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धन के 5 नियम

धन के 5 नियम
धन का महत्व प्रत्येक युग में छोटे-बड़े प्रत्येक धन के 5 नियम व्यक्ति के लिए अवश्य रहा है। सच तो यह है कि धन के अभाव में व्यक्ति का किसी भी तरह से जीवित रह पाना संभव नहीं हुआ करता। आखिर इतना धन तो हर व्यक्ति को चाहिए ही कि वह अपना व अपने घर परिवार का नि¨श्चत होकर गुजर-बसर कर सके। जीवन जीने के लिए धन एक तरह की अनिवार्यता है। शरीर रहेगा तभी धन के 5 नियम व्यक्ति धर्म-कर्म आदि सभी तरह के पुरुषार्थ कर सकेगा। शरीर की रक्षा के लिए अन्न व वस्त्र आदि आवश्यक हैं तथा उन्हें पाने के लिए धन उतना ही आवश्यक है।

According to Vastu curtain color, वास्तु के अनुसार पर्दे का रंग

धन का सदुपयोग कर जीवन को बनाएं खुशहाल

जीवन निर्वाह के लिए जिस सामग्री की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है वह धन है। धन से ही हम अपने जीवन की सभी शुरुआती आवश्यकताओं, आराम और धन के 5 नियम जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। धन का सदुपयोग कर हमें जीवन को खुशहाल बनाना चाहिए।

धन का महत्व आज के समय में ही नहीं, बल्कि प्राचीन समय से रहा है। धन के बिना न तो कोई यज्ञ धन के 5 नियम होता है न ही कोई अनुष्ठान। जीवन निर्वाह धन के बिना नहीं हो सकता। राष्ट्र की उन्नति एवं समृद्धि का परिचायक भी धन ही है। प्राचीन समय में कहा जाता था कि धन और सरस्वती का वैर है। अर्थात ये दोनों एक स्थान पर इकट्ठे नहीं रह सकते, लेकिन आधुनिक युग में यह सिद्धांत बदल गया है। आज धन और विद्या दोनों साथ-साथ चलते हैं। धनवान व्यक्ति ही अच्छे विद्यालय में अपने बच्चों को शिक्षा दिलवा पाता है। परीक्षा में अच्छे अंक दिलवाने के लिए ट्यूशन लगा देता है। धन की महिमा दिन-प्रतिदिन इसी तरह बढ़ती रही तो वह दिन दूर नहीं जब शिक्षा केवल धनाढय लोगों के लिए रह जाएगी और निर्धन और योग्य छात्र यदि उच्च शिक्षा प्राप्त कर लें तो उन्हें केवल अपवाद कहे जाएंगे।

इनकम टैक्स के नए नियम में मिलने वाले इन 22 लाभ के बारे में जानते हैं आप

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आयकर की नई व्यवस्था में भी पेंशन, एनपीएस निकासी के अलावा वीआरएस में मिलने वाली पांच लाख रुपये तक की राशि पर कर छूट उपलब्ध रहेगी.

इसके साथ ही वित्त मंत्री ने कई तरह की कर रियायतों और छूट को समाप्त कर दिया है. आय कर की पुरानी व्यवस्था में 120 के करीब छूट और रियायतें दी गईं थी, इनमें से 70 को वापस ले लिया गया है.

हाथ में धन नहीं ठहरता पैसा, इन वास्तु टिप्स से धन का होगा संचय

हाथ में धन नहीं ठहरता पैसा, इन वास्तु टिप्स से धन का होगा संचय

वास्तु शास्त्र के अनुसार कई प्रकार के वास्तु नियमों को न मानकर कई जगह धन कभी ठहरता नहीं है। धन का संचय करना इसकी वजह से काफी मुश्किल हो जाता है। इसलिए हमें घर में वास्तु नियमों का पालन करना चाहिए। यहां हम आपको बता रहे हैं , ऐसे ही टिप्स के बारे में जिन्हें अपनाकर आप धन का संचय कर सकते हैं।

1.अगर आपके घर का दरवाजा आवाज करता है तो तुरंत इसका समाधान करें, वरना इससे आपको धन की समस्या हो सकती है। इसलिए बाहर का दरवाजा बिल्कुल भी आवाज न करे, इस बात का ध्यान रखना चाहिए।

2.घर में अगर दवाइयां रखते हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि घर के उत्तर पूर्व में दवाइयां न रखें। ऐसा करने से घर में बीमारी खत्म नहीं होती, और धन की समस्या भी बन जाती है।

भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताए थे धन और संपन्नता के लिए वास्तु के 5 नियम, जानें

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Know 5 rules of Vastu from Lord Shri Krishna, भगवान श्रीकृष्ण से जानें वास्तु के नियम

  • ईशान कोण पर हमेशा पानी का कलश रखना चाहिए
  • घर में चंदन की अगरबत्ती या माला में से कुछ भी जरूर रखना चाहिए
  • हर घर में मां सरस्वती की प्रतिमा का होना जरूरी है

वास्तु के नियम मनुष्य के जीवन में बहुत मायने रखते हैं और इसके बारे में भगवान श्रीकृष्ण ने भी बताया है। वास्तु दोष मनुष्य के जीवन को गंभीर संकट में डालते हैं, वहीं यदि वास्तु शास्त्र के अनुसार घर को रखा जाएं तो मनुष्य के जीवन में सब कुछ अच्छा होता है। घर में सकारात्मकता रहती है और उसमें रहने वाले लोगों को जीवन में कामयाबी हासिल होती है। भगवान श्रीकृष्ण ने एक बार स्वयं धर्मराज युद्धिष्ठिर को वास्तु के पांच नियमों के बारे में बताया था। ये वास्तु नियम भगवान ने धर्मराज के राजतिलक के समय दिए थे। घर की सुख-समृद्धि और धन संपदा के लिए वास्तु के ये नियम बहुत काम आते हैं। इसलिए मनुष्य को वास्तु नियमों को अपने जीवन में जरूर ध्यान में रखने चाहिए।

कितने दीपों से आरती करें ?

पुराणों में बताया गया है कि आरती सदैव पंचमुखी ज्योति या सप्तमुखी ज्योति से करना ही सर्वोतम है। यानी दीपक में 5 या फिर 7 बाती लगाकर ही भगवान की आरती करनी चाहिए। इसके साथ ही शंख और घंटी का प्रयोग आरती में जरूर होना चाहिए। आरती के बीच में शंखनाद जरूर होना चाहिए।

दीपक को कैसे और कहां रखें ?

दीपक को कैसे और कहां रखें ?

कालिका पुराण में बताया गया है

सर्वसहा वसुमती सहते न त्विदं द्वयम्।
अकार्यपादघातं च दीपतापं तथैव च॥

यानी दीपक को धरती पर रखने से धरती पर ताप बढ़ता है, इसलिए कभी दीपक को धरती पर न रखें। दीपक को आसन या थाली में ही रखें। दीपक को स्थापित कर, उसका पूजन कर और उसको प्रज्ज्वलित करने (यानी जलाने) के बाद हाथ को प्रक्षालित यानी जल से धन के 5 नियम धोना अवश्य किया जाए।

घी का दीपक जलाएं या तेल का ?

घी का दीपक जलाएं या तेल का ?

शास्त्रों में या तो शुद्ध घी का या तिल के तेल का दीपक जलाने का प्रमाण है, पर सरसों, नारियल आदि के तेल का दीपक जलाने की बात कहीं नहीं कही गई है। इसके साथ ही ध्‍यान रखें कि घी का दीपक हमेशा भगवान के दक्षिण तरफ यानी सीधे हाथ की ओर और तिल का दीपक वाम भाग यानी बाईं ओर रखा जाता है।

दीपक का मुख किस और हो?

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