स्टॉप लॉस क्या होता है

What is Stop Loss in Hindi – स्टॉप लोस क्या होता है स्टॉप लोस कहाँ तथा कैसे लगायें
What is Stop Loss in Hindi – स्टॉप लोस क्या होता है स्टॉप लोस कहाँ तथा कैसे लगायें : अक्सर निवेशक शेयर बाज़ार (Share Market) में ट्रेडिंग करते समय एक छोटी सी गलती के कारण अपने पैसे गवा देते हैं। जिससे उन्हें लॉस हो जाता है।ऐसे में स्टॉप लॉस (Stop Loss) एक सुरक्षा कवच की तरह काम करती है।
स्टॉप लॉस (Stop Loss) निवेशकों को उतार-चढ़ाव (volatility) के नुकसान से बचाता है। तो चलिए दोस्तों इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानते हैं कि स्टॉप लॉस क्या है (What is Stop Loss in Hindi) और यह किस तरीके से काम करता है।
स्टॉप लोस क्या होता है – What is Stop Loss in Hindi
शेयर बाज़ार में जब ट्रेडर्स ट्रेडिंग करते हैं, तो उनमें होने वाले उतार-चढ़ाव के नुकसान से स्टॉप लॉस (Stop Loss) बचाता है। शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग करते समय परिस्थितियों कुछ भी हो सकती है। इसमें जितना लाभ कमाने की संभावना होती है ठीक उतना ही नुकसान होने का चांस रहता है।
इसी नुकसान को कम करने के लिए स्टॉप लॉस (Stop Loss) काम करता है और ट्रेडिंग के दौरान जब आप स्टॉप लॉस (Stop Loss) का उपयोग करते हैं। तो यह आपके रिक्स लेने की क्षमता को बताता है।
स्टॉप लॉस किस तरीके से काम करता है – How to Put Stop Loss in Hindi
- मान लीजिए आप कोई 200 रुपए का शेयर किसी भी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म से खरीदते हैं और उस शेयर को 230 रुपए के प्राइस पर बेचना चाहते हैं।
- लेकिन शेयर बाज़ार में होने वाले ज्यादा उतार-चढ़ाव (volatility) के कारण आप उस शेयर पर केवल 5 रुपये का रिक्स ले सकते हैं। तो उसके लिए स्टॉप लॉस (Stop Loss) 195 रुपये पर लगाना होगा।
- स्टॉप लॉस लगाने के लिए उस शेयर के Exit या sell के ऑप्शन पर क्लिक करना होगा। जिसके बाद स्टॉप लॉस (Stop Loss) का ऑप्शन दिखाई देगा।
- मार्केट ऑर्डर और स्टॉप लॉस के साथ आपको वहाँ ट्रिगर प्राइस (trigger price) में जाकर 195 रुपया भरना होगा। इसके उपरांत आर्डर पैलेस कर दें।
- अब जब भी शेयर का प्राइस गिरने लगेगा तो ट्रिगर प्राइस को टच करते ही 195 रुपये पर स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाए जाने के वजह से ऑटोमेटिक सेल ऑर्डर लग जाएगा।
स्टॉप लॉस के प्रकार – Types of Stop Loss in Hindi
स्टॉप लॉस मुख्य रूप से 2 टाइप के होते हैं। पहला स्टॉप लॉस ऑर्डर (SL) जिसमें ट्रेडर्स निकासी मूल्य को तय करता है। और दूसरा स्टॉप लॉस मार्केट (SL-M) जिसमें ट्रेडर्स सिर्फ ट्रिगर मूल्य को निर्धारित करता है।
स्टॉप लॉस लगाने के फायदे – What are the Benefits of Putting a Stop Loss in Hindi
- इसका इस्तेमाल करने पर हमें कोई भी एक्स्ट्रा चार्ज पे नहीं करना पड़ता।
- हमारे होने वाले नुकसान को सीमित कर देता है।
- ट्रेडिंग करते समय स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाने से बार-बार स्टॉक की निगरानी नहीं करनी पड़ती।
- हमारे रिक्स लेने की क्षमता को बेहतर बनाता है।
स्टॉप लॉस लगाने के नुकसान What are the Disadvantages of putting a Stop Loss
- यह केवल डे ट्रेडिंग में ही काम करता है। स्टॉप लॉस बड़े व्यापारियों के लिए उपयोगी नहीं है।
- कई बार अस्थिरता (volatility) के कारण शार्ट टर्म में स्टॉक स्टॉप लॉस (Stop Loss) को जल्दी छू लेता है।
- स्टॉप लॉस (stop loss) के कारण स्टॉक के परफॉर्मेंस से आपका ध्यान हट जाता है।
- स्टॉप लॉस का इस्तेमाल करने के लिए किसी भी प्रकार का नियम नहीं होता। यह स्टॉप लॉस क्या होता है पूरी तरह आपके डिसीजन और तौर-तरीके पर निर्भर करता है।
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तो दोस्तों इस आर्टिकल में हमने बताया कि स्टॉप लॉस क्या होता है (What is Stop Loss in Hindi) स्टॉप लॉस किस तरीके से लगाया जाता है (How to Put Stop Loss in Hindi)। हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल जरूर पसंद आया होगा।
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ट्रिगर प्राइस क्या होता है?
इसका मतलब यह है कि ट्रिगर प्राइस आपके दोनों ऑर्डर में से किसी एक को एक्टिवेट करने का काम करता है।
ट्रिगर प्राइस का इस्तेमाल स्टॉप लॉस ऑर्डर के लिए किया जाता है। अगर आपने Buy की पोजीशन क्रिएट की है तो उसमें आप स्टॉपलॉस लगाकर ट्रिगर प्राइस का यूज कर सकते हैं। अगर आपने सेल की पोजीशन क्रिएट की है तो उसमें भी आप स्टॉपलॉस लगाकर ट्रिगर प्राइस का यूज कर सकते हैं।
जब भी आप स्टॉप लॉस ऑर्डर प्लेस करते हैं तो आपको दो तरह के प्राइस एंटर करने पड़ते हैं: ट्रिगर प्राइस और लिमिट प्राइस। जब भी शेयर का मूल्य आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक पहुंच जाता है तो सिस्टम द्वारा आपका स्टॉप लॉसआर्डर एक्टिवेट हो जाता है और जब वह प्राइस आपके द्वारा दर्ज किए गए लिमिट प्राइस पर पहुंच जाता है तो आपका स्टॉपलॉस आर्डर एग्जीक्यूट हो जाता है।
जब तक स्टॉक का प्राइस आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक नहीं पहुंचता है तब तक आपका ऑर्डर सिर्फ आपके स्टॉक ब्रोकर तक ही रहता है। यह एक्सचेंज में नहीं भेजा जाता है और जैसे ही स्टॉक का प्राइस ट्रिगर प्राइस तक पहुंच जाता है आपका ऑर्डर एक्टिव ऑर्डर में आ जाता है और लिमिट प्राइस तक पहुंचते ही एग्जीक्यूट हो जाता है।
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए आपने कोई शेयर 100 रुपए में खरीदा है और आप उसका स्टॉप लॉस ₹90 रखना चाहते हैं। स्टॉप लॉस का यहां मतलब यह है कि जब भी स्टॉक का प्राइस गिरने लगे और ₹90 से नीचे चला जाए तो आप उस स्टॉक को बेचना चाहेंगे तो ज्यादा नुकसान सहना नहीं जाएंगे और आप ₹10 के नुकसान के साथ ही मार्केट से एग्जिट करना पसंद करेंगे।
इस स्थिति में जब आप अपना स्टॉपलॉस आर्डर लगाने लगेंगे तो आपको ट्रिगर प्राइस दर्ज करने के लिए पूछा जाएगा। वह ट्रिगर प्राइस आपकी मर्जी का होगा आप जहां चाहे वहां ट्रिगर प्राइस रख सकते हैं। मान लीजिए अगर आप ट्रिगर प्राइस ₹95 रख देते हैं और लिमिट प्राइस ₹90 दर्ज कर देते हैं।
तो इस स्थिति में जब भी स्टॉक का प्राइस गिरने लगेगा और ₹95 पर आ जाएगा तो आपका स्टॉप लॉस ऑर्डर ऑटोमेटिकली एक्टिवेट हो जाएगा और जब यह गिरते-गिरते ₹90 को पार कर जाएगा तो आपका स्टॉप लॉस ऑर्डर एक्जिक्यूट हो जाएगा और आपके द्वारा खरीदा गया शेयर अपने आप ₹90 पर बिक जाएगा।
ट्रिगर प्राइस को शेयर को कम दाम पर खरीदने और ज्यादा दाम पर बेचने के लिए भी सेट किया जाता है।
स्टॉक मार्केट में बने रहना हो तो हमें हमेशा स्टॉप लॉस के साथ ही काम करना चाहिए और एक सीमित नुकसान के साथ मार्केट से निकल जाना चाहिए अगर मार्केट हमारी दिशा में ना चल रहा हो।
अपने हाथ में रखें अपने मुनाफे का 'ट्रिगर', जानिए इसके बारे में सभी जरूरी बातें
5paisa की मदद से आप भी trigger का फायदा उठा सकते हैं। एप के जरिए आपको ट्रिगर प्राइस देने का का विकल्प मिलता है। ध्यान रखें कि ट्रिगर प्राइस स्टॉप लॉस से अलग होता है। Trigger Price वो स्तर होते हैं जहां आपका ऑर्डर एक्टिव हो जाता है।
नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। Stock Market में कारोबार भविष्य को लेकर अनुमान के आधार पर किया जाता है, जैसे बाजार या स्टॉक में आगे बढ़त रहेगी या फिर गिरावट आएगी। सटीक अनुमान के लिए कारोबारी देखते हैं कि उनके सौदों पर किन संकेतों का असर पड़ता है। तेज फैसले स्टॉप लॉस क्या होता है के लिए कारोबारी ऐसे संभावित संकेतों की पूरी लिस्ट पहले से ही अपने पास रखते हैं जिसका बाजार , स्टॉक या इंडेक्स या फिर किसी खास सौदे पर स्टॉप लॉस क्या होता है असर देखने को मिलता है। इन संभावित संकेतों को पहले से समझने का फायदा ये होता है कि अगर ये घटनाएं या स्थितियां वास्तव में सामने आती हैं तो सौदे करने में कारोबारी को ज्यादा वक्त नहीं लगाता क्योंकि उन्हें पता होता है कि ऐसी स्थितियों में स्टॉक या बाजार किस तरह की प्रतिक्रिया दे सकता है और ऐसे में समय पर फैसला लेने से वो बाकी लोगों से बेहतर ट्रेड करता है। इन संकेतों को ही ट्रिगर कहते हैं। तकनीक के बेहतर होने के साथ ट्रिगर का महत्व और बढ़ गया है क्योंकि कीमत आधारित ट्रिगर में सौदे बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के खुद होते हैं और कारोबारी का कीमती समय बच जाता है। आज हम समझेंगे कि ट्रिगर क्या होते हैं और ये इतने महत्वपू्र्ण क्यों हैं.
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क्या होते हैं ट्रिगर?
Trigger बाजार की ऐसी परिस्थितियां होती हैं जिसकी वजह से सौदों का एक निश्चित क्रम शुरू होता है। उदाहरण के लिए स्टॉक में खरीदारी या stock में बिकवाली। मौजूदा समय में ट्रिगर का अर्थ काफी व्यापक है और ये किसी कारोबारी के द्वारा खुद से किए जाने वाले कारोबार से लेकर ऑटोमैटिक सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन तक फैला हुआ है। उदाहरण के लिए एक आम कारोबारी के लिए रिजर्व बैंक के द्वारा दरें बढ़ाने की शुरुआत banking stocks के लिए एक ट्रिगर है। वहीं दूसरी तरफ बेहद तेजी से कारोबार करने वाले कारोबारियों के लिए इस मौके पर बैंकिंग इंडेक्स या किसी बैंक के स्टॉक की कीमतों का एक खास स्तर ट्रिगर है। अगर रिजर्व बैंक दरों में बदलाव करता है तो कारोबारी इसी के हिसाब से रेट sensitive stocks में निवेश करते हैं। वहीं दूसरी तरफ ऑटोमैटिक ट्रांजेक्शन में इस मौके पर प्राइस मूवमेंट शुरू होते ही ट्रिगर प्राइस हिट होने के साथ ही कारोबारी के निर्देशों के अनुसार सिस्टम खुद ही सौदों में खरीद या बिक्री की प्रक्रिया शुरू कर देता है।
क्यों जरूरी होते हैं ट्रिगर?
Warren Buffett से लेकर Rakesh Jhunjhunwala जैसे दिग्गज निवेशकों की माने तो निवेश में सबसे जरूरी सही समय पर कदम उठाना होता है। ट्रिगर उनकी इसी सलाह पर आधारित है। बाजार के दिग्गज अपनी मेहनत का अधिकांश हिस्सा ट्रिगर या ऐसे संकेतों की पहचान करने में लगाते हैं जो सौदों के एक खास क्रम की शुरुआत को स्टॉप लॉस क्या होता है बताते हैं। ट्रिगर इस पूरे क्रम का शुरुआती बिंदु होता है। अगर बढ़त की बात करें तो trigger के साथ कारोबारी को इस बढ़त के क्रम की स्टॉप लॉस क्या होता है शुरुआत में ही सौदे में उतरने का मौका मिल जाता है और उसका मुनाफा इस पूरे समय में सबसे अधिक रह सकता है। वहीं इसकी विपरीत स्थितियों में यानि नुकसान की स्थितियों में कारोबारी को गिरावट की शुरुआत में ही बाहर निकलने का मौका मिलता है और उसका न केवल नुकसान कम होता है, साथ ही वो गिरावट के क्रम को देखते हुए अपने लिए मुनाफे का सौदा कर सकता है।
5paisa की मदद से उठाए ट्रिगर्स का फायदा
5paisa की मदद से आप भी trigger का फायदा उठा सकते हैं। एप के जरिए आपको ट्रिगर प्राइस देने का का विकल्प मिलता है। ध्यान रखें कि ट्रिगर प्राइस स्टॉप लॉस से अलग होता है। Trigger Price वो स्तर होते हैं जहां आपका ऑर्डर एक्टिव हो जाता है। यानि इस स्तर पर आपका ऑर्डर एक्सचेंज में भेज दिया जाता है। इसका फायदा ये होता है कि अगर आपका क्रम का अनुमान सही है तो आपको ट्रिगर प्राइस और stop loss के बीच में बेहतर कीमत मिल सकती है जिससे आपका नुकसान कम रहता है।
शेयर बाज़ार में स्टॉप लॉस क्या है | Stop Loss Meaning in Hindi
यदि आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते हैं, तो आपने स्टॉप लॉस के बारे में जरूर सुना होगा और यदि आप शेयर बाजार में अभी नए-नए हैं, तो आप को स्टॉप लॉस के बारे में जानना काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि इसके मदद से आप शेयर बाजार में अपने होने वाले लॉस को बचा सकते हैं.
शेयर बाजार में Stock को दो प्रकार से एक्सेक्यूट (Execute) करा सकते हैं पहला मार्केट ऑर्डर (Market Order) और दूसरा लिमिट ऑर्डर (Limit Order).
Table of Contents
What is Stop Loss in Share Market in Hindi
Stop Loss का प्रयोग Stock Execute होने के बाद ही किया जाता है. स्टॉप लॉस के मदद से मार्केट में होने वाले नुकसान से आप बच सकते हैं.
स्टॉप लॉस का प्रयोग आप चाहे डे ट्रेडिंग (Day trading) या इंट्राडे (Intraday) या फिर स्कल्पिंग (Scalping) Trading के लिए कर सकते हैं.
शेयर बाजार में स्टॉक का प्राइस ऊपर–नीचे होता रहता हैं. इसका मतलब है कि मार्केट में स्टॉक का प्राइस अचानक ऊपर की ओर चला जायेगा. जिससे आपको प्रॉफिट भी हो सकता है, लेकिन प्राइस नीचे की ओर भी आ सकता है जिसे आपको नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए एक अच्छा ट्रेडर बनने के लिए आपको हमेशा स्टॉपलॉस का प्रयोग करना चाहिए.
Advantage of Stop Loss (स्टॉप लॉस लगाने के फायदे)
- Stop Loss ऑप्शन के मदद से अपने risk को कम कर सकते हैं.
- Stop Loss के मदद से एक trader अपने capital को भी बचा सकता हैं,
- Stop Loss को trail करके अपने profit भी secure कर सकते हैं.
- Stoploss के मदद से आप trading में काफ़ी समय तक टीक भी सकते हैं.
- Stop Loss एक risk management का हिस्सा भी हैं.
Disadvantage of Stop Loss (स्टॉप लॉस लगाने के नुकसान)
- Stop Loss के नियम जानें बिन यदि आप stop loss लगाते हैं, तो स्टॉप लॉस जल्दी-जल्दी hit होगा.
- स्टॉप लॉस सिर्फ intraday के लिए ही सही है, होल्डिंग स्टॉक के लिए नहीं.
- शेयर बाजार में यदि ज्यादा volatility (उतार-चढ़ाव) हैं, तो stop loss hit होने का संभावना काफी ज्यादा रहता हैं.
स्टॉप लॉस कैसे लगाएं
चलिए हम एक उदाहरण से जानते हैं कि स्टॉप लॉस का प्रयोग कैसे करते हैं.
उदाहरण के लिए, मान लीजिए की अनिल प्रति शेयर ₹500 की दर से ABC कंपनी में 100 शेयर खरीदता है. अचानक शेयर की कीमत प्रति शेयर के हिसाब से ₹10 गिर जाता है. शेयर की कीमत ₹490 हो जाता हैं. अनिल अपने नुकसान को सीमित करना चाहता है, तो वह ₹450 स्टॉप लॉस क्या होता है रुपए पर एक स्टॉप लॉस ऑर्डर लगा देता है, अगर कीमत ₹450 रुपए से नीचे भी गिर जाता है, तो अनिल का स्टॉपलॉस हिट कर जाएगा और उसे एक सीमित नुकसान होगा. यानी अनिल का जो Broker होगा. वह ₹450 की कीमत पर शेयर को बेच देगा और आगे होने वाले नुकसान को रोक स्टॉप लॉस क्या होता है लेगा.
दूसरी ओर यदि शेयर की कीमत बढ़ जाती है ₹550 रुपए प्रति शेयर हो जाता. तो अनिल अपने शेयर को बेच कर मुनाफा कमा सकता है या फिर stop-loss को ट्रेल कर अपने प्रॉफिट को secure कर सकता है.
शेयर मार्केट में ट्रिगर प्राइस क्या हैं (What is Trigger Price)
शेयर मार्केट में दो प्रकार से आर्डर को एग्जीक्यूट किए जाते हैं. पहला Buy और दूसरा Sell. ट्रिगर प्राइस का प्रयोग मार्केट में buy ओर sell के आर्डर को एक्टिवेट करने के लिए उपयोग करते हैं।
ट्रिगर प्राइस को आप buy करने के लिए या फिर sell करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। जब किसी शेयर पर स्टॉप लॉस लगाते हैं, तो वहां पर ट्रिगर प्राइस का इस्तेमाल किया जाता है.
यदि आप कोई शेयर buy या sell करना चाहते हैं तो उसमें स्टॉप लॉस लगाते समय आप ट्रिगर प्राइस भी लगा सकते हैं।
Trigger price meaning in Hindi
जब आप शेयर पर स्टॉप लॉस लगाने जाएंगे, तो वहां पर आपको तो ऑप्शन मिलेगा. पहला ट्रिगर प्राइस (Trigger Price) दूसरा लिमिट प्राइस (Limit Price). अब ट्रिगर प्राइस ऑप्शन में आपको एक प्राइस दर्ज करना है. जोकि लिमिट प्राइस से अधिक और मार्केट प्राइस से कम यानी कि दोनों वैल्यू के बीच का कोई एक प्राइस दर्ज करना है. जैसे ही शेयर का प्राइस आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक पहुंचता है. आपका stop-loss ऑर्डर सिस्टम के द्वारा एक्टिवेट कर दिया जाएगा. और जब भी मार्केट प्राइस आपके द्वारा दर्ज किए गए लिमिट प्राइस तक पहुंचता है आपका stop-loss आर्डर एग्जीक्यूट हो जाएगा ।
इसमें एक बात और भी ध्यान रखिएगा. की जब तक स्टॉक का प्राइस दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक नहीं पहुंचता तब तक ऑर्डर आपके स्टॉक ब्रोकर तक ही रहेगा। इस ऑर्डर को एक्सचेंज तक नहीं भेजा जायेगा।
FAQ’s
Q1. शेयर खरीदते समय स्टॉप लॉस कैसे लगाएं ?
Ans. शेयर खरीदते समय आपको अपने risk और reward पॉइंट्स जैसे 1:2 को तय कर लेना चाहिए. उसके अनुसार स्टॉपलॉस लगाए।
Q2. ट्रिगर प्राइस क्या होता है ?
Ans. ट्रिगर प्राइस का प्रयोग मार्केट में buy ओर sell के आर्डर को एक्टिवेट करने के लिए उपयोग करते हैं।
Q3. ट्रिगर प्राइस और लिमिट प्राइस में क्या अंतर है ?
Ans. ट्रिगर प्राइस स्टॉप लॉस को एक्टिवेट करता है और लिमिट प्राइस स्टॉक को Execute करता है|