फिएट मनी के फायदे

2. जब किसी देश की अर्थव्यवस्था मंदी का सामना करती है, या लोगों का सरकार पर से फिएट मनी के फायदे विश्वास उठ जाता है, तो फिएट करेंसी का मूल्य शून्य हो सकता है।
3.फिएट करेंसी का उत्पादन या प्रिंट करने की शक्ति सरकार के पास होती है। इसलिए यह नागरिकों की क्रय शक्ति को चुरा सकती है, भले ही वे करों के भुगतान से इन्कार कर दें।
क्रिप्टोकुरेंसी और संघीय मुद्रा में क्या अंतर है?
हिंदी
क्रिप्टोक्यूरेंसी मुद्रा ( संपत्ति ) का एक डिजिटल या आभासी रूप है , जो क्रिप्टोग्राफी से घिरा हुआ एक नेटवर्क है जो बड़ी संख्या में कंप्यूटरों में वितरित किया जाता है जिसे नकली या दोहरा खर्च करना लगभग असंभव हो जाता है। मूल रूप से , यह एक ऐसी व्यवस्था है जो ऑनलाइन सुरक्षित भुगतान की अनुमति देती है जिसे आभासी टोकन के संदर्भ में दर्शाया गया है।
जो ब्लॉकचेन तकनीक का समर्थन करते हैं यह उसी विकेंद्रीकृत नेटवर्क पर काम करता है , सूचना को एक से अधिक तरीके से रिकॉर्ड करने की एक प्रणाली है , फिएट मनी के फायदे जो सिस्टम को बदलना या धोखा देना बहुत मुश्किल या असंभव बनाती है। यह संरचना उन्हें सरकारों और नियामक प्राधिकरणों के नियंत्रण से बाहर रहनेहोने की अनुमति देती है।
क्रिप्टोकरेंसी भी किसी भी अन्य संघीय मुद्राओं की तरह ही इकाइयों के में मूल्य मे होता है। उदाहरण के लिए , जैसे कि आपको 50 रुपये या $50 मिले हैं। हालांकि , जैसे 50 रुपये और $50 का मूल्य अलग है उसी तरह आप यह कह सकते हैं कि आपके पास केवल 50 बिटकॉइन हैं , औरवैसे ही 50 बिटकॉइन के विनिमय का मूल्य भी अलग होगा।
Explainer : सबसे पहले यहां लॉन्च हो सकता है डिजिटल रुपया! जानिए क्या है CBDC और कैसे आपको होगा फायदा
सबसे पहले थोक कारोबारों के लिए लॉन्च हो सकती है सीबीडीसी
- आरबीआई इसी वित्त वर्ष में लॉन्च करेगा अपनी फिएट मनी के फायदे डिजिटल करेंसी
- सबसे पहले थोक कारोबारों में आ सकता है डिजिटल रुपया
- डिजिटल रूप में जारी एक लीगल टेंडर होगा सीबीडीसी
- सीबीडीसी से कर सकेंगे घरेलू और इंटरनेशनल लेनदेन
नई दिल्ली : भारतीयों को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी सीबीडीसी (CBDC) का बेसब्री से इंतजार है। एक फरवरी को अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री फिएट मनी के फायदे निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने आरबीआई (RBI) द्वारा सीबीडीसी लॉन्च करने की घोषणा की थी। यह लॉन्चिंग मौजूदा वित्त वर्ष में ही होने की बात कही गई थी। अब रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि आरबीआई की इस डिजिटल करेंसी अर्थात डि़जिटल रुपया को चरणबद्ध तरीके से लाया जाएगा। चालू वित्त वर्ष में सबसे पहले थोक कारोबारों (Wholesale Businesses) में इसे लाया जा सकता है। गौरतलब है कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को लेकर काफी अधिक क्रेज है। हालांकि, आरबीआई शुरू से ही निजी डिजिटल करेंसीज के विरोध में रहा है। आरबीआई ने ही पिछले साल अक्टूबर में सरकार के सामने सरकारी डिजिटल करेंसी का प्रस्ताव रखा था।
क्या है सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC)?
RBI के अनुसार, सीबीडीसी केंद्रीय बैंक द्वारा डिजिटल रूप में जारी एक लीगल टेंडर (Legal Tender) करेंसी है। यह फिएट करेंसी (Fiat Currency) के समान ही है और फिएट करेंसी (पेपर करेंसी या सिक्के) के साथ एक्सचेंजेबल है। केवल इसका रूप ही अलग है। इसका मतलब है कि भारतीय रुपये और सीबीडीसी में डिजिटल रूप के अलावा कोई फर्क नहीं है। ब्लॉकचेन द्वारा समर्थित वॉलेट का उपयोग करके फिएट मनी के फायदे डिजिटल फिएट मुद्रा या सीबीडीसी का लेन-देन किया जा सकता है।
हो सकेंगे घरेलू और इंटरनेशनल लेनदेन
हालांकि, सीबीडीसी का कॉन्सेप्ट सीधे बिटकॉइन से प्रेरित था। फिर भी यह विकेन्द्रीकृत वर्चुअल करेंसीज और क्रिप्टो एसेट्स से अलग है, जिन्हें सरकार द्वारा जारी नहीं किया जाता है। ये लीगल टैंडर भी नहीं होते। सीबीडीसी से यूजर घरेलू और इंटरनेशनल दोनों तरह के लेनदेन कर सकेगा। इसके लिए किसी तीसरी पार्टी या बैंक की आवश्यकता नहीं होगी।
क्या होगा सीबीडीसी से फायदा?
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने पिछले साल लोकसभा को बताया था, "सीबीडीसी की शुरूआत से कई महत्वपूर्ण फायदे होंगे। इनमें नकदी पर निर्भरता कम होना, लेनदेन की लागत में कमी और निपटान जोखिम में गिरावट आदि शामिल हैं। सीबीडीसी के आने से अधिक मजबूत, कुशल, विश्वसनीय, विनियमित और लीगल टेंडर-आधारित भुगतान विकल्प भी बनेंगे।" उन्होंने आगे कहा, 'हालांकि, इससे जुड़े जोखिम भी हैं, जिनका संभावित लाभों के खिलाफ सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।'
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आरबीआई ने दिया था एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव
चौधरी ने कहा कि आरबीआई ने भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधन का प्रस्ताव दिया है, जो इसे सीबीडीसी लॉन्च करने में सक्षम बनाएगा। सरकार उस समय संसद में एक विधेयक पेश करने की भी योजना बना रही थी, जो "कुछ अपवादों" के साथ "भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी" को प्रतिबंधित करेगा। चौधरी ने लोकसभा को बताया, "सरकार को आरबीआई से अक्टूबर 2021 में भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधन के लिए प्रस्ताव प्राप्त हुआ है। आरबीआई सीबीडीसी को बिना किसी व्यवधान के शुरू करने के लिए चरणबद्ध कार्यान्वयन रणनीति पर काम कर रहा है। ”
निजी डिजिटल करेंसीज के साथ हैं कई समस्याएं
आरबीआई बिटकॉइन, ईथर जैसी निजी क्रिप्टोकरेंसी के साथ मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फाइनेंसिंग, टैक्स चोरी आदि से जुड़ी चिंताएं जताता रहा है। साथ ही आरबीआई ने कहा है कि सीबीडीसी से डिजिटल मुद्रा के फायदे लोगों को मिलेंगे और जोखिम कम होगा।
फिएट करेंसी के नुकसान और फायदे क्या हैं?
आपने शायद अपने दादा-दादी को अक्सर यह कहते सुना होगा कि उनके बचपन में 25 पैसे में एक या दो किलोग्राम चावल मिल जाता था। जब आपने अपने माता-पिता से पूछा कि उनके बचपन में एक किलो चावल की कीमत कितनी थी, तो वे बताते थे कि उनके समय में भी दोे किलो चावल दोे रुपये में तो मिल ही जाता था।
अब हमारा-आपका जमाना है जब एक या दो किलो चावल एक-दो रुपयेे में तो क्या, कई बार 50 रुपये के नोट में भी नहीं मिलता। इतना ही नहीं, हमारे पिताजी या दादाजी को सामान खरीदने के लिए सिक्के या नोट रखने पड़ते थे, लेकिन हम भुगतान डिजिटल माध्यम से भी कर सकते हैं।
वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें समय के साथ बढ़ती हैं। हालांकि यह इसलिए नहीं होता है क्योंकि सर्विस या उत्पाद का मूल्य बढ़ रहा है, बल्कि हमारी यह हमारी करेंसी या मुद्रा के मूल्य के कारण होता है। मुद्रा का मूल्य महंगाई पर भी निर्भर करता है। हालांकि इस लेख में हम महंगाई पर चर्चा नहीं करेंगे।
क्रिप्टोकुरेंसी और संघीय मुद्रा में क्या अंतर है?
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क्रिप्टोक्यूरेंसी मुद्रा ( संपत्ति ) का एक डिजिटल या आभासी रूप है , जो क्रिप्टोग्राफी से घिरा हुआ एक नेटवर्क है जो बड़ी संख्या में कंप्यूटरों में वितरित किया जाता है जिसे नकली या दोहरा खर्च करना लगभग असंभव हो जाता है। मूल रूप से , यह एक ऐसी व्यवस्था है जो ऑनलाइन सुरक्षित भुगतान की अनुमति फिएट मनी के फायदे देती है जिसे आभासी टोकन के संदर्भ में दर्शाया गया है।
जो ब्लॉकचेन तकनीक का समर्थन करते हैं यह उसी विकेंद्रीकृत नेटवर्क पर काम करता है , सूचना को एक से अधिक तरीके से रिकॉर्ड करने की एक प्रणाली है , जो सिस्टम को बदलना या धोखा देना बहुत मुश्किल या असंभव बनाती है। यह संरचना उन्हें सरकारों और नियामक प्राधिकरणों के नियंत्रण से बाहर रहनेहोने की अनुमति देती है।
क्रिप्टोकरेंसी भी किसी भी अन्य संघीय मुद्राओं की तरह ही इकाइयों के में मूल्य मे होता है। उदाहरण के लिए , जैसे कि आपको 50 रुपये या फिएट मनी के फायदे $50 मिले हैं। हालांकि , जैसे 50 रुपये और $50 का मूल्य अलग है उसी तरह आप यह कह सकते हैं कि आपके पास केवल 50 बिटकॉइन हैं , औरवैसे ही 50 बिटकॉइन के विनिमय का मूल्य भी अलग होगा।
Explainer : सबसे पहले यहां लॉन्च हो सकता है डिजिटल रुपया! जानिए क्या है CBDC और कैसे आपको होगा फायदा
सबसे पहले थोक कारोबारों के लिए लॉन्च हो सकती है सीबीडीसी
- आरबीआई इसी वित्त वर्ष में लॉन्च करेगा अपनी डिजिटल करेंसी
- सबसे पहले थोक कारोबारों में आ सकता है डिजिटल रुपया
- डिजिटल रूप में जारी एक लीगल टेंडर होगा सीबीडीसी
- सीबीडीसी से कर सकेंगे घरेलू और इंटरनेशनल लेनदेन
नई दिल्ली : भारतीयों को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी सीबीडीसी (CBDC) का बेसब्री से इंतजार है। एक फरवरी को अपने बजट भाषण में वित्त फिएट मनी के फायदे मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने आरबीआई (RBI) द्वारा सीबीडीसी लॉन्च करने की घोषणा की थी। यह लॉन्चिंग मौजूदा वित्त वर्ष में ही होने की बात कही गई थी। अब रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि आरबीआई की इस डिजिटल करेंसी अर्थात डि़जिटल रुपया को चरणबद्ध तरीके से लाया जाएगा। चालू वित्त वर्ष में सबसे पहले थोक कारोबारों (Wholesale Businesses) में इसे लाया जा सकता है। गौरतलब है कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को लेकर काफी अधिक क्रेज है। हालांकि, आरबीआई शुरू से ही निजी डिजिटल करेंसीज के विरोध में रहा है। आरबीआई ने ही पिछले साल अक्टूबर में सरकार के सामने सरकारी डिजिटल करेंसी का प्रस्ताव रखा था।
क्या है सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC)?
RBI के अनुसार, सीबीडीसी केंद्रीय बैंक द्वारा डिजिटल रूप में जारी एक लीगल टेंडर (Legal Tender) करेंसी है। यह फिएट करेंसी (Fiat Currency) के समान ही है और फिएट करेंसी (पेपर करेंसी या सिक्के) के साथ एक्सचेंजेबल है। केवल इसका रूप ही अलग है। इसका मतलब है कि भारतीय रुपये और सीबीडीसी में डिजिटल रूप के अलावा कोई फर्क नहीं है। ब्लॉकचेन द्वारा समर्थित वॉलेट का उपयोग करके डिजिटल फिएट मुद्रा या सीबीडीसी का लेन-देन किया जा सकता है।
हो सकेंगे घरेलू और इंटरनेशनल लेनदेन
हालांकि, सीबीडीसी का कॉन्सेप्ट सीधे बिटकॉइन से प्रेरित था। फिर भी यह विकेन्द्रीकृत वर्चुअल करेंसीज और क्रिप्टो एसेट्स से अलग है, फिएट मनी के फायदे जिन्हें सरकार द्वारा जारी नहीं किया जाता है। ये लीगल टैंडर भी नहीं होते। सीबीडीसी से यूजर घरेलू और इंटरनेशनल दोनों तरह के लेनदेन कर सकेगा। इसके लिए किसी तीसरी पार्टी या बैंक की आवश्यकता नहीं होगी।
क्या होगा सीबीडीसी से फायदा?
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने पिछले साल लोकसभा को बताया था, "सीबीडीसी की शुरूआत से कई महत्वपूर्ण फायदे होंगे। इनमें नकदी पर निर्भरता कम होना, लेनदेन की लागत में कमी और निपटान जोखिम में गिरावट आदि शामिल हैं। सीबीडीसी के आने से अधिक मजबूत, कुशल, विश्वसनीय, विनियमित और लीगल टेंडर-आधारित भुगतान विकल्प भी बनेंगे।" उन्होंने आगे कहा, 'हालांकि, इससे जुड़े जोखिम भी हैं, जिनका संभावित लाभों के खिलाफ सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।'
Charges on UPI: यूपीआई से पैसे ट्रांसफर करना जेब पर पड़ेगा भारी! RBI लाने जा रहा ये नया नियम, यहां जाने पूरी डिटेल
आरबीआई ने दिया था एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव
चौधरी ने कहा कि आरबीआई ने भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधन का प्रस्ताव दिया है, जो इसे सीबीडीसी लॉन्च करने में सक्षम बनाएगा। सरकार उस समय संसद में एक विधेयक पेश करने की भी योजना बना रही थी, जो "कुछ अपवादों" के साथ "भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी" को प्रतिबंधित करेगा। चौधरी ने लोकसभा को बताया, "सरकार को आरबीआई से अक्टूबर 2021 में भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधन के लिए प्रस्ताव प्राप्त हुआ है। आरबीआई सीबीडीसी को बिना किसी व्यवधान के शुरू करने के लिए चरणबद्ध कार्यान्वयन रणनीति पर काम कर रहा है। ”
निजी डिजिटल करेंसीज के साथ हैं कई समस्याएं
आरबीआई बिटकॉइन, ईथर जैसी निजी क्रिप्टोकरेंसी के साथ मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फाइनेंसिंग, टैक्स चोरी आदि से जुड़ी चिंताएं जताता रहा है। साथ ही आरबीआई ने कहा है कि सीबीडीसी से डिजिटल मुद्रा के फायदे लोगों को मिलेंगे और जोखिम कम होगा।