स्टॉक मार्केट के कार्य

स्टॉक मार्केट एक ऐसा विषय है जिसमें बहुत से लोगों की रुचि होती है लेकिन इसके बारे में उचित ज्ञान होना जरूरी है। कई बार शेयर बाजार में कम जानकारी होने के बावजूद लोग हमेशा किसी ज्योतिषी से सलाह लेते हैं। ज्योतिष में भी शेयर बाजार का विश्लेषण किया जाता है। शेयर बाजार की गणना वित्तीय ज्योतिष के अंतर्गत आती है।
स्टॉक एक्सचेंज के कार्य
शेयर मार्केट निवेशकों को Stock Exchange के बारे में पता होना आवश्यक है, हमने स्टॉक एक्सचेंज क्या है पर एक सम्पूर्ण आर्टिकल पहले ही लिखा हुआ है इस आर्टिकल में हम आसान शब्दों में स्टॉक एक्सचेंज के कार्य क्या है को समझेंगें.
परन्तु Stock Exchange के कार्य को समझने से पहले यह समझना जरुरी है की यह किस प्रोसेस के साथ काम करता है, आमतौर पर कोई कंपनी अपने प्रदर्शन, ग्रोथ को और बढ़ाना चाहती है तब उसे अधिक फंड (पैसे) की आवश्यकता होती है. स्टॉक एक्सचेंज वह तरीका है जिसके माध्यम से रजिस्टर्ड होकर कंपनी पब्लिक से पैसा उठा सकती है. पब्लिक अपना पैसा किसी कंपनी में इसलिए लगाती है ताकि कंपनी के बेहतर Performance के साथ उनके पैसे का वैल्यू बढ़ सके और वे अच्छी रिटर्न प्राप्त कर सकें.
स्टॉक एक्सचेंज के कार्य क्या हैं?
- स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से ही कोई निवेशक किसी कंपनी में निवेश कर सकता है Stock Exchange एक तरह से बीच की कड़ी है जो निवेशक को निवेश के लिए प्लेटफॉर्म प्रदान करता है जैसे भारत में दो बड़े स्टॉक एक्सचेंज NSE और BSE हैं.
- यह सुविधा प्रदान करना की निवेश जब चाहे आसानी से अपने पैसे निवेश कर सके और उतनी ही आसानी से निकाल सके.
- अगर-अलग तरह के निवेश के लिए एक बाजार प्रदान करना जहा हमेशा से खरीदने और बेचने वालों की भीड़ लगी रहे
- यह सुनिश्चित करना की बाजार सहीं नियमों सहीं दामों में चल रहा है, सहीं नियमों के साथ सुरक्षित बाजार संचालन का कार्य स्टॉक एक्सचेंज द्वारा किया जाता है.
- बाजार के नियमों के विरुद्ध कार्य करने पर उचित कार्यवाही करना, इसके लिए अगल-अलग तरह के बोर्ड का स्टॉक मार्केट के कार्य चयन करना
- चूँकि स्टॉक एक्सचेंज केवल किसी कंपनी के प्रदर्शन और खरीदी बिक्री तक ही सिमित नहीं रहता बल्कि किसी देश की अर्थव्यवस्था का माप इससे जुड़ा होता है इसलिए सहीं तरह के इसका संचालन महत्वपूर्ण है.
स्टॉक मार्केट का परिचय - Introduction to Stock Markets
जिस तरह से हम अपने दैनिक जरूरतों के लिए खरीदारी करने के लिए पड़ोस किराना स्टोर या सुपर मार्केट में जाते हैं, उसी तरह हम शेयर बाजार में इक्विटी निवेश स्टॉक मार्केट के कार्य के लिए दुकान (ट्रांसकैड के रूप में पढ़ते हैं) पर जाते हैं। शेयर बाजार है जहां सभी शेयरों में लेनदेन करना चाहते हैं सरल शब्दों में लेनदेन का मतलब है खरीद और बिक्री। सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए, आप शेयर बाजारों के माध्यम से लेनदेन किए बिना इंफोसिस जैसी किसी सार्वजनिक कंपनी के शेयर खरीद / बेच नहीं सकते। शेयर बाजार का मुख्य उद्देश्य आपको अपने लेनदेन को सुविधाजनक बनाने में मदद करना है। इसलिए यदि आप शेयर के खरीदार हैं, शेयर बाजार आपको विक्रेता से मिलने में मदद करता है
और इसके विपरीत। अब एक सुपर मार्केट के विपरीत, शेयर बाजार एक ईंट और मोर्टार फॉर्म में मौजूद नहीं है। यह इलेक्ट्रॉनिक रूप में मौजूद है आप अपने कंप्यूटर से इलेक्ट्रॉनिक रूप से बाजार तक पहुंच सकते हैं और अपने लेनदेन (शेयरों की खइसके अलावा, यह नोट करना महत्वपूर्ण है कि आप स्टॉक ब्रोकर नामक पंजीकृत मध्यस्थ के माध्यम से शेयर बाजार तक पहुंच सकते हैं। हम बाद के बिंदु पर स्टॉक ब्रोकरों के बारे में अधिक चर्चा करेंगे। भारत में दो मुख्य स्टॉक एक्सचेंज हैं जो स्टॉक मार्केट बनाते हैं। वे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) हैं। इन दोनों एक्सचेंजों के अलावा बेंगलूर स्टॉक एक्सचेंज, मद्रास स्टॉक एक्सचेंज जैसे अन्य क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंजों का एक हिस्सा है, जो अधिक या कम चरणबद्ध हो रहे हैं और वास्तव में अब कोई अर्थपूर्ण भूमिका नहीं निभाते हैं।
ग्रह और विभिन्न क्षेत्रों से उनका संबंध
- सूर्य का संबंध म्युचुअल फंड, लकड़ी, औषधि और राजकोष से स्टॉक मार्केट के कार्य है।
- इसी प्रकार चन्द्रमा का सम्बन्ध कांच, दूध, जलीय वस्तुओं और रूई से है।
- मंगल ग्रह खनिज, भूमि, भवन, चाय और कॉफी आदि से संबंधित है ।
- पारा आयात निर्यात, शैक्षणिक संस्थानों, सहकारी और बैंकिंग से संबंधित है।
- बृहस्पति पीले रंग के अनाज, सोना, पीतल और आर्थिक क्षेत्र से संबंधित है।
- शुक्र का संबंध चीनी, चावल, सौंदर्य उत्पादों, फिल्म उद्योग और रसायनों से है।
- शनि ग्रह का संबंध कारखानों, लोहा, पेट्रोलियम, चमड़ा और काली चीजों से स्टॉक मार्केट के कार्य है।
- राहु और केतु ग्रह उतार-चढ़ाव, विदेशी वस्तुओं और इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स से संबंधित हैं।
स्वाभाविक रूप से, यदि शेयर बाजार ग्रहों से प्रभावित होता है तो यह निश्चित रूप से शेयर बाजार में बदलाव को प्रभावित करेगा। ऐसे में यह जानना काफी जरूरी है कि जब भी कोई ग्रह वक्री, उदय या अस्त होता है तो स्टॉक मार्केट के कार्य उसका असर शेयर बाजार पर भी पड़ता है। इसके अलावा ग्रहण के दौरान भी शेयर बाजार पर असर पड़ता स्टॉक मार्केट के कार्य है।
शेयर बाजार में लाभ और हानि के ग्रह
जब कुंडली में पंचम भाव या पंचम भाव का स्वामी बली हो तो उन जातकों को शेयर बाजार में बड़ी सफलता मिलती है। इसके साथ ही जिन जातकों की कुंडली में राहु का शुभ प्रभाव पड़ता है, उन्हें शेयर बाजार में भी सफलता प्राप्त होती है। जिनकी कुंडली में शुभ स्थिति में बृहस्पति होता है, उन्हें कमोडिटी बाजार में लाभ मिलता है। यदि बुध अनुकूल स्थिति में हो तो ऐसा जातक शेयर बाजार से संबंधित बेहतर सलाह दे सकता है और अच्छा व्यवसाय चला सकता है। हालांकि, उन्हें खुद शेयर बाजार में सफलता नहीं मिलती है।
जब सूर्य और राहु का योग हो, चंद्रमा और राहु का योग हो, या किसी व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति और राहु हो, तो इन जातकों को शेयर बाजार से दूर रहने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा यदि राहु धन भाव में स्थित हो तो उन जातकों को भी शेयर बाजार से दूर रहने की सलाह दी जाती है अन्यथा उन्हें आर्थिक नुकसान हो सकता है। इसके साथ ही यदि आपकी कुंडली में राहु केंद्रीय स्थान में है तो एक बार आपको शेयर बाजार में सफलता मिल सकती है, लेकिन उसके बाद आपको लगातार नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। तो ऐसे में स्टॉक मार्केट के कार्य इन लोगों को शेयर बाजार से दूर ही रहना चाहिए।
शेयर बाजार में सफलता के ज्योतिषीय उपाय
जैसा कि हमने पहले स्टॉक मार्केट के कार्य बताया, शेयर बाजार में सफलता के लिए राहु का आपके पक्ष में होना बहुत जरूरी है। ऐसे में राहु को मजबूत करने के लिए आप अपने घर में राहु यंत्र ताबीज, राहु यंत्र, राहु शांति ताबीज स्थापित कर सकते हैं या इसे धारण कर सकते हैं।
इसके अलावा हेसोनाइट रत्न धारण करने से राहु के सकारात्मक प्रभाव भी आ सकते हैं। साथ ही दिन-रात राहु मंत्र का जाप करें। यह आपकी कुंडली में राहु को भी मजबूत बनाएगा और यदि आप शेयर बाजार में अपनी किस्मत आजमाने की योजना बना रहे हैं तो यह आपकी मदद स्टॉक मार्केट के कार्य करेगा।
इसके अलावा पन्ना रत्न भी शेयर बाजार में एक शुभ रत्न माना जाता है। बुधवार और शुक्रवार के दिन मछली को छोटी-छोटी लोई बनाकर आटा खिलाएं। इससे आपको शेयर बाजार से जुड़े शुभ फल प्राप्त होंगे।
ऑनलाइन स्टॉक ट्रेडिंग
फॉरेक्स टाइम लिमिटेड (www.forextime.com/eu) साइप्रस प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग द्वारा विनियमित है, जिसका CIF लाइसेंस नंबर है 185/12, तथा यह दक्षिण अफ्रीका के फाइनेंशियल सेक्टर कंडक्ट अथॉरिटी (FSCA) द्वारा लाइसेंस प्राप्त है और इसका FSP नंबर 46614 है। यह कंपनी यूके के फाइनेंशियल कंडक्ट अथॉरिटी के साथ रजिस्टर्ड है, जिसका नंबर 600475 है।
ForexTime (www.forextime.com/uk) फाईनेंशियल कंडक्ट अथॉरिटी द्वारा लाइसेंस नंबर 777911 के अंतर्गत अधिकृत और विनियमित है।
Exinity Limited (www.forextime.com) मॉरीशस गणराज्य के वित्तीय सेवा आयोग द्वारा विनियमित निवेश डीलर है, जिसकी लाइसेंस संख्या C113012295 है।
कार्ड ट्रांजेक्शन एफटी ग्लोबल सर्विसेज लिमिटेड, रजिस्टर्ड नंबर HE 335426 और रजिस्टर्ड पता Ioannis Stylianou, 6, Floor 2, Flat 202 2003, Nicosia, Cyprus के स्टॉक मार्केट के कार्य माध्यम से प्रोसेस किए जाते हैं। कार्डधारक के पत्राचार के लिए पता: [email protected] व्यवसाय के स्थान का पता: FXTM Tower, 35 Lamprou Konstantara, Kato Polemidia, 4156, Limassol, Cyprus.
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज क्या है? इतिहास, उद्देश्य और कार्य
दोस्तों, क्या आप जानते है शेयर मार्किट में एनएसई (NSE) क्या है? इसकी आवश्यकता क्यों पड़ा? इसके क्या फायदे है? यह कैसे काम करता है? आईये आज हम इसके विस्तार से जानते है। एनएसई (NSE) भारत का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार है और दुनिया के टॉप 10 शेयर बाजार में से एक है। इसकी स्थापना 1992 में हुआ था और इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय शेयर बाजार में पारदर्शिता लाना है।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई)
एनएसई (NSE) का पूरा नाम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड है यह भारत का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार है और दुनिया स्टॉक मार्केट के कार्य के टॉप 10 शेयर बाजार में से एक है। इसकी स्थापना 1992 में हुआ था और इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय शेयर बाजार में सरल और पारदर्शी बनाना है, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग शेयर बाजार में निवेश कर सके। सन 1994 में एनएसई (NSE) ने पहली बार भारतीय शेयर बाजार में इलेट्रॉनिक ट्रेडिंग की शुरुवात किया।
1992 के प्रसिद्ध घोटाले के बाद, जिसमें एक प्रसिद्ध निवेशक ने भारतीय शेयर बाजार में हेरफेर किया गया था। तब वित्त स्टॉक मार्केट के कार्य मंत्रालय ने भारत सरकार तहत, निवेशकों तक शेयर बाजार को आसानी से पहुंचने के उद्देश्य से एनएसई की स्थापना का निर्णय लिया गया था। इसकी संस्था की स्थापना की सिफारिस M.J. शेरवानी समिति ने भी किया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज भारत का सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से एक विकसित स्टॉक एक्सचेंज है। इसकी स्थापना सन 1992 में 25 करोड़ पूँजी के साथ मुंबई में किया गया। एनएसई का प्रमुख सूचकांक, निफ्टी 50 है, इसके अंतर्गत 50 कम्पनियाँ रजिस्टर्ड है। सूचकांक में सम्मिलित कंपनियों का समय-समय का आकलन किया जाता है और पुरानी कंपनियों के स्थान पर वे नयी सर्वोत्तम कम्पनीयों को शामिल किया जाता है | इसका उपयोग निवेशकों द्वारा बड़े पैमाने पर भारत और दुनिया भर में भारतीय पूंजी बाजार के बैरोमीटर के रूप में किया जाता है। एनएसई (NSE) द्वारा 1996 में NIFTY 50 इंडेक्स आरम्भ किया गया था।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का उद्देश्य
एनएसई (NSE) के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित है।
- सभी निवेशकों को शेयर बाजार में निवेश करने तथा शेयर खरीदने और बेचने की सुविधा प्रदान करना |
- सभी निवेशक सामान रूप से प्रतिभूति को खरीद और बेच सके।
- शेयर बाजार को निष्पक्ष, पारदर्शी और दक्ष बनाना।
- ख़रीदे और बेचे गए शेयर को अल्प समय में हस्तानांतरित करना।
- प्रतिभूति बाजार को अंतरास्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप स्थापित करना।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के कार्य
दोस्तों ,अब हम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड के कार्य प्रणाली के बारें में विस्तार से जानेंगे।
अगर कोई निवेशक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से शेयर बाज़ार में निवेश करना चाहता है तो सबसे पहले उसको मार्किट आर्डर के द्वारा आर्डर देना होता है , और कंप्यूटर ट्रेडिंग जो एक स्वचालित प्रक्रिया है के माध्यम से आपके आर्डर का मिलान किया जाता है। जब कोई निवेशक मार्किट आर्डर देता है तो उसे एक नंबर दिया जाता है जिसको यूनिट नंबर कहा है। कंप्यूटर ट्रेडिंग में खरीदने और बेचने व्यक्ति का नाम गुप्त रखा जाता है। खरीदने वाले व्यक्ति को बेचने वाले व्यक्ति को कोई जानकारी नहीं रहता है और बेचने वाले व्यक्ति को खरीदने वाले व्यक्ति की कोई जानकारी नहीं रहता है।
जब आपका आर्डर को कोई मिलान नहीं मिलता है तो आर्डर के क्रम को मिलाने के लिए आर्डर सूची से जोड़ा जाता है, और यह प्राइस टाइम (Price time) के प्राथमिकता के आधार पर निर्धारित किया जाता है। सर्वोत्तम मूल्य के आर्डर को पहले प्राथमिकता दिया जाता है और एकसमान मूल्य वाले आर्डर को पहले आर्डर के आधार पर प्राथमिकता दिया जाता है।