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वेव विश्लेषण

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ऑप्टो इलेक्ट्रोनिक्स

इस क्षेत्र में चल रही अनुसंधान गतिविधियां तनु नाइट्राइड अर्धचालक लेजर सामग्रियों के संश्लेषण, GaAs/AlGaAs आधारित क्वांटम वेल इंफ्रारेड फोटो संसूचक, उच्च शक्ति लेजर डायोडों की पैकेजिंग, फाइबर ऑप्टिक जाइरो के लिए एकीकृत ऑप्टिक चिप्स, एफओजी ऑप्टिकल मॉड्यूल, जैवअणुओं का पता लगाने के लिए ऑप्टिकल वेवगाइड आधारित सेंसर्स, इन्फ्रारेड ऑप्टिकल तकनीक के उपयोग से गैस और जल का पता लगाना और जाइरोट्रॉन व मिलीमीटरवेव एप्लिकेशनों के लिए उच्च शक्ति सफायर आरएफ के विकास से संबंधित हैं। प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार हैं:

फाइबर ऑप्टिक जाइरोस्कोप का विकास

क्लोज्ड लूप फाइबर ऑप्टिक जाइरोस्कोप के लिए डिजाइन और विश्लेषण अनुकारक विकसित किया गया है। एकीकृत ऑप्टिक जाइरो चिप के लिए इलेक्ट्रोड संरचना की डिजाइन और अनुकरण संबंधी अध्ययन किया गया था।

तनु नाइट्राइड अर्धचालक लेजर सामग्री का संश्लेषण

डिवाइस ग्रेड इंडियम गैलियम नाइट्राइड आर्सेनाइड हेटेरो संरचनाओं: InGaNAs/GaAs का सफल संश्लेषण । क्वांटम वेल इंफ्रारेड फोटो डिटेक्टर GaAs/AlGaAs सामग्री (QWIP) का सफल संश्लेषण। विकास कार्य उच्च तापमान सब्सट्रेट मैनिप्युलेटर और आर्सेनिक क्रैकर सेल के साथ आणविक बीम एपिटैक्सी रिेक्टर के उपयोग से पूरे किए काटे हैं।

ऑप्टिकल वेवगाइड आधारित सेंसर

जैवअणुओं का पता लगाने के लिए ऑप्टिकल वेवगाइड आधारित सेंसर, इन्फ्रारेड ऑप्टिकल तकनीकों के उपयोग से गैस एवं जल का पता लगाने की प्रणालियां विकसित की जा रही हैं। तंग ऑप्टिकल वेवगाइड पर आधारित जैवसेंसर की डिजाइन, निर्माण और लक्षण वर्णन का कार्य जीव विज्ञान एवं जैव अभियांत्रिकी विद्यालय, आईआईटी, मुंबई के सहयोग से पूरा किया जा रहा है। जैव सेंसिंग एप्लिकेशन के लिए माइक्रोनियंत्रक के साथ सीएमओएस सेंसर की इंटरफेसिंग के लिए इलेक्ट्रॉनिक विद्युत-परिपथ तंत्र का कार्यान्वयन पूरा हो गया है।

जाइरोट्रॉन एवं मिलीमीटर वेव एप्लिकेशनों के लिए उच्च शक्ति सफॉयर आरएफ विंडो

42 GHz, 200 KW CW/लांग पल्स जाइरोट्रॉन की डिजाइन एवं विकास नामक राष्ट्रीय परियोजना डीएसटी द्वारा प्रायोजित की गई है। समीर (SAMEER) एक उच्च शक्ति विंडो विकसित करके इसमें भागीदारी कर रहा है।

यह गतिविधि विभिन्न जाइरो उपकरणों और संबंधित उच्च-शक्ति मिमी वेव घटकों के लिए प्रौद्योगिकियां विकसित करने के उद्देश्य से हाल ही में शुरू की गई है। विंडो का प्रदर्शन एक जाइरोट्रॉन की उच्च-शक्ति क्षमता को सीमित करता है। धातु जोड़ने की तकनीक के लिए यूएचवी ग्रेड सफॉयर विकिसत और स्थापित किया गया है।

BK7 ग्लॉस में ऑप्टिकल वेवगाइडों का प्रत्यक्ष लेखन और लक्षण-वर्णन

फेमटोसेकेंड लेजर लिखित एकीकृत ऑप्टिक उपकरणों का निर्माण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का एक उभरता क्षेत्र है। फेमटोसेकेंड लेजर लेखन ऑप्टिकल वेवगाइड उपकरणों को बनाने का एक वैकल्पिक दृष्टिकोण है और विभिन्न सामग्रियों में 3डी एकीकृत ऑप्टिक उपकरणों के निर्माण का एक अनूठा तरीका है।

इस क्षेत्र में कार्य टीआईएफआर के सहयोग से शुरू किया गया है। टीआईएफआर में निर्मित और समीर में लक्षण वर्णन किए गए ऑप्टिकल वेवगाइडों के प्रारंभिक परिणाम उत्साहजनक रूप में सामने आ रहे हैं।

भारत में खतरनाक होती जा रही है हीट वेव, कब सोचेंगे हम

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भारत में खतरनाक होती जा रही है हीट वेव, कब सोचेंगे हम

हीट वेव भारत में खतरनाक होती जा रही है.

मौसम हमें सीधे तौर पर कड़ी चेतावनी दे रहा है कि ‘सुधरो’! इस साल गर्म हवाओं के जो आंकड़े सामने अब तक आए हैं वह हमसे बुनियादी परिवर्तन की अपेक्षा रख रहे हैं. यदि जलवायु परिवर्तन के इस विषय पर गंभीरता से कुछ सोचा न गया तो जिस ‘विकास’ के लिए सब कुछ किया जा रहा है वह बेमानी हो जाएगा.

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों का हाल ही में पर्यावरण पत्रिका ‘डाउन टू अर्थ’ ने विश्लेषण किया है. यथा, इस साल 11 मार्च से ही लू शुरू हो गई. इसने 24 अप्रैल तक 15 राज्यों को प्रभावित किया है. सबसे बुरा असर राजस्थान और मध्यप्रदेश में हुआ है. यहाँ 25 दिन (भीषण गर्मी की लहर के रहे. राजस्थान में रेगिस्तान होने के वेव विश्लेषण कारण आंकड़े एकदम नहीं चौंकाते हैं, लेकिन मप्र जहां कि सबसे अधिक वनाच्छादित क्षेत्र होने और पिछले कुछ सालों में उसका दायरा बढ़ने के दावे किए जाते हैं, वहां पर यह चौंका देने वाला ट्रेंड दिखा. यही नहीं, हिमाचल प्रदेश जैसा पर्वतीय राज्य इस वर्ष हीट वेव से सबसे अधिक प्रभावित होना हमें और आश्चर्य में डाल देता है. गर्मी में पहाड़ों से राहत की उम्मीद रखने वाले लोगों को बता दें कि हिमाचल प्रदेश में भी 24 अप्रैल तक हीट वेव के 21 दिन दर्ज किए जा चुके हैं.

कब होता है हीट वेव

आईएमडी के मुताबिक हीट वेव तब होता है, जब किसी जगह का तापमान मैदानी इलाकों में 40 डिग्री सेल्सियस, तटीय क्षेत्रों में 37 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी क्षेत्रों में 30 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है. जब किसी जगह पर किसी ख़ास दिन उस क्षेत्र के सामान्य तापमान से 4.5 से 6.4 डिग्री सेल्सियस अधिक तापमान दर्ज किया जाता है तो मौसम एजेंसी हीट वेव की घोषणा करती है. यदि तापमान सामान्य से 6.4 डिग्री सेल्सियस ज्यादा है तो आईएमडी इसे ‘गंभीर’ हीट वेव घोषित करता है.

आईएमडी हीट वेव घोषित करने के लिए एक अन्य मानदंड का भी उपयोग करता है, जो पूर्ण रूप से दर्ज तापमान पर आधारित होता है. यदि तापमान 45 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है, तो विभाग हीट वेव घोषित करता है. जब यह 47 डिग्री को पार करता है, तो ‘गंभीर’ हीट वेव करार दे दिया जाता है.

मौतें कम लेकिन, शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित

हीट वेव्स स्वास्थ्य, कृषि और पानी की उपलब्धता पर प्रभाव डालती हैं. इनका एक दूसरे वेव विश्लेषण पर गहरा प्रभाव होता है. रिपोर्ट में बताया गया है कि भले ही भारत में हीट वेव्स के कारण होने वाली मौतों की संख्या में पिछले कुछ वर्षों में कमी आई है, लेकिन शोध से पता चलता है कि अधिक तापमान से लोगों की सामान्य शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है. वहीं दूसरी ओर, कृषि उपज भी प्रभावित होती है. इस साल पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में मौजूदा रबी सीजन में गेहूं की फसल हीट वेव्स से प्रभावित हुई है. इन राज्यों के कई किसानों ने 20 से 60 प्रतिशत के बीच नुकसान की सूचना दी है. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस साल की शुरुआत में हीट वेव्स थीं. उच्च तापमान ने गेहूं के पौधों को उनके विकास के चरण के दौरान प्रभावित किया, जिससे अनाज का दाना सिकुड़ गया. इससे बाजार में कम कीमत मिली और किसानों को नुकसान हुआ.

हीट वेव्स के कारण कृषि नुकसान को कम करने के लिए, गेहूं की ऐसी किस्में विकसित करने की आवश्यकता है, जो अधिक गर्मी सह सके. इसी तरह, अन्य रबी फसलों की किस्मों को भी विकसित करने की आवश्यकता है, जो ज्यादा गर्मी झेल सके. प्रत्यक्ष गर्मी के अलावा, कृषि उपज सूखे या सूखे जैसी स्थितियों से भी प्रभावित हो सकती है जो अक्सर हीट वेव्स से जुड़ी होती हैं. सूखे की स्थिति के दौरान, सिंचाई के लिए पानी की अनुपलब्धता के कारण ऐसा होता है.

चार डिग्री बढ़ जाएगा वैश्विक तापमान

मौजूदा हीट वेव्स का संभावित प्रभाव हिमाचल प्रदेश, जम्मू और उत्तराखंड जैसे हिमालयी क्षेत्रों में होगा, जो गर्म लहरों को झेलने के अभ्यस्त नहीं हैं. अधिक तापमान के कारण इन क्षेत्रों में ग्लेशियर भी पिघलेंगे, जो वहां रहने वाले लोगों के लिए पानी का मुख्य स्रोत हैं.

आईपीसीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि हर अतिरिक्त 0.5 डिग्री सेल्सियस अत्यधिक वर्षा और सूखे के साथ-साथ गर्म मौसम को बढ़ाएगी. यदि कार्बन उत्सर्जन अधिक रहता है तो भारत में हीट वेव्स के “2036-2065 तक 25 गुना अधिक समय तक” रहने की संभावना है. यह सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में 4 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि करेगा, जैसा कि 28 अक्टूबर, 2021 को प्रकाशित एक इंटरनेशनल क्लाइमेट रिपोर्ट में कहा गया है. ऐसे में हमें व्यापक रूप से यह सोचना चाहिए कि हमारा पर्यावरण कैसे बचेगा, आने वाले वक्त में इस बढ़ती हीट वेव की समस्या से हम कैसे निपटेंगे?

कैसे बचाएंगे हीट वेव के दुष्प्रभावों से

दुनिया में कई ऐसे भी देश हैं जहां पर लू से निपटने के लिए विशेष अधिकारियों की नियुक्ति की गईं. ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि हीटवेव ने 1998 और 2017 के बीच 166,000 से अधिक लोगों की जान ले ली, यह आंकड़ा विश्व स्वास्थ्य संगठन का है. हमारे यहां अब तक ऐसी कोई व्यवस्था नहीं बन पाई है. यह एक किस्म का नया आपातकाल, जिसके कारण दुनिया के कई शहर हीट ऑफिसर नियुक्त कर रहे हैं, दुनिया भर में सामने आने वाली गर्मी की भयावहता को बताता है.

दीर्घकालीन रूप से पर्यावरण में सुधार की जरूरत तो होगी ही, लेकिन इससे बचने के लिए फौरी उपाय भी जरूरी हैं. जरूरी यह है कि सूचना तंत्र का उपयोग करते हुए समुदाय में ऐसी सूचनाएं पहुंचाई जाएं जिनसे लोग मौसम के इस सख्त तेवर से निपटने के लिए खुद को तैयार कर वेव विश्लेषण सकें. यदि कहीं पर हीट वेव की घटनाएं होती भी हैं तो उनसे निपटने के लिए भी एक हेल्थ सिस्टम को तैयार करने की जरूरत है. इसके लिए जरूरी वेव विश्लेषण होगा कि बेहतर नियोजन किया जाए.

2013 में अहमदाबाद में सबसे पहले हीट एक्शन प्लान (एचएपी) 2013 में विकसित किया गया था. इसके तहत लोगों को मोबाइल फोन पर एसएमएस के जरिये मौसम संबंधी अलर्ट भेजा जाता था. इसके साथ ही वहां पर चिकित्सकों को हीट वेव्स से निपटने के लिए विशेष तौर पर प्रशिक्षित किया गया. 2018 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, इस पहल ने एक वर्ष में 1,190 मौतों को टाला. ऐसे और प्रयास करने की जरूरत लगती है.

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi उत्तरदायी नहीं है.)

राकेश कुमार मालवीय वरिष्ठ पत्रकार

20 साल से सामाजिक सरोकारों से जुड़ाव, शोध, लेखन और संपादन. कई फैलोशिप पर कार्य किया है. खेती-किसानी, बच्चों, विकास, पर्यावरण और ग्रामीण समाज के विषयों में खास रुचि.

Heat Wave: हाय गर्मी! दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में 'हीट वेव' का असर, मौसम विभाग ने लू मानने से किया इनकार

दरअसल बीते दिनों गुजरात के कुछ हिस्सों और राजस्थान में हीट वेव के चलते गर्मी में खासी बढ़ोतरी हुई है लिहाजा दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में इसका असर दिखाई दे रहा है.

By: ABP Live | Updated at : 20 Mar 2022 08:50 AM (IST)

Edited By: vaibhavsingh

हीट वेव जो आमतौर पर अप्रैल-मई की शुरुआत में होती हैं लेकिन इस बार यह देश के कई हिस्सों में शुरू हो चुकी हैं. पिछले 4 से 5 दिनों में तापमान में अचानक 6 से 8 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी ने गर्मी की लहर शुरू कर दी है. यदि यह उच्च तापमान एक और दो हफ्ते तक बना रहता है तो वह पंजाब, हरियाणा, राजस्थान के कुछ हिस्सों और उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्सों में रबी फसल की उपज पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा.

इसके अलावा तीव्र गर्मी से तीव्र मानसून पूर्व गतिविधियां जैसे गरज, ओलावृष्टि या धूल भरी आंधियां चल सकती हैं. ये गतिविधियां उन फसलों को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं जो कटाई के लिए तैयार हैं. हालांकि इस गर्मी का कारण राजस्थान के पश्चिमी भाग पर प्रतिचक्रवात है जो देश के उत्तर-पश्चिम और मध्य भागों में चलने वाली गर्म और शुष्क हवाओं के लिए जिम्मेदार है. हालांकि आने वाले 24 से 48 घंटों में तापमान में 2 से 3 डिग्री की कमी आ सकती है जिससे देश के कई हिस्सों से लू का चलना कम हो सकता है.

देश में आज मौसम का पूर्वानुमान

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर हल्की से मध्यम बारिश के साथ भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है, एक या दो स्थानों पर अत्यधिक भारी बारिश की संभावना है. अंडमान सागर के ऊपर 60 से 70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने के साथ समुद्र की स्थिति खराब से बहुत खराब रहेगी.

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वहीं केरल और दक्षिण कर्नाटक में हल्की से मध्यम बारिश और गरज के साथ छींटे वेव विश्लेषण पड़ सकते हैं. तमिलनाडु में हल्की बारिश संभव है और तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश और पूर्वी असम में भी हल्की बारिश हो सकती है. पश्चिमी हिमालय पर हल्की से मध्यम बारिश और हिमपात संभव है.

हीट वेव से दिल्ली में मार्च में पारा हुआ हाई

दरअसल बीते दिनों गुजरात के कुछ हिस्सों और राजस्थान में हीट वेव के चलते गर्मी में खासी बढ़ोतरी हुई है लिहाजा दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में इसका असर दिखाई दे रहा है. दिल्ली का तापमान 34 से 36 डिग्री तक पहुंच गया है हालांकि मौसम विज्ञानी इसे लू नहीं मान रहे हैं.

मध्य प्रदेश में पड़ रही है चिलचिलाती गर्मी

ये हैं मध्य प्रदेश के भोपाल की सड़कें.. जो गर्मी तेज होने की वजह से दोपहर होते ही सूनी हो गयी हैं.. गर्मी की हालत देखते हुए लोग कूलर और मटकों की खरीदारी में व्यस्त हो गये हैं. पिछले तीन दिनों से भोपाल का तापमान 38 डिग्री से ज्यादा बना हुआ है.

गर्मी का कुछ यही हाल मध्य प्रदेश के ही उज्जैन का भी है. जहां गर्मी ने तापमान 40 डिग्री के आस-पास बना हुआ है. मध्य प्रदेश के होशंगाबाद के नर्मदापुरम में गर्मी के चलते पिछले 10 सालों का रिकॉर्ड टूटा, यहां तापमान 42 डिग्री को पार कर रहा है.

राजस्थान

राजस्थान के जैसलमेर में सूर्य देवता रौद्र रूप दिखा रहे हैं.. हीट वेव की वजह से तापमान 42 डिग्री सेल्सियस है. जो स्थानीयों के साथ साथ सैलानियों के लिए भी परेशानी का सबब बना हुआ है. पश्चिमी राजस्थान यानी बात करें अगर जोधपुर की तो वहां अभी से ही तापमान 46 डिग्री सेल्सियस है और लू के थपेड़े चल रहे हैं. लोग गर्मी से राहत पाने के लिए घर और ऑफिस में एसी और कूलर चलाने लगे हैं. वहीं शिकंजी और गन्ने के जूस की दुकानों में भी भारी भीड़ देखने को मिल रही है.

Published at : 20 Mar 2022 08:43 AM (IST) Tags: weather Heat Wave Mercury India climate हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi

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भारत के मशहूर चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन के निधन की सुर्खियां सोशल नेटवर्किंग साइटों -ट्विटर और फेसबुक- पर छाई रहीं। एलेक्सा रैंकिंग के मुताबिक माइक्रोब्लॉगिंग साइट, ट्विटर जो देश में आठवीं सबसे मशहूर वेबसाइट है, पर हुसैन के कई मित्र और प्रशंसक थे जिन्होंने उनके निधन की खबर सुनने के बाद कई ट्विट किए।

मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन ने ट्विटर पर हुसैन के साथ अपनी दोस्ती के बारे में ट्वीट किया, 'एम एफ हुसैन कलाकार, चित्रकार और मित्र का निधन हो गया। मैं बहुत दुखी हूं। उनकी कई कलाकृतियां और उपहार मेरे घर में लगे हैं। बिग बी ने लिखा, 'हुसैन ने जो सबसे अच्छी पेंटिंग मुझे दी थी वह हनुमान जी की थी जो 'संजीवनी बूटीÓ लेकर उड़ रहे हैं। यह पेंटिंग उन्होंने मुझे कुली की घटना के दौरान ब्रीच कैंडी अस्पताल में दी थी। उनकी सबसे महत्त्वपूर्ण पेंटिंग मेरी अस्पताल में लिखी कविता का अनुवाद था जिसे उन्होंने कैनवास पर उतारा था। वह मेरे लिए सबसे प्रिय है। वहीं यूबी समूह के अध्यक्ष विजय माल्या ने भी ट्विट किया है, 'प्रतिभाशाली कलाकार हुसैन के निधन से गहरा दुख हुआ।

फेसबुक की वॉल पोस्ट पर भी हुसैन के निधन की खबरें छाई रहीं। इस सोशल नेटवर्किंग साइट के भारत में करीब 2.5 करोड़ वेव विश्लेषण यूजर हैं जिनमें से सैकड़ों यूजरों ने इससे जुड़ा स्टेट्स लिखा और हुसैन से जुड़ी खबरों का लिंक अपडेट किया। वीडियो साइट, यूट्यूब पर भी सैकड़ों विजिटरों ने उनके निधन से जुड़ी खबरों वाले वीडियो को देखा। गुरुवार को ट्विटर यूजरों ने एम एफ हुसैन के अलावा माधुरी दीक्षित, कतर, रामदेव और गूगल डूडल जैसे प्रमुख शब्दों का खूब इस्तेमाल किया। वेब विश्लेषण करने वाले उपकरण ट्वाइरस के मुताबिक एम एफ हुसैन का नाम ट्विट में प्रति मिनट 3000 ट्विट की दर से लिखा गया। दिन के शुरुआत में गूगल डूडल की चर्चा भी ट्विटर इंडिया पर खूब होती रही और प्रति मिनट 2500 ट्विट से ज्यादा ट्विट किए गए लेकिन शाम तक एम एफ हुसैन के ट्विट का दबदबा बढ़ता गया।
बॉलीवुड अभिनेत्री माधुरी दीक्षित ने अपने फैन के ट्विट पर कोई प्रतिक्रिया नहींं दी। इस वक्त मशहूर हस्तियों के लिए ट्विटर अपने विचारों को ऑनलाइन जाहिर करने का पसंदीदा जरिया है। निर्देशक शेखर कपूर ने अपने ट्विट में कहा है, 'एम एफ हुसैन, जो उम्र की सीमा से परे दिखते थे, अपने आखिरी दिनों तक चित्रकारी करते रहे और अपने पीछे देश की महान कला विरासत छोड़ गए हैं।Ó टेनिस खिलाड़ी महेश भूपति ने भी अपने ट्विट में कहा है, 'कल रात हमने एम एफ हुसैन के बारे में और वर्ष 1999 में मुझे और लिएंडर को उनके द्वारा दी गई पेंटिंग के बारे में काफी चर्चा की थी।

स्क्वायर वेव जनरेटर के रूप में 555 टाइमर के साथ मेटल डिटेक्टर का सर्किट आरेख विश्लेषण

उपरोक्त आंकड़ा मेटल डिटेक्टर का सर्किट आरेख है। यहां 555 टाइमर का कार्य एक वर्ग तरंग जनरेटर है, जो एक पल्स फ्रीक्वेंसी उत्पन्न करता है जिसे मनुष्य सुन सकता है। पिन 1 और पिन 2 के बीच क्षमता को नहीं बदला जाना चाहिए, क्योंकि इसका उपयोग मानव श्रव्य आवृत्ति उत्पन्न करने के लिए किया जाना चाहिए।

इस सर्किट में आरएलसी सर्किट का एक हिस्सा है, जिसमें 47Ω प्रतिरोधक, 2.2यूएफ कैपेसिटर और 150 मोड़ शामिल हैं। आरएलसी सर्किट भाग धातु का पता लगाने के लिए प्रयोग किया जाता है। जैसा कि हमने ऊपर कहा, एक धातु चुंबकीय कोर का प्रवेश एक एयर-कोर प्रेरक की तुलना में बेहतर है ।

आपको पता होना चाहिए कि हम यहां एक एयर कोर प्रेरक का उपयोग कर रहे हैं, इसलिए जब कोई धातु वस्तु कुंडली के पास जाती है, तो धातु की वस्तु चुंबकीय कोर की पहचान के रूप में कार्य करती है। जब धातु की वस्तु चुंबकीय हो जाएगी तो कुंडली का प्रेरक मूल्य बहुत बढ़ जाएगा। इस तरह की अचानक वृद्धि आरएलसी सर्किट की कुल प्रतिक्रिया या प्रलोभन को बहुत बदल देता है।

जब शुरुआत में कोई धातु की वस्तु नहीं होती है, तो संकेत स्पीकर के माध्यम से कुछ ध्वनि पैदा करेगा। आरएलसी सर्किट की प्रतिक्रिया में बदलाव के साथ स्पीकर में आने वाले सिग्नल अब इस समय एक जैसे नहीं हैं, इसलिए स्पीकर से बाहर आने वाली आवाज पहले से अलग होगी।

इसलिए जब भी कोई धातु की वस्तु कुंडली के पास जाती है, तो आरएलसी के प्रलोभन में परिवर्तन संकेत बदल जाएगा, जिससे स्पीकर द्वारा उत्पन्न ध्वनि को भी बदल दिया जाता है।

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