अपनी आर्थिक स्तिथि को कैसे सुधारें

प्रश्न 10: जीविका के लिए काम करने वाले अपने आसपास के वयस्कों के सभी कार्यों की लंबी सूची बनाइए। उन्हें आप किस तरीके से वर्गीकृत कर सकते हैं? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक
प्रश्न 8: अपनी आर्थिक स्तिथि को कैसे सुधारें क्या आप मानते हैं कि आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है? व्याख्या कीजिए कि कैसे?
उत्तर: आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन कई नजरिये से उपयोगी है। इस विभाजन से अर्थशास्त्रियों को किसी भी अर्थव्यवस्था में उपस्थित समस्याओं और अवसरों को समझने में मदद मिलती है। इससे मिली सूचना के आधार पर सरकार को समाज कल्याण के कार्यक्रम बनाने में मदद मिलती है। सरकार विभिन्न सेक्टरों में अपनी आर्थिक स्तिथि को कैसे सुधारें जरूरी सुधारों को लागू कर सकती है ताकि अर्थव्यवस्था में वृद्धि हो और रोजगार के नये अवसर तैयार हों।
प्रश्न 9: अपनी आर्थिक स्तिथि को कैसे सुधारें इस अध्याय में आए प्रत्येक क्षेत्रकों को रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर ही क्यों केंद्रित करना चाहिए? चर्चा करें।
उत्तर: जीडीपी किसी थर्मामीटर की तरह काम करता है जिससे डॉक्टर को मरीज की अन्य तकलीफों का अनुमान लगता है। जीडीपी ऐसे रेफरेंस की तरह काम करता है जिसे आसानी से समझा जा सकता है। इससे अर्थव्यवस्था की सेहत का मोटा अनुमान मिल जाता है। रोजगार के आंकड़े से अर्थव्यवस्था की सही सेहत का पता चलता है। इसलिए इस अध्याय में प्रत्येक क्षेत्रकों को रोजगार और जीडीपी पर केंद्रित किया गया है।
अवसर व चुनौतियों से भरा हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचा
अमेरिका के लॉस एंजलिस में बीते दिनों हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचे (आईपीईएफ) की पहली मंत्री-स्तरीय बैठक संपन्न हुई। इससे पहले जुलाई के अंत में सिंगापुर में वाणिज्य मंत्रियों के बीच मंत्रणा हुई थी, जिसमें भारत ने एक 'पर्यवेक्षक' के रूप में शिरकत की थी। हालांकि जुलाई में हुई उस बैठक के बाद कोई संयुक्त बयान जारी नहीं किया गया था, लेकिन यह माना गया कि सितंबर में होने वाली बैठक के बाद भागीदार देश इससे जुड़ी किसी विधिसम्मत व्यवस्था की आधिकारिक घोषणा करेंगे। बहरहाल, आईपीईएफ को लेकर भारत में जारी बयानबाजी के बीच उसके व्यापार स्तंभ में भारत की वार्ता रणनीति के विकास में कुछ प्रासंगिक पहलुओं पर प्रकाश डालना उपयोगी होगा।
यहां यह उल्लेख करना महत्त्वपूर्ण होगा कि आईपीईएफ कोई व्यापार समझौता न होकर एक व्यापार स्तंभ है। ऐसे में इसे एशिया जैसे बड़े क्षेत्र में क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसेप) और व्यापक एवं प्रगतिशील अंतर-प्रशांत साझेदारी (सीपीटीपीपी) के विकल्प के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। इसमें भी और स्पष्ट रूप से कहा जाए तो सीपीटीपीपी अपने प्रावधानों और सदस्यता दोनों पैमानों पर चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने की अमेरिका की एशिया केंद्रित रणनीति के मूल से जुड़ा आर्थिक उपकरण रहा। डब्ल्यूटीओ प्रावधानों को प्रवर्तित कर, विशेष रूप से सरकारी स्वामित्व वाले उपक्रमों, बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) और निवेशक-राज्य विवाद निपटान जैसे पहलुओं के संदर्भ में एक नियम-आधारित व्यापार ढांचे की स्थापना के पीछे यही उद्देश्य था कि या तो चीन के लिए उसका पालन करना मुश्किल होगा या फिर दुश्वार घरेलू सुधारों के मोर्चे पर भारी कीमत चुकानी होगी।
भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक
प्रश्न 8: क्या आप मानते हैं कि आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है? व्याख्या कीजिए कि कैसे?
उत्तर: आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन कई नजरिये से उपयोगी है। इस विभाजन से अर्थशास्त्रियों को किसी भी अर्थव्यवस्था में उपस्थित समस्याओं अपनी आर्थिक स्तिथि को कैसे सुधारें और अवसरों को समझने में मदद मिलती है। इससे मिली अपनी आर्थिक स्तिथि को कैसे सुधारें सूचना के आधार पर सरकार को समाज कल्याण के कार्यक्रम बनाने में मदद मिलती है। सरकार विभिन्न सेक्टरों में जरूरी सुधारों को लागू कर सकती है ताकि अर्थव्यवस्था में वृद्धि हो और रोजगार के नये अवसर तैयार हों।
प्रश्न 9: इस अध्याय में आए प्रत्येक क्षेत्रकों को रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर ही क्यों केंद्रित करना चाहिए? चर्चा करें।
उत्तर: जीडीपी किसी थर्मामीटर की तरह काम करता है जिससे डॉक्टर को मरीज की अन्य तकलीफों का अनुमान लगता अपनी आर्थिक स्तिथि को कैसे सुधारें है। जीडीपी ऐसे रेफरेंस की तरह काम करता है जिसे आसानी से समझा जा सकता है। इससे अर्थव्यवस्था की सेहत का मोटा अनुमान मिल जाता है। रोजगार के आंकड़े से अर्थव्यवस्था की सही सेहत का पता चलता है। इसलिए इस अध्याय में प्रत्येक क्षेत्रकों को रोजगार और जीडीपी पर केंद्रित किया गया है।
बढ़ती आर्थिक असमानता के खतरे समझें
‘वर्ल्ड इकानॉमिक फोरम’ के दावोस सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनियाभर के उद्यमियों को भारत में आकर व्यवसाय करने की दावत दी है। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि भारत आर्थिक विकास की दिशा में तेज़ी से बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत दुनिया को आशा का एक सुंदर गुलदस्ता दे रहा है। इसमें हम भारतीयों की जनतंत्र में अटूट आस्था है, 21वीं सदी को सशक्त बनाने वाली तकनीक है और हमारी वह प्रतिभा और स्वभाव है जो दुनिया को प्रेरणा दे सकता है। आज़ादी के अमृत महोत्सवी वर्ष में दुनिया को भारत का यह संदेश निश्चित रूप से भरोसा दिलाने वाला है और हम भारतीयों को भी इस बात का अहसास कराने अपनी आर्थिक स्तिथि को कैसे सुधारें वाला है कि ‘अच्छे दिन’ कहीं आस-पास ही हैं।
कैसे खुद को सुधारें? अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए 7 आसान आदतें
दोस्तों, हम सब अपनी किसी न किसी बुरी आदत के कारण परेशान रहते हैं। एक बार बुरी लत लग गयी, तो हम चाह कर भी उससे छुटकारा नहीं पा पाते हैं। इसीलिए अच्छी आदतें डालना जितना आवश्यक है, बुरी आदतें छोड़ कर खुद को सुधारना भी उतना ही आवश्यक है।
यदि आप भी इस सवाल का जवाब ढूँढ रहे हैं, तो इन 7 आसान आदातों को अपना कर अपना जीवन पहले से बेहतर बनाएं :
1. कभी समय नष्ट न करें !
दोस्तों समय की कीमत तब पता चलती है, जब वो हमारे हाथों से निकल जाता है। समय बर्बाद करने की आदत आपकी सफलता में बहुत बड़ा रोड़ा है।
2. हर हाल में सच बोलने की आदत लगाएं, झूठ का साथ कभी न दें !
एक झूठ को छुपाने के लिए 100 झूठ बोलने पड़ते हैं। ऐसा न करने से हम खुद को, और दूसरों को भी तकलीफ से बचा सकते हैं।
3. हर दिन कुछ न कुछ पढ़ें !