प्रसार कम है

यहां इस बात को याद रखना बेहद जरूरी है कि 23एंड मी कंपनी का यह डेटा उस रिसर्च के आधार पर है जो फिलहाल जारी है और कंपनी अब भी उसमें प्रतिभागियों की भर्ती कर रही है और इस डेटा को वैज्ञानिकों और चिकित्सा समुदाय द्वारा अब तक प्रेशर टेस्ट नहीं किया गया है।
इस बार ग्रामीण इलाकों में कोरोना का प्रसार शहर से कम
-आरा शहरी व सदर में 195 और शेष 13 प्रखंडों में 160 पॉजिटिव
-बिहिया में जवाहर नवोदय विद्यालय के कारण 69 केस हैं एक्टिव
आरा। हिन्दुस्तान प्रतिनिधि
कोरोना की तीसरी लहर के दौरान भोजपुर के ग्रामीण इलाकों में शहर की तुलना में कोरोना का प्रसार कम देखने को मिल रहा है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार जिले में 367 एक्टिव केस हैं। इसमें 12 एक्टिव केस वैसे हैं, जो बाहर के लोग हैं और यहां पर जांच करा पॉजिटिव आये हैं। वहीं 355 एक्टिव केस में से आरा शहरी व सदर प्रखंड में 195 एक्टिव केस हैं। शेष 13 प्रखंडों में 160 संक्रमित ही पाए गये हैं। सिर्फ बिहिया प्रखंड में 69 केस एक्टिव हैं। इसमें जवाहर नवोदय विद्यालय के विद्यार्थियों के कारण एक्टिव केस की संख्या बढ़ गई है। इस संख्या को अगर घटा दिया जाए तो जिले के 13 प्रखंडों में सिर्फ 91 केस ही एक्टिव हैं। जगदीशपुर में 24, उदवंतनगर में 23, कोईलवर में 15, पीरो में 10, शाहपुर व बड़हरा में सात-सात, गड़हनी व संदेश में पांच-पांच, अगिआंव में चार, चरपोखरी व तरारी में दो-दो और सहार में एक केस एक्टिव है। इसमें जगदीशपुर, कोईलवर और पीरो नगर निकाय का इलाका है तो वहीं उदवंतनगर आरा शहरी और सदर प्रखंड से सटा इलाका है। विशेषज्ञों की मानें तो इस बार कोरोना की तीसरी लहर के दौरान अब तक लॉकडाउन नहीं लगाया गया है। इस कारण गांव में दूसरे राज्यों और महानगरों से कम संख्या में मजदूर पहुंचे हैं। शहरों में प्रवास अधिक होने के कारण यहां अधिक केस मिल रहे हैं। एक अन्य कारण यह भी बताया जा रहा है कि ग्रामीण इलाकों की अपेक्षा शहरी इलाकों में घनी आबादी है और जांच भी अधिक हो रही है। भोजपुर में मंगलवार को 6255 लोगों की कोरोना की जांच की प्रसार कम है गई। इनमें लगभग 15 सौ आरा सदर अस्पताल और सदर प्रखंड में जांच हुई। शेष 13 अन्य प्रखंडों में।
द्रव का ऊष्मीय प्रसार , द्रवों में ऊष्मीय प्रसार क्या है , उदाहरण , सूत्र (thermal expansion of liquids in hindi)
(thermal expansion of liquids in hindi) द्रव का ऊष्मीय प्रसार , द्रवों में ऊष्मीय प्रसार क्या है , उदाहरण , सूत्र : जव किसी द्रव को गर्म किया जाता है तो ऊष्मा ग्रहण करने के कारण द्रव की विमाओं में प्रसार हो जाता है अर्थात विमाएँ बढ़ जाती है , द्रवों के इस प्रसार को ही द्रव का ऊष्मीय प्रसार कहते है।
जब किसी द्रव को ऊष्मा दी जाती है तो इसमें रेखीय या क्षेत्रीय उष्मीय प्रसार नहीं होता है केवल ऊष्मीय आयतन प्रसार होता है।
अत: हम कह सकते है कि द्रवों में केवल आयतन प्रसार होता है , जब द्रव को गर्म किया जाता है तो इसका आयतन ऊष्मा पाकर फैलता है अर्थात बढ़ता है , इसे घनीय विस्तार भी कह सकते है।
जब किसी प्रसार कम है द्रव को पात्र में डालकर उसे गर्म किया जाता है तो ऊष्मा पाकर द्रव में ऊष्मीय प्रसार होता है लेकिन पात्र भी गर्म होता है अत: पात्र में भी ठोस ऊष्मीय प्रसार होगा अत: द्रव में होने वाले ऊष्मीय प्रसार का वास्तविक मान ज्ञात करने के लिए पात्र में हुए प्रसार को भी ध्यान में रखना पड़ेगा।
वास्तविक प्रसार गुणांक (Coefficient of real expension of a liquid)
एक डिग्री तापमान पर इकाई आयतन में द्रवों में होने वाले वास्तविक ऊष्मीय प्रसार को वास्तविक प्रसार गुणांक कहते है तथा इसे γr से लिखते है।
जब ताप को एक डिग्री बढाया जाता है तो द्रव के इकाई आयतन में होने वाले आभासी ऊष्मीय प्रसार को आभासी प्रसार कहते है। इसे γg द्वारा व्यक्त करते है।
शतावरी में मौजूद यौगिक स्तन कैंसर के प्रसार से जुड़ा है
शोधकर्ता इस बात की जांच कर रहे हैं कि चूहों में अध्ययन के बाद आहार में बदलाव स्तन ट्यूमर के रोगियों की मदद कर सकता है या नहीं, यह दिखाया गया है कि शतावरी, एक यौगिक जो मुख्य रूप से शतावरी में पाया जाता है लेकिन कई अन्य खाद्य पदार्थों में मौजूद होता है, रोग को अन्य अंगों तक फैलाता है।
- और देखें: शतावरी - यह क्या है और समृद्ध खाद्य पदार्थ।
जब अध्ययन वैज्ञानिकों ने स्तन कैंसर वाले जानवरों में शतावरी को कम किया, तो उन्होंने पाया कि अन्य ऊतकों में माध्यमिक ट्यूमर की संख्या में नाटकीय रूप से गिरावट आई है। घातक कोशिकाओं का प्रसार, अक्सर हड्डियों, फेफड़ों और मस्तिष्क में, स्तन कैंसर से पीड़ित रोगियों में मृत्यु का प्रमुख कारण है।
"यह एक बहुत ही आशाजनक परिणाम है और उन कुछ मामलों में से एक है जहां आहार संशोधन के लिए एक वैज्ञानिक तर्क है जो कैंसर को प्रभावित करता है," प्रमुख वैज्ञानिक, प्रोफेसर ग्रेग हैनॉन, निदेशक ने कहा कैंसर अनुसंधान यूके कैंसर संस्थान, कैम्ब्रिज में।
'ओ' ब्लड ग्रुप वालों को कोविड-19 होने का प्रसार कम है खतरा कम, जानें किस ग्रुप को है ज्यादा खतरा
रोजाना के कामों के आधार पर देखें तो वैसे तो आपके ब्लड ग्रुप का आपकी सेहत पर कोई खास असर नहीं पड़ता। लेकिन अब कोविड-19 संक्रमण के लिए किसी व्यक्ति की संवेदनशीलता और उसके ब्लड ग्रुप के बीच कोई लिंक है या नहीं इसकी जानकारी हासिल करने के लिए कई तरह के अध्ययन किए जा रहे हैं।
अध्ययन में यह बात सामने आयी : ब्लड ग्रुप और कोविड-19 को लेकर किए गए अध्ययन के मुताबिक जिन लोगों का ब्लड ग्रुप 'ए' है उन्हें नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 से होने वाला इंफेक्शन कोविड-19 की गंभीर बीमारी होने का खतरा सबसे अधिक है। जबकी 'ओ' ब्लड ग्रुप वाले लोगों को बाकी किसी भी ब्लड ग्रुप वालों की तुलना में कोविड-19 से प्रभावित होने का खतरा सबसे कम है। मौजूदा समय में 3 स्टडीज हैं जो इस बात का समर्थन करती हैं।