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IPO क्या होता है?

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आईपीओ में निवेश के बारे में आप सभी को पता होना चाहिए

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IPO क्या है | What is IPO in Hindi | कोई कंपनी IPO क्यों निकालती है।

नमस्कार दोस्तों यदि आप share market में रूचि रखते हैं तो आपने IPO के बारे में जरूर सुना होगा और अगर आप नहीं जानते हैं IPO क्या है, What is IPO in Hindi, तो इस पोस्ट में आपको IPO की पूरी जानकारी मिल जाएगी वो भी बिलकुल सरल भाषा में और साथ ही आप यह भी जान सकेंगे की IPO में कैसे इन्वेस्ट किया जा सकता है।

IPO क्या है | What is IPO in Hindi

एक कंपनी को शुरू करने या बढ़ाने के लिए पैसे यानि Fund की जरुरत होती है, शुरुवात में Company owners अपनी पूंजी या फिर दोस्तों या रिश्तेदारों और अपने ही दूसरे श्रोतो से पैसे लेकर कंपनी पर invest करते हैं, यानि कंपनी में हिस्सेदारी सिर्फ कुछ सीमित लोगो की ही होती है।

लेकिन जब कंपनी को अपने विस्तार, अपने नए प्रोजेक्ट्स या फिर कंपनी के कर्ज को खत्म करने के लिए अधिक पूंजी की आवश्यकता पड़ती है, तो ऐसे में कंपनी पहली बार share market में अपने shares आम पब्लिक के लिए उतारती है, इसे IPO यानि Initial public offering या Public issue कहा जाता है।

ऐसे में कंपनी अपने उतारे गए shares की कुछ कीमत तय करती है, जिसके बाद आम पब्लिक shares की कीमत के अनुसार shares को खरीदती है और इस तरह से कंपनी को अपने बेचे गए shares द्वारा fund मिल जाता है और investors यानि शेयर धारकों को उस कंपनी में हिस्सेदारी मिल जाती है।

IPO के प्रकार कौन से हैं | Types of IPO in Hindi

जब किसी कंपनी को IPO निकालना है तो कंपनी को तय करना पड़ता है की किस Price पर अपना IPO निकालना है, यानि अपने shares की क्या कीमत रखनी है। ऐसे में कंपनी के पास इसके दो तरीके होते हैं Fixed price issue और Book building issue.

Fixed price issue

इसमें कंपनी investment banks के साथ मिलकर अपने shares की एक fixed price तय करती है, और तय किए गए fixed price पर अपने shares investors को offer करती है।

जिसके बाद investors IPO में उसी तय कीमत पर कंपनी के shares खरीदते हैं, यानि अगर किसी कंपनी ने fixed price में अपने shares की कीमत Rs.200 रखी है तो investors को इसी कीमत पर shares खरीदने पड़ते हैं।

Book building issue

इसमें कंपनी अपने shares की कोई कीमत तय नहीं करती है, तो ऐसे में Merchant बैंकर द्वारा कंपनी की पूरी study की जाती है और उसके आधार पर एक Price band तैयार किया जाता है,

यानि कंपनी के shares की minimum और maximum value तय कर दी जाती है, जैसे Rs 100 और 120, इसके बाद shares की जो भी कीमत होगी वह 100 से 120 के अंदर ही होगी और price band में लगभग 20 प्रतिशत का ही फर्क रहता है।

इसके बाद investors द्वारा price band के अंदर bidding की जाती है और cut off price के द्वारा shares की कीमत तय कर ली जाती है।

IPO minimum 3 और maximum 10 दिनों के लिए ही खुला रहता है और इसी दौरान investors को shares खरीदने के लिए apply करना होता है।

इसमें SEBI की भूमिका

भारत में जो भी कंपनी अपना IPO market में लाना चाहती है, उन्हें SEBI (Securities and exchange board of India) से approval लेना पड़ता है, इसमें कंपनी अपना RHP (Red Herring Prospectus) SEBI में जमा कराती है।

RHP में कंपनी अपना पूरा ब्योरा SEBI के सामने प्रस्तुत करती है, जैसे अपनी business detail, Capital structure, Risk factor और अपना past financial डाटा इत्यादि, एक तरह से RHP किसी कंपनी की पूरी जन्मकुंडली होता है, और इसकी जानकारी निवेशक SEBI की website से प्राप्त कर सकते हैं।

IPO में IPO क्या होता है? कैसे Invest कर सकते हैं

सबसे पहले आपको जिस कंपनी का IPO खरीदना है उसकी पूरी जानकारी ले लेनी चाहिए जो आपको SEBI की वेबसाइट से मिल जाएगी, या फिर नई press release या गूगल सर्च से भी आप यह जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

IPO में invest करने के लिए आपके पास Demat Account और आपका Pan No होना जरुरी है, Demat account के लिए आप अपने बैंक से संपर्क कर सकते हैं या फिर इसे ब्रोकर IPO क्या होता है? के द्वारा भी खुलवाया जा सकता हैं।

बैंक में यह आपके regular अकाउंट के साथ निशुल्क खुल जाता है और कई बैंको में इसका one time charge भी लिया जाता है।

IPO में apply करने को दो माधयम होते हैं पहला माध्यम Offline है, जिसमे आपको अपने बैंक या एजेंट से फॉर्म प्राप्त करके फॉर्म में अपना Demat account no और अपनी पूरी जानकारी और bidding संबंधित जानकारी भरने के बाद इसे अपने एजेंट या बैंक में जमा कराना होता है।

वही अगर प्रचलित Online माध्यम की बात करें तो इसमें आसानी से आप IPO के लिए apply कर सकते हैं, इसमें पहले से ही आपके Demat अकाउंट और आपकी पूरी जानकारी उपलब्ध रहती है।

:- सबसे पहले आपको अपने इंटरनेट बैंकिंग अकाउंट में जाना है।

:- उसकी E-services ऑप्शन में जाना है।

:- Demat and ASBA services सेलेक्ट करनी है।

:- अब IPO equity ऑप्शन को चुनकर term and condition accept करनी है।

:- इसके बाद आपको कंपनियों द्वारा निकाले गए IPO दिखाई देंगे।

:- अब आप अपने IPO को चुनकर अपनी bidding कर सकते हैं।

IPO related Important terms in Hindi

IPO से जुड़े कुछ जरुरी शब्द जिनका इस्तेमाल IPO process में किया जाता है, आपको इन्हे समझना जरुरी है।

RHP (Red Herring Prospectus) :- इस प्रॉस्पेक्टस में IPO निकालने वाली कंपनी अपनी पूरी जानकारी SEBI के सामने प्रस्तुत करती है।

यह एक तरह से कंपनी की जन्म कुंडली की तरह है, जिसमे कंपनी के promoters की पूरी जानकारी, business detail, Capital structure, Risk factor, management की detail और कंपनी का past financial data इत्यादि की पूरी जानकारी होती है, जिसे SEBI पूरी तरह से परखती है, और पूरी जानकारी से संतुष्ट होने पर और जानकारी उचित पाए जाने पर ही कंपनी को IPO निकालने की permission देती है।

Price band :- यह book building issue का हिस्सा है जिसके अनुसार किसी share का fixed price ना रख कर merchant banker द्वारा share की minimum और maximum value रखी जाती है जैसे Rs 100 और 120 इसे Price band कहा जाता है।

Floor and Cap :- Floor से अर्थ price band में रखी गयी minimum value जैसे Rs 100 से है और Cap इसकी maximum value जैसे 120 को कहा जाता है।

Cut of Price :- यह भी book building process का हिस्सा है जिसमे merchant banker द्वारा तय किए गए price band के IPO क्या होता है? अंदर investors द्वारा bidding की जाती है, और किसी एक price पर ज्यादा bidding application आ जाने पर उस price को तय कर लिया जाता है, और तय की गयी share की value को ही cut of price कहा जाता है।

Lot Size :- इस से अर्थ investor द्वारा एक ट्रांसेक्शन में खरीदे जाने वाले shares से है, यानि अगर investor को कंपनी के shares खरीदने हैं, तो अपने अनुसार एक या दो shares नहीं खरीद सकते बल्कि कंपनी द्वारा तय किए गए Lot size के अनुसार ही shares खरीदे जा सकते हैं,

अंतिम शब्द

दोस्तों उम्मीद है आपको इस पोस्ट से जानकारी मिल गयी होगी IPO क्या है, What is IPO in Hindi, अगर पोस्ट की जानकारी आपके कुछ काम आई है, तो इसे दुसरो से भी share करें धन्यवाद।

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चलो दोस्तों आज हम पढ़ेंगे की ipo kya hota he (initial publick offering)/आईपीओ क्या होता है। उसका हिंदी में मतलब क्या होता हे। और उसमे कौन कौन निवेश कर सकते हे। और आईपीओ में निवेश कैसे करते हे। और आईपीओ क्यों आता हे।

इन सबके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे।और २०२१ में आगे आने वाले आईपीओ कोन कोनसे हे ये भी हम देखने वाले हे। अगर हमारी पोस्ट अच्छी लगे तो इसे अपने दोस्तों के साथ ,फॅमिली के साथ शेयर जरूर कीजियेगा। ताकि उनको आईपीओ के बारे में समज आ सके और वो खुद आईपीओ में निवेश कर सके.

ipo kya hota he ?आईपीओ क्या होता है

IPO का फुल फॉर्म होता हे इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (initial publick offering ).किसी भी कंपनी को अगर अपने बिसिनेस के लिए फण्ड चाहिए हो तो ,या तो वो बैंक में जाती हे या वो सेबी के माध्यम से अपनी कंपनी को शेयर मार्किट में प्रस्तावित करती हे मतलब अपना IPO प्रस्तावित करती हे.उसे इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग केहते हे।

अगर किसी कंपनी को अपने व्यापर को बढ़ाने के लिए पैसो की जरुरत पड़ती हे। कंपनी के पास दो रास्ते होते हे ,या तो वो किसी बैंक से कर्जा ले यतो फिर शेयर मार्किट में सामान्य आदमी से पैसा ले। तो ऐसे में कंपनी सेबी के माध्यम से शेयर मार्किट में प्रस्तावित होती हे। उसे इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग कहते हे।

ipo ko hindi me kya kehate he ?

आईपीओ को हिंदी में क्या कहा जाता हे ?

जब कंपनी अपने शेयर को बाजार में पहिली ही बार सामान्य लोगो के लिए प्रस्तावित कराती हे। उसे इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग कहते हे।

IPO kyu laya jata he ?

जब कंपनी को अपने बिज़नेस को बढ़ने के लिए बहुतसे पैसो की जरुरत होती हे। तो कंपनी के पास दो रास्ते होते हे , यो वो कसी बैंक से कर्जा ले या तो फिर अपनी कंपनी को शेयर मार्किट में लिस्ट करे मतलब प्रस्तावित करे। तो कंपनी सेबी के माध्यम से आपने IPO प्रस्तावित करती हे। इसीलिए आईपीओ लाया जाता हे।

ipo me invest kon kar sakte he ?

आईपीओ में निवेश कोण कर सकता हे ?

आईपीओ में ऐसा कुछ रूल नहीं हे की किसीने निवेश करना चाहिए ,आईपीओ में कोई भी इंसान निवेश कर सकता हे। सिर्फ आपके पास Demate account IPO क्या होता है? या फिर treding account होना जरुरी हे।

ipo me invest kaise kare ?

आईपीओ में निवेश कैसे करे ?

आईपीओ में निवेश करने के लिए आपके पास बैंक अकाउंट होना जरुरी हे। उसके साथ आपके पास किसी ब्रोकर के माध्यम से डीमेट या ट्रेडिंगअकाउंट होना चाहिए। और आपके पास अपना खुद का पैन कार्ड होना चाहिए।

तब आईपीओ में आप निवेश कर सकते हे। लेकिन एक बात ध्यान रखे आईपीओ में निवेश करने से पहले खुद कंपनी के बारे में जान ले। कंपनी के fundamental को समज ले और तब ही आईपीओ में निवेश करे।

categories of ipo investor

आईपीओ में निवेश करने वालो की श्रेणियाँ कौन कौनसी रहती हे वो।

  • retail individual investor (rlls)

(सामान्य निवेशक ) ; आईपीओ में समान्य निवेशक अपना निवेश कर सकते हे। वो दो लाख तक निवेश कर सकते हे।

  • qualifield institutional buyyer

( योग्य संस्थागत खरीदार ); इनमे बैंक्स ,म्यूच्यूअल फंड्स ,प्रोविडेंट फंड्स ,इन्शुरन्स फंड्स ,पेंशन फंड्स और फॉरेन इंस्टीटूशनल इंवेस्टोर जीने हम FII कहते हे। इसे बहुत सारी संस्थाए आईपीओ में एक बड़े अमाउंट के साथ लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करती हे।

(आरक्षित श्रेणी ) ; कोई भी कंपनी अपना आईपीओ लेके आती हे तो वो अपने एम्प्लॉईज़ (कर्मचारी) को कुछ बेनिफिट देना चाहेगी। या अपने शेयर होल्डर को बेनिफिट्स देना चाहेगी। तो उनके लिए वो एक रिज़र्व कोटा रखती हे।

कंपनी का आईपीओ लाने के लिए कंपनी को सेबी से परमिशन लेना पड़ता हे। पूरा कंपनी का डिटेल्स सेबी को देना पड़ता हे। तब जाके कंपनी अपना आईपीओ सेबी के माध्यम से प्रस्तावित कराती हे।

यकीं हे आपको आज की ये हमारा लेख आईपीओ क्या होता है / ipo kya hota he पोस्ट पसंद आयी होगी. और अगर आपको कुछ और जानकारी भी चाहिए तो आप कमेंट बॉक्स में लिखकर हमें भेज सकते हे। और हमारी ये पोस्ट आपको पसंद आयी हो तो कृपया इसे शेयर जरूर कीजियेगा। धन्यवाद !

क्या IPO से पहले अनलिस्टेड मार्केट के जरिए किसी स्टॉक में निवेश करना सही है? जानिए एक्सपर्ट की राय

IPO आने से पहले भी किसी कंपनी में अनलिस्टेड मार्केट के जरिए निवेश किया जा सकता है. पिछले कुछ समय से इस ट्रेंड में तेजी आई है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि क्या यह निवेश का अच्छा विकल्प है या फिर निवेशकों को इससे बचना चाहिए.

क्या IPO से पहले अनलिस्टेड मार्केट के जरिए किसी स्टॉक में निवेश करना सही है? जानिए एक्सपर्ट की राय

TV9 Bharatvarsh | Edited By: रोहित ओझा

Updated on: Sep 12, 2021 | 7:08 AM

शेयर बाजार इस समय रिकॉर्ड हाई पर है. ऐसे में कंपनियां मौके का फायदा उठाकर IPO ला रही हैं. इस साल अब तक दर्जनों आईपीओ आ चुके हैं और दर्जनों आईपीओ आने बाकी हैं. कई निवेशक ऐसे भी हैं जो आईपीओ आने से पहले ग्रे मार्केट मार्केट में उस कंपनी का शेयर खरीदते हैं. उन्हें इस बात की उम्मीद रहती है कि रिटर्न बेहतर मिलेगा. क्या यह निवेश का सही रास्ता है, आइए इसके बारे में जानते हैं.

शेयर बाजार के जानकारों का कहना है कि बाजार इस समय रिकॉर्ड हाई पर है. इसके अलावा कई सक्सेफुल आईपीओ पहले ही आ चुके हैं. ऐसे में हाल फिहाल में कई ऐसी कंपनियां भी लिस्ट हुई हैं जो निवेशकों को उम्मीद के मुताबिक रिटर्न देने में निराश रही हैं. इकोनॉमिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट में ग्रे मार्केट में निवेश को लेकर आशिका वेल्थ एडवाइजरी के अमित जैन का कहना है कि अगर कोई निवेशक लंबे समय के लिए निवेश करना चाहता है तो ग्रे मार्केट में खरीदारी करना सही विकल्प है.

छह महीने का लॉक-इन पीरियड होता है

नियम के मुताबिक अगर कोई अनलिस्टेड शेयर खरीदता है और वह कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट होती है तो निवेशक को कम से कम छह महीने के लिए निवेश रखना पड़ता है. यह लॉक-इन पीरियड होता है. ऐसे में जो निवेशक IPO से पहले उसमें निवेश करते हैं वे कंपनी के लिस्ट होने के छह महीने तक बाहर नहीं निकल सकते हैं. पहले लॉक-इन पीरियड 1 साल का था जिसे सेबी ने घटाकर 6 महीना किया है.

इन कंपनियों में है निवेशकों की दिलचस्पी

आने वाले दिनों में Mobikwik, Paytm, Sterlite Power Transmission जैसी कंपनियों का आईपीओ आने वाला है. ग्रे मार्केट या फिर अनलिस्टेड मार्केट में इन शेयर्स के प्रति निवेशकों में जबरदस्त क्रेज है.

अनलिस्टेड मार्केट में कीमत ज्यादा-कम दोनों हो सकता है

बाजार के जानकारों के मुताबिक, अनलिस्टेड मार्केट में किसी कंपनी के शेयर का भाव आईपीओ के इश्यू प्राइस के मुकाबले ज्यादा होता है. उदाहरण के तौर पर राकेश झुनझुनवाला के निवेश वाली कंपनी Barbeque Nation ग्रे मार्केट में 900 रुपए के स्तर पर ट्रेड कर रहा था, जबकि इस आईपीओ का इश्यू प्राइस 500 रुपए था. इस सप्ताह यह शेयर 1134 रुपए पर बंद हुआ जबकि अभी तक का उच्चतम स्तर 1268 रुपए है.

नजारा का अनलिस्टेड प्राइस काफी कम था

दूसरी तरफ राकेश झुनझुनवाला की निवेश वाली एक और कंपनी Nazara Technologies का आईपीओ आने से पहले यह ग्रे मार्केट में 400 रुपए के स्तर पर मिल रहा था. आईपीओ के लिए इश्यू प्राइस 1100 रुपए के करीब था जबकि इस सप्ताह यह 1785 रुपए के स्तर पर बंद हुआ.

IPO अलॉटमेंट नहीं मिलने के कारण यह ट्रेंड

बाजार के जानकारों का यह भी कहना है कि शेयर मार्केट में लिक्विडिटी काफी है ऐसे में कई निवेशकों को आईपीओ IPO क्या होता है? अलॉटमेंट में शेय नहीं मिल पाता है. यही वजह है कि वे ग्रे मार्केट के जरिए इसमें एंट्री लेते हैं. कई निवेशकों को लगता है कि वे बाजार से मिसिंग हो रहा हैं. ऐसे में अपनी मौजूदगी के लिए वे ग्रे मार्केट का सहारा लेते हैं.

LIC का IPO आज, आप शेयर ख़रीद रहे हैं तो इसे पढ़िए

एलआईसी

शेयर बाज़ार की हर गिरावट को थामने के लिए भारत सरकार जिस एलआइसी पर भरोसा करती थी. उसी एलआइसी का आइपीओ आ रहा है और हर ख़ास ओ आम के लिए मौक़ा है कि वो अब इस कंपनी का मालिक, भागीदार या शेयर होल्डर बन जाए जो इस देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी है नहीं, भरोसे का सबसे बड़ा प्रतीक भी है.

एलआइसी का प्रतीक चिन्ह यानी लोगो है दो हाथ, तेज़ हवा से दिए को बचाने की मुद्रा में आसपास आधे बंधे और आधे खुले हुए दो हाथ. और उसके नीचे लिखा है - योगक्षेमं वहाम्यहम्!

यह जीवन बीमा निगम का सूत्र वाक्य है. हालांकि अब ज्यादा मशहूर टैग लाइन है - ज़िंदगी के साथ भी, ज़िंदगी के बाद भी. लेकिन आज भी एलआइसी के लोगो के नीचे आप यह पुराना सूत्र वाक्य लिखा पा सकते हैं. यह गीता के एक श्लोक का हिस्सा है.

गीता के रूप में योगेश्वर कृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया उसके नवें अध्याय में से यह छोटा सा हिस्सा जिसने भी जीवन बीमा निगम के लिए चुना उसकी तारीफ़ करनी चाहिए. इसका अर्थ है कि मैं तुम्हारी पूरी कुशलता का ज़िम्मा लेता हूँ. यानी आपकी पूरी चिंता का बोझ मैं उठा लूंगा. जो तुम्हारे पास है उसकी रक्षा करूंगा और जो नहीं है वो तुम्हें दिलवाऊंगा.

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सबकी नज़रें एलआईसी आइपीओ पर

भारत में करोड़ों लोग एलआइसी पर ऐसा ही भरोसा करते आए हैं. 1956 में देश में बीमा कारोबार का राष्ट्रीयकरण हुआ और लाइफ इंश्योरेंस यानी जीवन बीमा का पूरा कारोबार समेटकर एलआइसी के हवाले किया गया. तब से ही भारत में जीवन बीमा का मतलब एलआइसी ही होता रहा है. बहुत से लोग बोलचाल में कहते भी हैं कि एलआइसी करवा लिया. यानी बीमा करवा लिया.

लेकिन इस वक़्त एलआइसी का मतलब शेयर बाज़ार और सरकार के लिए कुछ और ही है. और शेयर बाज़ार से जुड़े या जुड़ने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए भी. फिर भले ही वो इन्वेस्टमेंट की जर्नी नई शुरू करने वाले हों या फिर बरसों से शेयर बाज़ार में जमे हुए पुराने खिलाड़ी.

सब इंतज़ार में हैं, देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआइसी यानी भारतीय जीवन बीमा निगम के आइपीओ के. और अब यह इंतज़ार खत्म हो रहा है. हालांकि जितना इंतज़ार हुआ, उसके मुक़ाबले फल उतना मीठा नहीं है.

एलआइसी देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी होने के साथ ही देश के सबसे बड़े ज़मींदारों में से भी एक है. देश के हर बड़े छोटे शहर में इसके पास प्राइम प्रॉपर्टी है. पैसा भी इतना है कि यह शेयर बाज़ार को चढ़ाने और गिराने का दम रखती है.

जेफ्रीज़ ने कुछ समय पहले एक रिसर्च नोट निकाला, जिसके हिसाब से लिस्टिंग के बाद एलआइसी की कुल हैसियत 261 अरब डॉलर के क़रीब हो सकती है. सरकार कह चुकी थी कि वो इसका पाँच से 10 पर्सेंट हिस्सा ही बेचने के लिए आइपीओ ला सकती है.

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26 अरब डॉलर के शेयर

दो देश,दो शख़्सियतें और ढेर सारी बातें. आज़ादी और बँटवारे के 75 साल. सीमा पार संवाद.

10 पर्सेंट भी बिका तो वह 26 अरब डॉलर यानी क़रीब एक लाख 92 हज़ार करोड़ रुपए का इशू होता.

हालांकि, यह बात साफ़ हो चुकी थी कि सरकार एक बार में एलआइसी का पाँच पर्सेंट से ज़्यादा हिस्सा नहीं बेच पाएगी. पांच पर्सेंट का मतलब भी था कि सरकार एलआइसी के 31 करोड़ 72 हज़ार तक शेयर बाज़ार में बेचने के लिए उतारेगी.

इन शेयरों का भाव क्या रखा जाता है, इससे तय होता है कि सरकार को इससे कितना पैसा मिलेगा.

लेकिन तब अनुमान लग रहे थे कि यह रक़म 50 हज़ार करोड़ से एक लाख करोड़ रुपए तक हो सकती है. मगर अब यह सारे अनुमान बेमानी हो चुके हैं. कंपनी का सिर्फ़ साढ़े तीन पर्सेंट हिस्सा बिक्री के लिए आ रहा है IPO क्या होता है? और IPO क्या होता है? उससे भी सरकार कुल मिलाकर बीस हज़ार 500 करोड़ रुपए से कुछ ऊपर रकम जुटाने की तैयारी में है.

साफ है कि पुराने सारे अनुमानों के मुक़ाबले यह रक़म बहुत कम है और इसका सीधा मतलब तो यही है कि सरकार एलआइसी की हिस्सेदारी काफ़ी सस्ते में बेच रही है. आख़िर सरकार ऐसा क्यों कर रही है?

इसका सीधा जवाब देना तो मुश्किल है लेकिन इतना साफ़ है कि सरकार अब इस मामले को टालने के मूड में नहीं है. जब पहली बार एलआइसी में हिस्सेदारी बेचने का एलान हुआ, तब से अब तक काफ़ी समय बीत चुका है और अब कोरोना संकट और यूक्रेन युद्ध की वजह से एक बार फिर शेयर बाज़ार की परिस्थितियां डांवाडोल सी लग रही हैं.

ऐसे में सरकार के पास दो रास्ते थे. या तो इस इशू को टाल दे और अच्छे दिन आने का इंतज़ार करे. या फिर आइपीओ का आकार और क़ीमत वगैरह ऐसे तय करे कि निवेशकों को दोबारा सोचने की ज़रूरत न रह जाए. शायद यही वजह है कि सरकार ने इस आइपीओ का आकार पाँच पर्सेंट से भी घटाकर साढ़े तीन पर्सेंट पर पहुँचा दिया.

क्या सस्ते में शेयर बेच रही है सरकार

सरकार इससे जितनी रक़म जुटाना चाहती थी अब उससे आधे से भी कम पैसा ही उसे मिल पाएगा. लेकिन इसका मतलब क्या यह नहीं है कि वो कंपनी के शेयर सस्ते में बेच रही है और इसका मतलब यह भी हुआ कि यह एक मौक़ा है, अच्छे शेयर सस्ते में पाने का?

एंकर इन्वेस्टरों के लिए एलआइसी का आइपीओ दो मई को शुरू हो चुका है और ज़रूरत से दो गुना यानी लगभग तेरह हज़ार करोड़ रुपए तक की अर्जियां एंकर इन्वेस्टरों से आ चुकी हैं.

बाक़ी बचे शेयरों में एलआइसी के पॉलिसीधारकों के लिए दो करोड़ 20 लाख शेयर और एलआइसी के कर्मचारियों के लिए 15 लाख शेयरों का कोटा अलग रखा गया है.

जबकि रीटेल निवेशकों के लिए कुल कोटा लगभग 6.91 करोड़ शेयरों का है. पॉलिसीधारकों में जबर्दस्त उत्साह है और ख़बर है कि 6.48 करोड़ पॉलिसी धारकों ने अपनी पॉलिसी पैन कार्ड से जुड़वा ली हैं.

अगर इनमें से आधे भी आइपीओ में एक लॉट यानी पंद्रह शेयरों के लिए एप्लीकेशन लगाते हैं तो 48 करोड़ से ज्यादा शेयरों के लिए अर्जी लग चुकी होंगी जबकि आइपीओ का कुल आकार ही 22 करोड़ शेयरों से कुछ ऊपर का है.

इसके बावजूद बाज़ार में यह आशंका जताई जा रही है कि रीटेल में तो जितने लोग भी अर्जी लगाएंगे उनको शेयर मिलने लगभग तय ही हैं. इसका दूसरा मतलब यह है कि ऐसे में लिस्टिंग के वक़्त भाव बढ़ने की या तगड़ा फ़ायदा होने की गुंजाइश लगभग नहीं है.

इसका अर्थ यह क़तई नहीं है कि एलआइसी का शेयर ख़रीदने लायक नहीं है. बल्कि यह कि एलआइसी के आइपीओ में अर्ज़ी लगाने से पहले सोच समझकर फ़ैसला करना ज़रूरी है ताकि अगर शेयर मिल जाएं तो आपको पक्का पता हो कि आपको इनका करना क्या है और कितने समय इन्हें अपने पास ही रखना है.

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