भावनात्मक व्यापारी

विधायक ने नृपेंद्र मिश्र से शिकायत भरे लहजे में कहा कि अयोध्या का जिस तरह से समन्वित विकास होना चाहिए, वह नहीं हो रहा है। सभी विभाग अलग-अलग प्लान पर काम करते हैं। कहीं सड़क नई बनती है तो कुछ ही दिन में पावर कॉरपोरेशन उसे खोदकर तार डालने लगता है।
भावनात्मक व्यापारी
आप राज्य के एक योग्य प्रशासक हैं। एक गाँव में मात्र संदेह के आधार पर एक व्यक्ति पर हमला हुआ। कई हित समूह इसे सांप्रदायिक और जातिगत रूप देने की कोशिश कर रहे हैं। इससे जिले के अंदर और इसके इर्द-गिर्द भावनात्मक उन्माद उत्पन्न हो गया है। इस कारण उस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर व्यावसायिक हानि हुई है और एक विशेष जाति और समुदाय के कई छोटे और मध्यम तबके के व्यापारी असुरक्षित महसूस भावनात्मक व्यापारी कर रहे हैं। दुकानों को लक्ष्य कर अनेक तोड़-फोड़ की घटनाएँ भी हुई हैं। हिंसा और कमज़ोर वर्गों के प्रति प्रताड़ना की रिपोर्टें भी आई हैं। कुछेक अधिकार प्राप्त अधिकारियों की ओर से रिपोर्ट आई है कि निचले स्तर के पुलिस कर्मी और कुछ क्षेत्रीय अधिकारी अपने जाति समूह या समुदाय के सदस्यों के विरुद्ध, जो कि हिंसा में संलग्न हैं, कार्रवाई करने से हिचक रहे हैं। वे अपने संबंधियों के प्रति आँखें भावनात्मक व्यापारी मूंद ले रहे हैं। आप इस परिस्थिति से निपटने के लिये क्या करेंगे?
उत्तर :
- स्थिति का विभिन्न आयामों से अध्ययन
- निष्पक्षता, वस्तुनिष्ठता और उत्तरदायित्व के संतुलन को कैसे सुनिश्चित करेंगे।
हितधारकः अल्पसंख्यक समुदाय, निचले स्तर के अधिकारी, व्यापक समाज।
मुद्दाः निष्पक्षता, वस्तुनिष्ठता और उत्तरदायित्व के संतुलन का।
प्रस्तुत केस स्टडी में मैं निम्नलिखित कार्रवाई करूंगाः
सर्वप्रथम निचले स्तर के सुरक्षा बलों की एक मीटिंग बुलाकर उन्हें वस्तुनिष्ठता, निष्पक्षता जैसे मूल्यों के विषय में समझाऊंगा। साथ ही उनमें जाति, धर्म से ऊपर उठकर भारतीय नागरिक, राष्ट्रवाद (Nationalism) की भावना का विकास करने का प्रयास करूंगा। अपेक्षित परिणाम हेतु मैं उनकी अभिवृत्ति में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास करूंगा। यदि वे इस क्रम में शांति हेतु कार्रवाई करते हैं तो ठीक अन्यथा मैं स्वयं उनका नेतृत्व करूंगा। जैसे मुंबई हमलों के समय हेमंत करकरे इत्यादि ने किया था।
राम मंदिर के साथ वर्ल्ड क्लास सिटी बनेगी अयोध्या: नृपेंद्र मिश्रा
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के राममंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष व सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी नृपेंद्र मिश्र अयोध्या में भव्य राममंदिर के साथ विश्व स्तर की वैश्विक सिटी बनाने के पक्षधर हैं। उन्होंने कहा कि भक्तों/पर्यटकों का सांस्कृतिक विरासत के साथ मजबूत भावनात्मक रिश्ता अयोध्या के विकास को नई ऊंचाई देगा।
रविवार सुबह लखनऊ रवाना होने से पहले नगर विधायक वेद प्रकाश गुप्त के साथ उन्होंने विकास व कारोबार के तमाम बिंदुओं पर चर्चा के दौरान कई अनुभव साझा किए। इससे पहले जिलाधिकारी अनुज कुमार झा व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आशीष तिवारी से अयोध्या के विकास व पुलिसिंग के बारे में फीडबैक लिया।
मंदी व जीएसटी पर व्यापारियों का मन टटोला
इसी तरह सीवर व पेयजल पाइप बिछाने के काम सड़क बनने के साथ नहीं शुरू होते। टुकड़े-टुकड़े में काम के बजाए एक साथ प्लानिंग होनी चाहिए। जवाब नृपेंद्र मिश्र ने पूछा कि क्या आपके क्षेत्र में राममंदिर का इलाका भी है, विधायक ने कहा, जी सर।
तब नृपेंद्र मिश्र ने पर्यटन विकास से अयोध्या को जोड़ते हुए वैश्विक सिटी बनाने का प्लान बताया। कहा कि राममंदिर ही नहीं, आसपास का पूरा क्षेत्र विकसित होगा। अच्छे काम की क्वालिटी व बेहतर तकनीक से अयोध्या विश्व का एक वैभवशाली शहर बनेगा।
यहां की सांस्कृतिक विरासत के साथ लोगों का भावनात्मक रिश्ता पर्यटकों को बरबस खींच लाएगा, सरकार चाहती है कि यहां धार्मिकता के साथ स्मार्ट सिटी के सभी मानकों को जमीं पर उतारा जाए, ताकि विश्वस्तरीय वैश्विक सिटी का जब मूल्यांकन हो तो अयोध्या का अपना एक स्थान हो।
सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी नृपेंद्र मिश्र ने अयोध्या के व्यापारी सरकार के बारे में क्या सोचते हैं, इसे विधायक के जरिए जानने की कोशिश की। उन्होंने पहले अयोध्या के कारोबार जगत का हाल-चाल लिया, फिर पूछा कि मंदी पर व्यापारी क्या सोचते हैं। इसके बाद जीएसटी पर भी विधायक से फीडबैक लिया।
रामनवमी के बाद राममंदिर निर्माण में आएगी तेजी: नृपेंद्र मिश्र
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के राममंदिर निर्माण समिति के प्रमुख व सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी नृपेंद्र मिश्र ने रविवार को लखनऊ जाने से पहले कहा कि टेक्निकल टीम के साथ शनिवार को वे रामजन्मभूमि परिसर का जायजा ले चुके हैं।
कहा कि तकनीकी टीम में एलएंडटी के प्रोजेक्ट मैनेजर दिवाकर त्रिपाठी व नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन के पूर्व अध्यक्ष एके मित्तल शामिल रहे। राममंदिर के निर्माण कार्य में रामनवमी के बाद तेजी आएगी।
पत्रकारों से संक्षिप्त बातचीत में कहा कि राममंदिर निर्माण शुरू करने से पहले तकनीकी टीम परिसर का सर्वे कर अपनी रिपोर्ट 25 मार्च तक सौंपेंगी। टीम की रिपोर्ट के बाद ही श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की भावनात्मक व्यापारी दूसरी बैठक होगी। कहा कि ट्रस्ट ने मीडिया से बातचीत के लिए महासचिव चंपत राय को अधिकृत किया है।
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राज्य के रूप में हरियाणा के उद्भव के लिए ऐतिहासिक पहलू
हरियाणा राज्य की मांग की उत्पत्ति को ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है | हरियाणा वासियों द्वारा आज़ादी के प्रथम युद्ध में भावनात्मक भागीदारी के कारण, ब्रिटिश शासकों के दिल में प्रतिशोध की भावना सुलग रही थी | इसलिए हरियाणा क्षेत्र को पंजाब के साथ 1858 में इसक्षेत्र के लोगों को राजनीतिक दंड के रूप में टैग किया गया था| “बेशक, यह उनके लिए राजनीतिक भावनात्मक व्यापारी अलगाव था, लेकिन वे अभी भी दिल्ली और पश्चिमी यूपी 1 के लोगों के लिए सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से अधिक सबद्ध थे।” उन्होंने राजनीतिक सीमाएं खो दी थीं लेकिन उन्होंने रोटी और बेटी वाले सांस्कृतिक संबंध बनाए रखे | शायद, यह ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीति के कारण ही था कि इस क्षेत्र में शिक्षा, व्यापार, उद्योग, संचार और सिंचाई के लिए कोई महत्वपूर्ण विकास नहीं हुआ था। परिणामस्वरुप, यह 19वीं शताब्दी में सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से पिछड़ा रहा। 12 दिसंबर, 1911 को कलकत्ता से दिल्ली राजधानी के परिवर्तन के साथ, हरियाणा क्षेत्र को अलग कर दिया गया था | 1920 में, दिल्ली जिले में कुछ बदलावों का सुझाव दिया गया था। मुस्लिम लीग ने आगरा, मेरठ और अंबाला डिवीजन को शामिल करने के भावनात्मक व्यापारी साथ दिल्ली की सीमाओं के विस्तार का भी सुझाव दिया। सर जे.पी.थॉमसन, आयुक्त दिल्ली को लोगों द्वारा भी इसी तरह की मांग की गई थी।
राज्य के नाम की उत्पत्ति
हरियाणा (हरियाणा) के नाम की उत्पत्ति के संबंध में विविध व्याख्याएं हैं | हरियाणा एक प्राचीन नाम है | पुरानी समय में इस क्षेत्र को ब्रह्मवर्त, आर्यवर्त और ब्रहमोप्देस के नाम से जाना जाता था | ये नाम हरियाणा की भूमि पर ब्रह्मा-देवता के उद्भव पर आधारित हैं अर्थात आर्यों का निवास और वैदिक संस्कृतियों और अन्य संस्कारों के उपदेशों का घर | प्रोफेसर एच. ए. फडके के अनुसार, “विभिन्न लोगों और जातियों के बीच मिलकर, समग्र भारतीय संस्कृति के निर्माण में हरियाणा का योगदान अपने तरीके से उल्लेखनीय रहा है| महत्वपूर्ण रूप से, इस क्षेत्र को सृजन के मैट्रिक्स और पृथ्वी पर स्वर्ग के रूप में सम्मानित किया गया है | इसके अन्य नाम बहुधान्याका और हरियंका खाद्य आपूर्ति और वनस्पति की बहुतायत का सुझाव देते हैं”| रोहतक जिले के बोहर गांव से मिले शिलालेख केअनुसार, इस क्षेत्र को हरियंक के नाम से जाना जाता था | 1337 विक्रम संवत के दौरान बलबन की अवधि से शिलालेख संबंधित है | बाद में, सुल्तान मोहम्मद-बिन-तुगलक के शासनकाल में पाए गए पत्थर पर ‘हरियाणा’ शब्द अंकित किया गया था | धरणिधर अपने कार्य अखण्ड प्रकाश में कहते हैं कि “यह शब्द हरिबंका से आता है और हरि की पूजा व भगवान इंद्र से जुड़ा हुआ है | चूंकि सूखा भूभाग है, इसके लोग हमेशा इंद्र (हरि) की बारिश के लिए पूजा करते हैं “। एक अन्य विचारक, गिरीश चंदर अवस्थी, ऋग्वेद से इसकी उत्पत्ति का सुराग लगाते हैं कि जहां हरियाणा नाम को योग्यता के लिए राजा(वासुराजा) विशेषण के रूप में प्रयोग किया जाता है । उन्होंने कहा कि राजा ने इस क्षेत्र पर शासन किया और इस तरह से इस क्षेत्र को उसके बाद हरियाणा के नाम से जाना जाने लगा।
डीटीओ के नेतृत्व में सदर विधायक से मिली क्षय रोग विभाग की टीम
हापुड़, सीमन (ehapurnews.com) : हापुड़, जिला क्षय रोग विभाग की ओर से क्षय रोगियों को भावनात्मक और सामाजिक सहयोग उपलब्ध कराने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को क्षय रोग विभाग की टीम जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश सिंह के नेतृत्व में सदर विधायक विजयपाल आढ़ती के आवास पर पहुंची और विधायक को 20 क्षय रोगियों की सूची सौंपी। टीम में डीटीओ के साथ जिला पीपीएम कोऑर्डिनेटर सुशील चौधरी और जिला पीएमडीटी कोऑर्डिनेटर मनोज कुमार गौतम शामिल रहे।
इसके अलावा टीम ने सर्राफा बाजार पहुंचकर सर्राफा व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष लोकेश कुमार के साथ वार्ता की और एसोसिएशन को क्षय रोगियों की मदद के लिए आगे आने को प्रेरित किया। इस मौके पर सर्राफा व्यापारी एसोसिएशन की कार्यकारिणी के सदस्य अजित सिंह सेठी उर्फ मक्खन भावनात्मक व्यापारी भी मौजूद रहे। एसोसिएशन के अध्यक्ष लोकेश कुमार ने जिला क्षय रोग विभाग के प्रस्ताव को पूरी गर्मजोशी के साथ लिया और टीम को आश्वासन दिया है कि इस संबंध में जल्द ही एसोसिएशन की बैठक बुलाकर भावनात्मक व्यापारी निर्णय लिया जाएगा।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. राजेश सिंह ने बताया – विभाग की ओर से व्यापारिक और सामाजिक संगठनों के अलावा व्यक्तिगत स्तर पर संपर्क कर क्षय रोगियों को भावनात्मक और सामाजिक सहयोग उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। डीटीओ ने बताया- उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की प्रेरणा से शुरू हुए इस कार्यक्रम का क्षय रोगियों में काफी प्रभावी और अनुकूल असर देखने को मिल रहा है। गोद लिए जाने से मिलने वाला भावनात्मक सहयोग क्षय रोगियों में नई ऊर्जा का संचार करने का काम करता है और क्षय रोग से लड़ने की इच्छा शक्ति मजबूत होती है। गोद लिए गए क्षय रोगियों में उपचार भावनात्मक व्यापारी के बेहतर नतीजे देखने को मिल रहे हैं।
डीटीओ ने कहा इस कार्यक्रम का सबसे बड़ा लाभ यह भी मिलेगा कि हर क्षय रोगी का लगातार फालोअप होता रहेगा और इससे उपचार नियमित रखवाने में मदद मिलेगी। कई क्षय रोगी बीच में ही दवा खाना छोड़ देते हैं जिससे उन्हें एमडीआर (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट) टीबी हो जाती है। एमडीआर टीबी ज्यादा खतरनाक है और उसका उपचार भी लंबा चलता है जबकि नियमित रूप से दवा खाने पर अधिकतर क्षय रोगी छह माह में ठीक हो जाते हैं।
क्या है भावनात्मक शून्यता, जानिए इस बारे में सब कुछ
हर किसी का कठिन परिस्थितियों से सामना करने का तरीका अलग-अलग तरीका होता है। कुछ लोग अधिक भावुक होते हैं, तो कुछ लोग किसी से अपनी बात साझा करके भी रिलैक्स हो जाते हैं। भावनात्मक व्यापारी मगर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो गहनतम पीड़ा में भी स्थिर हो जाते हैं। यह स्थिति किसी बड़े मानसिक आघात या हादसे के बाद आ सकती है। सुख और दुख दोनों ही स्थिति में वे भाव शून्य हो जाते हैं। जिसे जीरो इमोशंस (Zero emotions) या भावनात्मक शून्यता कहते हैं। यह ज्यादा समय तक रहे तो आपके मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है।
क्या है ज़ीरो इमोशन या भावनात्मक शून्यता?
इस स्थिति में कोई व्यक्ति अपनी भावनाओं को किसी के भी सामने व्यक्त करने में सहज नहीं हो पाता। कई मामलों में तो महिलाओं को कोई इमोशन महसूस ही नहीं होता। इसलिए इसे जीरो इमोशन भी कहा जाता है।