क्या है डिजिटल करेंसी या डिजिटल मुद्रा

डिजिटल मुद्रा क्या है?
मुद्रा एक साधन क्या है डिजिटल करेंसी या डिजिटल मुद्रा है जिसके मूल्य से आप सामान और सेवाओं को खरीद सकते हैं। रुपया एक कागज़ी मुद्रा है जो भारतीय रिज़र्व बैंक छापता है जिससे हम रोज़मर्राह की चीजें इत्यादि खरीदते हैं। रुपैये का मूल्य रिज़र्व बैंक द्वारा तय होता है |
दूसरी ओर डिजिटल मुद्राएं हैं जो केंद्रीय बैंकों द्वारा जारी नहीं की जाती हैं। ये मुद्राएं हालांकि लोगों द्वारा दुनिया भर में सामान और सेवाओं के भुगतान के लिए स्वीकार की जा रही हैं |
एक पारंपरिक बैंक में आपका एक बैंक खाता होता है और बैंक आमतौर पर लेनदेन की प्रक्रिया के लिए कुछ चार्जेस लेता है।
डिजिटल मुद्रा का लेनदेन मूल्यतः इंटरनेट पर होता है | डिजिटल वॉलेट एक तरह का अकाउंट है जिसमे आप अपनी डिजिटल मुद्रा रखते हैं | इंटरनेट के माद्यम से डिजिटल मुद्रा का एक डिजिटल वॉलेट से दूसरे डिजिटल वॉलेट में ट्रांसफर होता है। इस प्रक्रिया में हमें बैंक के माध्यम से जाने की ज़रूरत नहीं पड़ती। डिजिटल वॉलेट को फोन, कंप्यूटर या अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के माध्यम से इस्तेमाल किया जा सकता है |
आप डिजिटल मुद्रा को किसी भी अन्य मुद्रा जैसे रुपया, डॉलर आदि के बदले में डिजिटल मुद्रा एक्सचेंजों पर खरीद सकते हैं |
डिजिटल मुद्रा को क्रिप्टो करेंसी (मुद्रा ) भी कहा जाता है। लाइटकोइन, जैकैश, एथ्यूरम, बिटकॉइन आदि सभी डिजिटल मुद्राओं का उदाहरण हैं जिनमें से बिटकॉइन सबसे लोकप्रिय है जिसे हम अगले भाग में विस्तार से समझेंगे।
तो क्या भविष्य में बंद हो जाएंगे नोट, डिजिटल करेंसी अर्थव्यवस्था को मजबूती देने का नया आधार
100 रुपये के एक नोट को छापने पर 15 से 17 रुपये का खर्च आता है। 2023 में यूरोप में डिजिटल करंसी लाने के लिए पेश हो सकता है बिल। 109 देशों के केंद्रीय बैंक इसे लागू करने के लिए तैयारी और शोध में जुटे।
दुनियाभर के देश डिजिटल करंसी से अर्थव्यवस्था को नई मजबूती देने की तैयारी में हैं। देश में मंगलवार को डिजिटल करंसी ई-रुपया की शुरुआत के साथ नए युग का आगाज हुआ। बजट में की गई घोषणा के अनुसार रिजर्व बैंक ने इस योजना का पायलट परीक्षण किया।
वहीं, अमेरिकी थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल के अनुसार दुनिया के दस देशों के केंद्रीय बैंक ने डिजिटल करंसी (सीबीडीसी) का पूर्ण इस्तेमाल शुरू कर दिया है। इसमें बहामास, नाइजीरिया, एंटीगुआ, डॉमनिका, ग्रेनेडा, मॉन्टस्ट्रीट, सेंट किट्स, सेंट लुसिया, सेंट विंसेंट और ग्रेनडाइन्स जैसे कैरेबियाई देश शामिल हैं। वहीं 109 देश इसे लागू करने की तैयारी में हैं या पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसपर क्या है डिजिटल करेंसी या डिजिटल मुद्रा काम कर रहे हैं। सेंट्रल बैंक ऑफ द बहामास अक्तूबर 2020 में दुनिया का पहला केंद्रीय बैंक बन गया जिसने सीबीडीसी को लॉन्च किया।
नोटों की छपाई लागत खत्म होगी
आरबीआई के अनुसार देश में 100 रुपये के एक नोट को छापने पर 15 से 17 रुपये की लागत आती है। एक नोट करीब चार साल तक चल पाता है। इसके बाद केंद्रीय बैंक को दोबारा नोट छापने पड़ते हैं, जिस पर हजारों करोड़ रुपये की लागत आती है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2021-22 में 4.19 लाख अतिरिक्त नोट छापे थे जिसके जिए उसे हजारों करोड़ रुपये खर्च करने पड़े थे। डिजिटल करंसी का चलन बढ़ने के साथ ये लागत लगभग खत्म हो जाएगी।
जी-20 देश डिजिटल मुद्रा की दिशा में आगे बढ़े
अटलांटिक काउंसिल के अनुसार, जी-20 देशों के समूह में से 19 देश डिजिटल मुद्रा की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं। बीते छह महीने में भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, रूस इस दिशा में सबसे बेहतर स्थिति में हैं। वहीं अमेरिका, ब्रिटेन और मेक्सिको अभी इस पर शोध कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 105 देशों की वैश्विक जीडीपी में 95 क्या है डिजिटल करेंसी या डिजिटल मुद्रा फीसदी हिस्सेदारी है। मई 2020 में सीबीडीसी पर विचार करने वाले देशों की संख्या मात्र 35 थी, जो अब बढ़कर 100 हो गई है।
ई-रुपी कैसे क्या है डिजिटल करेंसी या डिजिटल मुद्रा काम करेगा?
यह एक वाउचर है जिसे हस्तांतरित नहीं किया जा सकता। यानी केवल वही इसका इस्तेमाल कर सकेगा, जिसके लिए यह जारी किया गया है। ई-रुपी वाउचर जारी होने के बाद इसका इस्तेमाल एक ही बार किया जा सकता है। यह कैशलेस और कॉन्टैक्टलैस है। ई-रुपी लाभार्थी के मोबाइल पर भेजा जाएगा। यह क्यूआर कोड या एसएमएस कोड के रूप में होगा। इन्हें स्कैन किया जा सकेगा। लाभार्थी के वेरिफिकेशन के लिए एक कोड लाभार्थी के मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा। वेरिफिकेशन होने पर वाउचर रिडीम हो जाएगा और तुरंत भुगतान हो जाएगा।
अन्य डिजिटल पेमेंट से अलग कैसे है?
सीबीडीसी में कैश हैंडओवर करते ही इंटरबैंक सेटलमेंट की जरूरत नहीं रह जाएगी। इससे डिजिटल पेमेंट सिस्टम की तुलना में लेनदेन ज्यादा रियल टाइम और कम लागत में होगा। यह किसी मध्यस्थ की भागीदारी के बिना सेवा प्रदाता को समय पर भुगतान की गारंटी देता है। ई-रूपी बिना किसी भौतिक इंटरफेस के सर्विस इनीशिएटर्स को लाभार्थियों और सेवा प्रदाताओं के साथ डिजिटल रूप से जोड़ता है। साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि लेन-देन पूरा होने के बाद ही सेवा प्रदाता को भुगतान हो।
Crypto Vs Digital Currency: क्रिप्टो करेंसी और डिजिटल करेंसी में क्या हैं अंतर, समझें यहां
Crypto Vs Digital Currency: क्रिप्टो निवेशकों का मानना है कि किसी भी रूप में क्रिप्टो पर टैक्स लगाने का मतलब साफ है कि इसको बैन नहीं किया जाएगा. लेकिन, इससे इसको कानूनी वैधता भी नहीं मिलती है. अभी यह देखना बाकी है कि सरकार देश में क्रिप्टोकरेंसी पर आगे किस तरह का कदम उठाने का फैसला करती है.
Published: February 2, 2022 3:45 PM IST
Crypto Vs Digital Currency: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने अपने बजट 2022-2023 के भाषण के दौरान घोषणा की कि डिजिटल संपत्ति (Digital Assets), जिसमें क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) और एनएफटी (NFT) शामिल हैं, उनके हस्तांतरण से किसी भी आय पर क्या है डिजिटल करेंसी या डिजिटल मुद्रा 30 प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा. वित्त मंत्री की घोषणा ने अधिकांश क्रिप्टो और एनएफटी निवेशकों को अपनी संपत्ति के भविष्य के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया, लेकिन कइयों ने इसे ज्यादातर सकारात्मक घोषणा के तौर पर लिया. उनका कहना है कि किसी भी तरह का टैक्स लगाने का मतलब है कि देश में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा, हालांकि, इसका मतलब नियमितीकरण भी नहीं है. अभी यह देखना बाकी है कि सरकार देश में क्रिप्टोकरेंसी पर आगे किस तरह का कदम उठाने का फैसला करती है.
Also Read:
वित्त मंत्री ने यह भी घोषणा की कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जल्द ही अपनी डिजिटल मुद्रा लाएगा, जिसे सीबीडीसी (CBDC) या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी कहा जाएगा. आरबीआई डिजिटल मुद्रा पर कई महीनों से काम कर रही है और सीतारमण के मुताबिक, इसे अगले वित्तीय वर्ष में पेश किया जाएगा.
सीतारमण ने कहा कि आरबीआई की डिजिटल मुद्रा आने से डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा. डिजिटल मुद्रा भी अधिक कुशल और सस्ती मुद्रा प्रबंधन प्रणाली को बढ़ावा देगी.
डिजिटल संपत्ति के लिए कराधान की घोषणा के तुरंत बाद सीबीडीसी की घोषणा ने बहुत से लोगों को यह सोचकर भ्रमित कर दिया कि सीबीडीसी पर भी कर लगाया जाना चाहिए. हालांकि, ऐसा बिल्कुल नहीं है. डिजिटल मुद्राएं क्रिप्टोकरेंसी या एनएफटी जैसी डिजिटल संपत्ति नहीं हैं. डिजिटल मुद्राएं सरकार द्वारा जारी मुद्रा के इलेक्ट्रॉनिक रूप हैं, जबकि क्रिप्टोकरेंसी मूल्य का एक भंडार है जो एन्क्रिप्शन द्वारा सुरक्षित है. लोगों ने विशेष रूप से महामारी के दौरान जिन डिजिटल वॉलेट का उपयोग करना शुरू किया, उनमें डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टोकरेंसी दोनों हो सकते हैं, लेकिन वे वास्तव में विनिमेय नहीं हैं.
डिजिटल मुद्रा से दो पार्टियों के बीच संपर्क रहित लेनदेन में उपयोग किया जा सकता है. जैसे आपके बैंक खाते से इलेक्ट्रॉनिक रूप से किसी और को भुगतान किया जाता है. सभी ऑनलाइन लेनदेन में डिजिटल मुद्रा शामिल होती है, एक बार जब आप उस पैसे को बैंक या एटीएम से निकाल लेते हैं, तो वह डिजिटल मुद्रा तरल नकदी में बदल जाती है.
क्रिप्टोकरेंसी, या डिजिटल सिक्के, मूल्य का एक भंडार है जो एन्क्रिप्शन द्वारा सुरक्षित है. ये डिजिटल सिक्के सभी निजी स्वामित्व में हैं और बनाए गए हैं और अभी तक अधिकांश देशों में नियमित नहीं किए गए हैं.
डिजिटल मुद्रा को एन्क्रिप्शन की आवश्यकता नहीं है, लेकिन हैकिंग और चोरी की संभावना को कम करने के लिए सभी उपयोगकर्ताओं को अपने डिजिटल वॉलेट और बैंकिंग ऐप को मजबूत पासवर्ड और बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के साथ सुरक्षित करने की आवश्यकता है. यही बात डेबिट और क्रेडिट कार्डों पर भी लागू होती है जो इन डिजिटल मुद्रा लेनदेन की कुंजी हैं.
क्रिप्टोकरेंसी को मजबूत एन्क्रिप्शन द्वारा संरक्षित किया जाता है और क्रिप्टो में व्यापार करने में सक्षम होने के लिए, उपयोगकर्ताओं के पास पैसे के साथ एक बैंक खाता होना चाहिए और इस डिजिटल मुद्रा का आदान-प्रदान एक ऑनलाइन एक्सचेंज के माध्यम से किया जा सकता है ताकि संबंधित मूल्य की क्रिप्टोकरेंसी प्राप्त की जा सके.
जब विनियमन की बात आती है, तो डिजिटल मुद्राओं को भारत में एक केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा सपोर्ट किया जाएगा, जो कि आरबीआई होगा. आीबीआई तरल, नकद और डिजिटल मुद्रा लेनदेन दोनों को नियंत्रित करता है. क्रिप्टोकरेंसी के मामले में, यह एक विकेन्द्रीकृत प्रणाली है और एक केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा विनियमित नहीं है. हालांकि, सभी क्रिप्टो लेनदेन एक विकेन्द्रीकृत खाता बही में क्या है डिजिटल करेंसी या डिजिटल मुद्रा दर्ज किए जाते हैं जो सभी के लिए उपलब्ध है.
स्थिरता के मोर्चे पर, जब लेनदेन की बात आती है तो डिजिटल मुद्राएं स्थिर और प्रबंधन में आसान होती हैं क्योंकि उन्हें वैश्विक बाजार में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है. दूसरी ओर, क्रिप्टो बहुत अस्थिर है और दरें लगभग नियमित रूप से बढ़ती और गिरती हैं.
डिजिटल मुद्रा लेनदेन का विवरण केवल इसमें शामिल लोगों, प्रेषक और रिसीवर और बैंक के लिए उपलब्ध है. क्रिप्टो लेनदेन का विवरण विकेन्द्रीकृत खाता बही के माध्यम से जनता के लिए उपलब्ध है.
ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें की और अन्य ताजा-तरीन खबरें
क्या है 'डिजिटल रुपया और इससे लोगों को कितना होगा फायदा? क्या ई-रुपया पर ब्याज भी मिलेगा?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) केंद्रीय बैंक खुदरा ग्राहकों के लिए डिजिटल मुद्रा 'डिजिटल रुपया' का पायलट परीक्षण एक माह के भीतर शुरू कर सकता है। आरबीआई ने एक बयान में इस बात की जानकारी दी है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) केंद्रीय बैंक खुदरा ग्राहकों के लिए डिजिटल मुद्रा 'डिजिटल रुपया' का पायलट परीक्षण एक माह के भीतर शुरू कर सकता है। आरबीआई ने एक बयान में इस बात की जानकारी दी है। आइए जानते हैं डिजिटल रुपया क्या है और इससे ग्राहकों को क्या-क्या फायदा मिलेगा.
- एक केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा देश की मुख्य मुद्रा का डिजिटल रूप है
- इसे केंद्रीय बैंक द्वारा जारी और विनियमित किया जाता है
- सीबीडीसी से वित्तीय समावेशन के साथ भुगतान दक्षता बढ़ती है
- आपराधिक गतिविधि रोकती है, अंतरराष्ट्रीय भुगतान विकल्पों में सुधार करती है
- संभावित रूप से शुद्ध लेनदेन
- लागत को कम करती है
एलपीजी सिलेंडर 115 रुपये सस्ता हो गया, 14.2 Kg सिलेंंडर के ये हैं आज के रेट
धन भेजने का खर्च घटेगा
विश्व बैंक का अनुमान है कि अभी इस तरह दूसरे देशों में पैसे भेजने पर 7 से अधिक का शुल्क चुकाना पड़ता है, जबकि डिजिटल करेंसी के आने से इस मद में 2 तक की कमी आएगी।
बिना इंटरनेट केभी लेनदेन
करंसी विशेषज्ञों के मुताबिक ई-रुपया टोकन आधारित होगा। इसका मतलब यह है कि आप जिस व्यक्ति को पैसे भेजना चाहते हैं, उसकी पब्लिक 'की' के जरिये भेज सकते हैं। यह एक ईमेल आईडी जैसा हो सकता है। आपको पैसे भेजने के लिए पासवर्ड डालना होगा। ई- रुपया बिना इंटरनेट के भी काम करेगा। हालांकि, इस पर विस्तार से जानकारी आनी बाकी है।
क्या ब्याज भी मिलेगा
आरबीआई के मसौदा प्रस्ताव के मुताबिक ई-रुपया पर कोई भी ब्याज नहीं दिया जाएगा। केंद्रीय बैंक ने इसकी वजह बताते हुए कहा है कि अगर यह कदम उठाया जाता है यानी इसपर ब्याज दिया जाता है तो बड़ी संख्या में लोग पैसे निकालकर बैंकों से ई-रुपया में बदलने में जुट सकते हैं। इससे मुद्रा बाजार में अस्थिरता आ सकती है।
यह देश अपना चुके हैं क्रिप्टोकरंसी
केंद्रीय बैंक की तरफ से डिजिटल मुद्रा जारी करने वाला भारत पहला देश होगा। इसके पहले दुबई (यूएई) , रूस, स्वीडन, जापान, एस्तोनिया और वेनेजुएला जैसे देश खुद की क्रिप्टोकरंसी लॉन्च कर चुके हैं।
क्या है RBI की डिजिटल करेंसी और यह कैसे करेगी काम, आसान भाषा में समझें
Digital Rupee: जैसा कि नाम से स्पष्ट है, डिजिटल रुपया आपके बैंक नोट का ही डिजिटल स्वरूप होगा. डिजिटल रुपये का नाम ही सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी या सीबीडीसी है. यह किसी करेंसी नोट का डिजिटल फॉर्म है जिसे रिजर्व बैंक जारी करेगा. बैंक नोट भी रिजर्व बैंक ही जारी करता है, उसी तरह नोट के बदले रिजर्व बैंक डिजिटल रुपया जारी क्या है डिजिटल करेंसी या डिजिटल मुद्रा करेगा.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: Ravikant Singh
Updated on: Nov 03, 2022 | 9:03 AM
रिजर्व बैंक मंगलवार को उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया जिनकी अपनी डिजिटल करेंसी है. यानी भारत का अब अपना डिजिटल रुपया होगा. डिजिटल रुपये के पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत हो चुकी है और इसका इस्तेमाल अभी सरकारी प्रतिभूतियों के लेनदेन के लिए किया जा रहा है. अभी होलसेल सेगमेंट में ही डिजिटल रुपये से लेनदेन होगा. रिटेलर्स के लिए पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत एक महीने में शुरू की जाएगी. होलसेल सेगमेंट में अभी देश के 9 बैंकों को चुना गया है जिनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया भी शामिल हैं.
डिजिटल करेंसी का सबसे बड़ा फायदा दूसरे देशों में लेनदेन करने और एक बैंक से दूसरे बैंक में ट्रांजैक्शन करने में आसानी होगी. यह काम बेहद तेज होगा. डिजिटल करेंसी को समझने के लिए डिजिटल ट्रांजैक्शन और डिजिटल रुपये के अंतर को समझना होगा. डिजिटल ट्रांजैक्शन वो होता है जिसमें हम अपने रुपये-पैसे को डिजिटल माध्यम से किसी को देते हैं. दुकानदार हो या किसी दूसरे व्यक्ति को आपको पैसे देने हों. इसमें हम अपने रुपये-पैसे को डिजिटल तरीके से दूसरे को देते हैं. इसे डिजिटल ट्रांजैक्शन कहते हैं जो कि डिजिटल करेंसी से बिल्कुल अलग है.
डिजिटल करेंसी में आपका रुपया ही पूरी तरह से डिजटल होगा. डिजिटल ट्रांजैक्शन में आपका रुपया डिजिटल नहीं होता बल्कि उसे भेजने का तरीका डिजिटल होता है. डिजिटल करेंसी में ऐसा नहीं होगा क्या है डिजिटल करेंसी या डिजिटल मुद्रा क्योंकि आप डिजिटल ट्रांजैक्शन करते वक्त किसी को डिजिटल रुपया ही देंगे. भारत का डिजिटल रुपया कैसा होगा, अभी इसका कोई स्वरूप निश्चित नहीं है. अभी थोक ट्रांजैक्शन के लिए डिजिटल रुपये का इस्तेमाल हो रहा है जिसका पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. इस काम में अभी 9 बैकों को शामिल किया गया है जो डिजिटल रुपये के माध्यम से एक दूसरे को मनी ट्रांसफर करते हैं या लेनदेन करते हैं.
क्या है डिजिटल रुपया
जैसा कि नाम क्या है डिजिटल करेंसी या डिजिटल मुद्रा से स्पष्ट है, डिजिटल रुपया आपके बैंक नोट का ही डिजिटल स्वरूप होगा. डिजिटल रुपये का नाम ही सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी या सीबीडीसी है. यह किसी करेंसी नोट का डिजिटल फॉर्म है जिसे रिजर्व बैंक जारी करेगा. बैंक नोट भी रिजर्व बैंक ही जारी करता है, उसी तरह नोट के बदले रिजर्व बैंक डिजिटल रुपया जारी करेगा. जैसे हम किसी को नोट देते हैं, उसी तरह डिजिटल रुपया भी देंगे. लेकिन देने का माध्यम पूरी तरह अलग होगा. डिजिटल रुपये को बैंक नोट की तरह हाथ से नहीं दिया जाएगा बल्कि डिजिटल तरीके से दिया जाएगा. जैसे मोबाइल से या इंटरनेट बैंकिंग के द्वारा. हो सकता है मैसेज के जरिये भी डिजिटल रुपया दूसरे को दिया जाए. अभी इस पर कुछ भी स्पष्ट नहीं है.
कैसे होगा ट्रांजैक्शन
जैसे हम दुकानदार को पूछते हैं कि क्या नोट के बदले पेटीएम या गूगलपे से पैसे दे सकते हैं. उसी तरह हम नोट के बदले अपने खाते से डिजिटल रुपया दे सकेंगे. ऐसे ही, हम किसी से नोट के बदले डिजिटल रुपये का लेनदेन कर सकेंगे. डिजिटल रुपये के आने से बैंकनोट बंद नहीं होंगे बल्कि लोगों को लेनदेन का एक अतिरिक्त साधन मिलेगा. सबसे बड़ा अंतर यह होगा कि अभी हम खाते में अपना रुपया जमा करते हैं या रुपये के बदले डिजिटल ट्रांजैक्शन से रकम जमा कराई जाती है. डिजिटल करेंसी में रुपये के बदले डिजिटल रुपया ही जमा होगा जो कि पूरी तरह से डिजिटल होगा.