परिचालन जोखिम

आपूर्ति श्रृंखलाजोवखम प्रबंधन - Supply Chain Risk Management
आपूर्ति श्रृंखलाजोवखम प्रबंधन - Supply Chain Risk Management
सप्लाई चेन जोखिम प्रबंधन (एससीआरएम) "भेद्यता को कम करने और निरंतरता सुनिश्चित करने के उद्देश्य
से निरंतर जोखिम मूल्यांकन के आधार पर आपूर्ति श्रृंखला के साथ रोजमर्रा और असाधारण जोखिम दोनों
को प्रबंधित करने के लिए रणनीतियों का कार्यान्वयन" है।
दूसरे शब्दों में, एससीआरएम आपूर्ति श्रृंखला में रसद से संबंधित गतिविधियों या संसाधनों के कारण जोखिमों और अनिश्चितताओं से निपटने या प्रभावित करने के लिए आपूर्ति श्रृंखला में या अपने आप में भागीदारों के साथ जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया परिचालन जोखिम उपकरण लागू करना है।
मूल रूप से सिस्को द्वारा पेश की गई एक महत्वपूर्ण मीट्रिक और एससीआरएलसी द्वारा अपनाई जाने वाली "टाइम टू रिकवरी" (टीटीआर) कहा जाता है। टीटीआर वह समय है जब एक बड़ी आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान के बाद 100% परिचालन उत्पादन को पुनर्स्थापित करने के लिए कंपनी ले जाती है। टीटीआर का दृढ संकल्प मानता है कि एक प्रमुख घटना के कारण यह सुविधा अनिवार्य रूप से अनुपयोगी है, और विनिर्माण और अन्य परिचालनों में उपयोग किए जाने वाले प्रमुख उपकरणों के पुनः सोर्सिंग और पुनः योग्यता के साथ-साथ व्यापक मरम्मत और पुनर्निर्माण की आवश्यकता होगी।
आपूर्ति श्रृंखला जोखिम किसी घटना की घटना और उसके प्रभाव की संभावना का एक कार्य है।
आम तौर पर जोखिम को मापने के लिए यह सबसे लोकप्रिय पद्धति है । आपूर्ति श्रृंखला जोखिम की गणना करने के लिए इसका उपयोग करने की कमी यह है कि आपूर्ति श्रृंखला स्थानों की संख्या के लिए कई अलग-अलग घटना प्रकारों की संभावना या संभावना का आकलन करने की आवश्यकता है (जो सैकड़ों हजारों स्थान हो परिचालन जोखिम सकते हैं)। इस प्रकार, विभिन्न संभावनाओं की सीमा बहुत व्यापक है। यह पद्धति आमतौर पर साइट के छोटे सबसेट के लिए अधिक उपयुक्त है। ज्यादातर कंपनियां जोखिम स्कोर का उपयोग करके जोखिम को मापने लगती हैं। कई अलग-अलग मीट्रिक उपलब्ध हैं। उदाहरण के लिए, वित्तीय जोखिम स्कोर, परिचालन जोखिम स्कोर, लचीलापन स्कोर (आर स्कोर) इत्यादि आसानी से अधिग्रहित किए जाते हैं, आसानी से विश्लेषण किए जाते हैं और आसानी से उपयोग किए जा सकते हैं और आसानी से समझ सकते हैं।
जोखिम को सक्रिय रूप से प्रबंधित करना 65 देशों में 559 से अधिक कंपनियों के लिए बीसीआई और ज्यूरिख द्वारा आयोजित एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 85% से अधिक कंपनियों को साल के दौरान कम से कम एक आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान का सामना करना पड़ा था। उत्तरदाताओं ने यह भी ध्यान दिया कि 40% रिपोर्ट किए गए व्यवधान उप-स्तरीय आपूर्तिकर्ता में पैदा हुए हैं, न कि उनके प्रत्यक्ष आपूर्तिकर्ता परिचालन जोखिम ।
एक स्वीकार्य जोखिम स्तर इंजीनियर करने के कुछ विकल्प में शामिल हैं:
• वैकल्पिक सोर्सिंग व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए
व्यापार में व्यवधान / आकस्मिक बीमा
जोखिम आकलन और लेखा परीक्षा
जागरूकता अभियान और प्रशिक्षण कार्यक्रम
• बड़े डेटा एनालिटिक्स से व्यावसायिक खुफिया जानकारी और अनुमानित सुरक्षा उपायों बनाम साफ-सफाई के लिए निरंतर निगरानी
11 विषय प्रोग्राम्स में जोखिम प्रबंधन 2023
एक पाठ्यक्रम एक व्यापक विषय क्षेत्र के भीतर एक विशेष विषय का अध्ययन किया जाता है और एक योग्यता का आधार है. एक ठेठ पाठ्यक्रम व्याख्यान, आकलन और ट्यूटोरियल भी शामिल है.
जोखिम प्रबंधन में एमएससी जोखिम प्रबंधन के क्षेत्र में कैरियर के लिए नींव प्रदान करता है. यह छात्र छात्र ऐसे व्यापार प्राप्तियों, उधार और उत्पादन की आपूर्ति की लागत के रूप में व्यावसायिक गतिविधियों में जोखिम को मापने और प्रबंधन करने के लिए क्षमताओं को दे देंगे.
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आर्थिक अध्ययन (11)
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मुंगेर रेल सह सड़क पुल: ट्रेन परिचालन शुरू नहीं होने से जान जोखिम में डालकर पैदल पुल पार कर रहे हैं लोग
भारत सरकार के महत्वाकांक्षी योजना में शामिल श्रीकृष्ण सेतु अर्थात मुंगेर रेल सह सड़क पुल जहां अप्रोच पथ नहीं बन पाने के कारण आमजनों के लिए नकारा साबित हो रहा है। वहीं कोरोना संकट के कारण बंद किए गए ट्रेनों के परिचालन को अबतक शुरू नहीं किए जाने से होने वाली परेशानियों को लेकर लोगों में सरकार और रेल प्रशासन के खिलाफ आक्रोश पनपने लगा है। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता विक्रम सुधांशु उर्फ गुड्डू यादव, पंचायत प्रतिनिधि मुकेश कुमार यादव, अजय कुमार भारती, सिकंदर यादव, श्रीनिवास यादव, जवाहर सिंह, नवल कुमार महतो, कामरेड रामकुमार सिंह, भगत सिंह यूथ फाउंडेशन के निदेशक परिचालन जोखिम शाहिद इकबाल अतहर, संगठन संरक्षक सह पूर्व मुखिया वालेश्वर आजाद, पूर्व जिला पार्षद शिवजी सिंह आदि का कहना है कि बेगूसराय एवं खगड़िया का प्रमंडलीय कार्यालय के साथ साथ बिहार बोर्ड आफिस का क्षेत्रीय कार्यालय भी मुंगेर में ही अवस्थित है। इसके अलावे मुंगेर, खगड़िया व बेगूसराय के सैकड़ों लोग एक-दूसरे जगह नौकरी व अन्य व्यवसाय करते हैं। जिसके कारण छात्र-छात्राओं के साथ साथ प्रमंडलीय कार्यालय संबंधित कार्य से जाने वाले लोगों के अलावे नौकरी पेशा व अन्य व्यवसाय करने वाले लोगों को ट्रेन परिचालन बंद होने से रोज दिन इस संकट से गुजरना पड़ता है और जान जोखिम में डालकर नाव अथवा पैदल व साइकिल से पुल पार करने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। इनलोगों का कहना है परिचालन जोखिम कि भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा वर्ष 2002 में विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन किए गए इस पुल को औपचारिक रूप से वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 12 मार्च 2016 को मालगाड़ियों का परिचालन कर खोला गया। जिसके बाद तत्कालीन रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा द्वारा 11 अप्रैल 2016 को बेगूसराय-जमालपुर डेमू ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर इस मार्ग पर पैसेंजर ट्रेन का शुभारंभ किया गया। उस समय लोगों में एक उम्मीद जगी थी कि कम से कम इस मार्ग पर पर्याप्त संख्या में ट्रेनों का परिचालन शुरू हो जाने से लोगों को मुंगेर-खगड़िया-बेगूसराय आदि शहरों के लिए आने जाने में होने वाले संकट से कुछ हद तक निजात मिल सकती है। परंतु सरकार व रेल प्रशासन के उदासीन रवैया के कारण लोगों को निराशा के साथ एकमात्र डेमू ट्रेन के सहारे कशमकश भीड़ के बीच सफर करने को मजबूर होना पड़ा। इस दौरान न तो इस मार्ग पर पर्याप्त संख्या में यात्री ट्रेनों में बढ़ोतरी ही हो पाई और न तो अबतक अप्रोच पथ का निर्माण कार्य पूरा हो पाया है। रही सही कसर वैश्विक बीमारी कोरोना ने पूरा कर दिया। जब इस संक्रमण के फैलाव को देखते हुए सरकार ने इस मार्ग पर चलने वाली डेमू सहित अन्य ट्रेनों के परिचालन पर रोक लगा दी। इसे बंद हुए सात महीने से अधिक हो गये हैं। लोगों का कहना है कि हालांकि रेल प्रशासन द्वारा 8 दिसंबर से सहरसा और जमालपुर के बीच एकमात्र पैसेंजर ट्रेन का परिचालन परिचालन जोखिम शुरू करवाया गया है जो सुबह के करीब 10 बजे जमालपुर के लिए जाती है। जबकि करीब डेढ़ बजे दिन में ही वापस लौट है। जिसके कारण व्यवसाय व नौकरी पेशा वाले यात्रियों के लिए उपयोगी साबित नहीं हो पाता है। जबकि इस रूट पर में बस अथवा आने जाने का अन्य सुविधा उपलब्ध नहीं रहने के कारण लोगों को मजबूरन जान जोखिम में डालकर नाव अथवा इस पुल के रास्ते पैदल व साइकिल से आर-पार करना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि विगत कुछ दिन पूर्व ही इसी पुल को पार करने के दौरान फिसलकर नदी में गिरने से एक दुध व्यवसायी की परिचालन जोखिम मौत हो गई थी। बावजूद इसके अबतक सरकार अथवा रेल प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं पहुंच पा रही है। लोगों ने कहा कि अगर सरकार व रेल प्रशासन इस मार्ग पर अविलंब पर्याप्त ट्रेनों का परिचालन शुरू नहीं कराती है तो फिर हमलोग आमजनों के सहयोग से अनवरत आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
सोनदीपि मोहनपुर ग्रामीण सड़क जर्जर, परेशानी
लक्ष्मीपुर के सोनदीपि मोहनपुर ग्रामीण सड़क जर्जर स्थिति में है। नतीजन ग्रामीणों को आवागवन में परेशानी होती है। सड़कों पर बने बड़े बड़े गड्ढे होकर छोटे बड़े वाहनों का परिचालन जोखिम भरा होता.
लक्ष्मीपुर के सोनदीपि मोहनपुर ग्रामीण सड़क जर्जर स्थिति में है। नतीजन ग्रामीणों को आवागवन में परेशानी होती है। सड़कों पर बने बड़े बड़े गड्ढे होकर छोटे बड़े वाहनों का परिचालन जोखिम भरा होता है।
खासकर बरसात के दिनों में जब गड्ढे में पानी भरा होता है। इस स्थिति में वाहन चालकों को यह निर्णय करना मुश्किल हो जाता है कि वहां परिचालन जोखिम गड्ढे हैं या सिर्फ पानी। जिस लेकर हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। ग्रामीण क्षेत्र के लिए यह सड़क महत्वपूर्ण माना जाता है। चूंकि इस ग्रामीण सड़क का संपर्क कोहबरवा झाझा सड़क से है। जिससे मोहनपुर दिग्घी और खिलाड़ पंचायत के दर्जनों गांव का संपर्क है। जहां के ग्रामीण लंबी दूरी का ट्रेन पकड़ने के लिए झाझा रेलवे स्टेशन जाते हैं। उसके बाद इस सड़क से कई गांव के संपर्के है। जो पूर्व से नकश्ली घटनाओं को लेकर चर्चित रहा है। इस सड़क का निर्माण पांच वर्ष पूर्व किया गया था। लेकिन इस अवधि में इसके रखरखाव पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। नतीजन कहीं कहीं सड़क अपने अस्तित्व खोने के स्थिति में है। मोहनपुर पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि शिवनंदन परिचालन जोखिम पासवान,पंसस अजय कुमार यादव,वीरेंद्र यादव ने सड़क के निर्माण की मांग विभाग से की है।