रणनीति कैसे लागू करें?

निर्धनता:एक चुनौती
यह कई योजनाओं और कार्यक्रमों पर भी आधारित है। उनमें से कुछ का उल्लेख नीचे दिया गया है:
(i) राष्ट्रीय काम के बदले अनाज कार्यक्रम: यह कार्यक्रम 2004 में देश के सबसे पिछड़े 150 ज़िलों में लागू किया गया था। यह कार्यक्रम उन सभी ग्रामीण निर्धनों के लिए है, जिन्हें मज़दूरी पर रोज़गार की आवश्यकता है और जो अकुशल शारीरिक काम करने के इच्छुक हैं।
(ii) प्रधानमंत्री रोज़गार योजना: इस कार्यक्रम को 1993 में आरम्भ किया गया। इसका उद्देश्य ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में शिक्षित बेरोज़गार युवाओं के लिए स्वरोज़गार के अवसर सृजित करना है।
(ii) ग्रामीण रोज़गार सृजन कार्यक्रम: इस कार्यक्रम को 1995 में आरम्भ किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में स्वरोज़गार के अवसर सृजित करना है। दसवीं पंचवर्षीय योजना में इस कार्यक्रम के अंतर्गत २५ लाख नए रोज़गार के अवसर सृजित करने का लक्ष्य रखा गया।
(iv) प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना: इस कार्यक्रम को 2000 में आरम्भ किया गया। इस योजना के अंतर्गत गाँवों में मूलभूत सुविधाओं के लिए राज्यों को अतिरिक्त केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।
(v) राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, 2005: इस अधिनियम को सितम्बर 2005 में पारित किया गया। इस अधिनियम का नाम बदलकर महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम रणनीति कैसे लागू करें? कर दिया गया है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत अगर आवेदक को 15 दिन के अंदर रोज़गार उपलब्ध नहीं कराया गया तो वह दैनिक बेरोज़गारी भत्ते का हक़दार होगा।
भारत में निर्धनता रेखा का आकलन कैसे किया जाता है ?
(i) निर्धनता के आकलन के लिए एक सर्वमान्य सामान्य विधि आय अथवा उपभोग स्तरों पर आधारित है। किसी व्यक्ति को निर्धन माना जाता है, यदि उसकी आय या उपभोग स्तर किसी को 'न्यूनतम स्तर' से नीचे गिर जाये जो मूल आवश्यकताओं के एक दिए हुए समूह को पूर्ण करने के लिए आवश्यक है।
(2) भारत में निर्धनता रेखा का निर्धारण करते समय जीवन निर्वाह के लिए खाद्य आवश्यकता, कपड़ों, जूतों, ईंधन और प्रकाश, शैक्षिक एवं चिकित्सा सम्बन्धी आवश्यकताओं आदि पर विचार किया जाता है।
(3) निर्धनता रेखा का आकलन करते समय खाद्य आवश्यकता के लिए वर्तमान सूत्र वांछित कैलोरी आवश्यकताओं पर भी आधारित है। भारत में सवीकृत कैलोरी आवश्यकता ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रति दिन एवं नगरीय क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रति दिन है।
उदाहरण स्वरुप वर्ष 2000 में किसी व्यक्ति के लिए निर्धनता रेखा का निर्धारण ग्रामीण क्षेत्रों में ₹ 454 प्रतिमाह किया गया था।
भारत में 1973 से निर्धनता की प्रवृत्तियों की चर्चा करें ।
निर्धनता अनुपात (प्रतिशत) | निर्धनों की संख्या (करोड़) | |||||
वर्ष | ग्रामीण | शहरी | योग | ग्रामीण | शहरी | संयुक्त योग |
1973-74 | 56.4 | 49.0 | 54.9 | 26.1 | 6.0 | 32.1 |
1993-94 | 37.3 | 32.4 | 36.0 | 24.4 | 7.6 | 32.0 |
1999-2000 | 27.1 | 23.6 | 26.1 | 19.3 | 6.7 | 26.0 |
(i) भारत में निर्धनता अनुपात में वर्ष 1973 में लगभग 55 प्रतिशत से वर्ष 1993 में 36 प्रतिशत तक महत्वपूर्ण गिरावट आयी है।
(ii) गरीबी रेखा से नीचे के लोगों का अनुपात 2000 में करीब 26 प्रतिशत नीचे आ गया।
(iii) यदि प्रवृत्ति जारी है, तो गरीबी रेखा के नीचे वाले लोग अगले कुछ वर्षों में 20 प्रतिशत से भी कम कर सकते हैं।
भारत में निर्धनता में अंतर-राज्य असमानताओं का एक विवरण प्रस्तुत करें।
भारत में गरीबी के प्रमुख कारण नीचे दिए गए है:
(i) एक ऐतिहासिक कारण ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन के दौरान आर्थिक विकास का निम्न स्तर हैं।
(ii) औपनिवेशिक सरकार की नीतियों ने पारम्परिक हस्तशिल्प्कारी को नष्ट कर दिया और वस्त्र जैसे उद्योगों के विकास को हतोत्साहित किया।
(iii) सिंचाई और हरित क्रांति के प्रसार से कृषि क्षेत्रक में रोज़गार के अनेक अवसर सृजित हुए। लेकिन इनका प्रभाव भारत के कुछ स्थानों तक ही सीमित रहा।
(iv) उच्च निर्धनता दर की एक और विशेषता आय असमानता रही है। इसका एक प्रमुख कारण भूमि और अन्य संसाधनों का असमान वितरण है
उन सामाजिक और आर्थिक समूहों की पहचान करें जो भारत में निर्धनता के समक्ष निरुपाय हैं।
सामाजिक समूह:
(i) अनुसूचित जाति के परिवार
(ii) अनुसूचित जनजाति के परिवार
आर्थिक समूह: ग्रामीण कृषि श्रमिक परिवार तथा नगरीय अनियत मजदूर परिवार ।
क्या आप समझते हैं कि निर्धनता आकलन का वर्तमान तरीका सही है?
नहीं, गरीबी के आकलन की रणनीति कैसे लागू करें? वर्तमान पद्धति उपयुक्त नहीं है।
यह केवल एक मात्रात्मक अवधारणा है । लोगों के लिए निर्धनता की आधिकारिक परिभाषा उनके केवल एक सीमित भाग पर लागू होती है। यह न्यूनतम जीवन निर्वाह के 'उचित' स्तर की अपेक्षा जीवन निर्वाह के 'न्यूनतम' स्तर के विषय में है।
फसल की रणनीति
लाभ कमाने के लिए किसी विशेष उत्पाद, सुरक्षा, व्यवसाय और उत्पादों की एक पंक्ति में आगे के निवेश से बचने के निर्णय को फसल रणनीति के रूप में जाना जाता है। अधिकांश व्यवसाय के मालिक और निवेशक हार्वेस्ट रणनीति पर विचार करते हैं, जिसका अर्थ है कि जब वे मानते हैं कि निवेश के परिणामस्वरूप लाभ नहीं हो सकता हैइन्वेस्टर.
अधिकांश उत्पादों और व्यवसायों का एक विशिष्ट जीवन चक्र होता है। जब यह चक्र समाप्त हो जाता है और उत्पाद निवेशक के लिए उपयोगी और लाभदायक नहीं रह जाता है, तो वे निवेश करना बंद कर देते हैं। फसल की रणनीति को नहीं के निर्णय के रूप में परिभाषित किया जा सकता हैनिवेश उस उत्पाद में जो अपने जीवन चक्र की समाप्ति के करीब है। दूसरे शब्दों में, फसल की रणनीति का उपयोग उन उत्पादों की लाइन पर किया जाता है जो निवेशक को लाभ नहीं पहुंचा सकते हैं। आमतौर पर कहा जाता हैनकदी गाय चरण, फसल की रणनीति अपनाई जाती है जब प्रतिभूतियों का भुगतान किया जाता है।
फसल की रणनीति कैसे काम करती है?
व्यवसाय और निवेशक इन वस्तुओं के नकद गाय स्तर तक पहुंचने से पहले उत्पादों या प्रतिभूतियों को सर्वोत्तम बनाने के लिए फसल की रणनीति को लागू करने की अत्यधिक संभावना रखते हैं। अब, इन उत्पादों से उन्हें मिलने वाले लाभों का उपयोग नए और नवीन उत्पादों को डिजाइन करने और विकसित करने के लिए किया जाता है। कंपनियां इन फंडों का उपयोग वितरण के साथ-साथ उन उत्पादों के प्रचार के लिए भी कर सकती हैं जिनमें अभी भी विकास की संभावना है।
इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए कि शीतल पेय बेचने वाली कंपनी कार्बोनेटेड पेय में निवेश को समाप्त करने का निर्णय लेती है और इन निधियों का उपयोग ऊर्जा पेय विकसित करने के लिए करती है। मौजूदा उत्पादों पर निवेश को समाप्त करके जो पहले से ही अपने जीवन चक्र के अंत के करीब हैं, व्यवसाय और निवेशक कर सकते हैंपैसे बचाएं जिसे किसी अन्य उत्पाद के विकास के लिए पुन: आवंटित किया जा सकता है। वे उपकरण, वितरण, प्रचार, और पर पैसे बचा सकते हैंराजधानी उत्पादों की मौजूदा लाइन के लिए आवश्यक है जिसमें अब विकास क्षमता नहीं है।
क्या फसल की रणनीति प्रभावी है?
फसल की रणनीति के कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप अक्सर विशेष उत्पाद की क्रमिक समाप्ति होती है। सीधे शब्दों में कहें, रणनीति आपको उन उत्पादों में निवेश से बचने में मदद करती है जिनके जल्द ही अप्रचलित होने की उम्मीद है और इसके बजाय उन उत्पादों की लाइन में निवेश की गई पूंजी है जिनमें विकास की उच्च क्षमता है। इसके अलावा, एक कंपनी उत्पाद में निवेश को समाप्त करने का निर्णय ले सकती है जब विशिष्ट उत्पाद का बिक्री प्रदर्शन अपेक्षित बिक्री स्तर से नीचे गिरता रहता है। कंपनी के पोर्टफोलियो से ऐसे उत्पादों को खत्म करने और उन उत्पादों को निधि देने के लिए पैसे का उपयोग करना समझ में आता है जिनकी उपभोक्ता में उच्च मांग हैमंडी.
फसल की रणनीति निवेशकों और व्यवसायों के लिए काफी प्रभावी है। यह आपको उन उत्पादों की लाइन पर पैसे बचाने में मदद करता है जो अब आपके ब्रांड के लिए लाभदायक नहीं हैं। हार्वेस्ट स्ट्रैटेजी का इस्तेमाल निवेशक भी करते हैं। वे मुनाफा इकट्ठा करने के बाद निवेश से बाहर निकलने के लिए इस रणनीति का इस्तेमाल करते हैं। वे किसी विशेष निवेश से लाभ को एक नई परियोजना में आवंटित कर सकते हैं। फसल की रणनीति अक्सर उन उत्पादों पर लागू होती है जो जल्द ही रणनीति कैसे लागू करें? पुराने हो जाते हैं, जैसे स्मार्टफोन, कंप्यूटर, लैपटॉप और ऐसे अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट।
मर्ज करें और लड़ें 17+
मर्ज मास्टर: डायनासोर फ्यूजन एक शांत और वास्तविक समय की रणनीति का खेल है, राक्षस किंवदंतियों और मर्ज ड्रेगन की तरह, हर किसी के लिए जो ड्रेगन और राक्षसों को मर्ज करना चाहता है, जुड़ना और डायनासोर से लड़ना, डायनो बैश का आनंद लेना और लड़ाई जीतना चाहता है।
खेल का मुख्य लक्ष्य अपने योद्धाओं या डायनासोर को मिलाकर सभी दुश्मनों को हराना है। दुश्मन ड्रेगन, राक्षस, टी-रेक्स, स्टेगोसॉरस, ट्राइसेराटॉप्स, रैप्टर या अन्य डायनासोर हैं, इसलिए इस जुरासिक शिकार खेल में जीतना आसान नहीं होगा।
दुश्मन के स्थानों पर नियंत्रण रखने के लिए हमला करें और सर्वश्रेष्ठ जंगली डायनासोर शिकार खेलों में से एक का आनंद लें!
प्रतिक्रिया दें और जल्दी से सोचें। लड़ाई जीतने के लिए अपनी रणनीति और रणनीति का उपयोग करें और डायनासोर के अगले स्तर पर जाने के लिए आगे बढ़ें।
विलय के बाद अंतिम बॉस से लड़ें और अपने सभी प्राणियों को डायनो बॉस की तरह मिलाएं! इस चुनौती के हर कदम में, एक राक्षस जिसकी शक्ति बढ़ी है, आपका इंतजार करेगा! वास्तविक समय में अपनी रणनीति लागू करें, और आकर्षित करने के लिए सही संयोजन खोजें।
इस पशु विकास के क्रम में अगला सही कदम क्या होगा?
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डायनो शिकारी योद्धाओं और जुरासिक विश्व प्रशंसकों के लिए
कई राक्षस, योद्धा और डायनासोर विलय, शामिल होने और संघर्ष करने के लिए
मर्ज मास्टर कैसे बनें: डायनासोर फ्यूजन मास्टर?
अपने सैनिकों को युद्ध के मैदान में प्रदर्शित करें
अपनी शक्तियों को बढ़ाने के लिए अपने सैनिकों को मिलाएं और लड़ें।
इस जुरासिक शिकार खेल में एक विशाल और भयानक राक्षस के रूप में विकसित करें
ध्यान से उन दिशाओं का चयन करें जहाँ आप जाना चाहते हैं। यदि आप पर्याप्त तेजी से विकसित नहीं होते हैं, तो अन्य बड़े जीव आपको इस पशु अति विकास में ध्वस्त कर देंगे।
तेजी से विकास करें, और सभी दुश्मनों से लड़ें। डायनो शिकारी की तरह बनें या सुपर शक्तिशाली डायनो दस्ते का विलय करें
बहादुर बनें और असली मर्ज मास्टर की तरह डायनासोर की लड़ाई का सामना करें। सबसे मजबूत और सबसे भयानक प्राणी बनें जो सबसे अच्छे डायनासोर खेलों में से एक में युद्ध के मैदान को जीतने के लिए विलय करेंगे और लड़ेंगे!
How to Write UPSC Essay in Hindi - निबंध की तैयारी कैसे करे - निबंध रणनीति
जानिये कैसे करे UPSC निबंध लिखने की तयारी – How to Write UPSC Essay in Hindi एक निबंध किसी एक विषय पर लेखक के तर्क का रणनीति कैसे लागू करें? विश्लेषणात्मक प्रदर्शन को दर्शाता है। निबंध दो प्रकार के होते हैं – औपचारिक और अनौपचारिक। औपचारिक निबंध अवैयक्तिक विषयों पर केंद्रित होते है, जिसमे तथ्यात्मक सामग्री या आंकड़ों का प्रयोग करके उस विचार की पुष्टि की जाती हैं जिसपर निबंध केन्द्रित होता हैं। अनौपचारिक निबन्ध में भावनात्मक पहलू के साथ-साथ विश्लेषण ज्यादा महत्वपूर्ण होता हैं । यूपीएससी की मुख्य परीक्षा में निबंध पत्र का आधार औपचारिक निबंध लेखन के विषय पर आधारित होता है। UPSC Essay
- निबंध प्रकृति में अवैयक्तिक होना चाहिए और भावनात्मक पहलू कम होना चाहिए।
- निबंध की भाषा में व्यक्ति के संदर्भ का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
- एक औपचारिक निबंध हमेशा विषय की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए लिखा जाना चाहिए है। UPSC Essay
निबंध,सिविल सेवा में मुख्य परीक्षा का एक अनिवार्य प्रश्र पत्र है जो 200 अंकों का होता है। इसमें दिये गये छह विषयों में से अभ्यर्थी को अपनी रूचि के किसी एक विषय का चयन करके उस पर निबंध लिखना होता है, जिसके लिए उसके पास तीन घंटे का समय होता हैं जिसमे निबंध को हिन्दी अथवा अंग्रेजी में से किसी भी माध्यम में लिखा जा सकता है. UPSC Essay
निबंध महत्वपूर्ण क्यों? (Why UPSC Essay is Important)
- अच्छा निबंध अभ्यर्थियों द्वारा प्राप्त अंकों में बड़ा अंतर उत्पन्न कर सकता हैं
- अच्छा निबंध से अभ्यर्थियों की रणनीति कैसे लागू करें? रैंकिंग में काफी सुधार हो सकता हैं
- इसकी तैयारी में अन्य विषयों से कम समय लगता हैं, परन्तु उनकी तुलना में इस प्रश्न पत्र से अधिक अंक प्राप्त किया जा सकता हैं
- इस प्रश्न पत्र की अनदेखी असफलता का मुंह दिखा सकती हैं या निम्र रैंकिंग से ही संतोष करना पड़ा सकता हैं
निबंध का पाठ्यक्रम (How to Write UPSC Essay in Hindi)
- इस प्रश्न पत्र का आयोग द्वारा कोई सुपरिभाषित पाठ्यक्रम निर्धारित नहीं किया गया है
- विगत वर्ष प्रश्न पत्रों के आधार पर निम्नलिखित कुछ विषयो पर सबसे ज्यादा निबंध पूछे जाते हैं
- समसामयिक महत्व की घटनाएं
- सभ्यता एवं संस्कृति
- विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण
- राजनीति एवं प्रशासन
- आर्थिक विषय
- दार्शनिक अथवा कल्पना मूलक विषय
- सामाजिक महत्व के विषय.
निबंध लेखन की तैयारी महत्वपूर्ण क्यों है? (UPSC Essay)
निबंध प्रश्न-पत्र के तहत लिखे अनुदेशों को यदि आपने सावधानीपूर्वक पढ़ा हो तो उसमें काफी कुछ व्यक्त किया गया है। यह अनुदेश इस प्रकार है- ‘उम्मीदवार की विषयवस्तु की पकड़ चुने गये विषय के साथ उसकी प्रासंगिकता रचनात्मक तरीके से सोचने की उसकी योग्यता और विचारों को संक्षेप में, युक्तिसंगत और प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करने की तरफ परीक्षक विशेष ध्यान देंगे।’ यदि उक्त कथन का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करें तो हम पाते हैं कि इसमें चार बातों पर बल दिया गया है-
(क) विषयवस्तु की पकड़
(ग) रचनात्मक चिंतन और
कैसे करें शुरुआत? (How to Write UPSC Essay)
- निबंध की रूपरेखा ऐसी होनी चाहिए जिसमें शुरुआत प्रभावशाली हो, जहां इसका मध्यभाग सुव्यवस्थित और प्रासंगिक हो और समापन निर्णायक। ध्यान रहे विषय परिचय और निष्कर्ष में संबंध स्पष्ट रहे और आपने जो कुछ भी बीच में डाला है वह अंतिम भाग तक लयबद्ध लगे। UPSC Essay
- लेखन में सावधानी बरतें कि कुछ छूट तो नहीं रहा और आप सभी मुख्य बिंदुओं को कवर करने में सक्षम हैं तथा विचारों को स्पष्ट एवं प्रभावी रूप से व्यक्त कर रहे हैं। साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि प्रस्तुति गुथी और अनुक्रमण सहज है।
- एक सटीक और सुनियोजित निबंध परीक्षक का ध्यान आकर्षित करेगा और आपको अच्छे अंक प्राप्त करने में मदद करेगा। आइए अब हम अच्छे निबंध की विशेषता से परिचित हो लेते हैं-
- मेन्स परीक्षा में आपके खेल को बढ़ाने में निबंध पेपर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अपनी पसंद के विषय का चयन करते समय इस कारक को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह एक अच्छा स्कोरिंग पेपर है, जहां उम्मीदवारों को 150 से ऊपर स्कोर करने के लिए जाना जाता है, जो मेन्स के लिए उनके कुल मिलान में जोड़ता है।
एक अच्छे निबंध का प्रारूप (UPSC Essay)
निबंध को 3 भागों में विभाजित किया जा सकता है -1। परिचय(प्रस्तावना), 2. मुख्य भाग 3. निष्कर्ष
परिचय(प्रस्तावना)
जैसा कि हम जानते हैं, फर्स्ट इम्प्रेशन लास्ट इम्प्रेशन, इंट्रोडक्शन है, जो एक निबंध में पर भी लागू होती हैं। अतः किसी भी निबंध को किस उद्धरण या कथन के साथ प्रारंभ कर सकते हैं
मुख्य भाग
यह भाग किसी भी निबंध का सबसे महत्वपूर्ण भाग हैं , जिसमे उम्मीदवार को अपने पुरे ज्ञान का प्रदर्शन करना होता हैं (UPSC Essay) , जिसमे उम्मीदवार से निम्नलिखित चीजो की आशा की जाती हैं
- विषय का मुख्य मुद्दा क्या हैं , उसका स्पस्ट होना
- उसने सभी आयामों के बारे में चर्चा होना
- उससे संबधित सकारात्मक और नकारात्मक पहलू का विवरण
- एक अच्छा निबंध हमेशा प्रकृति में बहुआयामी होगा (विशेषकर अनुभाग-बी वाले)। उम्मीदवारों को, एक अच्छा उद्देश्य निबंध लिखने के लिए, निबंध में एक केंद्रीय विषय के राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, तकनीकी, पर्यावरण और कानूनी पहलुओं को एकीकृत करने का प्रयास करना चाहिए।
- यूपीएससी द्वारा एक अच्छे निबंध के लिए मूल बातें कम से कम एक विषय के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक पहलुओं को शामिल करने का प्रयास करना चाहिए।
निष्कर्ष (UPSC Essay)
निष्कर्ष पैराग्रफ शुरू करने के लिए जो भी प्रश्न पूछा गया है पहले उसका सटीक और पूर्ण जवाब देना जरूरी है ताकि हम जो भी निष्कर्ष लिखें वह पूरी तरह से उत्तर को सार्थक करता है।