इक्विटी निवेश

इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश जुलाई में 43 प्रतिशत घटकर 8,898 करोड़ रुपये
नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) बाजार में जारी उतार-चढ़ाव के बीच इक्विटी म्यूचुअल फंड में जुलाई में 8,898 करोड़ रुपये का निवेश आया है। यह आंकड़ा इससे पिछले महीने की तुलना में 43 प्रतिशत की तेज गिरावट को दर्शाता है।
हालांकि, इन योजनाओं में सकारात्मक प्रवाह का यह लगातार 17वां महीना था।
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में शुद्ध निवेश जून के मुकाबले कम रहा। जून में 15,495 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था। यह आंकड़ा मई में 18,529 करोड़ रुपये और अप्रैल में 15,890 करोड़ रुपये था।
मार्च, 2021 से इक्विटी योजनाओं में शुद्ध निवेश का प्रवाह देखा जा रहा है, जो निवेशकों के बीच सकारात्मक भावना को दर्शाता है।
इससे पहले जुलाई, 2020 से फरवरी, 2021 तक इस तरह की योजनाओं में लगातार आठ महीनों के लिए निकासी देखने को मिली थी। इस दौरान इन योजनाओं से कुल 46,791 करोड़ रुपये निकाले गए थे।
जुलाई में सभी इक्विटी आधारित श्रेणियों को शुद्ध प्रवाह देखने को मिला, जिसमें सबसे अधिक लाभ स्मॉल कैप श्रेणी को मिला। इसमें 1,780 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश आया। इसके बाद फ्लेक्सी कैप फंड में 1,381 करोड़ रुपये आए। लार्ज कैप फंड, लार्ज एंड मिड कैप फंड और मिड कैप में प्रत्येक में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध निवेश देखने को मिला ।
भारती एयरटेल में निवेश करेगी गूगल, 70 करोड़ डॉलर का इक्विटी निवेश करेगी कंपनी
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इंटरनेट के क्षेत्र की प्रमुख कंपनी गूगल (Google) दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल (Bharti Airtel) में एक अरब डॉलर का निवेश करेगी. इसमें इक्विटी निवेश के साथ-साथ संभावित वाणिज्यिक समझौतों के लिए एक कोष शामिल है, जिसके तहत समझौतों को अगले पांच वर्षों के दौरान पारस्परिक रूप से सहमत शर्तों पर मंजूरी दी जाएगी.
गूगल यह निवेश गूगल फॉर इंडिया डिजिटाइजेशन फंड के हिस्से के तौर पर कर रही है. एयरटेल ने एक बयान में कहा कि 'इसमें, 70 करोड़ डॉलर का इक्विटी निवेश भारती एयरटेल में 734 रुपये प्रति शेयर की कीमत पर किया जाएगा.' इसमें बताया गया कि कुल निवेश में से 30 करोड़ डॉलर की राशि वाणिज्यिक इक्विटी निवेश समझौतों के क्रियान्वयन के लिए होगी.
आज इसी खबर के मद्देनजर भारती एयरटेल के शेयरों में शानदार उछाल दर्ज किया गया और ये 2 फीसदी से ज्यादा ऊपर चढ़ा. गूगल यह निवेश गूगल फॉर इंडिया डिजिटाइजेशन फंड के हिस्से के तौर पर कर रही है.
भारती एयरटेल के द्वारा गूगल को कंपनी के 7.12 करोड़ शेयरों को 734 रुपये के भाव पर प्रिफरेंशियल बेसिस पर जारी किए जाएंगे जो 27 जनवरी को बंद भाव से 4 फीसदी का प्रीमियम रेट बना है. एयरटेल ने बीएसई को जो जानकारी दी है उसके मुताबिक इक्विटी शेयरों के प्रिफरेंशियल एलॉटमेंट से Google के पास देश की दूसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम ऑपरेटर में 1.28 प्रतिशत हिस्सेदारी हो जायेगी.
बाजार में लंबी अवधि में पैसा बनाने का सही है समय, बैलेंस्ड एडवांटेज फंड से पोर्टफोलियो करें मजबूत
इस साल घरेलू शेयर बाजार में उतार चढ़ाव रहा है। महंगाई, जियोपॉलिटिकल टेंशन, रेट हाइक और मंदी की आशंका जैसे फैक्टर ने बाजार में अस्थिरता बढ़ाई है। हालांकि भारतीय बाजारों ने पियर्स की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। बाजार में घरेलू निवेशकों का भरोसा कायम है। एफआईआई इक्विटी निवेश द्वारा लगातार बिकवाली के बाद भी घरेलू निवेशकों ने बाजार को बैलेंस किया है। एक्सपर्ट का मानना है कि मौजूदा समय में अस्थिरता के चलते बाजार में कुछ और गिरावट आ सकती है, लेकिन लंबी अवधि में बाजार का आउटलुक मजबूत है। निवेशकों को बैलेंस्ड एडवांटेज फंड का रुख करना चाहिए, जिसमें कम रिस्क के साथ बेहतर रिटर्न की गुंजाइश है। इस बारे में हमने PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड के इक्विटी हेड, अनिरुद्ध नाहा से बात की है।
1. अगले साल के लिए आप शेयर बाजार का आउटलुक किस तरह से देख रहे हैं?
भारत की बात करें तो यह तुलनात्मक आधार पर बेहतर प्रदर्शन करने वाले बाजारों में शामिल है और अभी भी अन्य उभरते बाजारों के मुकाबले बेहतर प्रीमियम पर ट्रेड कर रहा है। बाजार के मौजूदा हालात में एफआईआई अन्य बाजारों में बेचना और रोटेट करना जारी रख सकते हैं। भारतीयों का आम तौर पर इक्विटी/इक्विटी म्यूचुअल फंड के लिए कम आवंटन होता है। लेकिन अभी साफ तौर पर यह ट्रेंड बदलता दिख रहा है और हाउस होल्ड लेवल पर इक्विटी में निवेश बढ़ रहा है। पिछले 9 महीनों में एफआईआई ने जहां बिकवाली की है, वहीं घरेलू निवेशकों ने बाजार में पैसा लगाना जारी रखा है। बाजार में भारी बिकवाली और अनिश्चितता के बाद भी भारतीय निवेशक परिपक्व दिखे हैं और बाजार में घरेलू फंड के प्रवाह के चलते एफआईआई द्वारा की गई बिक्री को बैलेंस करने में सक्षम होना चाहिए। बाजार में अस्थिरता के चलते कुछ और गिरावट देखने को मिल सकती है। लेकिन लंबी अवधि में पैसा बनाने के लिए इक्विटी में आवंटन बढ़ाने के लिए यह एक अच्छा समय हो सकता है।
2. बाजार में अस्थिरता है, क्या निवेशकों को बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में निवेश करना चाहिए? अस्थिरता से निपटने के लिए पीजीआईएम इंडिया बैलेंस्ड एडवांटेज फंड कैसे सक्षम है?
पीजीआईएम इंडिया बैलेंस्ड एडवांटेज फंड लंबी अवधि में इक्विटी बाजारों में भाग लेने और अपने निवेशकों के लिए रिस्क-एडजस्टेड यानी जोखिम-समायोजित रिटर्न देने का एक स्मार्ट तरीका प्रदान करता है। पीजीआईएम इंडिया बैलेंस्ड एडवांटेज फंड के मॉडल की संरचना और मॉडल की प्रकृति ऐसी है कि यह एक खास एसेट अलोकेशन के दृष्टिकोण का अनुसरण करता है।
पीजीआईएम इंडिया बैलेंस्ड एडवांटेज फंड अपने एसेट अलोकेशन निर्णयों के लिए कुछ संशोधनों के साथ, ट्रेलिंग प्राइस-टु-अर्निंग (पी / ई) अनुपात के आधार पर एक गतिशील मॉडल का उपयोग करता है। इसका मॉडल निरपेक्ष मूल्यों को देखने के बजाय वैरिएशन को देखता है, जिसका कैलकुलेशन हर महीने की रीडिंग पर निफ्टी 500 इंडेक्स के पिछले 15 साल के औसत पी/ई से वर्तमान पी/ई (पिछले 20-दिन के औसत) के बीच अंतर के रूप में किया जाता है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि ब्याज दरों के बदलते परिदृश्य और ओवरआल मैक्रो वातावरण के साथ इक्विटी का आनंद लेने वाला वैल्युएशन प्रीमियम अलग है, जिसे स्थिर मॉडल द्वारा कब्जा नहीं किया जा सकता है।
पीजीआईएम इंडिया बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में हम जिस मॉडल को फॉलो करते हैं, वह डायनमिक विविधता-आधारित मॉडल के साथ-साथ पी/ई अनुपात के एक फंडामेंटल इंडिकेटर पर काम करता है। यह मार्केट साइकिल में प्रासंगिकता सुनिश्चित करता है। समय के साथ, यह मॉडल हमारे फंड में इक्विटी लेवल को समायोजित करने में मदद करता है। साथ ही अस्थिरता से निपटने और एक हद तक जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
3. पीजीआईएम इंडिया बैलेंस्ड एडवांटेज फंड का एसेट एलोकेशन मॉडल कैसे काम करता है?
पीजीआईएम इंडिया बैलेंस्ड एडवांटेज फंड निवेश के लिए एक काउंटर-साइक्लिक दृष्टिकोण का अनुसरण करता है। जो हमारे पारदर्शी, इन-हाउस मॉडल के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। जब मार्केट का वैल्युएशन उच्च स्तर पर होता है, इक्विटी निवेश तो फंड आमतौर पर अपने इक्विटी एक्सपोजर के एक हिस्से को हेज करता है और अपनी डेट होल्डिंग्स को भी बढ़ाता है। इससे मार्केट में गिरावट का असर कम होता है। जब मार्केट का वैल्युएशन कम होता है तो फंड इक्विटी में एग्रेसिव तरीके से निवेश करता है। यह फंड लार्ज, मिड और स्मॉल कैप शेयरों में पैसा लगाता है। वहीं डेट कैटेगरी में यह फंड एनसीडी, सीडी और टी-बिल में निवेश करता है।
4. आपका एसेट एलोकेशन मॉडल किस तरह से दूसरों से अलग है?
बैलेंस्ड एडवांटेज फंड (बीएएफ) कैटेगरी के अंदर हर योजना में डायनेमिक बेसिस पर अपने व्यापक एसेट अलोकेशन पर निर्णय लेने के लिए कुछ रणनीतियां होती हैं। पीजीआईएम इंडिया बैलेंस्ड एडवांटेज फंड इसे सिंपल रखना पसंद करता है। यह मुख्य रूप से पारंपरिक, फंडामेंटल बेस्ड, वैल्युएशन मीट्रिक पर निर्भर करता है, जो इक्विटी अलोकेशन तय करने के लिए निफ्टी 500 इंडेक्स का प्राइस/अर्निंग अनुपात (पी/ई) है।
हालांकि, इस मॉडल में हम जो अलग करते हैं, वह न केवल पी/ई अनुपात के एब्सॉल्यूट करंट लेवल पर विचार करना है, बल्कि पिछले 15 साल के रोलिंग हिस्ट्री की जांच करके इसे इक्विटी निवेश ऐतिहासिक संदर्भ में देखना है। भारत परंपरागत रूप से एक ग्रोथ-ओरिएंटेड बाजार रहा है और अगर आप इमर्जिंग मार्केट बास्केट को देखें तो वैल्यूएशन ज्यादातर केस में प्रीमियम पर कारोबार नहीं करता है।
हिस्टोरिकल एवरेज के साथ वर्तमान पी/ई की तुलना करने से हमें सापेक्ष अधिक मूल्यांकन या अवमूल्यन की बेहतर समझ मिलती है। इसके आधार पर, हम फिर इक्विटी आवंटन बैंड पर निर्णय लेते हैं, जो कि बाजार के व्यवहार को ध्यान में रखते हुए भी तैयार किए जाते हैं। हमारा मानना है कि यह तरीका निवेशक के लिए समझने में आसान है, पारदर्शी है और मार्केट साइकिल में लंबी अवधि में प्रासंगिक बना रहता है। अपनी लॉन्चिंग के बाद से, इस योजना ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है, साथ साथ बाजार की अस्थिरता में नकारात्मक पक्ष की रक्षा भी की है।
5. बाजार में जबकि काफी कुछ बैलेंस्ड एडवांटेज फंड उपलब्ध हैं, एक फंड का चयन करने से पहले एक निवेशक को क्या देखना चाहिए?
बैलेंस्ड एडवांटेज फंड (बीएएफ) की खासियत है कि ये एक्टिव एसेट अलोकेशन, बेहतर रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न और कुशल टैक्सेशन पर निवेशकों के साथ तालमेल बिठाते हैं। बीएएफ कम भाव पर खरीदने और ज्यादा पर बेचने का इरादा रखते हैं, ज्यादातर निवेशक कम जोखिम के साथ बेहतर रिटर्न पाने के लिए ऐसा करना चाहते हैं।
पीजीआईएम इंडिया बैलेंस्ड एडवांटेज फंड मॉडल पारदर्शी है और यह ब्लैक बॉक्स नहीं है. क्योंकि मॉडल डायनेमिक डाटा पर काम करता है और स्थिर नहीं है। बीएएफ लंबी अवधि में एक एग्रेसिव हाइब्रिड फंड कैटेगरी की तुलना में कम अस्थिरता, बेहतर टैक्सेशन और एक कंजर्वेटिव हाइब्रिड कटेगिरि की तुलना में आमतौर पर हाई रिटर्न प्रोफाइल ऑफर करते हैं। बीएएफ की खासियत है कि यह एक रणनीति के रूप में एक निवेशक को इक्विटी टैक्सेशन के लाभ के साथ एक्टिव अलोकेशन (कम भाव पर खरीदें - ज्यादा पर बेचें) की जरूरत को हल करता है। अनिवार्य रूप से, पीजीआईएम इंडिया बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में निवेश रणनीति यह सुनिश्चित करता है कि भिन्नता मॉडल के आधार पर 30 फीसदी से 100 फीसदी आवंटन इक्विटी में हो।
स्मार्ट मनी: इक्विटी से अपने भविष्य को जोखिम मुक्त रखें
बगैर जोखिम वाले निवेश से मामूली रिटर्न हासिल होता है, लिहाजा सतर्क निवेशक को भी इनसे इतर देखने की जरूरत है, मसलन इक्विटी में निवेश
मंजीत ठाकुर/संध्या द्विवेदी
- मुबंई,दिल्ली,
- 29 अगस्त 2018,
- (अपडेटेड 29 अगस्त 2018, 7:02 PM IST)
जिन निवेशकों ने कम जोखिम वाली योजनाओं में पैसा लगाया था, उन्हें अपने निवेश पर मिलने वाले रिटर्न में पिछले कुछ वर्षों से लगातार काफी गिरावट देखने को मिली है, चाहे वह पब्लिक प्राविडेंट फंड (पीपीएफ) हो, नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (एनएससी) हो, किसान विकास पत्र (केवीपी) हो, पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम हो या बैंकों में सावधि अथवा आवर्ती जमा.
वर्ष 2000 के शुरुआती वर्षों के विपरीत, जब स्माल सेविंग्स पर ब्याज दर दहाई में हुआ करती थी, पर अब ये 8 फीसदी के आसपास हैं. 2011 से छोटी बचत इक्विटी निवेश योजनाओं पर ब्याज की दरों को सरकारी बांडों से जोड़ दिया गया है. 15 वर्षों के पीपीएफ खाते में इस समय मात्र 7.6 प्रतिशत का ब्याज मिल रहा है और एनएससी पर भी इतना ही ब्याज मिल रहा है जबकि केवीपी पर 7.3 प्रतिशत ही है.
सुकन्या समृद्धि योजना (बालिकाओं के लिए) और सीनियर सिटिजंस सेविंग्स योजनाएं अपेक्षाकृत ज्यादा आकर्षक हैं, जिनमें क्रमशः 8.1 प्रतिशत और 8.3 प्रतिशत ब्याज मिल रहा है लेकिन ये योजनाएं कुछ ही वर्गों के लिए हैं. बैंकों में एफडी पर 7 प्रतिशत के आसपास ब्याज मिल रहा है लेकिन टैक्स कटने के बाद वास्तविक लाभ और भी कम हो जाता है.
महंगाई लगातार जिस तरह बढ़ रही है, उसे देखते हुए छोटी बचत योजनाओं से रिटायरमेंट का कोई सुरक्षित बजट नहीं बनाया जा सकता है, और न ही बीमारी या बच्चों की शिक्षा आदि का खर्च उठाया जा सकता है.
कोटक म्युचुअल फंड की मुख्य निवेश अधिकारी और प्रमुख (प्रोडक्ट) अय्यर कहती हैं, ''अगर कोई लाभ का भरोसा चाहता है तो उनके लिए परंपरागत छोटी योजनाएं सही हैं. पर उनमें सिर्फ स्थायित्व के अलावा और कुछ भी नहीं रह गया है.'' बहरहाल, पिछले कुछ महीनों में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की ओर से रेपो दर 0.25 तक बढ़ा दिए जाने के बाद ब्याज दरों में कुछ वृद्धि हुई है.
अगर आप अपनी छोटी बचत योजनाओं में निवेश से मिलने वाले लाभ से संतुष्ट नहीं हैं और ज्यादा जोखिम उठाए बिना अपना लाभ बढ़ाना चाहते हैं तो आपके सामने क्या विकल्प है? निवेश की दुनिया में कोई एक योजना शायद ही कभी सभी लोगों के लिए फिट होती है. इसलिए आपको यह बात अपने दिमाग में बैठा लेनी चाहिए कि अधिक लाभ लेना है तो थोड़ा-बहुत जोखिम उठाना होगा. यहां कुछ विकल्प दिए जा रहे हैं जिनसे आपको छोटी बचत योजनाओं के मुकाबले ज्यादा लाभ मिल सकता है.
डेट फंड से सुरक्षा
डेट (ऋण) फंड सरकारी प्रतिभूतियों और अन्य ऋण प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं जिनकी क्रेडिट रेटिंग स्वतंत्र क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की नजर में काफी ऊपर होती है. इन प्रतिभूतियों में डिफाल्ट होने का जोखिम बहुत कम होता है. यहां दिए जा रहे ऋण फंड में जोखिम कम और निवेश पर लाभ मिलने की संभावना ज्यादा होती है.
फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (एफएमपी) बैंक एफडी के मुकाबले ये बेहतर हैं क्योंकि इनमें ब्याज की ऊंची दरें निश्चित होती हैं. एफएमपी असल में क्लोज-एंडेड डेट फंड होते हैं जो ट्रेजरी बिल, कमर्शियल पेपर्स, जमा प्रमाण-पत्रों, सरकारी और कॉर्पोरेट बांडों जैसी योजनाओं में निवेश करते हैं.
आप केवल नया फंड जारी होने के समय एफएमपी में पैसा लगा सकते हैं. निवेश की गई रकम एफएमपी की अवधि तक के लिए लॉक हो जाती है. आप अपना एफएमपी परिपक्वता से पहले सेकंडरी मार्केट में बेच सकते हैं पर लिक्विडिटी आम तौर पर कम होती है. तीन साल से अधिक अवधि वाले एफएमपी में पूंजीगत प्राप्ति पर सूचीकरण (इंडेक्सेशन) लाभ मिलता है और आपकी टैक्स की देनदारी बहुत कम हो जाती है.
हाइब्रिड फंड्सः ये डेट और इक्विटी का मिश्रण हैं. हाइब्रिड फंड्स में डेट का ऊंचा लाभ मिलता है और ये टैक्स के लिहाज से भी किफायती हैं. एस्सेल वेल्थ सर्विसेज के सीईओ और कार्यकारी निदेशक बृजेश परनामी कहते हैं, ''परंपरागत हाइब्रिड फंड्स में आम तौर पर 75-90 प्रतिशत निवेश ऋण संबंधी योजनाओं में लगाया जाता है. जो निवेशक मौजूदा बाजार में जोखिम नहीं उठाना चाहते, उनके लिए ये अच्छा विकल्प हैं.
परंपरागत हाइब्रिड फंड्स म्युचुअल फंडों की तरह खरीदे और बेचे जा सकते हैं. चूंकि इक्विटी का हिस्सा 65 प्रतिशत से कम होता है, इसलिए टैक्स के उद्देश्यों से इन्हें डेट फंड्स के समान समझा जाता है—अल्प अवधि के पूंजीगत लाभ पर व्यक्ति के स्लैब दर पर टैक्स लगाया जाता है और दीर्घ अवधि के पूंजीगत लाभ (तीन साल से अधिक) पर इंडेक्सेशन लाभ के साथ 20 प्रतिशत. ये फंड नए निवेशकों, जो इक्विटी में कम हिस्सा लगाना चाहते हैं, के लिए अच्छा विकल्प हैं. शेयर बाजार में गिरावट के दौरान इन फंड्स का सबसे अच्छा लाभ रहता है.
इक्विटी सेविंग्स फंडः आम तौर पर इक्विटी में दीर्घ अवधि में अधिक लाभ मिलता है. इसलिए उम्र, जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश की अवधि के आधार पर निवेशकों को इक्विटी में निवेश करना चाहिए. हाइब्रिड श्रेणी में इक्विटी सेविंग्स फंड्स पूंजी का 65 प्रतिशत हिस्सा इक्विटी और इक्विटी संबंधी योजनाओं में लगाते हैं और 10 प्रतिशत डेट में. हेजिंग और डेट में एक्सपोजर से इनमें जोखिम कम रहता है.
ये इक्विटी निवेश ओपेन-एंडेड योजनाएं हैं. अय्यर के मुताबिक, ''बाजार की अस्थिरता को देखते हुए पहली बार निवेश कर रहे लोग भी इक्विटी सेविंग्स फंड्स पर विचार कर सकते हैं.'' टैक्स के मामले में इन्हें इक्विटी फंड्स जैसा ही माना जाता हैः एक लाख रु. से ऊपर के दीर्घ अवधि के पूंजीगत लाभ पर 10 प्रतिशत का टैक्स लगाया जाता है.
रिटायरमेंट निधि को मजबूती
एंप्लाइज प्राविडेंट फंड (ईपीएफ) में आपकी पेंशन निधि का बहुत बड़ा हिस्सा चला जाता है लेकिन बहुतों के लिए इसमें जो ब्याज (वित्त वर्ष 2017-18 में 8.55 प्रतिशत) मिलता है, वह इक्विटी में निवेश की अपेक्षा कम आकर्षक लग सकता है. दीर्घ अवधि में इक्विटी में मिलने वाले फायदे को देखते हुए ईपीएफ और नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) के प्रबंधकों को आपके योगदान का कुछ हिस्सा इक्विटी में लगाने की अनुमति देने पर विवश होना पड़ा है.
एंप्लाइज प्राविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन (ईपीएफओ) आपके योगदान का 15 प्रतिशत इक्विटी में निवेश करता है. एनपीएस के ग्राहक अपने काम करने के वर्षों के दौरान पेंशन एकाउंट में नियमित रूप से पैसा निवेश कर सकते हैं.
वे रिटायरमेंट के समय इस राशि का 60 प्रतिशत निकाल सकते हैं और बची रकम का इस्तेमाल एन्युटी योजना खरीदने में कर सकते हैं ताकि रिटायरमेंट के बाद नियमित आय पा सकें. एन्युटी के जरिए मिलने वाली आय पर व्यक्ति के स्लैब की दर से टैक्स लिया जाता है. आप आठ पेंशन फंड मैनेजरों में से चुनाव कर सकते हैं. एचडीएफसी सिक्योरिटीज में रिटेल रिसर्च के प्रमुख दीपक जसानी कहते हैं, ''एनपीएस रकम बनाने का बहुत सुविधाजनक और लचीला तरीका है.''
एनपीएस आपके पोर्टफोलियो को डिजाइन करने में लचीलापन देता है जो आपकी जोखिम उठाने की क्षमता, अपने योगदान को इक्विटी, ऋण और सरकारी बांड्स में बांटने की हैसियत पर निर्भर करता है. इसमें इक्विटी में अधिकतम निवेश की अनुमति 50 प्रतिशत है.
एनपीएस पर मिलने वाला लाभ बाजार से जुड़ा है. लेकिन इक्विटी में पैसा लगाने से महंगाई के नुक्सान से बचने में मदद मिलती है और यह ऋण योजनाओं में इक्विटी निवेश निवेश की अपेक्षा बेहतर विकल्प बन जाता है. एनपीएस फंड्स 60 वर्ष की उम्र तक लॉक हो जाते हैं. लेकिन आकस्मिक जरूरतों के समय कुछ हिस्सा निकाल भी सकते हैं.
EPFO Equity Investment Limit : ईपीएफओ की इक्विटी निवेश में सीमा बढ़ाने की तैयारी, मिलेगा बेहतर ब्याज
EPFO Equity Investment Limit : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ( Employees’ Provident Fund Organisation ) यानी EPFO अपने सब्सक्राइबर्स के लिए खुशखबरी लेकर आया है ! EPFO ने करोड़ों खाताधारकों के खातों में बेहतर ब्याज दर दिलाने के लिए बड़ा कदम उठाया है ! कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 8.50 प्रतिशत ब्याज दर रखने की घोषणा की थी ! लेकिन इस साल यानि 2022 में Interest Rate में कमी आई है !
EPFO Equity Investment Limit
EPFO Equity Investment Limit
वित्तीय वर्ष 2022 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ( Employees’ Provident Fund Organisation ) की पीएफ पर ब्याज दर 40 साल में सबसे कम यानि 8.1 फीसदी है ! लेकिन आने वाले सालों में यह Interest Rate बढ़ सकती है ! EPFO अपनी इक्विटी निवेश सीमा को 15 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी करने जा रहा है ताकि ब्याज दर कम न हो और करोड़ों ग्राहकों को बेहतर ब्याज दर मिले ! ईपीएफओ ( EPFO ) के इस कदम से आने वाले समय में करोड़ों ग्राहकों को फायदा होने की उम्मीद है !
निवेश की सीमा तय करने जा रहा है ईपीएफओ
बता दें कि ईपीएफओ ( EPFO ) के इस प्रस्ताव को वित्त निवेश समिति ने मंजूरी दे दी है ! महीने के अंत में होने वाली केंद्रीय न्यासी बोर्ड की बैठक में इसे मंजूरी मिलने की उम्मीद है ! फिलहाल EPFO की 15 फीसदी इक्विटी डेट ( Equity Date ) में निवेश की जाती है ! लेकिन चरणबद्ध तरीके से 15 से 20 फीसदी और फिर 20 से 25 फीसदी की निवेश सीमा EPFO तय करने जा रही है !
40 साल में सबसे कम ब्याज दर (EPFO Equity Investment Limit)
अभी सभी डेट इंस्ट्रूमेंट्स में Investment पर सिर्फ 7 से 8% का ही ब्याज इक्विटी निवेश मिल रहा है ! इसलिए वित्तीय वर्ष 2022 के लिए पीएफ पर ब्याज दर ( PF Interest Rate ) 40 साल में सबसे कम यानी 8.1 फीसदी है. लेकिन Equity Investment में रिटर्न 14% तक है ! इसलिए इक्विटी में हिस्सेदारी बढ़ाने से करोड़ों ग्राहकों को भी बेहतर ब्याज मिलेगा !
EPFO की इक्विटी निवेश में सीमा बढ़ाने की तैयारी
- इक्विटी ETF में निवेश की सीमा 15% से बढ़ाकर 25% होगी – सूत्र
- चरणबद्ध तरीके से इक्विटी निवेश ( Equity Investment ) में सीमा बढ़ाई जाएगी – सूत्र
- अभी 15 से 20% और फिर 20% से 25% की सीमा की जाएगी – सूत्र
- FIC की मीटिंग में प्रस्ताव पास हुआ, महीने इक्विटी निवेश के अंत में CBT मीटिंग में मुहर लगेगी – सूत्र
- अभी तक 1 लाख 22 हजार करोड़ इक्विटी ETF में का निवेश हो चुका है !
- G sec, बॉन्ड्स में ज्यादा रिटर्न नहीं, अधिकतम 8% तक ही !
- Equity Investment बढ़ने से सब्सक्राइबर्स को ज्यादा ब्याज मिलेगा !
- अच्छे रिटर्न पर निवेश नहीं होने पर EPFO ज्यादा ब्याज नहीं पाता है !
- अगस्त 2015 से इक्विटी ETF में निवेश शुरू है !
- लंबे इक्विटी निवेश वक्त से CBT मेंबर्स इक्विटी निवेश की सीमा बढ़ाने की बात कर रहे है !
- अभी 15% इक्विटी में तो बाकी रकम Debt में निवेश होता है !
- FY22 में PF पर मिलने वाली ब्याज दर 40 साल में सबसे कम 8.1%
- देश में Employees’ Provident Fund Organisation के 7 करोड़ से ज्यादा सब्सक्राइबर्स !
पैसा कब आएगा
सूत्रों का कहना है कि इस साल दशहरा या दिवाली तक Interest की रकम ग्राहक के खाते में भेजी जाएगी ! आमतौर पर इस ब्याज की रकम आने में दिसंबर तक का समय लग जाता है ! इस साल फरवरी में EPFO ने अपने साथ 12.37 लाख नए खाते जोड़े हैं ! अगर ईपीएफओ ( Employees’ Provident Fund Organisation ) ब्याज का पैसा जल्दी चुकाता है तो उसे फायदा ही होगा, क्योंकि अभी जो भी सेटलमेंट हो रहा है वह पिछले साल की ब्याज दर पर करना है, जो कि 8.5 फीसदी था. ऐसे में नई ब्याज दर ( Interest Rate ) लागू होने के बाद EPFO को सेटलमेंट में कम ब्याज देना होगा !
Check PF Account Balance
सबसे पहले ( Employees’ Provident Fund Organisation ) आधिकारिक वेबसाइट www.epfindia.gov.in पर जाएं और कर्मचारियों के लिए चयन करने के बाद, हमारी सेवाएं चुनें ! यहां आप Member Passbook को सेलेक्ट करके अपना UAN और Password दर्ज करेंगे ! बैलेंस चेक करने के लिए जरूरी है इक्विटी निवेश कि आपका UAN एक्टिवेट हो ! अगर आपके पास UAN नहीं है तो सबसे पहले epfoservices.in पर जाएं !
और अपना राज्य चुनें और ऑफिस लिंक पर क्लिक करें ! यहां अपना पीएफ अकाउंट ( PF Account ) इक्विटी निवेश नंबर, नाम, रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर डालकर सबमिट कर दें तो आपको यूएएन मिल जाएगा ! इसके बाद आप ऊपर दी गई प्रक्रिया के जरिए आसानी से अपने पीएफ खाते का बैलेंस चेक ( PF Account Balance Check ) कर पाएंगे !