुगतान की अनुमति होगी.
बांड में निवेश
सॉवरेन बांड में निवेश गोल्ड बांड
स्कीम कैसे काम करेगी?
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) गोल्ड बांड जारी करेगा। चूंकि ये भारत सरकार के बांड हैं, इसलिए इन पर सॉवरेन गारंटी है, यानी सबसे अधिक सुरक्षित हैं। बांड ग्राम गोल्ड में नामित किए जाएंगे। सॉवरेन गोल्ड बांड स्कीम को साल 2015-16 और उसके बाद की अवधि के लिए सरकार के बाजार उधारी प्रोग्राम के अनुसार जारी किया जाएगा। रिजर्व बैंक वित्त मंत्रालय के साथ राय-मशविरा करके जारी की जाने वाली वास्तविक राशि का निर्धारण करेगा। गोल्ड की कीमतों में आने वाले उतार-चढ़ाव से जुड़े खतरे को निर्माणाधीन गोल्ड रिजर्व फंड वहन करेगा। सरकार को होने वाला लाभ उधार की लागत में कमी के रूप में होगा, जिसे गोल्ड रिजर्व फंड में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
लागत: फिजिकल गोल्ड को खरीदने का शुरुआती खर्च 25 प्रतिशत तक हो सकता है। सॉवरेन गोल्ड बांड के मामले में कोई भी एंट्री चार्ज नहीं होगा और यहां तक कि फंड मैनेजमेंट खर्च भी नहीं होगा। जारी करने वाली एजेंसी की ओर से जिस वितरण खर्च और इंटरमीडिएट चैनल को सेल्स कमीशन का भुगतान किया जाएगा उसकी भी बाद में सरकार की ओर से भरपाई कर दी जाएगी।
ब्याज दर: सॉवरेन गोल्ड बांड के लिए सरकार जिस ब्याज दर के साथ बांड जारी करेगी और उसका निर्धारण खुद सरकार ही करेगी। ब्याज दर का निर्धारण करते समय घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थितियों को ध्यान में रखा जाएगा और यहां एक ट्रांच (किस्त) दूसरे से अलग हो सकता है। निवेश करते समय गोल्ड की जो कीमत होगी, ब्याज दर का निर्धारण उसके अनुसार होगा। ब्याज की दर फैसले के मुताबिक या तो फिक्स्ड होगी या फ्लोटिंग। गोल्ड की कीमत पहले से तय रेफरेन्स रेट से निकाली जा सकती है और रुपया समतुल्य राशि (रूपी इक्वीवैलेंट अमाउंट) को जारी किए जाने और भुगतान होने पर आरबीआई रेफरेन्स रेट के अनुसार कन्वर्ट किया जा सकता है। इस रेट को जारी करने, रिडेम्पशन और एलटीवी उद्देश्य और कर्ज अदायगी के लिए उपयोग किया जाएगा।
सीमा: सॉवरेन गोल्ड बांड 5, 10, 50, 100 ग्राम गोल्ड या दूसरे रूप में जारी किए जाएंगे, और इसकी सीमा प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति 500 ग्राम होगी। सॉवरेन गोल्ड बांड को रुपये के रूप में भुगतान किए जाने पर जारी किया जाएगा और इसे ग्राम गोल्ड में नामित किया जाएगा। बांड को भारत के निवासियों या संस्थाओं द्वारा खरीदा सकता है और इसकी अधिकतम सीमा 500 ग्राम है।
निवेश कैसे करें?
बांड जारी करने वाली एजेसियों में नामित बैंक, एनबीएफसी, पोस्ट ऑफिस, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) एजेंट और अन्य, जिन्हें भी बैंक निर्दिष्ट करेगा, शामिल किए गए हैं। ये निवेश जुटाने के लिए अधिकृत होंगे और ये सरकार की ओर से बांड का भुगतान (रिडीम) भी कर सकेंगे।
क्या यह मेरे लिए है?
मैं इसे कैसे रिडीम कर सकता हूं?
मेच्योर होने पर इसका रिडेम्पशन केवल रुपयों में होगा। बांड पर ब्याज दर की गणना निवेश करते समय गोल्ड की वैल्यू के हिसाब से की जाएगी। निवेश की मूल राशि, जिसे ग्राम गोल्ड में निर्दिष्ट किया जाएगा, का भुगतान (रिडीम) उस समय की गोल्ड कीमत के हिसाब बांड में निवेश से किया जाएगा। अगर गोल्ड की कीमत निवेश करते समय जो कीमत थी, उससे कम हो गई होती है, या किसी दूसरे कारण से कम होती है, तो डिपॉजिटर को बांड को तीन या इससे अधिक साल के लिए बांड का समय बढ़ाने का विकल्प दिया जाएगा। याद रखें, कीमत के बढ़ने से फायदा और गिरने से हानि से जुड़े खतरे निवेशक को उठाने होंगे और इसलिए निवेशक को गोल्ड की कीमतों में उतार-चढ़ाव की जानकारी रखनी होगी।