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चेक और बिल ऑफ एक्सचेंज के बीच अंतर

चेक और बिल ऑफ एक्सचेंज के बीच अंतर
चैक अनादरण को अपराध बनाने वाले इस कानून की जाँच परख करने के पहले हम जाँचते चलें कि माजरा क्या है। परक्राम्य विलेख अधिनियम 1881 का बना हुआ है। इस में धन के लेन देन के लिए लिखे जाने वाले चिट्ठों संबंधी बिन्दु शामिल हैं। इस में एक शब्द है “बिल ऑफ एक्सचेंज” (Bill of Exchange), हिन्दी में हम इसे विनिमय पत्र कह सकते हैं लेकिन परंपरागत रूप से इसे हुंडी कहा जाता है। इस की परिभाषा देते हुए यह कानून कहता है कि …”बिल ऑफ एक्सचेंज” या हुंडी एक लिखित विपत्र है जिस पर लिखने वाले के हस्ताक्षर होते हैं और उस में किसी व्यक्ति को बिनाशर्त आदेश दिया हुआ होता है कि इस विपत्र के धारक को या उस में अंकित व्यक्ति को उस में अंकित धनराशि दे दी जाए।

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क्या होता है Stock buyback?

स्टॉक बायबैक में कोई भी कंपनी अपने शेयरों को बाजार से वापस खरीदती है. इसे IPO का उलट भी मान सकते हैं. आईपीओ के जरिए कंपनी अपने शेयर बेचती है चेक और बिल ऑफ एक्सचेंज के बीच अंतर और पूंजी इकट्ठा करती है लेकिन बायबैक के जरिए कंपनी अपने ही शेयरों को वापस खरीदती है.

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कंपनी क्यों लाती है शेयर बायबैक?

जब कंपनी के पास कैश फ्लो ज्यादा होता है तो वो बायबैक करती है. बायबैक प्रोसेस के बाद कंपनी में प्रोमोटर की होल्डिंग बढ़ जाती है. कोई भी कंपनी ऐसा इसलिए करती है क्योंकि कंपनी की बैलेंसशीट में कैश ज्यादा होने को अच्छा नहीं माना जाता, चेक और बिल ऑफ एक्सचेंज के बीच अंतर इसलिए कंपनी कैश को शेयरों में बदल देती है.

इसके अलावा कई बार कंपनी को लगता है कि उसके शेयर की कीमत अंडरवैल्यूड यानी कम है तो वो अपने शेयरों का बायबैक लाकर शेयर की कीमत को बढ़ाने की कोशिश करती है.

बायबैक का फायदा किसे ज्यादा?

बायबैक का फायदा कंपनी और निवेशक दोनों को मिलता है. ज्यादातर मामलों में कंपनी को कोई नुकसान नहीं होता. बल्कि ऐसा करने से कंपनी के प्रोमोटर्स की होल्डिंग और बढ़ जाती है. कंपनी के अलावा इंवेस्टर्स को भी बायबैक का फायदा मिलता है.

शेयर बाजार में कोई भी कंपनी स्टॉक बायबैक (Stock Buyback) दो तरीके से लाती है. ये दो तरीके हैं ओपन मार्केट और टेंडर ऑफर. इन दोनों प्रोसेस में अंतर होता है और ये कंपनी पर निर्भर करता है कि वो किस तरह अपने शेयरों का बायबैक लेकर आएगी. आइए समझते चेक और बिल ऑफ एक्सचेंज के बीच अंतर हैं कि इन दोनों प्रोसेस में क्या अंतर है.

टेंडर ऑफर के जरिए बायबैक

इस प्रोसेस के जरिए कंपनी अपने शेयरों को खरीदने के लिए टेंडर निकालती है और शेयर बायबैक के लिए एक कीमत तय करती है. ये कीमत फिक्स होती है और बाजार की वॉलैटेलिटी का इस पर कोई असर नहीं पड़ता. अब इस प्रोसेस के जरिए जरूरी नहीं कि किसी निवेशक ने जितने शेयर बायबैक के लिए अप्लाई किए हो, कंपनी उतने शेयर खरीद ही ले. कंपनी अपने एक्सेप्टेंस रेश्यो के हिसाब से शेयर होल्डर्स से शेयर खरीदती है

ओपन मार्केट के जरिए Buyback

जैसे आम निवेशक स्टॉक एक्सचेंज से शेयर खरीदते हैं ठीक उसी तरह कंपनी भी अपने शेयर खरीदती हैं. खुद कंपनी के ब्रोकर ही ये शेयर ट्रांजैक्शन करते हैं. टेंडर ऑफर के मुकाबले ओपन मार्केट के जरिए शेयर बायबैक करने में ज्यादा समय लगता है लेकिन ओपन मार्केट ये जरूरी नहीं कि कंपनी बायबैक के लिए एक प्राइस तय करे. ये डील ओपन मार्केट के जरिए हो रही है तो ब्रोकर कंपनी के शेयर नॉर्मल तरीके से एक्सचेंज से खरीदते हैं.

Mechanisms of Operating Credit:

Credit Instruments

(b) Credit Institutions:चेक और बिल ऑफ एक्सचेंज के बीच अंतर

(They consist of banks with clearing houses):

A cheque चेक और बिल ऑफ एक्सचेंज के बीच अंतर is a credit instrument so long as it is not presented for encashment. A cheque is a written order on a specified bank made by the depositor to pay a certain amount to a person who possesses the cheque or in whose name the cheque has been cut. A bearer cheque is made payable to the person who-so ever presents it at the Bank चेक और बिल ऑफ एक्सचेंज के बीच अंतर for encashment. An order cheque is made payable to a certain person only in whose name cheque is.

It is the responsibility चेक और बिल ऑफ एक्सचेंज के बीच अंतर of the Bank to see that the payment is made to the right person. A crossed cheque cannot be encashed at the bank counter; it can only be deposited in the Bank चेक और बिल ऑफ एक्सचेंज के बीच अंतर account of the person in whose name the cheque is.

Advantages of Credit System:

(1) Credit encourages saving instinct and the formation of capital.

(2) Credit encourages production by allowing to flow the capital, formed by collecting small personal savings, into the hands of entrepreneurs to carry on their business.

(3) Credit enables to tide over temporary financial difficulties.

(4) A good credit policy minimises fluctuation in prices.

(5) Credit gives rise to credit instruments which economise the use of metallic money and thus substitute a cheap medium of exchange for a more expensive one.

Disadvantages of Credit System:

(i) Credit enables a man of doubtful ability to start a चेक और बिल ऑफ एक्सचेंज के बीच अंतर speculative business and thus ruin himself and those who have given credit to him.

(ii) Credit may lead to extravagance and indebtedness endangering the smooth progress of society.

(iii) The greatest danger of credit is the liability of credit to be over-issued.

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