क्या भारत में Forex कानूनी है?

कठुआ गैंगरेप और हत्या केस: एक आरोपी पर बालिग के रूप में चलेगा नए सिरे से मुकद्दमा
2018 के कठुआ गैंगरेप और हत्या मामले के एक आरोपी पर बालिग के रूप में नए सिरे से मुकदमा चलाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM), कठुआ और जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के आदेशों को रद्द कर दिया, जिसमें अभियुक्त को मुकदमे के लिए किशोर माना गया था।
जस्टिस जे.बी. पारदीवाला ने फैसला सुनाते हुए आरोपी शुभम सांगरा पर वयस्क के रूप में मुकदमा चलाने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत का यह फैसला केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर द्वारा सीजेएम और हाई कोर्ट के पारित आदेशों को चुनौती देने वाली अपील पर आया है। अदालत ने कहा कि आरोपी की उम्र के बारे में चिकित्सा विशेषज्ञ का अनुमान सबूत का वैधानिक विकल्प नहीं है और यह केवल एक राय है।
आरोपी को 2019 में कठुआ गांव में आठ साल की बच्ची से सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था। जून 2019 में पठानकोट की एक विशेष अदालत ने मामले में तीन लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जस्टिस पारदीवाला ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘हम सीजेएम कठुआ और हाई कोर्ट के फैसलों को रद्द कर रहे हैं… अपराध के समय आरोपी नाबालिग नहीं था।’
2018 में कठुआ गांव में लड़की का रेप हुआ था। जून 2019 में एक विशेष अदालत ने मामले में तीन लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी और सबूत नष्ट करने के लिए तीन पुलिस अधिकारियों को पांच साल की सजा हुई थी। हालांकि एक आरोपी के खिलाफ ट्रायल किशोर न्याय बोर्ड में शिफ्ट कर दिया गया था।
Cryptocurrency पर RBI गवर्नर की चेतावनी, कहा- फाइनेंशियल स्टेबिलिटी के लिहाज से है खतरनाक
केंद्र सरकार ने अभी तक देश में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई कानून या नियम नहीं बनाए हैं।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने क्रिप्टो करेंसी के लेकर अपनी चिंता जाहिर करते हुए चेतावनी जारी की है। उन्होंने निवेशकों के क्रिप्टो से जुड़े खतरों से आगाह किया है। शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि क्रिप्टो करेंसी मैक्रो इकोनॉमिक और वित्तीय स्थिरता के नजरिए से क्रिप्टो करेंसीज काफी गंभीर चिंता पैदा कर सकती हैं।
शक्तिकांता दास की एक टिप्पणी उस समय आई है जब भारतीय निवेशकों खासकर रिटेल निवेशकों में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर काफी उत्साह दिख रहा है । सुप्रीम कोर्ट के आरबीआई के ऑर्डर को पलटने के बाद भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर लगा बैन हट गया था। उसके बाद से ही देश में क्रिप्टो को लेकर निवेशकों में भारी आर्कषण देखने को मिला है।
केंद्र सरकार ने अभी तक देश में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई कानून या नियम नहीं बनाए है। इसके लिए अभी इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स, मंत्रालयों और तमाम अधिकारियों के बीच परामर्श ही चल रहा है। तमाम चेतावनियों के बाद लगता है कि सरकार आम लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग पर कठोर नियत्रंण रखना चाहती है।
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अलग -अलग क्रिप्टोकरेंसी पर नजर डालें तो बिटकॉइन और ether की कीमतों में मंगलवार की जोरदार तेजी के बाद आज गिरावट देखने को मिली है। इन दोनों में जून से अब तक दोगुने की बढ़ोतरी देखने को मिली है और अक्टूबर की शुरुआत से अब तक डॉलर के मुकाबले इनमें 70 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है।
शक्तिकांता दास ने बुधवार को क्रिप्टोकरेंसी के बारे में अपनी यह आपत्तियां जताईं। गर्वनर शक्तिकांता दास ने क्रिप्टोकरेंसी को अनुमति ना देने से संबधित अपने विचारों को फिर से दोहराते हुए कहा कि क्रिप्टोकरेंसी दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के दायरे में नहीं आती। ऐसे में किसी फाइनेशियल सिस्टम के लिए क्रिप्टोकरेंसी बड़ा खतरा साबित हो सकती है।
आरबीआई गर्वनर का यह बयान रिजर्व बैंक की इंटरनल कमिटी की क्रिप्टोकरेंसी पर आनेवाली रिपोर्ट के पहले आया है। यह रिपोर्ट अगले महीने आने की उम्मीद है। इसी दौरान उन्होंने इकोनॉमी पर बात करते हुए कहा कि भारत की ग्रोथ स्टोरी पटरी पर है। कोविड-19 से जुड़ी अनिश्चितता के बावजूद इकोनॉमी का आउटलुक काफी अच्छा नजर आ रहा है। देश में निवेश गतिविधियों में तेजी आती दिख रही है। अगले साल बैंकों की क्रेडिट डिमांड में बढ़त देखने को मिलेगी । हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक स्तर पर बढ़ रहा जियोपॉलिटिकल तनाव एक नई चुनौती बन कर सामने आ रही है। हमें इस पर नजर रखनी चाहिए।
महिला-पुरुष समानता : रैंकिंग एक पायदान फिसलकर 124 पर आई
लैंगिक समानता के संबंध में भारत द्वारा निरंतर अपना प्रदर्शन कायम रखने के बावजूद इस क्षेत्र में वैधानिक लिहाज से इसका स्थान वर्ष 2022 में 190 देशों के बीच फिसलकर 124वें पायदान पर आ गया है, जबकि एक साल पहले यह 123वें पायदान पर था और वर्ष 2020 में 117वें स्थान पर। विश्व बैंक के एक अध्ययन में संकलित किए गए सूचकांक से यह जानकारी मिली है।
वर्ष 2022 के अध्ययन- 'महिलाएं, व्यवसाय और कानून' में 2 अक्टूबर, 2020 से लेकर 1 अक्टूबर, 2021 तक की अवधि में कानूनी सुधारों को ध्यान में रखा गया है। इन तीन वर्षों में 100 में से 74.4 अंक रहने के बावजूद भारत का स्थान नीचे फिसल गया है। इसका मतलब यह है कि इस लैंगिक अंतर को पाटने में भारत के मुकाबले अन्य देशों ने ज्यादा तेजी से सुधार किया है। यह रैंकिंग आठ विषयों-आवागमन, कार्यस्थल, वेतन, विवाह, मातृत्व, उद्यमिता, परिसंपत्ति और पेंशन के संबंध में कानूनी सुधारों पर आधारित है।
इन तीन साल में से हर साल भारत को 'वेतन' में सबसे कम 25 प्रतिशत अंक क्या भारत में Forex कानूनी है? हासिल हुए, जिसके बाद 'मातृत्व' में 40 प्रतिशत स्तर रहा। इन तीनों साल में से हर साल 'उद्यमिता' और 'पेंशन' में इसके अंक 75 प्रतिशत रहे, जबकि 'परिसंपत्ति' में 80 प्रतिशत अंक थे। 'आवागमन', 'कार्यस्थल' और 'विवाह' में इसे 100 प्रतिशत अंक मिले। यह पूछने पर कि भारत की रैंकिंग में गिरावट क्यों आई, जबकि इन तीनों साल में इसके अंक समान रहे, इस अध्ययन में शामिल एक विशेषज्ञ ने कहा कि जहां एक ओर भारत ने इन सुधारों की शुरुआत किए जाने के बाद इनका अनुसरण नहीं किया, वहीं दूसरी ओर अन्य देशों ने, खास तौर पर पड़ोसी देशों ने सुधार किया है, जो उनके प्रदर्शन में नजर आता है।
वर्ष 2020 में नेपाल भारत से पीछे था, लेकिन वर्ष 2021 और वर्ष 2022 में आगे निकल गया। इसने वर्ष 2022 की रिपोर्ट में अपनी स्थान एक पायदान सुधार कर 88वां कर लिया, जो वर्ष 2021 में 89वां था। इन तीनों वर्षों में भूटान, श्रीलंका, पाकिस्तान और बांग्लादेश भारत से पीछे थे। पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2022 की रिपोर्ट में भूटान, श्रीलंका और पाकिस्तान भी अपनी स्थिति में एक-एक पायदान का सुधार करके क्रमश: 131वें, 147वें और 167वें स्थान पर आ गए। पिछले दो वर्षों में बांग्लादेश की रैंकिंग 174वें स्थान पर रही।
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत में स्त्री-पुरुष के लिहाज से समान वेतन लागू करने के लिए पर्याप्त कानून नहीं थे, एक अन्य विशेषज्ञ ने कहा कि स्त्री-पुरुषों केबीच वेतन में अंतर का कारण सामाजिक-आर्थिक से लेकर संरचनात्मक तक व्याप्त है।
उन्होंने कहा 'यहां तक कि शिक्षित महिलाओं को भी उनके परिवारों द्वारा काम करने की अनुमति नहीं दी जाती है। जो महिलाएं कार्यबल में शामिल होती हैं, उन्हें अक्सर ही मातृत्व और बच्चे की देखभाल के लिए लंबा अवकाश लेने की जरूरत पड़ती है। इन सभी बातों की वजह से महिलाएं अपनी कमाई के मामले में पुरुषों से पिछड़ जाती हैं।'
उन्होंने मॉन्स्टर इंडिया की उस रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि भारत में पुरुषों ने औसत सकल प्रति घंटा 288.68 रुपये का वेतन पाया, जबकि महिलाओं को 207.85 रुपये मिला। उन्होंने कहा कि हमारे पास समान पारिश्रमिक अधिनियम होने के बावजूद ऐसा है। एसोसिएशन ऑफ बिजनेस वुमन इन कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री (एबीडब्ल्यूसीआई) के संस्थापक और महासचिव पारुल सोनी ने कहा कि भारत को उद्यमिता संकेतक के संबंध में और अधिक काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में महिलाओं को उद्यमी बनने के लिए व्यावहारिक और विनियामकीय बाधाओं का सामना करना पड़ता है। वित्त तक पहुंच में बड़ी बाधा होती है, जिससे महिलाओं की अनुमानित रूप से 1.7 लाख करोड़ डॉलर की ऋण मांग अपूर्ण रह जाती है।
उदाहरण के लिए ऋणदाताओं के स्त्री-पुरुष पूर्वग्रह की वजह से वियतनाम में पुरुषों के नेतृत्व वाली फर्मों के मुकाबले महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों में इस बात की आशंका 34 प्रतिशत ज्यादा होती है कि उन्हें ऋण देने से इनकार कर दिया जाएगा।
सोनी ने कहा कि भारत को भी इसी तरह की दिक्कत का सामना करना पड़ता है। अलबत्ता कौशल प्रशिक्षण के साथ बैंक खातों तक पहुंच को जोड़कर वित्त पर महिलाओं का नियंत्रण बढऩे से रूढि़वादी सामाजिक मानदंडों को बदल सकता है और महिलाओं के कार्य में इजाफा कर सकता है। हमारे पास अब भी ऐसे कानूनी प्रावधान का अभाव है, जो ऋण तक पहुंच में लिंग-आधारित भेदभाव को साफ तौर पर प्रतिबंधित करता हो।
'मातृत्व' संकेतक गर्भावस्था के दौरान और इसके बाद महिलाओं के काम को प्रभावित करने वाले कानूनों को परखता है, जिसमें वेतन के साथ अवकाश और वे कानून शामिल हैं, जो फर्मों को इस वजह से श्रमिकों को बर्खास्त करने से रोकते हैं, क्योंकि वे गर्भवती हैं।
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टीपी ग्लोबल एफएक्स निवेशकों को तीन अलग-अलग प्रकार के खाते प्रदान करता है, मानक खाता ($200 की न्यूनतम जमा), प्रो खाता ($500 की न्यूनतम जमा), और संस्थागत खाता (25,000 की न्यूनतम जमा)। स्वीकार्य $200 की न्यूनतम प्रारंभिक जमा उद्योग मानकों के अनुरूप है।
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पीएम मोदी जी-20 शिखर सम्मेलन में कहा, कठिन परिस्थितियों में भारत ने ली G20 समिट की जिम्मेदारी
इंडोनेशिया के बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान डिजिटल परिवर्तन पर तीसरे सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, पिछले कुछ वर्षों के भारत के अनुभव ने हमें दिखाया है कि अगर हम डिजिटल आर्किटेक्चर को समावेशी बनाते हैं, तो यह सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन ला सकता है।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि अगले वर्ष अपनी जी-20 अध्यक्षता के दौरान भारत इस उद्देश्य की दिशा में जी-20 भागीदारों के साथ संयुक्त रूप से काम करेगा। “विकास के लिए डेटा” का सिद्धांत हमारे राष्ट्रपति पद के समग्र विषय “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” का एक अभिन्न अंग होगा।
G-20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit) का आज दूसरा दिन है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि भारत में हम डिजिटल पहुंच को सार्वजनिक कर रहे हैं, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अभी क्या भारत में Forex कानूनी है? भी एक बड़ा डिजिटल विभाजन है। दुनिया के अधिकांश विकासशील देशों के नागरिकों के पास किसी तरह की डिजिटल पहचान नहीं है। केवल 50 देशों में डिजिटल भुगतान प्रणाली है।
उन्होंने कहा कि डिजिटल पहुंच के लाभ तभी महसूस होंगे जब डिजिटल पहुंच वास्तव में ये समावेशी हो और इसका उपयोग वास्तव में व्यापक हो… यह हम जी-20 नेताओं की जिम्मेदारी है कि डिजिटल परिवर्तन के लाभ मानव जाति के एक छोटे से हिस्से तक ही सीमित न रहें।
कठिन परिस्थितियों में भारत ने ली G20 समिट की जिम्मेदारी
पीएम मोदी (PM Modi) ने G20 समिट को संबोधित करते हुए आगे कहा कि G20 की जिम्मेदारी भारत ऐसे समय पर ले रहा है जब विश्व जियो पॉलिटिकल के तनाव, आर्थिक मंदी और पॉवर की बढ़ती कीमतों और दुनिया भर में आई महामारी के दुष्प्रभावों से संघर्ष कर रहा है। ऐसे समय में भारत विश्व G20 की तरफ आशा की नजर से देख रहा है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि भारत गरीबी के खिलाफ जंग में टेक्नोलॉजी को हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है।
पांच देशों के नेताओं के साथ बैठक करेंगे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बाली (Bali) में आज पांच देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। इनमें इटली (Italy), मेजबान इंडोनेशिया (Indonesia), जर्मनी (Germany), ब्रिटेन (Britain) और ऑस्ट्रेलिया (Australia) के राष्ट्राध्यक्षों के नाम शामिल हैं।