विदेशी मुद्रा मुद्रा व्यापार

स्थिर मुद्रा क्या है?

स्थिर मुद्रा क्या है?

भास्कर एक्सप्लेनर: जीडीपी में गिरावट के बावजूद विदेशी मुद्रा भंडार अब तक के उच्चतम स्तर पर, क्या है इसकी वजह और यह देश के लिए कितना फायदेमंद?

देश का विदेशी मुद्रा भंडार अगस्त के आखिरी हफ्ते में 541.43 बिलियन डॉलर (39.77 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंच गया है। एक सप्ताह में इसमें 3.88 बिलियन डॉलर (28.49 हजार करोड़ रुपए) की बढ़ोतरी हुई है। इससे पहले 21 अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 537.548 बिलियन डॉलर (39.49 लाख करोड़ रुपए) था। जून में पहली बार विदेशी मुद्रा भंडार 500 बिलियन डॉलर के आंकड़े को पार करते हुए 501.7 बिलियन डॉलर (36.85 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंचा था। 2014 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 304.22 बिलियन डॉलर (22.34 लाख करोड़ रुपए) था। इस समय पड़ोसी देश चीन का विदेशी मुद्रा भंडार 3.165 ट्रिलियन डॉलर के करीब है।

इसलिए बढ़ रहा है विदेशी मुद्रा भंडार

  • आर्थिक मंदी के बावजूद विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने का सबसे बड़ा कारण भारतीय शेयर बाजारों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ना है।
  • बीते कुछ महीनों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने कई भारतीय कंपनियों में हिस्सेदारी बढ़ाई है।
  • मार्च में भारत के डेट और इक्विटी सेगमेंट से एफपीआई ने करीब 1.20 लाख करोड़ रुपए की निकासी की थी, लेकिन इस साल के अंत तक अर्थव्यवस्था के वापस पुरानी स्थिति में लौटने की उम्मीद के कारण एफपीआई भारतीय बाजारों में वापस आ गए हैं।
  • इसके अलावा क्रूड की कीमतों स्थिर मुद्रा क्या है? में गिरावट के कारण देश का आयात बिल कम हुआ है। इससे विदेशी मुद्रा भंडार का बोझ घटा है। इसी तरह से विदेशों से रुपया भेजने और विदेश यात्राओं में कमी आई है। इससे भी विदेशी मुद्रा भंडार पर बोझ कम हुआ है।
  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 20 सितंबर 2019 को कॉरपोरेट टैक्स की दरों में कटौती की घोषणा की थी। स्थिर मुद्रा क्या है? इसके बाद से विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

जीडीपी में गिरावट के बावजूद विदेशी मुद्रा भंडार का बढ़ना अच्छा संकेत

कोरोनावायरस महामारी के कारण वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था में उदासी का माहौल है। इस कारण चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून तिमाही) में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23.9 फीसदी की गिरावट आई है। मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों और व्यापार में स्थिरता के कारण यह गिरावट आई है। ऐसे में विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छा संकेत है।

आज 1991 के विपरीत स्थिति

विदेशी मुद्रा भंडार की आज की यह स्थिति 1991 के बिलकुल विपरीत है। तब भारत ने प्रमुख वित्तीय संकट से बाहर निकलने के लिए गोल्ड रिजर्व को गिरवी रख दिया था। मार्च 1991 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार केवल 5.8 बिलियन डॉलर (42.59 हजार करोड़ रुपए) था। लेकिन आज विदेशी मुद्रा भंडार के दम पर देश किसी भी आर्थिक संकट का सामना कर सकता है।

विदेशी मुद्रा भंडार के प्रमुख असेट्स

  • फॉरेन करेंसी असेट्स (एफसीए)।
  • गोल्ड रिजर्व।
  • स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (एसडीआर)।
  • इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (आईएमएफ) के साथ देश की रिजर्व स्थिति।

विदेशी मुद्रा भंडार का अर्थव्यवस्था के लिए महत्व

  • विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी सरकार और आरबीआई को आर्थिक ग्रोथ में गिरावट के कारण पैदा हुए किसी भी बाहरी या अंदरुनी वित्तीय संकट से निपटने में मदद करती है।
  • यह आर्थिक मोर्चे पर संकट के समय देश को आरामदायक स्थिति उपलब्ध कराती है।
  • मौजूदा विदेशी भंडार देश के आयात बिल को एक साल स्थिर मुद्रा क्या है? तक संभालने के लिए काफी है।
  • विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी से रुपए को डॉलर के मुकाबले स्थिति मजबूत करने में मदद मिलती है।
  • मौजूदा समय में विदेशी मुद्रा भंडार जीडीपी अनुपात करीब 15 फीसदी है।
  • विदेशी मुद्रा भंडार आर्थिक संकट के बाजार को यह भरोसा देता है कि देश बाहरी और घरेलू समस्याओं से निपटने में सक्षम है।

आरबीआई करता है विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन

  • आरबीआई विदेशी मुद्रा भंडार के कस्टोडियन और मैनेजर के रूप में कार्य करता है। यह कार्य सरकार से साथ मिलकर तैयार किए गए पॉलिसी फ्रेमवर्क के अनुसार होता है।
  • आरबीआई रुपए की स्थिति को सही रखने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल करता है। जब रुपया कमजोर होता है तो आरबीआई डॉलर की बिक्री करता है। जब रुपया मजबूत होता है तब डॉलर की खरीदारी की जाती है। कई बार आरबीआई विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने के लिए बाजार से डॉलर की खरीदारी भी करता है।
  • जब आरबीआई डॉलर में बढ़ोतरी करता है तो उतनी राशि के बराबर रुपया जारी करता है। इस अतिरिक्त लिक्विडिटी को आरबीआई बॉन्ड, सिक्योरिटी और एलएएफ ऑपरेशन के जरिए मैनेज करता है।

कहां रखा स्थिर मुद्रा क्या है? होता है विदेशी मुद्रा भंडार

  • आरबीआई एक्ट 1934 विदेशी मुद्रा भंडार को रखने का कानूनी ढांचा प्रदान करता है।
  • देश का 64 फीसदी विदेशी मुद्रा भंडार विदेशों में ट्रेजरी बिल आदि के रूप में होता है। यह मुख्य रूप से अमेरिका में रखा होता है।
  • आरबीआई के डाटा के मुताबिक, मौजूदा समय में 28 फीसदी विदेशी मुद्रा भंडार दूसरे देशों के केंद्रीय स्थिर मुद्रा क्या है? बैंक और 7.4 फीसदी कमर्शियल बैंक में रखा है।
  • मार्च 2020 में विदेशी मुद्रा भंडार में 653.01 टन सोना था। इसमें से 360.71 टन सोना विदेश में बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स की सुरक्षित निगरानी में रखा है। बचा हुआ सोना देश में ही रखा है।
  • डॉलर की वैल्यू में विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी सितंबर 2019 के 6.14 फीसदी से बढ़कर मार्च 2020 में 6.40 फीसदी पर पहुंच गई है।

2014 में 300 बिलियन डॉलर के करीब था विदेशी मुद्रा भंडार

आरबीआई के डाटा के मुताबिक, वित्त वर्ष 2014 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 304.22 बिलियन डॉलर (22.34 लाख करोड़ रुपए) था। इसी साल नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने थे। स्थिर मुद्रा क्या है? तब से लगातार विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी हो रही थी। 2018 में यह बढ़कर 424.5 बिलियन डॉलर (31.13 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंच गया था। हालांकि, इसके अगले साल यानी 2019 में यह थोड़ा घटकर 412.87 बिलियन डॉलर (30.26 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंच गया था। 28 अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह में यह बढ़कर 541.4 बिलियन डॉलर (39.77 लाख करोड़ रुपए) पर पहुंच गया है।

चीन का विदेशी मुद्रा भंडार भारत से 484% ज्यादा

पड़ोसी देश चीन का विदेशी मुद्रा भंडार भारत के मुकाबले कहीं ज्यादा है। अगस्त 2020 में चीन का विदेशी मुद्रा भंडार 3.165 ट्रिलियन डॉलर था। वहीं, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 541.4 बिलियन डॉलर है। इस प्रकार चीन का विदेशी मुद्रा भंडार भारत के मुकाबले 484 फीसदी ज्यादा है। 2014 में चीन का विदेशी मुद्रा भंडार 4 ट्रिलियन डॉलर के करीब पहुंच गया था। हालांकि, तब से अब तक इसमें गिरावट आ रही है।

इस साल 19.33 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचा क्रूड

इस साल 1 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत 66 डॉलर प्रति बैरल थी। इसी सप्ताह 6 जनवरी को कीमतें बढ़कर 68.91 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं। इसके बाद से क्रूड की कीमतें लगातार कम हो रही है। इस बीच मार्च के अंत में कोरोनावायरस महामारी पूरी दुनिया फैल गई। इससे क्रूड की मांग घट गई थी। इसका नतीजा यह हुआ कि क्रूड की कीमत घटकर 19.33 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई। इस प्रकार क्रूड की कीमतों में इस साल अपने उच्चतम स्तर से 71 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है। सोमवार 7 सितंबर को यह 42.05 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है।

विनिमय दर के प्रकार

घरेलू और विदेशी मुद्राओं के बीच विनिमय दर एक देश की मौद्रिक प्राधिकरण द्वारा तय किया जाता है। इसके तहत विनिमय दर में एक सीमा से अधिक उतार चढ़ाव की अनुमति नहीं होती है, इसे स्थिर विनिमय दर कहा जाता है। आईएमएफ प्रणाली के तहत इसके सदस्य राष्ट्र के मौद्रिक प्राधिकरण अपनी मुद्रा का निश्चित मूल्य तय करता स्थिर मुद्रा क्या है? है जो एक आरक्षित मुद्रा सामान्यतः अमेरिकी डॉलर के सापेक्ष होता है। इसे 'आंकी' विनिमय दर या पार वैल्यू कहा जाता है। हालांकि,सामान्य परिस्थितियों में इसमें उच्च्वाचन की ऊपरी और निचली सीमा 1 प्रतिशत तक होती है।

नियत विनिमय दर प्रणाली अपनाने का मूल उद्देश्य विदेशी व्यापार और पूंजी आंदोलनों में स्थिरता सुनिश्चित करना है। नियत विनिमय दर प्रणाली के तहत सरकार पर विनिमय दर की स्थिरता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी हो जाती है। इसे खत्म करने के लिए सरकार विदेशी मुद्रा को खरीदती व बेचती है।विदेशी मुद्रा जब कमजोर होती है तब तब सरकार इसे खरीद लेती है। और जब यह मजबूत होती है तब सरकार इसे बेच देती है। निजी तौर पर विदेशी मुद्रा की बिक्री व खरीद निलंबित रखी जाती स्थिर मुद्रा क्या है? है। आधिकारिक विनिमय दर में कोई परिवर्तन देश की मौद्रिक प्राधिकरण व आईएमएफ के परामर्श के किया जाता है। हालांकि अधिकांश देशों ने दोहरी प्रणाली अपना ली है। सभी सरकारी लेनदेन के लिए एक स्थिर विनिमय दर और निजी लेनदेन के लिए एक बाजार दर तय होती है।

नियत विनिमय दर के पक्ष में तर्क:

  • सबसे पहले, यह अनिश्चितता की वजह स्थिर मुद्रा क्या है? से जोखिम को समाप्त करता है। बाजार में यह स्थिरता, निश्चितता प्रदान करता है ।
  • दूसरा, यह, राष्ट्रों के बीच विदेशी पूंजी के निर्बाध प्रवाह के लिए एक प्रणाली बनाता है, साथ ही निवेश के रूप में यह निश्चित वापसी का आश्वासन देता है।
  • तीसरा, यह विदेशी मुद्रा बाजार में सट्टा लेन-देन की संभावना को हटाता है।
  • अंत में, यह प्रतिस्पर्धी विनिमय मूल्यह्रास या मुद्राओं के अवमूल्यन की संभावना को कम कर देता है।

B- लचीली विनिमय दर (Flexible Exchange Rate):-

जब विनिमय दर का निर्धारण, बाजार शक्तियों (मुद्रा की मांग व आपूर्ति) द्वारा तय किया जाता है, इसे लचीली विनिमय दर कहा जाता है।

लचीली विनिमय दर के पक्षधर भी इसके पक्ष में समान रूप से मजबूत तर्क देते है। इस संबंध में तर्क दिया जाता है कि लचीली विनिमय दर अस्थिरता, अनिश्चितता, जोखिम और सट्टा का कारण बनती है। परन्तु इसके पक्षधर इस सभी आरोपों को खारिज करते हैं I

लचीली विनिमय दर के पक्ष में तर्क:

  1. सबसे पहले, लचीली विनिमय दर के रूप में एक स्वायत्ता मिलती है घरेलू नीतियों के संबंध में यह अच्छा सौदा है। इसका घरेलू आर्थिक नीतियों के निर्माण में बहुत महत्व है।
  2. लचीली विनिमय दर खुद समायोजित होती है और इसलिए सरकार पर इतना दबाव नहीं होता कि विनिमय दर को स्थिर करने के लिए पर्याप्त मात्रा में विदेशी मुद्रा भंडार बनाए रखा जाए।
  3. लचीली विनिमय दर एक सिद्धांत पर आधारित है, इसके तहत भविष्य में अनुमान का लाभ मिलता है। इसकी सबसे बड़ी खूबी स्वत: समायोजन की योग्यता है I
  4. लचीली विनिमय दर विदेशी मुद्रा बाजार में मुद्रा की वास्तविक क्रय शक्ति का एक संकेतक के रूप में कार्य करता है।

अंत में, कुछ अर्थशास्त्रियों का तर्क है कि लचीली विनिमय दर का सबसे बड़ा दोष अनिश्चितता है। परन्तु उनका तर्कयह भी है कि लचीली विनिमय दर प्रणाली के तहत अनिश्चितता की संभावना है उतनी ही जितनी स्थिर विनिमय दर के तहत।

मुद्रा प्रवाह

करेंसी फ्लोटेशन या मुद्रा प्रवाह एक ऐसी मुद्रा व्यवस्था है जिसमें किसी देश की मुद्रा की कीमत एक खुले बाजार में मांग और आपूर्ति से निर्धारित होती है। यह स्थिर मुद्रा क्या है? अधिकांश देशों द्वारा उपयोग की जाने वाली निश्चित विनिमय दर के विपरीत है। हाल ही में, सूडानी सरकार ने अपनी मुद्रा प्रवाह का अभूतपूर्व कदम उठाया। यह देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के प्रयासों का एक हिस्सा है। संबंधों के सामान्यीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों द्वारा एक प्रमुख मांग को पूरा करने के लिए भी कदम उठाया गया था।

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ताड़ासन: योग की सबसे महत्वपूर्ण मुद्रा का अभ्यास कैसे करें

ताड़ासन खड़े योगासन की श्रेणी में आता है। यह एक पूर्ण योगासन (योग मुद्रा) होने के अलावा, सभी खड़े योग मुद्राओं का प्रारंभिक बिंदु है। यह दिखने में आसान लगने वाला आसन है फिर भी इसमें आपको कई तरह से लाभ पहुंचाने की क्षमता है। ताड़ासन मुद्रा में सुधार और पेशीय संतुलन की बहाली में सहायक है।

ताड़ासन क्या है?

ताड़ासन योग में सभी खड़े आसनों की जननी है, क्योंकि सभी खड़े योग मुद्राएं इसी आसन से उत्पन्न होती हैं। माउंटेन पोज़ के रूप में जाना जाता है, ताड़ासन पोज़ एक ऊँचे पहाड़ जैसा दिखता है जब आप सीधे खड़े होते हैं। एक पहाड़ की तरह, ताड़ासन एक संतुलित दिमाग और एक शांतिपूर्ण आंतरिक आत्म का लक्ष्य रखते हुए आपकी नींव को मजबूत करने में आपकी मदद करता है। टाडा एक ताड़ के पेड़ को भी संदर्भित करता है क्योंकि व्यक्ति पेड़ की नकल करने के लिए खड़ा होता है। जैसे ही आप मुद्रा ग्रहण करते हैं, ताड़ासन आपके दिमाग को उच्च लक्ष्य रखने की स्थिति देता है। ताड़ासन की प्रभावशाली मुद्रा आत्मविश्वास में सुधार करने में मदद करती है, क्योंकि एक संतुलित और स्थिर मुद्रा में खड़ा होता है। ताड़ासन का निरंतर अभ्यास अन्य योग मुद्राओं की सुविधा देता है क्योंकि आपका शरीर स्थिरता और संतुलन प्राप्त करता है। जब आप ताड़ासन के दौरान अंदर की ओर ध्यान केंद्रित करते हैं तो यह आत्म-जागरूकता को भी बढ़ाता है। यह शुरुआती और व्यक्तियों के लिए उपयुक्त है जो पोस्टुरल मुद्दों को ठीक करना चाहते हैं। ताड़ासन के महत्व को कम नहीं आंकना चाहिए क्योंकि इसमें चुनौतीपूर्ण आंदोलनों या शरीर की मुद्राओं का अभाव है। ताड़ासन के लाभों का पता लगाने के लिए यूनाइटेड वी केयर पर जाएँ

ताड़ासन का अभ्यास कैसे करें:

याद रखें कि आप ताड़ासन का अभ्यास करते हुए कुछ भी नहीं करते हुए खड़े नहीं हैं। आसन आपको आपके शरीर के अंगों से अवगत कराता है। यह आपको शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए इन भागों की भूमिका की सराहना करने में भी मदद करता है।

ताड़ासन में निम्नलिखित चरण शामिल हैं:

  1. एड़ियों के बीच एक छोटा सा गैप रखते हुए अपने बड़े पैर की उंगलियों को एक साथ लाएं। यह दोनों पैरों के बाहरी हिस्सों को एक दूसरे के समानांतर संरेखित करेगा।
  2. सुनिश्चित करें कि आप अपने शरीर के वजन को अपनी एड़ी और पैर की उंगलियों पर समान रूप से फैला रहे हैं।
  3. अपने पैरों के बाहरी हिस्से को दबाते हुए अपने मेहराब को ऊपर उठाएं।
  4. अपने घुटनों को थोड़ी मुड़ी हुई स्थिति में रखें।Â
  5. क्वाड्रिसेप्स को उलझाते हुए घुटनों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं।
  6. सुनिश्चित करें कि आप निचली रीढ़ की प्राकृतिक वक्रता बनाए रख रहे हैं।Â
  7. श्रोणि की हड्डी को तटस्थ स्थिति में रखें।
  8. अपनी रीढ़ को ऊपर की ओर खींचे ताकि उसे धीरे-धीरे लंबा किया जा सके।
  9. Â अपनी मुख्य मांसपेशियों पर ध्यान केंद्रित करें और उत्तेजित करें।
  10. अपने कंधे के ब्लेड को पीछे की ओर खींचे।Â
  11. अपनी बाहों को आराम की स्थिति में रखें।
  12. अपनी हथेलियों को नीचे की ओर रखें
  13. गहरी सांस लें और अपने पेट को आराम दें।
  14. एक मिनट तक इसी मुद्रा में रहें।

हम ताड़ासन का अभ्यास क्यों करते हैं?

ताड़ासन में आंख से मिलने के अलावा भी बहुत कुछ है। जैसे ही आप ताड़ासन मुद्रा प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ते हैं, इसके संभावित लाभों पर विचार करें जैसे कि पैर को मजबूत करना, रीढ़ को सीधा करना, आत्म-जागरूकता में सुधार करना और पूरे शरीर को संरेखित करना। ताड़ासन के कई गुण कई स्वास्थ्य स्थितियों से राहत दिलाने में मदद करते हैं।

  1. ताड़ासन एंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस जैसी स्थितियों में दर्द को कम करने के लिए जोड़ों के लचीलेपन को बढ़ाता है।Â
  2. प्रख्यात स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, पार्किंसनिज़्म वाले रोगियों को मुद्रा और संतुलन विकसित करने में मदद करने के लिए ताड़ासन निचले छोरों में मांसपेशियों और जोड़ों को मजबूत कर सकता है।
  3. ताड़ासन के तनाव से राहत देने वाले गुण पुरानी खांसी के रोगियों को आराम दिलाने में मदद करते हैं।Â

मन और शरीर के बीच संतुलन और संतुलन को बढ़ावा देने के लिए नियमित रूप से ताड़ासन का अभ्यास करना चाहिए। ताड़ासन का जमीनी प्रभाव स्थिरता और सुरक्षा की भावना को प्राप्त करने में सहायक होता है। ताड़ासन मन की आंतरिक शांति बहाल करने के लिए भी उपयुक्त है। एक बुनियादी आसन होने के नाते, ताड़ासन अधिक चुनौतीपूर्ण योगा पोज़ की तलाश में आगे बढ़ने के लिए एक नौसिखिया तैयार करता है। ताड़ासन करने से पहले चिकित्सक से परामर्श करें यदि आप निम्न रक्तचाप, जोड़ों की स्थिति या चक्कर से पीड़ित हैं।

ताड़ासन के अभ्यास के लाभ:स्थिर मुद्रा क्या है? Â

ताड़ासन आपकी मांसपेशियों के बारे में जागरूकता में सुधार करता है और मुद्रा में सुधार करता है, भले ही यह बहुत सीधा प्रतीत होता हो। आप ताड़ासन की पूरी प्रक्रिया के दौरान जांघ की मांसपेशियों को सक्रिय और मजबूत कर रहे हैं। आसन जमीन पर मजबूती से जड़ें जमाना सुनिश्चित करता है और आपको बाहरी ताकतों से स्थिर और अप्रभावित महसूस कराता है। पृथ्वी पर लोभी शक्ति इस बात की पुष्टि करती है कि आपका टेरा फ़िरमा के साथ एक मजबूत संबंध है ।

ताड़ासन के कुछ मूल्यवान लाभ निम्नलिखित हैं:

  1. स्वस्थ श्वास पैटर्न को पुनर्स्थापित करता है
  2. वजन प्रबंधन का समर्थन कर सकते हैं
  3. तनाव दूर करता है
  4. साइटिका के दर्द से राहत दिलाता है
  5. लचीलापन बढ़ाता है
  6. शक्ति निर्माण

ताड़ासन की मुद्रा एकाग्रता स्थिर मुद्रा क्या है? और दिमागीपन में सुधार करके मानसिक स्तर पर काम करती है। शारीरिक स्तर पर, ताड़ासन पोस्टुरल असामान्यताओं को ठीक करता है, मांसपेशियों की ताकत बनाता है, और ग्लूट्स और पेट की मांसपेशियों की मजबूती में सुधार करता है। ताड़ासन की योग मुद्रा फ्लैट फुट सिंड्रोम को भी ठीक कर सकती है। ताड़ासन आपको मांसपेशियों की ताकत और रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन के बारे में जागरूक होने में मदद करता है।

निष्कर्ष

ताड़ासन रीढ़ की हड्डी, कंधों और गर्दन के माध्यम से ऊर्जा प्रवाह को सुव्यवस्थित करता है। इस मुद्रा की सादगी भ्रामक हो सकती है, क्योंकि मूर्त लाभ प्राप्त करने के लिए जटिल कदम शामिल हैं। ताड़ासन आसन के अधिक लाभों का पता लगाने के लिए सरल और प्रभावी बदलाव की अनुमति देता है। संरेखण में सुधार और कोर की मांसपेशियों के निर्माण के लिए आप कुर्सी पर बैठकर ऐसा करने पर विचार कर सकते हैं। तत्काल विश्राम का अनुभव करने के लिए शरीर की पूरी लंबाई को फैलाने के लिए दोनों हाथों को सीधे ऊपर उठाकर विविधताएं संभव हैं। योग मुद्राएं समग्र लाभों का वादा करती हैं जो व्यक्ति की भलाई को बनाए रखने के लिए मन, शरीर और आत्मा को संतुलित करती हैं। ताड़ासन भी इसका अपवाद नहीं है। यह नौसिखियों सहित सभी के लिए एक सरल लेकिन अत्यधिक लाभकारी आसन है। आप आंतरिक शांति का अनुभव कर सकते हैं क्योंकि ताड़ासन आपके मन और शरीर को तरोताजा कर देता है। यह मुद्रा स्थिरता, दृढ़ता और संतुलन का मिश्रण है। ताड़ासन आपको योग के अगले स्तर के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करने के अलावा कई प्रकार के लाभ प्रदान करता है। ताड़ासन का अभ्यास कैसे करें, यह जानने के लिए युनाइटेड वी केयर पर जाएँ

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