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म्युचुअल फंड

म्युचुअल फंड
म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए निवेशक को तकनीकी जानकारी होना आवश्यक है इसका अर्थ है कि निवेशक बाजार की स्थिति के बारे में जानता हो और उसे पता हो की म्यूच्यूअल फंड कैसे काम करता है।

म्युचुअल फंड क्या है?

ज़्यादातर लोगों को म्यूच्यूअल फंड्स पेचीदे और डरावने लग सकते हैं| हम आपके लिए बिलकुल बुनियादी स्तर पर इसे सरल म्युचुअल फंड और स्पष्ट करने की कोशिश करेंगे| दरअसल, बहुत सारे निवेशकों की धनराशि जमा होने पर ही म्यूच्यूअल फंड की सृष्टि होती है| इस फंड के प्रबंधन के लिए फंड प्रबंधक नियुक्त होते हैं|

ये एक ऐसा ट्रस्ट है जो बड़ी संख्या में ऐसे निवेशकों की धनराशि एकत्रित करता है, जिन निवेशकों का एक म्युचुअल फंड उभय निष्ठ/एकसा उद्देश्य है| तत्पश्चात, विभिन्न विकल्पों जैसे इक्विटी, बांड, मुद्रा बाज़ार के साधनों, और/अथवा अन्य सिक्योरिटीज में ये राशि निवेश करती है| हर निवेशक इकाइओं का मालिक होता है जो फंड म्युचुअल फंड के मल्कियत के एक हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं| इस सामूहिक निवेश से जो आमदनी /लाभ उत्पन्न होता है, उसे सही अनुपात में निवेशकों में वितरित कर दिया जाता है, स्कीम म्युचुअल फंड के ‘नेट एसेट वैल्यू’ या NAV की गणना के पश्चात कुछ व्यय उस राशि में से घटा भी लिए जाते हैं| सीधे शब्दों में गर कहें, एक आम आदमी के लिए म्यूच्यूअल फंड सबसे साध्य विकल्प है जो उसे विभिन्न प्रकार के, व्यावसायिक द्वारा प्रबंधित सिक्योरिटियों में निवेश करने का अवसर प्रदान करता है, और जिसकी लागत भी अपेक्षाकृत कम है|

म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले जानें क्या हैं फोकस्ड म्यूचुअल फंड, समझें फायदे और नुकसान

फोकस्ड फंड में ज्यादा से ज्यादा 30 शेयरों में इंवेस्ट कर सकते हैं. स्कीम में बताना पड़ता है कि ये किस सेगमेंट में इंवेस्टमेंट के लिए फोकस करेगी.

म्युचुअल फंड में इंवेस्टमेंट एक अच्छा ऑप्शन होता है. क्योकि इसमें आपको कई तरह की वैरायटी और स्टेबिल्टी मिल जाती है. सभी म्युचुअल फंड एक जैसे नहीं होते हैं, इसलिए आपको सभी तरह के म्युचुअल फंड की नॅालेज होनी जरुरी है. फोकस्ड म्युचुअल फंड एक इक्विटी म्युचुअल फंड होता है. जो सीमित या कम संख्या में शेयरों में इंवेस्ट करता है. सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज ऑफ इंडिया (SEBI) के नियमों के अनुसार इस स्कीम में अधिकतम 30 शेयरों में ही इंवेस्ट करने की परमीशन होती है. इसलिए फोकस्ड फंड का मतलब है कि आप सिर्फ 30 शेयरों में ही इंवेस्ट कर सकते हैं. आमतौर से अन्य म्यूचुअल फंड में 100 शेयरों तक इंवेस्ट कर सकते हैं. एक फोकस्ड फंड लार्ज-कैप, मिड-कैप या स्मॉल-कैप फंड पर फोकस्ड रहता है. फोकस्ड फंड बड़ी संख्या में शेयरों में एसेट नहीं फैलाते हैं. ये केवल कुछ सेक्टर पर ही फोकस्ड रहते हैं. फोकस्ड म्युचुअल फंड का इस्तेमाल करके आप हाई पर्फोमेंस करने वाले एसेट में इंवेस्ट कर सकते हैं. जिससे ज्यादा रिटर्न मिल सकता है.

क्या हैं इसके फायदे

फोकस्ड म्युचुअल फंड से केवल 30 शेयरों में इंवेस्ट करते हैं. जिस वजह से ये एक सिस्टमेटिक प्रोसेस को फॅालो करते हैं. फंड मैनेजर सही से स्टडी कर फिल्टरिंग के बाद ही शेयरों को सिलेक्ट करता है. इसके साथ ही इस तरह के म्यूचुअल फंड का सबसे अच्छा फायदा डायर्वसिफिकेशन है. ये रिस्क को कम करने के साथ ही रिटर्न को बढ़ाने में भी मदद करता है. फोकस्ड फंड में अच्छी तरह से स्टडी कर सिलेक्ट किए शेयर में इंवेस्ट किया जाता हैं. जो कुछ शेयरों तक ही सीमित होते हैं. इसलिए आपको हाई रिटर्न भी मिल सकता है.

फोकस्ड म्युचुअल फंड अस्थिर होते हैं. इनका सबसे बड़ा नुकसान ये है कि आपको केवल कुछ सिलेक्टेड शेयरों में इंवेस्ट करना होता है. जिस कारण टार्गेट सफल हो सकता है या फिर फेल भी हो सकता है. इसलिए इसमें हाई रिटर्न के साथ-साथ ज्यादा रिस्क की भी संभावना है. डायर्वसिफिकेशन की कमीं भी रिस्क का एक कारण बन जाती है.

म्यूचुअल फंड के नुकसान जानकर करें निवेश

अब हम आपको म्यूचुअल फंड के नुकसान के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे ताकि आप सभी चीजों को अच्छी तरह समझ कर ही म्युचुअल फंड में इन्वेस्ट करें और आपको किसी भी जोखिम का सामना ना करना पड़े। तो फिर चलिए इस आर्टिकल में जानते हैं की आख़िर में क्या सच में म्यूचुअल फंड के नुकसान है भी या नहीं?

जिस प्रकार म्यूच्यूअल फंड मे पैसे लगाने के फायदे है उसी प्रकार म्यूचुअल फंड के नुकसान भी है जो निम्न प्रकार है.

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1. रिटर्न की गारंटी नहीं

बाजार में कई ऐसे इन्वेस्टमेंट ऑप्शंस मौजूद है जो आपको एक निश्चित रिटर्न देते हैं। लेकिन म्यूच्यूअल फंड में ऐसा नहीं होता है म्यूच्यूअल फंड का फायदा सीधे स्टॉक मार्केट के उतार-चढ़ाव से जुड़ा होता है। स्टॉक मार्केट में हमेशा रिस्क बना रहता है। यही कारण है कि म्यूचुअल फंड के म्युचुअल फंड फायदे में भी उतार-चढ़ाव लगा रहता है।

म्युचुअल फंड निवेशकों को म्युचुअल फंड 7 दिनों के भीतर मिलेगा डिविडेंड, देरी पर 15% की दर से ब्याज का भुगतान

 (फोटो- न्यूज18)

  • News18 हिंदी
  • Last Updated : November 26, 2022, 14:17 IST

हाइलाइट्स

भुगतान में देरी पर निवेशकों को डिविडेंड की राशि पर सालाना 15% की दर से ब्याज मिलेगा.
यह भुगतान संपत्ति प्रबंधन कंपनियां करेंगी और इसका विवरण सेबी को देना होगा.
सेबी ने 15 नवंबर को इन सब पहलुओं पर म्यूचुअल फंड नियमों में बदलावों को अधिसूचित किया था.

नई दिल्ली.भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 25 नवंबर यानी शुक्रवार को एक परिपत्र जारी कर म्यूचुअल फंड हाउसों को रिकॉर्ड तिथि से सात दिनों के भीतर लाभांश (डिविडेंड) का भुगतान करने के लिए कहा. सेबी ने आगे निर्देश देते हुए कहा कि लाभांश के भुगतान के उद्देश्य से रिकॉर्ड तिथि सार्वजनिक सूचना की तारीख से दो कार्य दिवस होनी चाहिए.

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक परिपत्र में कहा कि नये नियम के तहत अब लाभांश भुगतान के लिये समयसीमा घटाकर मौजूदा 15 कामकाजी दिवस से सात दिन कर दी गयी है. आगे नियामक बोर्ड ने बताया कि म्यूचुअल फंड हाउसों को निवेशकों को लाभांश का भुगतान रिकॉर्ड तिथि से सात कामकाजी दिनों के भीतर करना होगा.

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