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इक्विटी पर व्यापार क्या है?

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सबसे पहले, चार महानगरों की नगरपालिका सीमाओं और कालीन के 60 वर्ग मीटर के भीतर अपार्टमेंट के लिए 30 वर्ग मीटर का कालीन क्षेत्र में किफायती आवास की परिभाषा बदल दी गई हैचार महानगरों के बाहर के स्थान के लिए क्षेत्र, बिल्ट-अप क्षेत्र के आधार पर पूर्व परिभाषा से, पॉइटार हाउसिंग एंड एमडी, एमडी, रोहित पोद्दार, ने बताया। इसके अलावा, आयकर की छुट्टी तीन साल से बढ़ाकर पांच साल कर दी गई है, जो मेट के अधीन है। इसका मतलब यह है कि कराधान की प्रभावी दर 33.99% के बजाय 22.9 9% है, जिससे करों में 11% की बचत होती है। इसका मतलब पीई निवेशकों द्वारा निवेश किए गए इक्विटी पर व्यापार क्या है? धन के लिए बेहतर आईआरआर होगा, “पोद्दार बताते हैं।

क्या भारतीय रिएल्टी में निजी इक्विटी निवेश में कमी या कमी आएगी?

प्राइवेट इक्विटी (पीई) के निवेशक, अचल संपत्ति बाजार में भावनाओं का एक अच्छा सूचक के रूप में सेवा कर सकते हैं। पिछले कुछ महीनों में, सरकार ने कई प्रमुख पहलों की घोषणा की है, जो कि रियल एस्टेट बाजार में, शेयरधारकों के लिए व्यापार के भविष्य के पाठ्यक्रम को बदलने की संभावना है।

सबसे पहले, चार महानगरों की नगरपालिका सीमाओं और कालीन के 60 वर्ग मीटर के भीतर अपार्टमेंट के लिए 30 वर्ग मीटर का कालीन क्षेत्र में किफायती आवास की परिभाषा बदल दी गई हैचार महानगरों के बाहर के स्थान के लिए क्षेत्र, बिल्ट-अप क्षेत्र के आधार पर पूर्व परिभाषा से, पॉइटार हाउसिंग एंड एमडी, एमडी, रोहित पोद्दार, ने बताया। इसके अलावा, आयकर की छुट्टी तीन साल से बढ़ाकर पांच साल कर दी गई है, जो मेट के अधीन है। इसका मतलब यह है कि कराधान की प्रभावी दर 33.99% के बजाय 22.9 9% है, जिससे करों में 11% की बचत होती है। इसका मतलब पीई निवेशकों द्वारा निवेश किए गए धन के लिए बेहतर आईआरआर होगा, “पोद्दार बताते हैं।

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डायरेक्‍ट शेयर या फिर इक्विटी म्‍युचुअल फंडों के जरिये करें निवेश? जानिए क्‍या है आपके लिए फायदे का सौदा

डायरेक्‍ट शेयर या फिर इक्विटी म्‍युचुअल फंडों के जरिये करें निवेश? जानिए क्‍या है आपके लिए फायदे का सौदा

नई दिल्ली, नितेश कुमार तिवारी। 'लाभ जोखिम का पुरस्कार है'। प्रो० हॉले का ये कथन व्यापार जगत से लेकर निवेश बाजार के लिए सटीक बैठता है। शेयर बाजार में निवेश की बात करें तो अगर आप जानकार हैं और कंपनियों की गतिवधियों को समझते हैं तो सीधे उन शेयरों में निवेश कर सकते हैं जो आपको बेहतर रिटर्न दे सकते हैं। हालांकि, एक आम निवेशक के लिए शेयरों में निवेश के लिए कंपनियों पर रिसर्च करना एक मुश्किल काम है। आम निवेशकों के इस काम को आसान करते हैं इक्विटी म्‍युचुअल फंड। इक्विटी म्‍युचुअल किसी एक शेयर में नहीं बल्कि तमाम कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं। इस वजह से किसी एक कंपनी से होने वाले नुकसान आपके निवेश पोर्टफोलियो को प्रभावित नहीं करता है।

शेयर बाजार में सीधे निवेश के फायदे और नुकसान

अगर निवेशक शेयर बाजार में सीधे निवेश करते हैं तो इसका फायदा यह है कि इसपर ज्यादा रिटर्न के साथ-साथ अधिक नुकसान की संभावना बढ़ जाती है, लेकिन इसके अपने खतरे भी हैं। शेयर में सीधे निवेश करना ज्यादा रिटर्न के लिहाज से ठीक तो है लेकिन कई बार नुकसान का खतरा बढ़ जाता है और भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। अगर कोई निवेशक शेयर बाजार में सीधे निवेश करता है तो उसे अपने पोर्टफोलियो पर निरंतर ध्यान देना होता है।

सेबी रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर, और सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर मनिकरण सिंघल ने कहा, जिसको स्टॉक की जानकारी नहीं है, शेयर कैसे खारीदा जाए, वे प्रोफेशनल मैनेजमेंट के जरिये म्‍युचुअल फंड में निवेश करें। इसमें सब कुछ डिसिप्लिन के तहत होता है। हर महीने SIP के जरिये जाएं। हां, अगर किसी के पास पूरा समय है, कोई निवेशक अगर मार्केट के बारे में जानता है, उसके पास रिसर्च के लिए बहुत समय है, तो फिर वो डायरेक्ट शेयर के लिए जा सकता है, वरना म्‍युचुअल फंड सबसे बेहतर विकल्‍प है।

लॉन्ग टर्म के लिए करें निवेश

कई दफा ऐसा होता है कि निवेशक शेयर बाजार से बहुत जल्दी भारी भरकम रिटर्न की उम्मीद लगा लेते हैं, जबकि बाजार हमारी सोच के हिसाब से नहीं चलते, इसलिए शेयर में निवेश करें तो थोड़ा धैर्य रखना होगा, क्योंकि इंतजार करने पर आपको अच्छा रिटर्न मिल सकता है।

फंड मैनेजर को होती है जानकारी

अगर आप म्‍युचुअल फंड के माध्यम से निवेश करते हैं उसका प्रबंधन प्रोफेशनल फंड मैनेजर्स करते हैं। फंड मैनेजर को बाजार के उतार-चढ़ाव की अच्छी समझ होती है। इसके अलावा निवेश पोर्टफोलियो डायवर्सिफाइड होने से उतार-चढ़ाव का खतरा भी कम हो जाता है।

लैडर7 फाइनेंशियल सर्विसेज इक्विटी पर व्यापार क्या है? के फाइनेंशियल एडवाइजर, सुरेश सदगोपन का कहना है कि अगर कोई निवेशक डायरेक्ट शेयर में निवेश के लिए जाता है तो उसे स्टॉक मार्केट के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। उसे रिसर्च करना होगा, नये लोगों के लिए ये मुश्किल है, इसलिए प्रोफेशनल मैनेजमेंट के जरिये म्‍युचुअल फंड में निवेश करना बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि प्रोफेशनल मैनेजर को मार्केट की मौजूदा हालत से लेकर शेयरों के बारे में जानकारी होती है कि कौन सा शेयर किस वक़्त कैसे परफॉर्म कर रहा है। इसलिए म्‍युचुअल फंड का रास्ता सही है।

एक छोटी राशि से कर सकते हैं निवेश की शुरुआत?

आमतौर पर म्‍युचुअल फंड में 500 रुपये से निवेश की शुरुआत कर सकते हैं। लेकिन कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं जो 100 रुपये से निवेश शुरू करने की सुविधा देती हैं।

इक्विटी म्यूचुअल फंड में सितंबर तिमाही में आया करीब 40,000 करोड़ रुपए का निवेश

नई दिल्लीः इक्विटी म्यूचुअल फंड में सितंबर में समाप्त तिमाही के दौरान शुद्ध रूप से करीब 40,000 करोड़ रुपये का निवेश आया है। नई कोष पेशकशों (एनएफओ) में मजबूत प्रवाह तथा सिस्टैमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (सिप) में स्थिरता के बीच इक्विटी कोषों को तिमाही के दौरान अच्छा निवेश मिला है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों के अनुसार, इस प्रवाह के साथ इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां सितंबर के अंत तक बढ़कर 12.8 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गईं। जून के अंत तक यह 11.1 लाख करोड़ रुपए थीं।

आंकड़ों के अनुसार, सितंबर तिमाही इक्विटी पर व्यापार क्या है? में इक्विटी कोषों में 39,927 करोड़ रुपए का निवेश आया। जून तिमाही में यह आंकड़ा 19,508 करोड़ इक्विटी पर व्यापार क्या है? रुपए रहा था। मार्च से इक्विटी म्यूचुअल फंड में प्रवाह लगातार बढ़ रहा है। इससे पहले जुलाई, 2020 से फरवरी, 2021 तक लगातार आठ माह इन कोषों से निकासी हुई थी। हेम सिक्योरिटीज के प्रमुख-पीएमएस मोहित निगम ने कहा, ‘‘इक्विटी कोषों में सतत प्रवाह से भारतीय शेयर बाजारों के प्रति निवेशकों की सकारात्मक धारणा का पता चलता है। अर्थव्यवस्था में सुधार, कंपनियों के महामारी की बाधाओं से उबरने तथा सरकार के समर्थन वाले रुख से अर्थव्यवस्था तेजी से पुनरुद्धार की राह पर है।''

म्यूचुअल फंड विशेषज्ञों का कहना है कि इक्विटी में आए शुद्ध प्रवाह में प्रमुख योगदान एनएफओ का है। संपत्ति प्रबंधन कंपनियां (एएमसी) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के योजना वर्गीकरण नियमों के तहत अपनी पेशकशों को पूरा करने का प्रयास कर रही हैं।

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स्टार्टअप उद्यमियों को बड़ी राहत, लोन को इक्विटी में बदलने के लिए अब 10 साल का समय

कोई निवेशक स्टार्टअप में परिवर्तनीय नोट के जरिये निवेश कर सकता है, जो एक प्रकार का बांड/ऋण उत्पाद होता है।

Edited by: India TV Paisa Desk इक्विटी पर व्यापार क्या है?
Published on: March 20, 2022 14:28 IST

startups- India TV Hindi

Photo:FILE

Highlights

  • उद्यमियों को कोविड-19 महामारी के प्रभाव से बाहर निकलने में मदद मिलेगी
  • अभी तक पांच साल तक इक्विटी शेयरों में बदलने की अनुमति थी
  • इस बदलाव से स्टार्टअप कंपनियों का बोझ कम हो सकेगा

नई दिल्ली। सरकार ने स्टार्टअप के लिए कंपनी में किए गए ऋण निवेश को इक्विटी शेयरों में बदलने की समयसीमा को बढ़ाकर 10 साल कर दिया है। सरकार के इस फैसले से उभरते उद्यमियों को कोविड-19 महामारी के प्रभाव से बाहर निकलने में मदद मिलेगी। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के एक नोट से यह जानकारी मिली है। अभी तक परिर्वतीय नोट्स को इन्हें जारी करने की तारीख से पांच साल तक इक्विटी शेयरों में बदलने की अनुमति थी। अब इस समयसीमा को बढ़ाकर 10 साल कर दिया गया है।

कोई निवेशक स्टार्टअप में परिवर्तनीय नोट के जरिये निवेश कर सकता है, जो एक प्रकार का बांड/ऋण उत्पाद होता है। इस निवेश में निवेशक को यह विकल्प दिया जाता है कि यदि स्टार्टअप कंपनी का प्रदर्शन अच्छा रहता या भविष्य में वह प्रदर्शन के मोर्चे पर कोई लक्ष्य हासिल करती है, तो निवेशक उससे अपने निवेश के एवज पर कंपनी के इक्विटी शेयर जारी करने को कह सकता है। स्टार्टअप कंपनी द्वारा कर्ज के रूप में मिले धन के एवज में परिवर्तनीय नोट जारी किया जाता है। धारक के विकल्प के आधार पर इसका भुगतान किया जाता है। या फिर इसे स्टार्टअप कंपनी के इक्विटी शेयर में बदला जा सकता है। अब इन नोट को जारी करने की तारीख से 10 साल के दौरान इक्विटी शेयर में बदला जा सकेगा। विशेषज्ञों ने कहा कि परिवर्तनीय नोट स्टार्टअप के लिए शुरुआती चरण के वित्तपोषण का एक आकर्षक माध्यम बन गए हैं।

डेलॉयट इंडिया के भागीदार सुमित सिंघानिया ने कहा, परिवर्तनीय डिबेंचर/बांड के उलट परिवर्तनीय नोट इक्विटी में बदलने का लचीला विकल्प देते हैं। इसमें अग्रिम में ही परिवर्तनीय अनुप़ात तय करने की जरूरत नहीं होती। सिंघानिया ने कहा कि परिवर्तनीय नोट को इक्विटी में बदलने की समयसीमा को बढ़ाकर 10 साल किया गया है। इससे स्टार्टअप कंपनियों का बोझ कम हो सकेगा।

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