मार्केट एक्सेस

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भारत द्वारा पाकिस्तान से एमएफएन स्टेटस वापस लेने के क्या हैं मायने
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान | फाइल फोटो / यूट्यूब
जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए हमले के बाद भारत की सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समीति ने फैसला लिया है कि पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस लिया जाए. 40 जवानों के मारे जाने के बाद समीति ने फैसला लिया है कि पाकिस्तान को अंतराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने के लिए कूटनीतिक स्तर पर रणनीति अपनाई जाए. लेकिन यहां यह जानना जरूरी हो जाता है कि मोस्ट फेवर्ड नेशन क्या होता है और जब भारत इसका दर्जा वापस लेगा तो इसका क्या प्रभाव पाकिस्तान पर पड़ेगा.
एमएफएम क्या है
एमएफएम यानी मोस्ट फेवर्ड नेशन. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, सर्वाधिक तवज्जो दिए जाने वाला देश. विश्व व्यापार संगठन और कुछ अंतराष्ट्रीय नियमों के आधार पर व्यापार में देश को सर्वाधिक तवज्जों दिए जाने वाले देश को एमएफएन का दर्जा दिया जाता है. भारत पाकिस्तान देशों के व्यापार मामलों के जानकार निशा तनेजा ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में बताते हैं कि यह विश्व व्यापार संगठन का दिया शब्द है जिसका अर्थ यह होता है कि जो ट्रीटमेंट एक देश को मार्केट एक्सेस देंगे वही आप दूसरे को भी देंगे. यानी किसी वस्तु पर हमारा टैरिफ या आयात शुल्क जो है उसे एमएफएन में शामिल सभी देशों को दिया जाएगा.
यह दो देशों के व्यापारिक भरोसे का पैमाना भी है. विश्व व्यापार संगठन यानी डब्लूटीओ के सदस्य आपस में एक दूसरे को एमएफएन का दर्जा दे सकते हैं. जिससे देशों के बीच व्यापार संबंध मजबूत हों और अंतराष्ट्रीय नियमों का पालन करते हुए कमजोर देशों की अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचाया जा सके.
भारत पाकिस्तान के बीच एमएफएन
भारत ने पाकिस्तान पर भरोसा जताते हुए 1996 में एमएफएन का दर्जा दिया था. लेकिन पाकिस्तान ने भारत को यह दर्जा आज तक नहीं दिया. पाकिस्तान पर भारत को एमएफएन देने के लिए कई बार दवाब बनाया गया लेकिन पाकिस्तान ने हर बार अपने कदम पीछे खींच लिए. पाकिस्तान एमएफएन की जगह भारत के साथ नॉन डिस्क्रिमिनेटरी मार्केट एक्सेस संधि की है. इसको लेकर तर्क यह दिया गया था कि दोनों देशों के बीच बिना भेदभाव के व्यापार और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा मिलेगा. 2015 में पाकिस्तान उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने कहा था कि इसे हम नॉन डिस्क्रिमिनेटरी मार्केट एक्सेस के तौर पर देखते हैं और बातचीत की स्थिति बहाल हो तो हम जल्द इस बारे में किसी नतीजे पर पहुंचेंगे.
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एमएफएन वापस लेने से क्या असर पड़ेगा
पुलवामा में हुए हमले के बाद भारत पाकिस्तान को किसी तरह की हिलाहवाली देने के मूड में नहीं है. सीमा पर होने वाले तनाव के बीच दोनो देशों के आर्थिक संबंध पर असर नहीं पड़े थे. लेकिन इस फैसले से दोनो देशों के व्यापारिक रिश्तों पर असर पड़ेगा. दोनो देशों के बीच 2017-18 में 2.41 बिलियन डॉलर का व्यापार है. वहीं 2015-16 में भारत के 641 अरब डालर के निर्यात में पाकिस्तान का हिस्सा महज 2.67 बिलियन डॉलर का है. ऐसे में पाकिस्तान पर खास असर नहीं पड़ेगा लेकिन नई दिल्ली से एक तगड़ा कुटनीतिक जवाब जरूर दिया जा सकेगा. अगर वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट की माने तो दोनो देशों के बीच संबंध सुधारने की स्थिति में इनका व्यापार 37 बिलियन डालर तक पहुंच सकता है.
विश्व व्यापार संगठन की नियमावली के आर्टिकल 21बी के अनुसार किसी देश को दिया गया मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दोनों देशों के बीच सुरक्षा संबंधी विवाद होने के बाद वापस लिया जा सकता है. जिसके ताहत डब्लूटीओ की सारी शर्तें पूरी करनी होती है.
हमारे बारे में
एसटीपीआई-पुणे, दस एसटीपीआई क्षेत्राधिकारों में से एक, पुणे महाराष्ट्र में स्थित है और इसके छह उप-केंद्र औरंगाबाद, गोवा, कोल्हापुर, नागपुर, नासिक और नवी मुंबई में हैं। राजीव गांधी इन्फोटेक पार्क, एमआईडीसी हिंजवाड़ी पुणे में एक प्रमुख आईटी क्लस्टर में स्थित एसटीपीआई-पुणे पिछले तीन दशकों से महाराष्ट्र में सॉफ्टवेयर मार्केट एक्सेस और हार्डवेयर निर्यात वृद्धि का प्रमुख चालक रहा है और पुणे को भारत में अग्रणी आईटी क्लस्टर एक के रूप में उभरने में सक्षम बनाया है।
एसटीपीआई-पुणे ने महाराष्ट्र और गोवा से सॉफ्टवेयर निर्यात में वृद्धि का आश्वासन दिया है और देश की आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देकर इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार और उद्यमशीलता के अवसर पैदा करने में मदद की है। वित्त वर्ष 2020-21 में, एसटीपीआई-पुणे क्षेत्राधिकार के तहत एसटीपीआई-पंजीकृत इकाइयों ने आईटी/आईटीईएस/ईएसडीएम निर्यात में 96,861.85 करोड़ रुपये का योगदान दिया है।
महाराष्ट्र में गतिशील विकास
आईटी उद्योग के विकास में एसटीपीआई की भूमिका खासकर स्टार्टअप्स और एसएमई के मामले में जबरदस्त रही है। एसटीपी योजना एक उत्प्रेरक: एसटीपी योजना संचार-लिंक या भौतिक-मीडिया का उपयोग कर व्यावसायिक सेवाओं के निर्यात मार्केट एक्सेस सहित कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के विकास और निर्यात के लिए 100 प्रतिशत निर्यात उन्मुख योजना है। यह योजना अपने आप में अद्वितीय है क्योंकि यह एक उत्पाद/क्षेत्र, यानी कंप्यूटर सॉफ्टवेयर पर केंद्रित है। यह योजना 100 प्रतिशत निर्यात उन्मुख इकाइयों (ईओयू) और निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्रों (ईपीजेड) की सरकारी अवधारणा और दुनिया में कहीं और संचालित होने वाले विज्ञान पार्कों / प्रौद्योगिकी पार्कों की अवधारणा को एकीकृत करती है। एसटीपी योजना ने इस क्षेत्र से आईटी/आईटीईएस/ईएसडीएम निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक प्रमुख उत्प्रेरक के रूप योगदान दिया । कुल निर्यात वर्ष 1992-93 में 0.45 करोड़ रूपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2020-21 में 96,861.85 करोड़ रूपये हुआ।
एसटीपीआई - पुणे के उप-केंद्र :
औद्योगिक समूहों के विकास को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने वाली कंपनियों की दक्षता बढ़ाने के लिए माना जाता है। भारत में एक साथ काम करने वाले इन समूहों की उपस्थिति विशेष रूप से बैंगलोर, नोएडा, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद और मार्केट एक्सेस मार्केट एक्सेस पुणे के आसपास केंद्रित है, यह प्रमाणित करता है कि एक तकनीकी क्रांति हुई थी, जो कुछ हद तक सिलिकॉन वैली, बोस्टन, डलास, आयरलैंड, स्वीडन और टोक्यो जैसे वैश्विक प्रौद्योगिकी समूहों के समान थी। यद्यपि एसटीपीआई केंद्रों में 62 स्थानों के साथ अखिल भारतीय उपस्थिति है, जिनमें से 54 केंद्र टियर- II / III शहरों में हैं, लेकिन इसका प्रमुख फोकस केवल इन प्रमुख क्लस्टर क्षेत्रों पर रहा है।
एसटीपीआई की यात्रा बहुत पहले 80 के दशक के मध्य में शुरू हुई थी, जब तत्कालीन इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग, भारत सरकार ने देश से सॉफ्टवेयर निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर से संबंधित प्रमुख नीतियां और बाद में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क (एसटीपी) योजना बनाई। सन १९८९ में, बेंगलुरु, भुवनेश्वर और पुणे में तीन एसटीपी स्थापित किए गए थे, जिनको अंततः सन १९९१ में एसटीपी और ईएचटीपी योजनाओं को लागू करके भारत से सॉफ्टवेयर निर्यात को बढ़ावा देने और सभी वांछित सेवाओं को सुधारने के लिए एक जनादेश के साथ सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ़ इंडिया बनाने के लिए विलय कर दिया गया था।
मार्केट एक्सेस
हमारा अगला मोबाइल मार्केट शनिवार, 12 जून, 2021 को सुबह 10:00 बजे से 11:30 बजे तक लॉरेंस हाई स्कूल कैंपस में होगा।
फीचर्स में कारों को भी मात देने मार्केट में आया Suzuki का ये स्कूटर, 1 लीटर में 60km का माइलेज
इंजन और पावर
इंजन और पावर की बात की जाए तो सुजुकी एक्सेस 125 सीबएस में 124 सीसी का सिंगल सिलेंडर इंजन दिया गया है जो कि 8.4 बीएचपी की पावर और 10.2 न्यूटन मीटर का टार्क जनरेट करता है। ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन से लैस इंजन वाला ये स्कूटर माइलेज में भी काफी दमदार है और प्रति लीटर में 60 किमी का दमदार माइलेज देगा। 125सीसी सेगमेंट में सुजुकी एक्सेस काफी मशहूर स्कूटर और काफी ज्यादा पसंद किया जाता है अब देखते हैं कि लॉन्च होने के बाद इस स्कूटर को कितना ज्यादा पसंद किया जाता है। सीबीएस वेरिएंट नए कलर्स ऑप्शन के साथ भी है।
भारत में सुजुकी एक्सेस 125 सीबीएस का मुकाबला होंडा एक्टिवा 125 से है जो कि अपनी आकर्षक कीमत की वजह से भी लोगों को काफी पसंद आता है इसलिए सुजुकी एक्सेस के नए वेरिएंट का खासतौर पर होंडा एक्टिवा से ही मुकाबला है। होंडा एक्टिवा में 125 सीसी का एचईटी इंजन दिया गया है जो कि 8.52 बीएचपी की पावर और 10.54 न्यूटन मीटर का टार्क मार्केट एक्सेस जनरेट करता है। ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन से लैस इंजन वाला ये स्कूटर प्रति लीटर में 59 किमी का दमदार माइलेज देता है। होंडा एक्टिवा की शुरुआती एक्स शोरूम कीमत 57 हजार रुपये है।