टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स क्या हैं?

Sensex 1,200 अंकों तक टूटा, क्या म्यूचुअल फंड इनवेस्टर्स को करनी चाहिए फेड की चिंता?
mutual fund investors : यदि आप अपने रिस्क प्रोफाइल के आधार पर अच्छी म्यूचुअल फंड स्कीम्स में निवेश कर रहे हैं तो अपना निवेश जारी रखिए
mutual fund investors : यूएस फेड (US Fed) के कल मार्च से ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने के बयान के बाद भारतीय स्टॉक मार्केट टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स क्या हैं? में घबराहट का माहौल है। अमेरिका का सेंट्रल बैंक महंगाई को लेकर ज्यादा चिंतित है और ऐसा लगता है कि मजबूत ग्रोथ और इम्प्लॉयमेंट डाटा से उन्हें ब्याज दरों में बढ़ोतरी के लिए पर्याप्त गुंजाइश मिलेगी। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि क्या भारतीय म्यूचुअल फंड इनवेस्टर्स (mutual fund investors) को फेड के कदम को लेकर चिंतित होना चाहिए?
कंपनियों को फंड के लिए करना होगा ज्यादा भुगतान
जैसे कि आप देख सकते हैं, भारतीय बाजार की भी भविष्य में रेट हाइक और इकोनॉमी में इंटरेस्ट रेट के फ्यूचर को लेकर यूएस फेड से मिलने वाले संकेतों पर नजर रखते हैं। अब यह लगभग तय हो गया है कि इजी मनी की पॉलिसी (easy money policy) अब जल्द ही बीते दिनों की बात टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स क्या हैं? बन जाएग। इसका मतलब है कि लिक्विडिटी घट जाएगी। इसका यह भी मतलब है कि कंपनियों को फंड्स के लिए ज्यादा भुगतान करना होगा।
आईडीएफसी म्यूचुअल फंड ने दो फिक्स्ड इनकम एनएफओ लांच किया, 12 से खुलेगा
मुंबई– आईडीएफसी म्यूचुअल फंड ने दो नए फिक्स्ड फंड ऑफर लांच किया है। यह नया ऑफर 12 मार्च से खुलेगा और 19 मार्च को बंद होगा। टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स क्या हैं? इसमें एक गिल्ट 2027 इंडेक्स फंड और दूसरा गिल्ट 2028 इँडेक्स फंड हैं। दोनों फंड ओपन एंडेड टार्गेट मैच्योरिटी इंडेक्स फंड हैं। यह सरकारी प्रतिभूतियों और ट्रेजरी बिल्स में निवेश करेंगे।
कंपनी की ओर से जारी प्रेस बयान के अनुसार टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स रेगुलर ओपन एंड म्यूचुअल फंड की तरह नहीं हैं। मैच्योरिटी पर इसकी नेट असेट वैल्यू (एनएवी) यूनिटधारकों को वापस दी जाएगी। आईडीएफसी गिल्ट इंडेक्स फंड केवल सॉवरेन रेटिंग वाले संसाधनों में ही निवेश करेगा क्योंकि इसे सरकार की गारंटी प्राप्त होती है।
इस बारे में आईडीएफसी असेट मैनेजमेंट कंपनी के सीईओ विशाल कपूर ने बताया कि आईडीएफसी गिल्ट 2027 इंडेक्स फंड और 2028 इंडेक्स फंड उन निवेशकों के लिए अच्छा है जो हाई क्वालिटी वाले संसाधनों में निवेश करना चाहते हैं। अगले 6-7 सालों में सरकारी प्रतिभूतियां अल्ट्रा शॉर्ट टेन्योर सिक्योरिटीज की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करेंगी। इसके अतिरिक्त गिल्ट ज्यादा लिक्विडिटी देगी। इस दोनों फंड में रोजाना के आधार पर खरीदी और बिक्री की सुविधा होगी।
कम से कम 5 हजार रूपए का निवेश किया जा सकता है। इसमें पैसे निकालने पर कोई चार्ज नहीं है। 2027 इंडेक्स फंड 30 जून 2027 को पूरा टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स क्या हैं? होगा जबकि 2028 अप्रैल 2028 में पूरा होगा। 2000 में शुरू हुई आईडीएफसी म्यूचु्अल फंड देश की टॉप 10 म्यूचु्अल टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स क्या हैं? फँड कंपनियों में है। इसका असेट अंडर मैनेजमेंट 1.20 लाख करोड़ रुपए रहा है। इसके पास 57 फंड स्कीम हैं। इसकी मौजूदगी 46 शहरों में है और 250 शहरों में इसके निवेशक हैं।
LIC Jeevan Labh Policy: रोजाना 17 रुपए के निवेश से बन जाएंगे लखपति
नई दिल्ली। अपने आपको भविष्य के लिए आर्थिक रूप से सुरक्षित करने के लिए मौजूदा समय में कई तरीके हैं। मॉर्डन डे इंवेस्टमेंट के तौर पर लोग एसआईपी ( SIP Investment ) और म्यूचुअल फंड्स ( Mutual Fund ) की ओर जा रहे हैं। यह दोनों ही बाजार ( Share Market ) के मूड के पर डिपेंड करते हैं। अगर मार्केट अच्छा रन कर रहा है, तो मुनाफा होगा वर्ना नुकसान। अगर आपको निवेश करना हैं और आप चाहते हैं कि आपको नुकसान ना हो और मुनाफा और सुरक्षा दोनों मिले तो आपको एलआईसी ( LIC Policy ) की ऐसी पॉलिसी की ओर जाना चाहिए जो शेयर बाजार से लिंक्ड ना हो यानी एलआईसी के नॉन लिंक्ड प्लान ( LIC Non Linked Plan ) । आज हम आपको ऐसी ही नॉन लिंक्ड प्लान के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपको रोजाना 17 रुपए के निवेश पर जल्द से लखपति बना सकती है। इस पॉलिसी का नाम है एलआईसी जीवन लाभ पॉलिसी ( LIC Jeevan Labh Policy )।
कुछ ऐसी हैं पॉलिसी की खास बातें
- इस पॉलिसी को 8 से 59 साल के उम्र के बीच के लोग ही ले सकते हैं।
- इस पॉलिसी की मैच्योरिटी की उम्र 75 साल है। 16 से 25 साल तक का पॉलिसी टर्म लिया जा सकता है।
- कम से कम दो लाख रुपए सम एश्योर्ड लेना होगा। अधिकतम की कोई सीमा नहीं है।
- इस पॉलिसी में एक्सिडेंटल डेथ और दिव्यांगता पर मिलने वाला मुआवजा शामिल किया गया है।
- अगर 25 साल तक 1,55,328 रुपए का प्रीमियम यानी हर महीने 518 यानी रोजापा 17 रुपए खर्च करते हैं तो मैच्योरिटी पर आपको बोनस के साथ करीब 4.04 लाख रुपए मिलेंगे।
पॉलिसी के फायदों के बारे में जानिए
- सीमित प्रीमियम भुगतान भी होता है जिसका मतलब है , प्रीमियम भुगतान की अवधि का पॉलिसी अवधि या मैच्योरिटी अवधि से कम होना।
- एक ही समय पर सुरक्षा और निश्चित रिटर्न की सुविधा भी मौजूद।
- तीन वर्ष तक प्रीमियम भरने के बाद लोन की सुविधा उपलब्ध।
- दुर्घटना मृत्यु तथा दिव्यांगता लाभ राइडर के रूप में एड-ऑन राइडर्स की सुविधा।
- प्रीमियम पर आयकर की धारा 80 सी के तहत टैक्स में छूट।
- इनकम टैक्स की धारा 10 (10डी) के तहत मैच्योरिटी राशि पर टैक्स में छूट।
इस तरह से होता है भुगतान
अगर पॉलिसी धारक की मौत हो जाती है और उसने मौत होने तक बिना किसी रुकावट के सभी प्रीमियम का भुगतान किया है तो नॉमिनी को बीमित रकम, सिंपल रिवर्सनरी बोनस और फाइनल एडीशन बोनस को जोड़कर पूरा भुगतान किया जाता है। खास बात ये है कि यहां पर मिलने वाला मृत्यु लाभ पालिसी धारक की मृत्यु तक भरे हुए कुल प्रीमियम के 105 फीसदी से कम नहीं होना चाहिए। वहीं पॉलिसी धारक पूरी अवधि तक जीवित रहता है और मैच्योरिटी तक सभी प्रीमियम का भुगतान किया है, तो उसे बीमित रकम के साथ सिंपल रिवेर्सनरी बोनस और फाइनल एडीशन बोनस का भुगतान किया जाता है।
सोनिया गांधी से ED दफ्तर में 2 घंटे तक पूछताछ, विपक्ष ने केंद्र सरकार पर लगाया एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप
कई विपक्षी दलों ने साझा बयान जारी करके आरोप लगाया है कि मोदी सरकार विपक्ष को परेशान करने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर रही है.
The party will also stage similar nationwide protests on the day of her next deposition before the ED.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से आज प्रवर्तन निदेशालय (ED) के दफ्तर में बुलाकर पूछताछ की गई. हाल ही में कोरोना महामारी से उबरीं 75 वर्षीय सोनिया गांधी करीब दो घंटे की पूछताछ के बाद ईडी के दफ्तर से बाहर आईं. खबर है कि उन्हें 25 जुलाई को फिर से पूछताछ के लिए बुलाया गया है. सोनिया से ED की पूछताछ नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग के एक टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स क्या हैं? मामले में की जा रही है. हालांकि कांग्रेस ने इसे विपक्ष को दबाने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का मसला बताते हुए आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार ‘विपक्ष मुक्त भारत’ बनाना चाहती है.
सोनिया गांधी को ईडी दफ्तर में टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स क्या हैं? बुलाकर पूछताछ किए जाने के दौरान कांग्रेस सांसदों, कार्य समिति (CWC) के सदस्यों और कार्यकर्ताओं ने एकजुटता दिखाते हुए दिल्ली समेत देश के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन किया. कई कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को इस दौरान हिरासत में भी लिया टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स क्या हैं? गया, जिनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम, अजय माकन और सचिन पायलट भी शामिल हैं. इस दौरान कई बड़े नेताओं और सैकड़ों कार्यकर्ताओं को हिरासत में भी लिया गया.
इस बीच, कांग्रेस के अलावा कई और विपक्षी दलों के नेताओं-सांसदों ने भी आज ही एक साझा बयान जारी करके सरकार पर विपक्ष के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों के इस्तेमाल का आरोप लगाया. बयान में कहा गया है कि मोदी सरकार तमाम विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं को जानबूझकर निशाना बनाने और परेशान करने का काम कर रही है. इस तरह की कार्रवाई पहले कभी नहीं देखी गई. बयान में विपक्षी नेताओं ने कहा है कि हम इस तरह की कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हैं और मोदी सरकार की जन-विरोधी, किसान विरोधी, संविधान टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स क्या हैं? विरोधी और देश के सामाजिक ताने-बाने को बर्बाद करने वाली नीतियों के खिलाफ सामूहिक संघर्ष जारी रखेंगे. विपक्ष के इस साझा बयान पर दस्तखत करने वालों में आरजेडी, शिवसेना, डीएमके, एमडीएमके, टीआरएस, नेशनल कॉन्फ्रेंस, सीपीआई, सीपीएम, आरएसपी समेत कई विपक्षी दलों के नेता शामिल हैं.
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कांग्रेस महासचिव और पार्टी के कम्युनिकेशन प्रभारी जयराम रमेश ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘विषगुरु के राजनीतिक प्रतिशोध का सामना कर रहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के प्रति एकजुटता व्यक्त करते हुए सभी कांग्रेस सांसदों एवं सीडब्ल्यूसी सदस्यों ने पार्टी मुख्यालय के बाहर सामूहिक गिरफ़्तारी दी. हमें किंग्सवे कैंप पुलिस थाने में लाया गया. सच की लड़ाई लड़ेंगे और जीतेंगे!’’
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मीडिया से कहा कि केंद्र सरकार के इस कदम से कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता झुकने वाले नहीं हैं. गहलोत ने कहा, ‘‘हम डरने और घबराने वाले नहीं हैं. सोनिया जी जब से देश में आईं हैं, उन पर हमले हो रहे हैं. सोनिया जी ने जिस तरह से भारत की संस्कृति और संस्कार को अपनाया है, वह अपने आप में एक मिसाल है. उन्होंने जो जीवन जिया है और पार्टी के लिए जो किया है, उसे कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता कभी भूल नहीं सकते.’’
अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘राजनीति में दुश्मन नहीं होना चाहिए. ये लोग विपक्ष को दुश्मन मानते हैं. पहले ये कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते थे, अब ये ‘विपक्ष मुक्त भारत’ चाहते हैं.’’
कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार प्रमुख पवन खेड़ा ने दावा किया, ‘‘जब भी मोदी जी और अमित शाह की घेराबंदी हो जाती है तो एजेंसियों को आगे कर दिया जाता है. साजिश है, हमें चुप कराने की. हमें रोकने का षडयंत्र है. इनकी नीयत है, विपक्ष मुक्त भारत की.’’ उन्होंने कहा, ‘‘गांधी परिवार और कांग्रेस की तासीर समझने में मोदी जी और अमित शाह को कई जन्म लग जाएंगे. इस तासीर में देश की सेवा करने और देश को बचाने का जुनून है. मोदी जी और शाह इसे नहीं समझ सकते. हम डरने वाले नहीं हैं.’’
कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा सरकार का एकमात्र प्रयास लोगों का चरित्र हनन करना होता है और वह विपक्ष की आवाज को दबाती है. पायलट ने कहा, ‘‘कांग्रेस और उसका नेतृत्व झुकने वाले नहीं हैं.’’
इससे पहले, कांग्रेस के सांसदों ने टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स क्या हैं? संसद परिसर में मार्च भी निकाला. उन्होंने एक बैनर भी ले रखा था जिस पर ‘स्टॉप मिसयूज ऑफ ईडी’ (ईडी टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स क्या हैं? का दुरुपयोग बंद करो) लिखा हुआ था. उन्होंने मोदी सरकार के खिलाफ नारे भी लगाए. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इसी विषय को लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल के आवास के निकट प्रदर्शन किया.
भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बी.वी. की अगुवाई में संगठन के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया. इस दौरान युवा कांग्रेस के कई कार्यकर्ता बसों पर खड़े हो गए और नारेबाजी की. भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) के कार्यकर्ताओं ने भी प्रदर्शन किया.
ईडी आज सोनिया गांधी से पूछताछ कर रही है. इससे पहले उसने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से भी पांच दिन में 50 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी. यह जांच ‘यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड’ में कथित वित्तीय गड़बड़ी के आरोपों के सिलसिले में की जा रही है. यंग इंडियन के पास ही नेशनल हेराल्ड अखबार का मालिकाना हक है. सोनिया और राहुल से पूछताछ की कार्रवाई पिछले साल के आखिर में ईडी द्वारा प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट (PMLA) की धाराओं के तहत केस दर्ज करने के बाद शुरू की गई है. हालांकि कांग्रेस का कहना है कि इन आरोपों में कोई दम नहीं है और सारी कार्रवाई सिर्फ राजनीतिक बदले की भावना से की जा रही है.टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स क्या हैं?
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