अवलोकन और तकनीकी विश्लेषण

1490 के दशक में, वास्को डी गामा, जॉन कैबोट, फर्डिनेंड मैजीलेन और अन्य युरोपीय खोजकर्ताओं के ‘ईस्ट इंडीज’ (यानी भारत) आने के साथ भारत में ‘आधुनिक वैज्ञानिक पद्धति’ उभरना शुरु हुई। इनके पीछे-पीछे इंग्लैंड, फ्रांस और युरोप के कुछ अन्य हिस्सों के व्यापारी और खोजी आए। इनमें से कई व्यापारियों और पूंजीपतियों ने भारत और भारत के पर्यावरण, धन और स्वास्थ्य, धातुओं और खनिजों को खोजा और अवलोकन और तकनीकी विश्लेषण अपने औपनिवेशिक लाभ के लिए लूटना शुरू कर दिया। ऐसा करने के लिए उन्होंने वैज्ञानिक तरीकों को अपनाया। इसके अलावा, उनमें से कई जो समकालीन विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कृषि और चिकित्सा विज्ञान का कामकाज करते अवलोकन और तकनीकी विश्लेषण थे, उन्होंने इस ज्ञान को यहां के मूल निवासियों में भी फैलाया।
अवलोकन और तकनीकी विश्लेषण
डॉ. डी. बालसुब्रमण्यन
पिछले कुछ हफ्तों में इस बात पर महत्वपूर्ण चर्चा और बहस चली थी कि भारत में प्राचीन समय से अब तक विज्ञान और तकनीक का कारोबार किस तरह चला है। अफसोस की बात है कि कुछ लोग पौराणिक घटनाओं को आधुनिक खोज और आविष्कार बता रहे थे और दावा कर रहे थे कि यह सब भारत में सदियों पहले मौजूद था। इस संदर्भ में, इतिहासकार ए. रामनाथ (दी हिंदू, 15 जनवरी 2019) ने एकदम ठीक लिखा है कि भारत में विज्ञान के इतिहास को एक गंभीर विषय के रूप में अवलोकन और तकनीकी विश्लेषण देखा जाना चाहिए, न कि अटकलबाज़ी की तरह। लेख में रामनाथ ने इतिहासकार डेविड अरनॉल्ड के कथन को दोहराया है। अरनॉल्ड ने चेताया था कि भले ही प्राचीन काल के ज्ञानी-संतों के पास परमाणु सिद्धांत जैसे विचार रहे होंगे मगर अवलोकन और तकनीकी विश्लेषण अवलोकन और तकनीकी विश्लेषण उनका यह अंतर्बोध विश्वसनीय उपकरणों पर आधारित आधुनिक विज्ञान पद्धति से अलग है।
ऐसा लगता है कि अंतर्बोध की यह परंपरा प्राचीन समय में न सिर्फ भारत में बल्कि अन्य जगहों पर भी प्रचलित थी। किंतु आज ‘आधुनिक विज्ञान’ या बेकनवादी विधि (फ्रांसिस बेकन द्वारा दी अवलोकन और तकनीकी विश्लेषण गई विधि) पर आधारित विज्ञान किया जाता है। आधुनिक विज्ञान करना यानी ‘सवाल करें या कोई परिकल्पना बनाएं, सावधानी पूर्वक प्रयोग या अवलोकन करें, प्रयोग या अवलोकन के आधार पर परिणाम का विश्लेषण करें, तर्कपूर्ण निष्कर्ष पर पहुंचें, अन्य लोगों द्वारा प्रयोग दोहरा कर देखे जाएं और निष्कर्ष की जांच की जाए, और यदि अन्य लोग सिद्धांत की पुष्टि करते हैं तो सिद्धांत या परिकल्पना सही मानी जाए। ध्यान दें कि नई खोज, नए सिद्धांत आने पर पुराने सिद्धांत में बदलाव किए जा सकते हैं, उन्हें खारिज किया जा सकता है।’
अनुसंधान एवं विकास से ही नये भारत की सुदृढ़ नींव संभव
अनुसंधान और विकास, मानव विकास की यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अनुसंधान नए विचारों को जन्म देता है और नए निष्कर्ष तक पहुंचने में सक्षम बनाता है। इससे हमें आगे बढ़ने में मदद मिलती है। लेकिन दुर्भाग्य से हमारे देश में लंबे समय तक एक प्रेरक नवाचार सिस्टम न होने की वजह से गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान का गंभीर अभाव रहा। अनुसंधान संचालित अर्थव्यवस्था की इसी जरूरत को समझते हुए भारत सरकार ने अनुसंधान एवं विकास के माध्यम से ‘विकास’ को गति देने अवलोकन और तकनीकी विश्लेषण के लिए कई कदम उठाए हैं। नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक व्यवस्थित सिस्टम का निर्माण करते हुए सरकार ने ‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी’ (S&T) नीति अपनाई है। अवलोकन और तकनीकी विश्लेषण इस नीति के माध्यम से छात्रों अवलोकन और तकनीकी विश्लेषण को विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं नवाचार की ओर प्रोत्साहित किया जा रहा है। सरकार का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों के बीच वैज्ञानिक सोच के प्रसार को बढ़ावा देना, युवाओं में विज्ञान के अनुप्रयोग अवलोकन और तकनीकी विश्लेषण के लिए कौशल को बढ़ाना, प्रतिभाशाली और बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार में करियर निर्माण प्रमुख है।