आभासी दलाल

मध्यकालीन भारत में समाज के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?
Union Public Service Commission (UPSC) has released the NDA Result I 2022 (Name Wise List) for the exam that was held on 10th April 2022. 519 candidates have been selected provisionally as per the results. The selection process for the exam includes a Written Exam and SSB Interview. Candidates who get successful selection under UPSC NDA will get a salary आभासी दलाल range between Rs. 15,600 to Rs. 39,100. It is expected that a new notification for UPSC NDA is going to be आभासी दलाल released.
पृष्ठ : दो बहनें.pdf/८७
सिर के बालों में फैरता हुआ, आफ़िस-डेस्क पर बैठकर किसी एक दुस्साध्य कार्य को करने के लिये मशगूल था, उसी समय ऊर्मि आकर बोली, "तुम्हारे उस दलाल के साथ तै किया है कि वह आज मुझे परेशनाथ का मन्दिर दिखाने को ले जाएगा। चलो मेरे साथ, मेरे भले जीजाजी!"
शशांक ने गिड़गिड़ाकर कहा, "ना भई, आज नहीं, इस समय उठना कठिन है।"
काम-काज आभासी दलाल के गुरुत्व से ऊर्मि को ज़रा भी डर नहीं लगता, बोली, "अबला रमणी को हरी पगड़ीवाले के साथ अरक्षित अवस्था में छोड़ देने में तुम्हें सङ्कोच नहीं होता, यही तुम्हारी शिवेलरी है?"
आख़िरकार उसकी खींचतान से शशांक को काम-काज छोड़कर मोटर हाँकनी पड़ी। इस प्रकार का उत्पात हो रहा है इसका आभास जब शर्मिला को मिलता तो वह बहुत नाराज़ होती क्योंकि उसके मत से पुरुष की साधना के क्षेत्र में स्त्रियों का अधिकार प्रवेश किसी प्रकार क्षम्य नहीं। शर्मिला ऊर्मि को बराबर छोटी बच्ची-जैसी ही जानती आई है। आज भी उसके मन में यही धारणा है, सो कोई बात नहीं, लेकिन इसीलिए दफ़्तर तो लड़कपन
आभासी दलाल
अष्टभुजा शुक्ल
और अधिक अष्टभुजा शुक्ल
सन्मित्र कपिलदेव की याद के साथ
अलग-अलग जातियों के
अलग-अलग अंतर्मन वाले
अलग-अलग अर्थार्थी
शब्दों का युग्म
मिलकर बनाता था यमक अलंकार
ऐसा आभास होता
कि एक ही घड़ी में एक ही आभासी दलाल कोख से जन्मे होंगे दोनों
वही सर्दी, वही गर्मी, वही तुषारापात झेले होंगे
होंगे एक ही वज़न के
एक ही साबुन से नहाए होंगे
लगता था कि
यदि अकेले एक शब्द को न्यौता गया
तो मुँह फुला लेगा दूसरा
या दूसरे की अवहेलना की गई
तो पहला कर देगा
सारी काव्य-योजना का बहिष्कार
न कोई लिंग भेद दिखाई देता
दोनों में
न वचन भेद
यहाँ तक कि
एक ही धातु और प्रत्यय से
बने लगते दोनों
या एक ही नाटक में दो सूत्रधार
लेकिन अभिनय में
एक नायक निकलता तो दूसरा प्रतिनायक हो सकता था
या एक के सेवन से
आदमी में आ जाती थी मादकता
तो दूसरे के संग्रह से
जैसे कि कनक-कनक में ही था
एक जैसे रूप या चेहरे या प्रकार के
अगल-बग़ल बैठते थे कैसे दो शब्द
कि आपस में
एक का कान होता तो दूसरे का मुँह
एक के पैर के बायाँ अँगूठा छू जाता
दूसरे के दाएँ अँगूठे से
या एक ही गिलास में
दोनों ही पी लेते एक एक घूँट पानी
या मुँह पोंछ लेते एक दूसरे की रूमाल खींचकर
ऐसे यमक में
दूसरे कनक में
भला कहीं होती है वस्तुगत मादकता?
यदि पहले कनक में
न होती कोई मादकता
तो दूसरा कनक भी
क्या हो सकता था मादक
किसी भी न्याय से?
क्या एक ही पाठ के
नहीं होते आभासी दलाल थे कई-कई पाठ
क्या अर्थ के संपर्क से
अर्थवान नहीं होते
दूसरे भी अर्थ
क्या अभिनय को
अभिनय ही नहीं बनाता गतिशील?
वही स्वर, वही व्यंजन, वही साक्षरता
ऐसी गणमैत्री कि रेफ भर अंतर नहीं
कविता का अलंकार बन जाने के लिए
कैसे इकट्ठे हो जाते थे ऐसे वर्ण स्तवक
कि दाँतों तले अँगुली दबा लेते थे काव्य-रसिक
या मुँह पीछे करके पोंछ लेते आँख
या बढ़ा आभासी दलाल देते थे हाथ
जिसमें न पहले कनक का नशा होता
न दूसरे कनक की पण्यमूलक चमक
बल्कि यह देखकर
कि कैसे दो देश के
दीगर परिवेश के
दो खान-पान के, दो साँझ-बिहान के
दो-दो उनवान, दो जीवन निकाय के
दो अर्थच्छवि, दो भाषा समुदाय के
मान, अपमान, अभिमान तक विहाय के
दो अवर्ण लोक आभासी दलाल के शब्द-युगल
आकर बैठ जाते थे अगल-बग़ल
संग-संग उड़कर या पैदल
कविता के आवाहन पर
राजा का राज गया, पाट गया राजा का
कविता से व्याकरण के चले गए दिन
कई सौ सालों का राज रसराज का
उसके ही साथ गया राज पंडितराज का
आत्मनिवेदन का बाप भक्तिकाल गया
असली और नक़ली शृंगार का दलाल गया
कविता पर कविता का खड़ा रीतिकाल गया
कई-कई वाद गए
आकर विवाद गए
गए जिन्हें जाना था
आए जिन्हें आना था
जाने का दुख भी हुआ
आने का सुख भी
जितना कि होना था
पाँच सौ विलाप रहा
पाँच ग्राम रोना था
लेकिन मैं लेकिन यह
स्वयं यमक रहा कह
कि कविता का
केवल बेल बूटा भर नहीं था वह
लक्षण भर नहीं था, न ही परमादेश
कविता की कोई फ़ितरत भी नहीं था
कवि की दिमाग़ी कसरत भर नहीं था
यमक एक हसरत था
कि एक धातु एक रूप एक स्वर व्यंजन से
बिंब-प्रतिबिंब जैसा शब्द युगल
कैसे बैठ जाता था अगल-बग़ल
दोनों के कक्कन
छूटे किस रेले में
खोया किस मेले में
वह वर्णसाम्य ध्वज
या झंडों ने बाँट लिए
आधे-आधे दो भाई
ज़ाहिर है
कि पहले का यमक
हमारे समय का यमक नहीं हो सकता
काश! इसे मैं किसी और भाषा में कह सकता
लेकिन तैर रही है ऊपर-ऊपर
मूज के भूए की तरह
यमक की आत्मा
डर रही हो जैसे
कि उतरने से
पानी में पड़ जाएगी
या किसी अंगारे पर
अब हर शब्द
दूसरे जैसा
दिखने से कतराता है
संकटों में
सबसे बड़ा हो गया है
पहचान का संकट
और इस संकट से उबरने के लिए
कोई चला आ रहा है
विदर्भ की राह पकड़े
कोई पांचाल पथ से
तो कोई गौड़देशीय होने की अकड़ लिए हुए
कोई हद से
तो कोई बेहद से
कोई गुणीभूत है
कोई अर्थांतर संक्रमित
तो कोई.
कहने वाले कहते हैं
कि कोई सरोवर से उपजा है
तो कोई पंक से,
कोई अंबु से तो कोई पय से
बहुत फ़र्क़ नहीं रहा अर्थ में
सबके सब लगभग पर्याय
है कोई नया संप्रदाय
लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया सख्त
हरिद्वार: लापरवाह और नौसिखिये चालक अब दलालों के जरिए लाइसेंस हासिल कर सड़क पर फर्राटा नहीं भर पाएंगे। इन पर लगाम कसने के लिए सरकार नई व्यवस्था अमल में लाने जा रही है। इसके तहत परिवहन विभाग अब सिमुलेटर पर नहीं, बल्कि ड्राइविंग टेस्टिंग लेन पर चालकों की परीक्षा लेगा। यह परीक्षा कैमरे में भी […]
हरिद्वार: लापरवाह और नौसिखिये चालक अब दलालों के जरिए लाइसेंस हासिल कर सड़क पर फर्राटा नहीं भर पाएंगे। इन पर लगाम कसने के लिए सरकार नई व्यवस्था अमल में लाने जा रही है। इसके तहत आभासी दलाल परिवहन विभाग अब सिमुलेटर पर नहीं, बल्कि ड्राइविंग टेस्टिंग लेन पर चालकों की परीक्षा लेगा। यह परीक्षा कैमरे में भी कैद होगी और सफल अभ्यर्थियों को ही लाइसेंस मिल पाएगा। इसके लिए परिवहन विभाग प्रदेश के 10 स्थानों पर ऑटोमेटेड ड्राईविंग टेस्ट लेन बनाने की तैयारी में जुट गया है। दो स्थानों पर विभाग को भूमि भी मिल चुकी है, जबकि चार जगह भूमि चिह्नित कर ली गई है। शेष चार स्थानों पर इसकी तलाश की जा रही है।
भारतभर में बढ़ते सड़क हादसों के पीछे मानवीय भूल एक बड़ा कारण उभर कर सामने आया है। आंकड़े तस्दीक करते हैं कि तकरीबन 70 फीसद सड़क दुर्घटनाएं वाहन चालक की लापरवाही से होती हैं। यह भी तथ्य सामने आया है कि नौसिखिये चालक सबसे अधिक वाहन दुर्घटनाओं का कारण हैं। उत्तराखंड में भी इसे देखते हुए लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया सख्त की गई। इस क्रम में अभी अधिकांश परिवहन कार्यालयों में सिमुलेटर पर वर्चुअल (आभासी) ड्राइविंग टेस्ट लिया जा रहा है। हालांकि, इससे चालक का वास्तविक टेस्ट नहीं हो पाता है। इसे देखते हुए अब इसे भी बदलने की तैयारी चल रही है।