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क्रिप्टोकरेंसी क्या है और उनके प्रकार

क्रिप्टोकरेंसी क्या है और उनके प्रकार

India At 2047: रेग्युलेशन का तरीका या निवेशकों को करता है सावधान?

Looking Ahead, India at 2047: भारत का क्रिप्टो टैक्स निवेशकों के लिए अत्यधिक अस्थिर एसेट्स में अपना पैसा लगाने से पहले जोखिम और रिटर्न को समझने के लिए प्रेरित करता है.

By: शयक मजूमदार | Updated at : 10 Aug 2022 07:00 PM (IST)

India At 2047: क्रिप्टोकरेंसी, नॉन-फंजीबल टोकन(NFT) और इस तरह के मिलते जुलते संस्थाओं को देश में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) के तहत जोड़ा गया है और इस वर्ष एक अप्रैल 2022 से इन्हें नए कड़े टैक्स व्यवस्था का सामना करना पड़ रहा है. ये देखने में कठोर फैसला लग सकता है जसे कि सभी प्रकार के टैक्स लगते हैं. लेकिन वास्तव में क्रिप्टोकरेंसी में उनके निवेश के प्रति सावधान करता है साथ ही ये भी बताता है कि ज्यादा रिटर्न के चक्कर में बिना सोचे समझे अपनी पूरी गाढ़ी कमाई को क्रिप्टोकरेंसी जैसे अस्थिर क्षेत्र में निवेश ना करें. क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स लगाने का फैसला उसपर प्रतिबंध लगाये बगैर भारत में क्रिप्टो एसेट्स को कानूनी अमलीजामा पहनाने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है.जो निवेशकों और ट्रेडर्स को बिना किसी चिंता के क्रिप्टो में निवेश जारी रखने की अनुमति देता है.

सबसे पहले अन्य देशों के मुकाबले भारत में क्रिप्टो पर टैक्स के हालात को समझते हैं.

भारत में क्रिप्टो से लाभ पर लगता है कितना टैक्स?
2022-23 बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) पर टैक्स लगाने का ऐलान किया. क्रिप्टोकरेंसी समेत अन्य वर्चुअल डिजिटल एसेट्स से होने वाले लाभ पर 30 फीसदी टैक्स लगा दिया गया. इस टैक्स के नियम में ऐसी कोई व्याख्या नहीं की गई है कि इस सीमा के भीतर वर्चुअल डिजिटल एसेट्स टैक्स नहीं लगेगा. इसका अर्थ ये हुआ कि अगर किसी टैक्सपेयर का कुल इनकम 2.5 लाख रुपये तक के टैक्स छूट सीमा से कम भी है तो उन्हें भी क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले फायदे पर टैक्स चुकाना होगा. इतना ही नहीं सभी वर्चुअल डिजिटल एसेट्स ट्रांजैक्शन पर 1 फीसदी का टीडीएस भी लगा दिया गया जो क्रिप्टो एक्सचेंजों को बेचने और खऱीदने पर वसूलना होगा.

कैसा है अन्य देशों के मुकाबले भारत का टैक्स सिस्टम
अमेरिका में क्रिप्टोकरेंसी पर कैपिटले गेन टैक्स लगता है जैसा शेयरों से होने वाले लाभ पर यहां लगता है. क्रिप्टोकरेंसी पर कैपिटले गेन अमेरिका में शून्य से 37 फीसदी तक वसूला जाता है. उदाहरण के लिए मान लिजिए आपने ने 100 डॉलर निवेश किया और 120 डॉलर पर बेच दिया तो आपका कैपिटले गेन 20 डॉलर होगा. यूनाइटेड किंग्डम में भी अमेरिका के समान ही कैपिटल गेन स्ट्रक्चर लागू है. साथ ही यहां 12,300 पाउंड का का टैक्स-फ्री अलाउंस भी मिलता है.

हालांकि कई देश ऐसे भी हैं जिन्हें क्रिप्टोकरेंसी के लिए टैक्स को टैक्स हेवेन के तौर पर देखा जाता है. जर्मनी में क्रिप्टोकरेंसी को करेंसी, कमोडिटी या स्टॉक्स नहीं माना जाता है बल्कि इसे प्राइवेट मनी के तौर पर देखा जाता है. अगर आपके पास एक साल से ज्यादा समय से क्रिप्टोकरेंसी है तो आपको टैक्स रिटर्न में घोषित करने की जरुरत नहीं है साथ ही मुनाफे पर बेचने पर भी कोई टैक्स नहीं देना होता है. अगर आप एक साल के भीतर क्रिप्टो बेचते हैं तो 600 यूरो तक का मुनाफा टैक्स-फ्री है. हालांकि कारोबार करने वालों को क्रिप्टो से होने वाले लाभ पर कॉरपोरेट इनकम टैक्स देना होता है. इसी प्रकार बरमूडा में क्रिप्टोकरेंसी पर कोई इनकम, कैपिटले गेन, विथहोल्डिंग या कोई टैक्स नहीं देना होता है.

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भारत में क्रिप्टो टैक्स: नियंत्रण या सावधानी?

कुछ देशों की तुलना में, भारत की टैक्स व्यवस्था थोड़ी शिथिल लगती है,जबकि कुछ अन्य देशों की तुलना में, भारत का क्रिप्टो टैक्स व्यवस्था बहुत कठोर नजर आता है. भारत में जब क्रिप्टो पर टैक्स लगाने का ऐलान किया गयातो क्रिप्टो व्यापारियों और निवेशकों ने इस कदम का स्वागत किया था, क्योंकि इसे सरकार द्वारा केंद्र द्वारा डिजिटल एसेट्स को कानूनी मान्यता के तौर पर देखा गया.

आपको बता दें सरकार जल्द ही सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) शुरू करने वाली है. सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी एक प्रकार से करेंसी का वर्चुअल फॉर्म है. आरबीआई डिजिटल फॉरमैट में लीगल टेंडर जारी करेगा. इसे आरबीआई द्वारा नियंत्रित किया जाएगा. यह उम्मीद की जाती है कि सीबीडीसी भारत की बैंकिंग सिस्टम को सपोर्ट करेगा समर्थन करेगा या मौजूदा ढांचे का पूरक होगा.

ये बात कही जाती है कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर बहुत ज्यादा टैक्स लगाया जा रहा है. जो वाकई में सच भी है. भारत में क्रिप्टो पर लगने वाला टैक्स किसी भी एसेट्स पर लगने टैक्स से बहुत ज्यादा है. इसकी तुलना में, भारत में शेयरों पर लॉंग टर्म टैक्स 10 फीसदी के दर से तो शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स 15 फीसदी से दर से वसूला जाता है.

क्रिप्टोकरेंसी पर 30 फीसदी के क्रिप्टो टैक्स के अलावा 1 फीसदी का टीडीएस लगता है जो 1 जुलाई 2022 से प्रभावी हुआ है. क्रिप्टो टीडीएस पर सभी दिशानिर्देशों को और ज्यादा स्पष्ट करने के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने जून में एक FAQ जारी किया था.

कुछ लोगों ने इसे सकारात्मक कदम माना. क्रिप्टो एक्सचेंज यूनोकॉइन के सीईओ और सह-संस्थापक सात्विक विश्वनाथ ने कहा कि “एसोसिएशन के एक हिस्से के रूप में हमने मंत्रालय को टीडीएस के व्यावहारिक समस्याओं से अवगत कराया था. उसी का सम्मान करते हुए मंत्रालय ने टीडीएस पर जानकारी और टीडीएस वसूलने को लेकर दिशानिर्देश जारी किए हैं. उन्होंने कहा कि , मैं इसे क्रिप्टो समुदाय के लिए एक छोटी सी जीत मानूंगा और हम अन्य विभागों से भी इस तरह के प्रोत्साहन की उण्मीद करता हूं. कुछ लोगों ने क्रिप्टो प्लेटफॉर्म पर अधिक ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए टीडीएस को व्यावसायिक अवसर के रूप में भुनाने और उपयोग करने का प्रयास किया है.

क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म वीट्रेड के संस्थापक प्रशांत कुमार ने एबीपी लाइव को बताया, "हमने तय किया है कि हम अपने ग्राहकों को टीडीएस कटौती के बराबर तत्काल कैशबैक देकर टीडीएस का 100 फीसदी बोझ लेंगे, जिससे इस रेग्युलेशन का पालन करना आसान हो जाएगा. वीट्रेड क्रिप्टो निवेश को आसान और फायदेमंद बनाता है, और इसे टीडीएस-मुक्त प्लेटफॉर्म में बदलकर, हम आशा करते हैं कि हमारे ग्राहक हमें और भी अधिक पसंद करेंगे.

उन्होंने कहा कि " वित्त मंत्रालय द्वारा वर्चुअल डिजिटल एसेट्स पर टीडीएस पर जारी किए गए स्पष्टीकरण का स्वागत करते हैं. इसके पीछे की मंशा सकारात्मक है और यह क्रिप्टो निवेशों को और अधिक पारदर्शिता बनाने और निवेश का पता लगाने में मदद करता है. और रेग्युलेटर्स की मदद से इस इंडस्ट्री विकसित करने में मदद करेगा. प्रशांत कुमार ने कहा कि सरकार ने सुनिश्चित किया है कि आम निवेशकों को निवेश करते समय परेशानी न हो और पूरा भार एक्सचेंज पर डाल दिया है. इससे एक्सचेंजों और ब्रोकर्स की भूमिका स्पष्ट कर दिया है. 1 प्रतिशत टीडीएस केवल बेचते समय लागू होता है जो कि अगले साल की फाइलिंग में दावा किया सकता है.

भारत का क्रिप्टो टैक्स बहुत ज्यादा है जो आम कों के लिए एक सख्त शब्द के रूप में आता है, जिसे क्रिप्टो बाजार की अस्थिरता की ज्यादा समझ नहीं है. देश की जनता को अभी भी क्रिप्टो पर पूरी जानकारी का अभाव है. सरल केवाईसी प्रक्रियाओं और मोबाइल ऐप पर एक्सचेंज और वॉलेट की उपलब्धता के साथ,बैंक खाता और सरकारी आईडी प्रूफ के साथ क्रिप्टो में निवेश आसान हो गया है. ऐसा माना जाता है कि एक कठोर क्रिप्टो टैक्स लोगों को अपने निवेश के प्रति सतर्क रहने, फाइन प्रिंट पढ़ने और अपना पैसा लगाने से पहले अपेक्षित रिटर्न को समझने के लिए प्रेरित करता है.

Disclaimer: क्रिप्टो प्रोडक्टस और एनएफटी अनियमित हैं और अत्यधिक जोखिम भरे हो सकते हैं.इस तरह के लेनदेन से किसी भी नुकसान के लिए कोई नियामक सहारा नहीं हो सकता है.क्रिप्टोक्यूरेंसी को कानूनी मान्यता नहीं है. यह बाजार के जोखिमों के अधीन है.पाठकों को सलाह दी जाती है कि किसी भी प्रकार का निवेश करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें और विषय पर संबंधित महत्वपूर्ण साहित्य के साथ प्रस्ताव दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें.

Published at : 10 Aug 2022 05:16 PM (IST) Tags: Cryptocurrency Independence Day super power India at 2047 100 years of independence Independence Day 2047 15th August 2047 हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: India-at-2047 News in Hindi

क्या सरकार अपनी क्रिप्टोकरेंसी लाने के बारे में सोच रही है?

सरकार बिटकॉइन समेत किसी प्रकार की निजी डिजिटल करेंसी के पक्ष में नहीं है मगर एक सरकारी समिति ने एक आधिकारिक डिजिटल करेंसी की जरूरत बताई है.

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जून में सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा एक मसौदा पेश किया था, जिसके तहत क्रिप्टोकरेंसी जारी करने, बनाने, खरीदने, बेचने, खत्म करने, इस्तेमाल करने या सौदा करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान था.

हाइलाइट्स

  • केंद्र सरकार की अंतर-मंत्रालयी समिति ने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है.
  • अभी तक दुनिया भर में कुल 2,116 क्रिप्टोकरेंसी हैं, जिनका कुल बाजार पूंजीकरण $119.46 अरब का है.
  • क्रिप्टोकरेंसी न तो लीगल टेंडर के समान हो सकती है और न ही इसे ऐसा समझा जाना चाहिए.

गौरतलब है कि इस समिति का गठन 2 नवंबर 2017 को क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े मामलों के अध्ययन के लिए किया गया था. इस समिति को इस बारे में रूपरेखा बनाने के लिए भी कहा गया था. इसने निजी क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ अपना फैसला दिया है. सरकार का तर्क है कि वह निवेशकों के पैसों को जोखिम में नहीं डाल सकती.

मगर आर्थिक मामलों के सचिव की अगुवाई वाली एक अन्य सरकारी समिति ने एक आधिकारिक डिजिटल करेंसी की जरूरत बताई है. उसका कहना है कि इसे लीगल टेंडर माना जा सकता है. इस पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का नियंत्रण होगा. इस पैनल में इलेक्ट्रॉनिक और आईटी मंत्रालयों के सचिव, सेबी प्रमुख और RBI के डिप्टी गवर्नर भी शामिल थे.

अभी तक दुनिया भर में कुल 2,116 क्रिप्टोकरेंसी हैं, जिनका कुल बाजार पूंजीकरण $119.46 अरब का है. GREX और RealX के सीईओ मनीष कुमार ने इस रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि समिति ने सिर्फ निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा है.

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उन्होंने कहा, "इस समिति ने क्रिप्टोकरेंसी की अवधारणा को खारिज नहीं किया है. इसका दूसरा अर्थ यह भी है कि किप्टो-तकनीक के दूसरे प्रयोगों को हरी झंडी दिखाई गई है." GREX एक निजी मार्केट प्लेटफॉर्म है, जो कंपनियों को वित्तीय प्रोडक्ट्स तक पहुंच बनाने में मदद करता है.

कुमार ने कहा, "जो हम समझ पा रहे हैं, उसके मुताबिक क्रिप्टोकरेंसी की अवधारणा पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया गया है. इस समिति का मानना है कि निजी उद्यमों के बजाय सिर्फ सरकार के पास ही क्रिप्टोकरेंसी जारी करने के अधिकार होने चाहिए."

उधर, अंतर-मंत्रालय समिति ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर वह स्थाई समिति के रूप में अपने पक्ष पर दोबारा विचार करने के लिए तैयार है. सुप्रीम कोर्ट की वकील और साइबर लॉ विशेषज्ञ एनएस नप्पिनई ने कहा कि सरकार द्वारा क्रिप्टोकरेंसी पेश करने का विचार एक गलत धारणा है.

उन्होंने कहा, "क्रिप्टोकरेंसी न तो लीगल टेंडर (सरकार द्वारा जारी मुद्रा) के समान हो सकती है और न ही इसे ऐसा समझा जाना चाहिए. भले ही यह कागज पर हो या डिजिटल रूप में. सरकार द्वारा जारी डिजिटल करेंसी वैध करेंसी होगी."

उन्होंने कहा कि अभी तक यह भी साफ नहीं है कि सरकार क्यों अपनी डिजिटल करेंसी पेश करने के बारे में सोच रही है. उनके अनुसार, "यदि सरकार इसे जारी करती है, जो इसकी वैल्यूएशन रुपये के सामने आंकी जाएगी. इसकी वैल्यू घरेलू करेंसी से अधिक या कम नहीं हो सकती है."

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नप्पिनई ने बताया कि सरकार को इस मंशा के पीछे के मकसद का आंकलन करना होगा. उन्होंने कहा, "अपनी अलग डिजिटल क्रिप्टोकरेंसी क्या है और उनके प्रकार करेंसी पेश करने की कवायद में लगने से पहले सरकार को भी कई सवालों के जवाब देने होंगे." क्रिप्टोकरेंसी प्रतिबंध लगाने से बेहतर होगा उसके लिए कानून पेश हो.

मौजूदा समय में भारत में डिजिटल करेंसी पर प्रतिबंध नहीं है. मगर नियामक प्राधिकरणों ने कारोबारियों और यूजर्स को इससे जुड़े जोखिम के विषय में बार बार सावधान किया है. साथ ही वे उन्हें इस प्रकारण के कृत्रिम उपकरणों की खरीद-फरोख्त से दूर रहने की भी सलाह देते रहे हैं.

साल 2018 के आम बजट में तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने साफ किया था कि क्रिप्टोकरेंसी लीगल टेंडर (वैध पैसा) नहीं है. उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार इन्हें वित्तीय प्रणाली से हटाने के सभी संभव प्रयास करेगी. उन्होंने 'भुगतान या उस प्रणाली के अंश के लिए अवैध वित्तीयकरण' में इनका इस्तेमाल रोकने की बात भी कही थी.

जून में सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा एक मसौदा पेश किया था, जिसके तहत क्रिप्टोकरेंसी जारी करने, बनाने, खरीदने, बेचने, खत्म करने, इस्तेमाल करने या सौदा करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान था. नप्पिनई का मानना है कि वे 'निजी क्रिप्टोकरेंसी' के भविष्य को लेकर संशय में हैं.

उन्होंने कहा, "आखिरकार, फेसबुक के ऐलान के बाद भारत भी इस दिशा में कदम बढ़ान के लिए जाग गया. फेसबुक ने अपनी कृत्रिम करेंसी 'लिब्रा' लॉन्च करने का ऐलान किया है. मगर सरकार का सबसे बड़ा डर है कि इनका इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने या मनी लॉन्ड्रिंग के लिए हो सकता है."

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क्रिप्टोकरेंसी क्या है और उनके प्रकार

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ब्लॉकचेन कानून : पक्ष- विपक्ष

हाल ही में क्रिप्टोकरेंसी तथा ब्लॉकचेन की वैधता का विश्लेषण करने के लिए गठित अंतर-मंत्रिस्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट दी है। इस समिति की सिफारिश को मानते हुए क्रिप्टोकरेंसी एण्ड रेग्यूलशन ऑफ ऑफिशियल डिजीटल करेंसी बिल, 2019 में इससे संबंधित कठोर दंड का प्रावधान रखा गया है।

क्रिप्टोकरेंसी क्या है ?

यह एक प्रकार की डिजिटल मुद्रा है, जो भौतिक रूप में उपलब्ध नहीं होती। यह आभासी (वर्चुअल) मुद्रा है। इसका उपयोग ब्लॉकचेन तकनीक के माध्यम से लेन-देन के लिए किया जाता है। बिटकॉइन इथीरियम, रिप्पल, लाइटकॉइन आदि कुछ प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी हैं।

वर्तमान विधेयक में क्रिप्टोकरेंसी क्या है और उनके प्रकार क्रिप्टोकरेंसी रखने, बेचने या लेन-देन करने पर 10 वर्ष के कारावास का भी प्रावधान है। सरकार को अंदेशा है कि इस करेंसी का उपयोग कालेधन को वैध बनाने के लिए किया जा सकता है। इसलिए विधेयक लाया गया है।

इंटरनेट के आने के बाद से तकनीकी क्रांति की दिशा में बढ़ते भारत के लिए ऐसा नियमन कानून प्रस्तावित करना एक महत्वपूर्ण कदम है।

ब्लॉकचेन के लाभ –

यह ऐसी तकनीक है, जिसमें क्रेता-विक्रेता के मध्य पैसे का सीधा स्थानांतरण किया जा सकता है। इसमें किसी बिचौलिए की आवश्यकता नहीं होती। वर्तमान में दो लोगों के मध्य धन का ट्रांजैक्शन बैंक, मनी ट्रांसफर आदि के माध्यम से होता है। ब्लॉकचेन तकनीक से जुड़े प्रत्येक कंप्यूटर में ट्रांजैक्शन की वैधता को जांचा और उसका ब्योरा रखा जाता है। जो लोग अपना कंम्प्यूटर इस तकनीक से जोड़ते हैं, उन्हें वेलीडेटर्स कहा जाता है। इसके माध्यम से ट्रांजैक्शन बनाने पर उन्हें टोकन के रूप में शुल्क मिलता है।

सरकार क्राइम और हैकिंग को रोकने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक को फुलप्रूफ सिस्टम के तौर पर जाना जाता है।

ब्लॉकचेन डिजिटल करेंसी बिटकॉइन पर आधारित है। यह मुद्रा विकेन्द्रित क्रिप्टो करेंसी होती है। इसे कभी भी कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इस मुद्रा पर किसी व्यक्ति, सरकार या कम्पनी का स्वामित्व नहीं होता है। इस कारण कभी किसी तरह की बेईमानी होने पर कोई कार्यवाही नहीं हो सकती।

ब्लॉकचेन के नैनो पेमेंट और इंटरनेट पर लेन-देन के अनेक लाभ हैं। इसके कारण फेसबुक जैसी कंपनी ने हाल ही में अपने भुगतान, किसी बैंक के बजाय ब्लॉकचेन के माध्यम से करने की घोषणा की है।

अनेक पूंजीपतियों ने भी 2018 में 24 अरब डॉलर का निवेश ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेंसी स्टार्टअप में किया है। 2019 में इसके बढ़ने की संभावना है।

विधेयक का प्रभाव

भारत में ऐसा कानून लाने से ब्लॉकचेन नेटवर्क के वेलीडेटर के रूप में ट्रांजैक्शन फीस कमाने का अवसर खत्म हो जाएगा। तकनीक से जुड़े नवोन्मेष से होने वाले लाभों से भारतीय वंचित रह जाएंगे।

यूरोपीय उदाहरण

यूरोप की संसद और परिषद कालेधन को वैध बनाने संबंधी दिशानिर्देशों पर काम कर रही है। इसके कार्यान्वयन की तिथि जनवरी 2020 रखी गई है। इसके अंतर्गत क्रिप्टोकरेंसी में डील करने वालों का “नो योर कस्टमर” रिकार्ड रखा जाएगा। उन्हें स्थानीय प्रशासन में पजींकरण भी कराना होगा।

यूरोपीय संघ आयोग ने भी क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े कई नियम-कानून बनाकर उनके परिचालन को नियंत्रित करने की तैयारी कर ली है। भारत भी इस प्रकार के साधन अपना सकता है, जिससे देशवासी तकनीक के लाभों से वंचित न रहें।

‘द हिन्दू’ में प्रकाशित अनिल के. एंटनी और अंकुर प्रसाद के लेख पर आधारित। 18 जुलाई, 2019

क्रिप्टोकरेंसी - Cryptocurrency

एक क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) या क्रिप्टो (Crypto), एक आभासी मुद्रा है जो क्रिप्टोग्राफी द्वारा सुरक्षित है। इसे विनिमय के एक माध्यम के रूप में काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जहाँ व्यक्तिगत स्वामित्व के रिकॉर्ड को कम्प्यूटरीकृत डेटाबेस में संग्रहीत किया जाता है। एक क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) का निर्णायक गुण यह है कि वे किसी भी देश की सरकारी एजेंसी द्वारा जारी नहीं किए जाते हैं और उन्हें किसी भी हस्तक्षेप और हेरफेर के खिलाफ प्रतिरक्षा बनाते हैं।

क्रिप्टोकरेंसी की परिभाषा - Definition of Cryptocurrency

सरल शब्दों में, Cryptocurrency एक साझा नेटवर्क में कई कंप्यूटरों के माध्यम से फैला एक डिजीटल संपत्ति है। इस नेटवर्क की विकेंद्रीकृत प्रकृति उन्हें सरकारी नियामक निकायों के किसी भी नियंत्रण से बचाती है। शब्द "क्रिप्टोकरेंसीअपने आप में नेटवर्क को सुरक्षित करने के लिए उपयोग की जाने वाली एन्क्रिप्शन तकनीकों से लिया गया है। कंप्यूटर विशेषज्ञों के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी की श्रेणी में आने वाली कोई भी प्रणाली निम्नलिखित आवश्यकताओं को पूरा करती है।

  • किसी भी केंद्रीकृत प्राधिकरण की अनुपस्थिति और वितरित नेटवर्क के माध्यम से बनाए रखा जाता है।
  • सिस्टम क्रिप्टोकरेंसी इकाइयों के रिकॉर्ड रखता है और जो उनके मालिक हैं।
  • यह प्रणाली तय करती है कि नई इकाइयों को विज्ञापन के मामले में बनाया जा सकता है या नहीं, मूल और स्वामित्व की शर्तों का फैसला किया।
  • क्रिप्टोकरेंसी इकाइयों का स्वामित्व विशेष रूप से क्रिप्टोग्राफिक रूप से साबित किया जा सकता है।
  • सिस्टम लेनदेन करने की अनुमति देता है जिसमें क्रिप्टोग्राफिक इकाइयों के स्वामित्व को बदल दिया जाता है।

क्रिप्टोकरेंसी के प्रकार - Types of Cryptocurrency

क्रिप्टो मुद्रा का पहला प्रकार बिटकॉइन था, जो आज तक सबसे अधिक उपयोग किया जाता है, मूल्यवान और लोकप्रिय है। बिटकॉइन के साथ, कार्यों और विनिर्देशों के अलग-अलग डिग्री के साथ अन्य वैकल्पिक क्रिप्टोकरेंसी बनाई गई हैं। कुछ बिटकॉइन के पुनरावृत्तियों हैं, जबकि अन्य जमीन से बनाए गए हैं बिटकॉइन को 2009 में छद्म नाम "सतोशी नाकामोटो" के एक व्यक्ति या समूह द्वारा लॉन्च किया गया था। मार्च 2021 तक, लगभग 927 बिलियन डॉलर की कुल मार्केट कैप के साथ 18.6 मिलियन से अधिक बिटकॉइन प्रचलन में थे। बिटकॉइन की सफलता के परिणामस्वरूप बनाई गई प्रतिस्पर्धात्मक क्रिप्टोकरेंसी को altcoins के रूप में जाना जाता है। कुछ प्रसिद्ध altcoins क्रिप्टो करेंसी के नाम इस प्रकार हैं:

  1. लिटिकोइन (Litecoin)
  2. पीरकोइन (Peercoin)
  3. नेमकोइन (Namecoin)
  4. एथेरुम (Ethereum)
  5. कार्डाना (Cardana)

आज, अस्तित्व में सभी क्रिप्टोकरेंसी का कुल मूल्य लगभग $ 1.5 ट्रिलियन है - वर्तमान में बिटकॉइन कुल मूल्य का 60% से अधिक का प्रतिनिधित्व करता है

क्रिप्टोकरेंसी के फायदे और नुकसान - Advantages and disadvantages of Cryptocurrency

क्रिप्टोकरेंसी के निम्नलिखित फायदे हैं-

  • थर्ड पार्टी जैसे क्रेडिट / डेबिट कार्ड या बैंकों की आवश्यकता के बिना दो पार्टियों के बीच फंड ट्रांसफर आसान होगा।
  • यह अन्य ऑनलाइन लेनदेन की तुलना में एक सस्ता विकल्प है।
  • भुगतान सुरक्षित और सुरक्षित हैं और गुमनामी का एक अभूतपूर्व स्तर प्रदान करते हैं।
  • आधुनिक क्रिप्टोकरेंसी सिस्टम एक उपयोगकर्ता "वॉलेट" या खाता पता के साथ आते हैं जो केवल एक सार्वजनिक कुंजी और समुद्री डाकू कुंजी द्वारा सुलभ है। निजी कुंजी केवल बटुए के मालिक को पता है।
  • फंड ट्रांसफर न्यूनतम प्रोसेसिंग फीस के साथ पूरा किया जाता है।

क्रिप्टोकरेंसी के निम्नलिखित नुकसान हैं।

  • क्रिप्टोकरेंसी लेन-देन की लगभग छिपी हुई प्रकृति उन्हें अवैध गतिविधियों जैसे कि धन शोधन, कर-चोरी और संभवतः आतंक-वित्तपोषण का ध्यान केंद्रित करना आसान बनाती है।
  • भुगतान अपरिवर्तनीय नहीं हैं।
  • क्रिप्टोकरेंसी को हर जगह स्वीकार नहीं किया जाता है और इसका मूल्य स्थिर नहीं होता है
  • चिंता है कि बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी किसी भी भौतिक वस्तुओं में निहित नहीं हैं। हालाँकि, कुछ शोधों ने यह पहचान लिया है कि एक बिटकॉइन के उत्पादन की लागत, जिसके लिए बड़ी मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है, का सीधा संबंध इसके बाजार मूल्य से है।

क्रिप्टोकरेंसी का इतिहास History of Cryptocurrency

1983 में, अमेरिकी क्रिप्टोग्राफर डेविड चाउम ने एक गुमनाम क्रिप्टोग्राफिक इलेक्ट्रॉनिक पैसे की कल्पना की, जिसे Ecash कहा जाता है। बाद में, 1995 में, उन्होंने डिजिकैश (Digicash) के माध्यम से इसे लागू किया, क्रिप्टोग्राफ़िक इलेक्ट्रॉनिक भुगतानों का एक प्रारंभिक रूप जिसे एक बैंक से नोट्स वापस लेने और प्राप्तकर्ता को भेजे जाने से पहले विशिष्ट एन्क्रिप्टेड कुंजियों को निर्दिष्ट करने के लिए उपयोगकर्ता सॉफ़्टवेयर की आवश्यकता होती है। इसने जारीकर्ता बैंक, सरकार या किसी तीसरे पक्ष द्वारा डिजिटल मुद्रा को अप्राप्य होने की अनुमति दी। 1996 में, नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी ने हाउ टू मेक टु मिंट: एनक्रिप्टेड इलेक्ट्रॉनिक कैश की क्रिप्टोग्राफी, एक क्रिप्टोक्यूरेंसी प्रणाली का वर्णन करते हुए पहली बार एक MIT मेलिंग सूची में प्रकाशित करने के लिए एक पत्र प्रकाशित किया। पहली विकेन्द्रीकृत क्रिप्टोकरेंसी, बिटकॉइन, 2009 में संभवतः छद्म नाम के डेवलपर Satoshi Nakamoto द्वारा बनाया गया था। इसने अपने प्रमाण-कार्य योजना में SHA-256, एक क्रिप्टोग्राफ़िक हैश फ़ंक्शन का उपयोग किया था। क्रिप्टोकरेंसी कैसे काम करती है? - How does a Cryptocurrency work? एक क्रिप्टोकरेंसी (या "क्रिप्टो") एक डिजिटल मुद्रा है जिसका उपयोग वस्तुओं और सेवाओं को खरीदने के लिए किया जा सकता है, लेकिन ऑनलाइन लेनदेन को सुरक्षित करने के लिए मजबूत क्रिप्टोग्राफी के साथ एक ऑनलाइन लेज़र का उपयोग करता है। इन अनियमित मुद्राओं में अधिकांश ब्याज लाभ के लिए व्यापार करना है, सट्टेबाजों के साथ कई बार कीमतें आसमान छूती हैं। क्रिप्टोकरेंसी से पैसा कैसे बनाया जाता है? - How is money made from cryptocurrency? क्रिप्टोकरेंसी से पैसा कमाने का सबसे आम तरीका बिटकॉइन, लिटॉइन, एथेरम, रिपल जैसे सिक्के खरीद रहा है, और अधिक और तब तक इंतजार करता है जब तक उनका मूल्य बढ़ जाता है। एक बार जब उनके बाजार मूल्य बढ़ जाते हैं, तो वे लाभ पर बेचते हैं। क्रिप्टो करेंसी तकनीक की मुख्य अपील क्या है? - What is the main appeal of a cryptocurrency technology? बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी की अपील और कार्यक्षमता के लिए सेंट्रल ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी है, जिसका उपयोग उन सभी लेन-देन का एक ऑनलाइन बहीखाता रखने के लिए किया जाता है, जो इस प्रकार इस बहीखाता के लिए एक डेटा संरचना प्रदान करता है जो काफी सुरक्षित है और साझा और सहमत है अलग-अलग नोड के पूरे नेटवर्क द्वारा, या कंप्यूटर एक बही की प्रतिलिपि बनाए रखता है।

जानिए क्या है प्राइवेट Cryptocurrency, जिस पर बैन लगाने जा रही है केंद्र सरकार, ये है प्रमुख बातें

जानिए क्या है प्राइवेट Cryptocurrency, जिस पर बैन लगाने जा रही है केंद्र सरकार, ये है प्रमुख बातें

Ban on Private Cryptocurrency । भारत सरकार जल्द ही प्राइवेट Cryptocurrency पर बैन लगाने के लिए कानून लाएगी। इस संबंध में संसद में एक विधेयक पेश करने की तैयारी चल रही है। केंद्र सरकार द्वारा विधेयक लाने की घोषणा के बाद क्रिप्टो मार्केट में हलचल क्रिप्टोकरेंसी क्या है और उनके प्रकार बढ़ गई है और अचानक ही Cryptocurrency मार्केट धराशायी हो गया है। क्रिप्टो करेंसी मार्केट में 15 से 20 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। गौरतलब है कि Cryptocurrency बिटकॉइन में 17 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, वहीं एथेरियम में लगभग 15 प्रतिशत और टीथर में लगभग 18 प्रतिशत की गिरावट आई है।

प्राइवेट Cryptocurrency बिल संसद के शीतकालीन सत्र में ही लाया जाएगा। सदन की कार्यवाही पर आधिकारिक दस्तावेज में जानकारी दी गई है कि डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2021 का क्रिप्टोकरेंसी और विनियमन, आगामी शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किया जाना है। गौरतलब है कि संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू होने वाला है।

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विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि निजी Cryptocurrency पर भारत में पूरी तरह से बैन लगाया जाएगा। सरकारी सूत्रों के मुताबिक आरबीआई खुद जल्द ही अपनी डिजिटल करेंसी जारी करेगा। डिजिटल करेंसी का निजी हाथों में होना निवेशकों के लिए घातक हो सकता है इसलिए सरकार Cryptocurrency पर आरबीआई का नियंत्रण चाहती है। इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने भी कमजोर खुदरा निवेशकों को ध्यान में रखते हुए भारत में क्रिप्टोकरेंसी के अनियंत्रित विकास के बारे में चिंता जताई थी।

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गौरतलब है कि बीते कुछ सालों में Cryptocurrency में तेजी से निवेश बढ़ा है। हालांकि अभी तक सिर्फ एक देश साल्वाडोर ने ही डिजिटल करेंसी को मान्यता दी है। Cryptocurrency में बिटकॉइन के अलावा भी कई प्राइवेट डिजिटल करेंसी चलन में है, लेकिन साल्वाडोर के अलावा दुनिया के किसी भी देश ने Cryptocurrency को मान्यता नहीं दी है।

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सरकार क्रिप्टोकरेंसी के नियमन के लिए जो बिल ला रही है उसका नाम है- क्रिप्टोकरेंसी और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक 2021 (Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021)। इस विधेयक के जरिए केंद्र सरकार एक आधिकारिक क्रिप्टो करेंसी जारी कर पाएगी और इस विधेयक के जरिए सभी प्राइवेट क्रिप्टो करेंसी बैन हो जाएंगी।

Cryptocurrency भले ही अभी ज्यादा चर्चा में रहती है लेकिन इसके बारे में लोगों ने 90 के दशक में ही सोचना शुरू कर दिया था। 90 के दशक में जब तकनीकी क्रांति होने लगी थी तो शुरुआती दौर में फ्लूज़, बींज़ व दीजिकेश ने डिजिटल करंसी के रूप में पैर पसारने के बारे में प्रयास किया था लेकिन सफलता नहीं मिली थी। दरअसल शुरुआत में लोग इस डिजिटल करेंसी पर विश्वास नहीं कर पाए थे। इसके बाद साल 2009 में एक बेनामी व्यक्ति सामने आता है, जो सातोशी नाकामोटो के उपनाम से कार्य करता था और सॉफ्टवेयर डेवलप करता था। उसी ने सबसे पहले BitCoin का विचार सबके सामने रखा।

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