इक्विटी पर व्यापार क्या है?

इक्विटी की लागत क्या है अर्थ और उदाहरण
इक्विटी की लागत का क्या मतलब है?: इक्विटी की लागत वह प्रतिफल है जो निवेशक सुरक्षा से उस जोखिम की प्रतिपूर्ति के रूप में अपेक्षा करते हैं जो वे विशेष सुरक्षा में निवेश करके करते हैं। दूसरे शब्दों में, यह उस रिटर्न की राशि है जो निवेशकों को बेहतर निवेश की तलाश शुरू करने से पहले चाहिए जो अधिक भुगतान करेगा।
इक्विटी की लागत का क्या मतलब है?
इक्विटी की लागत की परिभाषा क्या है? आम तौर पर, इक्विटी की लागत की गणना करने के लिए हम पूंजीगत परिसंपत्ति मूल्य निर्धारण मॉडल (सीएपीएम) का उपयोग करते हैं, जो दर्शाता है कि बाजार तंत्र सुरक्षा के मूल्य को कैसे निर्धारित करता है। निवेशक एक सुरक्षा खरीदने के लिए सहमत होते हैं, केवल तभी जब वे एक ऐसे रिटर्न की उम्मीद करते हैं जो उन्हें उस जोखिम के लिए प्रतिपूर्ति करता है जो उन्होंने नकारात्मक रिटर्न काटने के लिए किया है। यदि किसी अन्य कंपनी के साथ जोखिम कम है, तो वे कहीं और निवेश करना चुनेंगे।
इक्विटी लागत की गणना करने के लिए, रुपये, सीएपीएम सूत्र का उपयोग करते हुए: रुपये = आरएफ + बीएक्स (आरएम – आरएफ)।
सीएपीएम गणना को लाभांश छूट मॉडल (डीसीएफ) के साथ क्रॉस-चेक किया जा सकता है। इस मामले में, हमें यह जानने की जरूरत है:
- D1 = वर्ष 1 . में वार्षिक लाभांश
- पी = शेयर की कीमत
- जी = लाभांश वृद्धि दर
इस प्रकार, डीसीएफ मॉडल का उपयोग करके इक्विटी फॉर्मूला की लागत की गणना इस तरह की जाती है: रुपये = (डी1 / पी) + जी।
आइए एक उदाहरण देखें।
उदाहरण
ऐनी जेपी मॉर्गन चेस में एक निवेश विश्लेषक के रूप में काम करती है। वह सीएपीएम का उपयोग करके सुरक्षा के सीओई की गणना करना चाहती है। ऐनी जानता है कि जोखिम मुक्त दर 4% है, अनुमानित बाजार वापसी 10.6% है, और सुरक्षा बीटा 1.35 है।
सीएपीएम का उपयोग करते हुए, अन्ना ने पाया कि सुरक्षा का सीओई है:
रुपये = आरएफ + बीएक्स (आरएम – आरएफ) = 4% + [1.35 x (10.6% – 4%)] = 0.04 +[135×0066)=004+00891=01291=129%[135×0066)=004+00891=01291=129%
फिर, ऐनी सीएपीएम के निष्कर्षों की तुलना डीसीएफ मॉडल से करना चाहती है। वह जानती है कि मौजूदा स्टॉक मूल्य $50 है, अनुमानित लाभांश $3.30 है, और लाभांश वृद्धि 4.8% है। डीसीएफ का उपयोग करते हुए, ऐनी ने पाया कि सुरक्षा का सीओई है:
रु = (D1 / P) + g = इक्विटी पर व्यापार क्या है? $3.30 / $50 + 4.8% = 0.066 + 0.048 = 0.1144 = 11.4%
नोट: डीसीएफ मॉडल उन प्रतिभूतियों पर लागू नहीं होता जो लाभांश का भुगतान इक्विटी पर व्यापार क्या है? नहीं करती हैं।
सारांश परिभाषा
इक्विटी की लागत को परिभाषित करें: इक्विटी की लागत वह प्रतिफल है जो कंपनियां अपने शेयरधारकों को मौजूदा निवेशकों को बनाए रखने और भविष्य में नए निवेशकों को प्रोत्साहित करने के लिए भुगतान करने की उम्मीद कर सकती हैं।
लीवरेज क्या है? परिभाषा, महत्व, सीमाएं
लिवरेज शब्द की उत्पत्ति लीवर शब्द से हुई है। लीवर से आशय उस स्थिति से है जिसके द्वारा कम से कम बल लगाकर अधिक से अधिक कार्य किया जा सके। वित्तीय प्रबंध के अंतर्गत लिवरेज से आशय वित्तीय लिवरेज से है अर्थात् वित्तीय मामलों से संबंधित अध्ययन किया जाता है, वित्तीय लिवरेज कहलाता है। पूंजी संरचना निर्णयों मे अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
उत्तोलक संस्था की लाभ अर्जन क्षमता एवं वित्तीय सुदृढ़ता दोनों को प्रभावित करता है। किसी भी कंपनी मे वित्तीय लिवरेज उस समय माना जाता है जब उस कंपनी मे समता पर व्यापार चल रहा हो। यदि कोई कंपनी क्षमता अंश पूंजी से कम तथा ऋण पूंजी से अधिक वित्त प्राप्त करती है तथा वित्त का अधिकतम प्रयोग करके लाभ को अधिकतम करती है तो यह कहा जाता है कि इस संस्था मे वित्तीय लिवरेज का प्रयोग हुआ है।
लीवरेज की परिभाषा
प्रो. कुच्छल के अनुसार," लीवरेज का आशय वित्त प्रबंधन मे स्थायी लागत के सहन करने या स्थायी प्रत्याय का भुगतान करने से है।"
सोलोमन इजरा के अनुसार," अंशधारियों को इक्विटी पर मिलने वाली प्रत्याय दर का कूल पूंजीकरण की प्रत्याय दर के साथ अनुपात को लीवरेज कहते है।
जे. ई. वाल्टर के अनुसार," सामान्य अंशधारियों को मिलने वाले प्रत्याय प्रतिशत तथा कुल पूंजीकरण की प्रत्याय प्रतिशत से पारस्परिक अनुपात लिवरेज कहलाता है।"
वेस्टन हाल्ट के अनुसार," वित्तीय लिवरेज के या तो कुल ऋणों की शुद्ध राशि के साथ अनुपात के रूप मे या कुल ऋणों की कुल संपत्तियों के साथ अनुपात के रूप मे परिभाषित किया जा सकता है।"
उपर्युक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने के बाद इक्विटी पर व्यापार क्या है? हम कह सकते है कि वित्तीय लिवरेज का आशय उस स्थिति से है जिसके अंतर्गत सामान्य पूंजी कम मात्रा मे प्रयोग की जाती है तथा ऋण पूंजी व पूर्वाधिकार पूंजी अधिक मात्रा मे प्रयोग की जाती है। सामान्यतः यदि संस्था की आय पूर्वाधिकार अंश पूंजी एवं सामान्य अंश पूंजी लागत से अधिक होती है तो संस्था की पूंजी दंतीकरण अनुपात अवमूलतम कहलाता है। दंतीकरण अनुपात जितना ऊंचा होगा सामान्य अंशधारियों को प्राप्त होने वाला लाभांश उतना ही अधिक होगा।
व्यवसाय में लिवरेज दो प्रकार का हेाता है--
1. परिचालन उत्तोलक
यदि संस्था को स्थायी व्यय वहन सहन करने पड़ते है जिनका उत्पादन के स्तर पर कोई प्रभाव न हो तब हम कहेंगे कि संस्था में परिचालन उत्तोलक विद्यमान है। संस्था की लागतों को दो भागों में विभक्त करते है--
(अ) स्थायी परिवर्तनशील लागतें
(ब) अर्द्ध परिवर्तनशील लागते।
प्राय: स्थायी परिवर्तनशील लागतें ही महत्वपूर्ण होती है। वेसे परिचालन उत्तोलक ब्याज एंव कर घटाने से पूर्ण लाभ में हुए प्रतिशत परिवर्तन तथा विक्रय की प्रतिशत में हुए परिवर्तन के पारस्परिक संबंध को प्रदर्शित करता है।
2. वित्तीय उत्तोलक
सालोमन के अनुसार,''वित्तीय उत्तोलक संस्था की गतिविधियों में प्रयुक्त ऋण तथा सामान्य कोषों के मिश्रण को बताता है।''
बार्न हार्न के अनुसार,'' वित्तीय उत्तोलक में स्थायी लागत कोषों का प्रयोग साधारण अंशधारियों के प्रत्याय बढा़ने की आशा में किया जाता है।''
अत: स्पष्ट है कि वित्तीय उत्तोलक संस्था में वित्त के साधनों के सम्मिश्रण अर्थात् स्थायी लागत साधनों से वित्त पूंजी एंव परिवर्तनशील लागत साधनों से वित्त पूर्ति के अनुपात पर प्रभाव डालता है।
उत्तोलक का स्तर भी दो प्रकार का होता है --
उच्च स्तर एवं निम्न स्तर। यदि संस्था में स्थायी लागतें पूंजी परिवर्तनशील लागत पूंजी से अधिक है तब हम कहेंगे कि संस्था में उच्च स्तर का वित्तीय उत्तोलक विद्यमान है। इसके विपरीत यदि परिवर्तनशील लागत पूंजी का अनुपात स्थायी लागत पूंजी से अधिक है तब निम्न स्तर का वित्तीय उत्तोलक होगा। इस प्रकार के उत्तोलक को सामान्य दर व्यापार के नाम से जाना जाता है। जब कंपनी ऋण पूंजी एंव पूर्वाधिकार अंश पूंजी से अधिक तथा सामान्य पूंजी से कम वित्त एकत्रित करती है। तो उसे वित्तीय उत्तोलक कहते है। वित्तीय लिवरेज का प्रमुख उद्देश्य सामान्य अंशधारियेा को ऊंची दर पर लाभांश का भुगतान करता है।
लीवरेज का महत्व
वित्तीय प्रबंधक के लिए लीवरेज अत्यन्त महत्वपूर्ण तथा उपयोगी तकनीकी है। इसका सावधानी से प्रयोग करके समता अंशधारियों की प्रति अंश आय, प्रति अंश लाभांश और उनके विनियोगों के बाजार मूल्य को बढ़ाया जा सकता है। लीवरेज एक दो धार वाली तलवार है, जो बिक्री और परिचालन लाभ मे परिवर्तन का बढ़ा-चढ़ा प्रभाव (वृद्धि या कमी के रूप मे) कर से आय (EBT) या प्रति अंश आय (EPS) पर डालते है। जब ऋण-पूंजी की लागत अर्जन दर से कम हो, तो ऋण पूंजी का प्रयोग करके कर से पूर्व आय व प्रति अंश आय मे अधिक वृद्धि करके अंशधारियों के लिए यह वरदान साबित होता है, परन्तु जब ऋण पूंजी की लागत अर्जन दर से अधिक हो जाए तो यह व्यवसाय के लिए अभिशाप भी साबित हो सकता है। लीवरेज एक कंपनी की पूंजी संरचना निर्धारित करने, समता अंशधारियों को अधिकतम आय देने तथा कंपनी की औसत पूंजी लागत मे कमी करने हेतु एक महत्वपूर्ण उपकरण है। लीवरेज के महत्व का विवेचन इस प्रकार है--
1. वित्तीय प्रबंधन के निर्णयों मे इस तकनीक का बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है। पूंजी संरचना के सर्वश्रेष्ठ स्वरूप निर्धारण मे इस तकनीक की सहायता ली जा सकती है। इस तकनीक से पूंजी संरचना मे विभिन्न प्रतिभूतियों का वह अनुपात निर्धारित किया जा सकता है, जिस पर औसत पूंजी लागत न्यूनतम हो। पूंजी संरचना मे लीवरेज के समावेश से समता अंशधारियों को उपलब्ध लाभ मे होने वाले परिवर्तनों का विस्तार किया जा सकता है।
2. विनियोग निर्णय लेते समय भी इस तकनीक से बहुत मदद मिलती है। लीवरेज की नीति व्यापार विस्तार और सीमा पर प्रकाश डालती है तथा परामर्श देती है कि अगर व्यापार के भावी विस्तार कार्यक्रम मे लगाई गई पूंजी पर मिलने वाले आशान्वित प्रत्याय की दर उन पर होने वाले स्थिर लागत से कम है तो विस्तार योजना को लागू नही करना चाहिए। इससे विपरीत दशा मे विस्तार योजना को अपनाना चाहिए।
3. लीवरेज की सहायता से वित्तीय प्रबंधक ऐसी वित्तीय योजना व पूंजी संरचना का निर्माण कर सकता है ताकि समता अंशधारियों के लिए उपलब्ध आय अधिकतम हो सके। लीवरेज के प्रयोग से ऐसा इसलिए संभव हो पाता है कि पूंजी संरचना मे स्थिर लागत की मात्रा बढ़ाने से औसत पूंजी लागत मे कमी आती है।
लीवरेज की सीमाएं
लीवरेज की सीमाएं इस प्रकार है--
1. इस तकनीक की गणना करते समय चल पूंजी की उस लागत को ध्यान मे रखा जाता है जो स्पष्ट होती है, अस्पष्ट लागतों की बिल्कुल भी ध्यान मे नही रखा जाता है। लीवरेज सिद्धांत के अनुसार, आवश्यक अतिरिक्त पूंजी को ऋण पूंजी से तब तक पूरा करना चाहिए जब तक संभावित प्रत्याय दर ऋण पूंजी की लागत से अधिक है, परन्तु इस प्रक्रिया से अंशधारियों के हितों की रक्षा नही पाती है। ऋण के सतत् प्रयोग से जोखिम की मात्रा बढ़ती है जिसका प्रभाव अंशों के मूल्यों पर कमी के रूप मे पड़ता है। अंशों के मूल्यों मे यह कमी ऋण पूंजी की अस्पष्ट लागत होती है और लीवरेज के प्रयोग में इसको भी ध्यान मे रखना चाहिए।
2. लीवरेज विश्लेषण मे यह मान्यता है कि ऋण पूंजी की लागत हमेशा एक समान रहती है, लेकिन व्यवहार मे ऐसा नही होता है। एक निश्चित सीमा के बाद अतिरिक्त ऋण प्राप्त करने मे कठिनाई होती है और प्रत्येक अगला ऋण ऊँची ब्याज दर पर मिलता है।
निवेश कर अमीर बनने के ये हैं 10 बेहतरीन विकल्प
सचाई यह है कि कम जोखिम के साथ बेहतरीन रिटर्न नहीं कमाया जा सकता. वास्तव में जहां रिटर्न अधिक होगा, वहां जोखिम भी अधिक होगा.
निवेश के किसी विकल्प को चुनते वक्त आपको जोखिम उठाने की अपनी क्षमता के बारे में जानना-समझना जरूरी है. कुछ निवेश ऐसे हैं जिनमें लंबी अवधि में अधिक जोखिम के साथ अधिक रिटर्न का मौका मिलता है.
निवेश के वास्तव में दो तरीके हैं-वित्तीय और गैर वित्तीय निवेश विकल्प.
इसे भी पढ़ें: कैसे ट्रांसफर करें PPF अकाउंट?
वित्तीय प्रोडक्ट में आप शेयर बाजार से संबद्ध विकल्प (शेयर, म्यूचुअल फंड) चुन सकते हैं या फिक्स्ड इनकम (PPF, बैंक FD आदि) के विकल्प चुन सकते हैं. गैर वित्तीय निवेश विकल्प में सोना, रियल एस्टेट आदि आते हैं. ज्यादातर भारतीय निवेश अब तक निवेश के इसी गैर वित्तीय निवेश विकल्प का प्रयोग करते रहे हैं.
हम आपको यहां बता रहे हैं निवेश के शीर्ष 10 विकल्प:
शेयरों में निवेश
हर किसी के लिए शेयरों में सीधे निवेश करना आसान नहीं है. इसमें रिटर्न की कोई गारंटी भी नहीं है. सही शेयरों का चुनाव मुश्किल काम है, इसके साथ ही शेयर की सही समय पर खरीदारी और सटीक वक्त पर निकलना महत्वपूर्ण है. निवेश के अन्य विकल्पों की तुलना में शेयर में लंबी अवधि में रिटर्न देने की क्षमता सबसे अधिक होती है.
इक्विटी म्यूचुअल फंड
म्यूचुअल फंड की यह कैटेगरी शेयरों में निवेश से ही रिटर्न कमाती है. सेबी के निर्देश के मुताबिक जो म्यूचुअल फंड स्कीम अपने फंड का 65% शेयरों में निवेश करती है, वह इक्विटी म्यूचुअल फंड कहलाती है. इसमें एक फंड मैनेजर होता है जो पर्याप्त रिसर्च के बाद निवेश के लायक शेयर चुनता है और उसमें निवेश करता है.
इक्विटी स्कीम बाजार पूंजीकरण या सेक्टर के हिसाब से अलग हो सकती हैं. इस समय इक्विटी म्यूचुअल फंड का एक, तीन या पांच साल का रिटर्न 15फीसदी सालाना के हिसाब से रहा है.
डेट म्यूचुअल फंड
म्यूचुअल फंड की यह कैटेगरी उन निवेशकों के लिए सही है जो निवेश से गारंटीड रिटर्न कमाना चाहते हैं. ये म्यूचुअल फंड कॉरपोरेट बांड्स, सरकारी सिक्योरिटीज, ट्रेजरी बिल्स, कमर्शियल पेपर आदि में निवेश से रिटर्न कमाती है. इस समय डेट म्यूचुअल फंड का एक, तीन या पांच साल का रिटर्न 6.5, 8 और 7.5 फीसदी सालाना के हिसाब से रहा है.
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS)
नेशनल पेंशन सिस्टम (nps) का प्रदर्शन पिछले कुछ सालों में अच्छा रहा इक्विटी पर व्यापार क्या है? है. बहुत कम फीस स्ट्रक्चर भी इसे निवेश का आकर्षक विकल्प बनाता है. बाजार से जुड़े उत्पादों में देश में यह सबसे कम खर्च वाला प्रोडक्ट है. निकासी संबंधी नियमों में बदलाव और अतिरिक्त टैक्स-छूट की वजह से भी यह निवेशक की पसंद में शामिल हो गया है.
एनपीएस बच्चों की शिक्षा, शादी, घर बनाने या किसी मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में आंशिक निकासी की सुविधा देता है. इसमें हालांकि रिटायरमेंट के बाद भी आपको निवेश में बने रहना जरूरी होता है. यह वास्तव में शेयर, FD, कॉरपोरेट बांड, लिक्विड फंड और सरकारी निवेश विकल्प का मिला जुला रूप है.
इस समय NPS का एक, तीन या पांच साल का रिटर्न 9.5, 8.5 और 11 फीसदी सालाना के हिसाब से रहा है.
पीपीएफ
देश में निवेशकों के बीच पीपीएफ सर्वाधिक लोकप्रिय बचत योजनाओं में से एक है. इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80C के तहत किसी एक वित्त वर्ष में आप पीपीएफ में 1.5 लाख रुपये के निवेश पर टैक्स छूट प्राप्त कर सकते हैं.
निवेश के इस विकल्प की सबसे अच्छी बात यह है कि यह आपको EEE (निवेश के वक्त करमुक्त, ब्याज पर करमुक्त, निवेश भुनाने पर करमुक्त) का लाभ देता है.
निवेश के इस विकल्प में सरकारी गारंटी इसकी लोकप्रियता को और बढ़ा देती है.
बैंक FD
बैंक या पोस्ट ऑफिस में कराई जाने वाली टैक्स सेविंग FD से आप निवेश के वक्त सेक्शन 80C के तहत टैक्स बचा सकते हैं. यह निवेश का सुरक्षित और गारंटीड रिटर्न वाला विकल्प है. इस पर मिलने वाले ब्याज पर आपको इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना पड़ता है.
डिपाजिट इंश्योरेंस एवं क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन के हिसाब से आपकी एक लाख रुपये तक की जमा रकम बीमित है.
सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS)
पोस्ट ऑफिस की तरफ से बेस्टसेलर के रूप में यह स्कीम रिटायर्ड लोगों के लिए निवेश का पसंदीदा स्रोत है. यह सेवानिवृत लोगों के लिए आय का नियमित स्रोत भी है. इस स्कीम की अवधि पांच साल है जिसे तीन साल के लिए और बढ़ाया जा सकता है.
इसमें हालांकि प्रति व्यक्ति 15 लाख रुपये की अधिकतम निवेश सीमा है. यह 60 साल से अधिक उम्र के निवेशकों के लिए ही खुली है, हालांकि सेना से रिटायर मेंट लेने वाले लोगों के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं है.
विशेषज्ञों का मानना है कि जीवन भर की बचत को पार्क करने और उस पर कमाई के हिसाब से यह स्कीम बेहतरीन है. यह सेवानिवृत लोगों की जरूरत के हिसाब से बनाया गया है.
रिजर्व बैंक के टैक्सेबल बांड्स
पहले इस स्कीम में आठ फीसदी सालाना का ब्याज मिलता था जिसे सरकार ने बदल कर अब 7.75 फीसदी ब्याज वाला विकल्प बना दिया है. इस बांड में पांच साल के लिए निवेश किया जा सकता है.
रियल एस्टेट
खुद के रहने के हिसाब से घर खरीदना अब निवेश के लिहाज से भी आकर्षक विकल्प बनकर उभरा है. अगर आपको रहने की जरूरत नहीं है तो आप निवेश के हिसाब से भी दूसरा घर खरीद सकते हैं. निवेश के इस विकल्प में आपको सिर्फ प्रॉपर्टी की लोकेशन और वहां मौजूद सुविधाओं का ध्यान रखने की जरूरत है.
इसमें निवेश से आप पूंजी में इजाफा और किराये से आमदनी, दो तरीके से रिटर्न कमा सकते हैं.
सोना
निवेश का यह विकल्प सदियों से भारतीयों की पसंद में शामिल है, पहनने के लिए खरीदी जाने वाली ज्वेलरी से लेकर निवेश के रूप में खरीदे गए सिक्के और बार तक, सोना बिना किसी संदेह के भारतीयों की पसंद में सबसे ऊपर है. अब आप पेपर गोल्ड के रूप में भी सोने में निवेश कर सकते हैं.
गोल्ड ETF में निवेश करना और भुनाना दोनों ही शेयर बाजार के जरिये होता है.
आप क्या करें
निवेश के कुछ विकल्प शेयर बाजार से संबद्ध हैं तो कुछ निश्चित ब्याज वाले हैं. आप जोखिम लेने की अपनी क्षमता के हिसाब से ही रिटर्न की उम्मीद रखें.
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मजबूत वैश्विक इक्विटी के बीच सेंसेक्स रिकॉर्ड ऊंचाई पर, निफ्टी 216 अंक उछला
तीसरे सीधे दिन में अपनी रैली का विस्तार करते हुए, 30-शेयर बीएसई बेंचमार्क 762.10 अंक या 1.24 प्रतिशत की तेजी के साथ 62,272.68 पर बंद हुआ, जो इसका रिकॉर्ड समापन शिखर था। दिन के दौरान, यह 901.75 अंक या 1.46 प्रतिशत बढ़कर अपने अब तक के उच्च स्तर 62,412.33 पर पहुंच गया।
व्यापक एनएसई निफ्टी 216.85 अंक इक्विटी पर व्यापार क्या है? या 1.19 प्रतिशत बढ़कर 18,484.10 पर बंद हुआ। दिन के दौरान, यह 52-सप्ताह के उच्च स्तर 18,529.70 पर पहुंच गया, जो 262.45 अंक या 1.43 प्रतिशत अधिक था।
"दो ट्रिगर्स ने सेंसेक्स रैली को उच्च रिकॉर्ड करने में मदद की। एक, मदर मार्केट यूएस में, मार्केट कंस्ट्रक्शन बढ़ती इक्विटी, घटते बॉन्ड यील्ड और गिरते डॉलर के साथ अनुकूल हो गया। दो, भारत में वृहद विकास ऋण वृद्धि और कैपेक्स में लगातार वृद्धि दर्शाता है जो मजबूत आर्थिक सुधार का संकेत देता है।
इसके साथ ही क्रूड में तेज करेक्शन बड़ा पॉजिटिव है। इसने लार्ज-कैप, मुख्य रूप से एचडीएफसी जुड़वाँ, इंफोसिस, टीसीएस और आरआईएल के नेतृत्व में सेंसेक्स की इस रैली को सुगम बनाया है, "जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा।
सेंसेक्स पैक से, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, इंफोसिस, विप्रो, पावर ग्रिड, टेक महिंद्रा, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एचडीएफसी, एचडीएफसी बैंक और महिंद्रा एंड महिंद्रा प्रमुख विजेताओं में शामिल थे।
दोपहर के कारोबार में यूरोप के इक्विटी एक्सचेंज हरे निशान में कारोबार कर रहे थे। वॉल स्ट्रीट बुधवार को बढ़त के साथ बंद हुआ था।
"व्यापक आधार पर खरीदारी के कारण, घरेलू सूचकांकों में ठोस लाभ देखा गया क्योंकि निवेशकों ने नवीनतम फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) की बैठक के मिनटों को पचा लिया, जिसने संकेत दिया कि दर वृद्धि चक्र धीमा हो सकता है। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और डॉलर इंडेक्स में गिरावट से आशावाद को और बल मिला। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, "रूसी तेल पर संभावित मूल्य कैप और अमेरिकी उत्पाद भंडार में वृद्धि की बातों से कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है।"
अंतरराष्ट्रीय तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 0.46 प्रतिशत गिरकर 85.02 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था।
एक्सचेंज के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बुधवार को 789.86 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।