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विदेशी मुद्रा भंडार की संरचना

विदेशी मुद्रा भंडार की संरचना
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विदेशी मुद्रा भंडार अर्थ, संरचना, उद्देश्य और लाभ

विदेश मुद्रा भंडार : विदेशी मुद्रा संपत्ति, सोना, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) और आईएमएफ (International Monetary Fund) में आरक्षित स्थिति से मिलकर बनता है। भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार का कुल आकार 29 मई 2020 को 493 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। आइए आगे जानते है इस आर्टिकल के माध्यम से की विदेशी मुद्रा क्या है? और इस से जुडी सारी जानकारी।

विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा, स्वर्ण भंडार, एसडीआर और आईएमएफ कोटा जमा, ट्रेजरी बिल, बांड और अन्य सरकारी प्रतिभूतियां शामिल हैं। इन भंडारों को सरकारी दायित्वों (जैसे सरकार या केंद्रीय बैंक में वित्तीय संस्थानों द्वारा जमा और केंद्रीय बैंक द्वारा जारी स्थानीय मुद्रा) के लिए बैक-अप सहायता प्रदान करने के लिए बनाए रखा जाता है। आरबीआई (Reserve Bank of India) भारत में विदेशी मुद्रा का संरक्षक है।

सबसे अधिक विदेशी मुद्रा भंडार रखने वाले देशों की सूचि (List of Countries Having the Largest Foreign Exchange Reserves)

रैंकदेशविदेशी मुद्रा भंडार (millions of US$)
1.चीन3,091,विदेशी मुद्रा भंडार की संरचना 459
2. जापान1,368,567
3.स्विट्जरलैंड823,765
4.रूस562,900
5.भारत493,480
6.ताइवान481,782
7.सऊदी अरब474,171
8.हॉगकॉग441,200
9.दक्षिण कोरिया404,000
10.ब्राजील339,317

विदेशी मुद्रा रिज़र्व का उद्देश्य और लाभ (Purpose and Benefits of Forex Reserves)

1. विदेशी मुद्रा कई उदेश्यों को पूरा करता है, लेकिन इसका महत्वपूर्ण उदेश्य यह सुनिश्र्चित करना है की केन्द्रीय सरकारी एजेंसी (जैसी की भारत में रिजर्व बैंक है) के पास इतना बैकअप फंड होना चाहिए की जिससे उनकी राष्ट्रिय मुद्रा तेजी से अवमूल्यन करती है या सभी एक साथ दिवालिया हो जाती है।

2. विदेशी मुद्रा का उपयोग मौद्रिक निति को प्रभावित विदेशी मुद्रा भंडार की संरचना करने के लिए किया जाता है। अगर विदेशी मुद्रा की मांग में वृद्धी होने के कारण घरेलु मुद्रा का मूल्य कम होता है, भारत सरकार की तरफ से रिज़र्व बैंक, उस बाजार में विदेशी मुद्रा की आपूर्ति कर देती है, ताकि राष्ट्रिय मुद्रा के मूल्य में अधिक गिरावट को रोका जा सके।

3. जिस देश में अधिक विदेशी मुद्रा भंडार होती है उसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छी छवि होती है। क्योंकि व्यापारिक देश अपने भुगतान के बारे में सुनिश्चित हो सकते है। भारत 1991 समय के दौरान आंतरराष्ट्रिय स्तर पर दोषी घोषित होने की कगार पर था।

विदेशी मुद्रा भंडार से जुडी अन्य जानकारी (Other Information Related to Forex Reserves)

  • अधीकांश विदेशी मुद्रा अमेरिकी डॉलर (Dollar) के स्वरूप में रखा जाता है क्योंकि यह मुद्रा सबसे ज्यादा कारोबारी वाली और विश्वसनीय मुद्रा है।
  • चीन के पास US $ 3.1 ट्रिलियन विदेशी मुद्रा भंडार है, जो की दुनिया में सबसे अधिक है।
  • यह बात काफी आश्र्चर्यजनक विदेशी मुद्रा भंडार की संरचना है की USA के पास मार्च 2020 में सिर्फ $ 129,264 मिलियन का विदेशी मुद्रा आरक्षित है।
  • दुनिया में सबसे अधिक मुद्रा भंडार रखने वाले देशों में भारत का पांचवा अंक है।
  • भारत का विदेशी मुद्रा 29 मई, 2020 तक 493 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

विदेशी मुद्रा कोई अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य मीटर की तरह है। अगर किसी भी देश के पास अच्छा विदेशी मुद्रा है, उस देश की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाणाकिय स्थिति को काफी अच्छा माना जाता है।

विदेशी मुद्रा भंडार से तात्पर्य

  • विदेशी मुद्रा भंडार को फॉरेक्स रिज़र्व या आरक्षित निधियों का भंडार भी कहा जाता है।
  • सामान्यतः विदेशी मुद्रा भंडार में केवल विदेशी रुपये, विदेशी बैंकों की जमाओं, ,विदेशी ट्रेज़री बिल और अल्पकालिक अथवा दीर्घकालिक सरकारी परिसंपत्तियों को शामिल किया जाना चाहिये परन्तु इसमें प्रायः सोने के भंडारों, विशेष आहरण अधिकारों और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की भंडार अवस्थितियों को शामिल किया जाता है। इस परिप्रेक्ष्य में इसे आधिकारिक अंतर्राष्ट्रीय भंडार अथवा अंतर्राष्ट्रीय भंडार की संज्ञा देना अधिक उचित है।
  • विदेशी मुद्रा भंडारों को भुगतान संतुलन में ‘आरक्षित परिसंपत्तियाँ’ कहा जाता है तथा ये पूँजी खाते में होते हैं।
  • ये किसी देश की अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति का एक महत्त्वपूर्ण भाग हैं।
  • किसी भी देश के विदेशी मुद्रा भंडार में निम्नलिखित 4 तत्व शामिल होते हैं-
    • विदेशी परिसंपत्तियाँ (विदेशी कंपनियों के शेयर, डिबेंचर, बाॅण्ड इत्यादि विदेशी मुद्रा के रूप में)
    • स्वर्ण भंडार
    • IMF के पास रिज़र्व ट्रेंच (Reserve Trench)
    • विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights-SDR)

    विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ

    • विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (Foreign Currency Assets) विदेशी मुद्रा भंडार का बड़ा घटक होता है और यह जून माह के प्रथम सप्ताह में 8.42 अरब डॉलर बढ़कर 463.63 अरब डॉलर के स्तर पर पहुँच गया है।
    • ध्यातव्य है कि यदि डॉलर के संदर्भ में बात की जाए तो विदेशी मुद्रा भंडार में पड़ी गैर-अमेरिकी मुद्रा जैसे- यूरो, पाउंड और येन की कीमतों में उतार-चढ़ाव को FCA में शामिल किया जाता है।
    • इस अवधि में जून माह के प्रारंभ में जारी आँकड़ों के अनुसार, भारत के स्वर्ण भंडार में गिरावट दर्ज़ की गई है।
    • नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, वर्तमान में भारत का स्वर्ण भंडार 32.682 बिलियन डॉलर है।

    रिज़र्व ट्रेंच से तात्पर्य

    • रिज़र्व ट्रेंच वह मुद्रा होती है जिसे प्रत्येक सदस्य देश द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) को प्रदान किया जाता है और जिसका उपयोग वे देश अपने स्वयं के प्रयोजनों के लिये कर सकते हैं।
    • इस मुद्रा का प्रयोग सामान्यतः आपातकाल की स्थिति में किया जाता है।
    • विशेष आहरण अधिकार को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) द्वारा 1969 में अपने सदस्य देशों के लिये अंतर्राष्ट्रीय आरक्षित संपत्ति के रूप में बनाया गया था।
    • SDR न तो एक मुद्रा है और न ही IMF पर इसका दावा किया जा सकता है।
    • SDR का मूल्य, बास्केट ऑफ करेंसी में शामिल मुद्राओं के औसत भार के आधार पर किया जाता है। इस बास्केट में पाँच देशों की मुद्राएँ शामिल हैं- अमेरिकी डॉलर (Dollar), यूरोप का यूरो (Euro), चीन विदेशी मुद्रा भंडार की संरचना की मुद्रा रॅन्मिन्बी (Renminbi), जापानी येन (Yen), ब्रिटेन का पाउंड (Pound)।

    विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि के कारण

    • विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि का प्रमुख कारण भारतीय शेयर बाज़ार में पोर्टफोलियो निवेश और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में हो रही वृद्धि है । विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाज़ार में 2.75 बिलियन डॉलर से अधिक के शेयर खरीदे हैं।
    • विदेशी निवेशकों द्वारा रिलायंस इंडस्ट्रीज़ की सहायक कंपनी जियो (JIO Platform) में लगभग 97,000 करोड़ रूपए का निवेश भी किया गया है।
    • इसके साथ ही कच्चे तेल की मांग में भारी कमी और उसकी कीमत में गिरावट से विदेशी मुद्रा भंडार में भी बचत हुई ।
    • मांग में गिरावट के चलते आयात भी काफी कम हुआ है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार से कम व्यय करना पड़ा है ।
    • भारतीय रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा भंडार के संरक्षक एवं प्रबंधक के रूप में कार्य करता है, और भारत सरकार की सहमति से निर्मित समग्र नीतिगत ढाँचे के अंतर्गत कार्य करता है।
    • RBI विशिष्ट उद्देश्यों के लिये विदेशी मुद्रा का आवंटन करता है। उदाहरण के लिये, उदारीकृत प्रेषण योजना के तहत प्रत्येक व्यक्ति को प्रति वर्ष 250,000 डॉलर तक की छूट प्रदान विदेशी मुद्रा भंडार की संरचना की जाती है।
    • RBI रुपये के क्रमबद्ध संचालन के लिये अपने विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग करता है। जब रुपया कमज़ोर होता है तब यह डॉलर को बेंच देता है और रुपया मज़बूत होने पर पुनः डॉलर खरीद लेता है।
    • RBI जब बाज़ार से डॉलर खरीदता है तो उसी अनुपात में रुपए का निर्गमन करता है ताकि बाज़ार में तरलता बनी रहे।

    विदेशी मुद्रा भंडार: अर्थ, संरचना, उद्येध्य और लाभ

    विदेशी मुद्रा भंडार; विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों, सोना, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) और आईएमएफ में आरक्षित स्थिति से मिलकर बनता है. भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार का कुल आकार 29 मई 2020 को 493 बिलियन अमेरिकी डॉलर था.

    Foreign Exchange Reserves:Meaning

    विदेशी मुद्रा भंडार का क्या अर्थ है? (What is meaning of Foreign Exchange Reserves?)

    विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा, गोल्ड रिजर्व, एसडीआर और आईएमएफ कोटा डिपाजिट, ट्रेज़री बिल, बॉन्ड और अन्य सरकारी प्रतिभूतियों शामिल होतीं हैं. यह रिज़र्व, सरकार की देनदारियों (जैसे केंद्रीय बैंक के पास सरकार या वित्तीय संस्थानों द्वारा जमा और सेंट्रल बैंक द्वारा जारी स्थानीय मुद्रा) को बैक उप सपोर्ट प्रदान करने के लिए रखा जाता है. RBI भारत में विदेशी मुद्रा भंडार का संरक्षक है.

    विदेशी मुद्रा भंडार की संरचना

    वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडार में आरएमबी का अनुपात बढ़ा_fororder_bin2

    रूस टुडे टीवी के अनुसार आईएमएफ द्वारा हाल में जारी सर्वेक्षण में पता चला कि वर्ष 2021 की चौथी तिमाही में पूरी दुनिया में आरएमबी का विदेशी मुद्रा भंडार 3 खरब 36 अरब 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर रहा, जो वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडार का 2.79 प्रतिशत भाग बना।

    रिपोर्ट के अनुसार आईएमएफ के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल तीसरी तिमाही में वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडार में आरएमबी का अनुपात 2.66 प्रतिशत रहा। वर्ष 2021 के अंत तक आधिकारिक विदेशी मुद्रा भंडार की मुद्रा संरचना में आरएमबी पांचवें स्थान पर रहा।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि आईएमएफ के विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडार में आरएमबी के अनुपात में बढ़ोतरी होने का कारण है चीन में आर्थिक विकास और आरएमबी का वैश्विकीकरण। वर्तमान में रूस और पश्चिमी देश एक दूसरे पर प्रतिबंध लगाते हैं और विश्व वित्त अव्यवस्थित है। इसी स्थिति में इस साल आरएमबी का अनुपात और बढ़ेगा।

    भारत ने कब शुरू किया था सोने का भंडारण बढ़ाना

    भारत का स्वर्ण भंडार सब से कम 358 टन था जब डी सुब्बाराव ने रिजर्व बैंक के गवर्नर का पद 2008 की सितम्बर में संभाला था. वैश्विक वित्त संकट के बाद, भारत ने अंतर्राष्ट्रिय मुद्रा कोष से 200 टन सोना 2009 में खरीदा.

    भारत ने 2018 में एक बार फिर सोना खरीदना शुरू किया. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का डाटा बताता है कि पिछले 18 महीनों में उसने 60 टन से ज्यादा सोना जोड़ा है.

    पिछले महीने गोल्डहब नें प्रकाशित एक लेख में सुब्बाराव ने अपने कार्यकाल में इतनी मात्रा में सोने की खरीद का कारण बताया था. इस दौरान भारत का स्वर्ण भंडार 55 प्रतिशत से भी ज्यादा बढ़ा था.

    उनका कहना था, ‘सोना एक अच्छा लंबी अवधि के लिए किया गया निवेश है और एक विश्वसनीय भंडार है. ‘उनका साथ ही कहना था कि अगर नए उभरते बाज़ार डॉलर पर एक्सचेंज रेट की अस्थिरता के लिए निर्भर नहीं कर सकते, तो उनके पास बहुत कम उपाय बचते हैं, सिवाय इसके कि वे अपनी रक्षा के साधन स्वयं तैयार करें.’

    क्यों केंद्रीय बैंक के द्वारा सोना बेचा जाना मंदी को दिखाता है

    शुरुआती खबरों में आरबीआई द्वारा सोना बेचे जाने की बात देश के आर्थिक सेहत की चिंता की बात को लेकर शुरू हुई. पिछली बार आरबीआई ने 1991 में आई वित्तीय संकट के दौरान सोना गिरवी रखा था उस दौरान घटता विदेशी मुद्रा भंडार आवश्यक वस्तुओं के लिए भारत के आयात बिल को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं था.

    उस दौरान भारत ने बैक ऑफ इंग्लैंड और यूनियन बैंक ऑफ स्विट्जरलैंड को 67 टन सोना गिरवी रखा था ताकि वह अपने 600 डॉलर मिलियन के बैलेंस ऑफ पेमेंट (भुगतान संतुलन) संकट से उबर पाए.

    पिछले दिनों भारतीय अर्थव्यवस्था की डगमगाती स्थिति से निपटने और आरबीआई की बिमल जाना पैनल द्वारा 1.76 लाख करोड़ रुपए भारत सरकार को दिए जाने पर भी यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि केंद्रीय बैंक सोने की होल्डिंग की बिक्री के माध्यम से संसाधन जुटाने की कोशिश कर रहा है.

    दुनिया भर के केंद्रीय बैंक अपने पास जमा सोना बढ़ा रहे हैं

    कई केंद्रीय बैंक अपने सोने के भंडार को बढ़ा रहे हैं. 2018 में, दुनिया भर के केंद्रीय बैंको नें 651 टन सोना खरीदा जो कि पिछले 50 सालों में ब्रेटन वुड्स सिस्टम खत्म होने के बाद से सबसे ज़्यादा है.

    विश्व स्वर्ण परिषद का मानना है कि सोने का भंडार इसलिए बढ़ा है क्योंकि भूराजनीतिक तनाव बढ़े, कई राजनीतिक और आर्थिक कारक भी हैं और साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक बदलाव आ रहे हैं.

    परिषद ने सितम्बर 2019 में जारी अपनी एक रिपोर्ट– दि सेंट्रल बैंकर्स गाईड जो गोल्ड एस ए रिज़र्व असेट में लिखा है, ‘ सोना ही एक ऐसा असेट है जिसपर कोई राजनीतिक और श्रृण जोखिम नहीं है, न इसका प्रिंटिंग प्रेस से अवमूल्यन हो सकता है ना ही असाधारण मौद्रिक नीति के उपाय ला कर.’

    (इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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