तकनीकी विश्लेषण का आधार

तकनीकी विश्लेषण कैसे काम करता है

तकनीकी विश्लेषण कैसे काम करता है

तकनीकी विश्लेषण कैसे काम करता है

पैसे की पाठशाला
अक्सर लोग शेयर बाजार से डरते हैं, लेकिन वास्तव में हर वह काम खतरनाक है जिसे आपको करना नहीं आता। अगर आपने कार चलाना नहीं सीखा और कार चलाने लगे तो क्या होगा? जब आप किसी भी ऐसे कारोबार में पैसा लगाते हैं, जिसकी आपको अच्छी जानकारी नहीं है, तो आप अपनी सारी पूँजी गँवा सकते हैं।

अक्सर लोग शेयर बाजार को एक निवेश या कारोबार मानते ही नहीं, वे इसे सट्टा बाजार की तरह देखते हैं। अगर आप इसे सट्टा बाजार मान कर सौदे करेंगे तो उसके परिणाम भी सट्टे की तरह ही आयेंगे। बिना जानकारी के हर कारोबार एक सट्टा ही है। लोग कुछ सीखे बिना, समय दिये बिना 100% कमाई की इच्छा रखते हैं। यह कैसे मुमकिन है? जब नजरिया ही गलत हो तो नुकसान होगा ही। लेकिन लोग इस नुकसान का तकनीकी विश्लेषण कैसे काम करता है दोष शेयर बाजार को देते हैं।
कैसे समझें किसी शेयर या कमोडिटी को?
किसी शेयर या कमोडिटी में निवेश और सौदे करने के लिए दो तरह से विश्लेषण किया जाता है - बुनियादी बातों (फंडामेंटल) और तकनीकी विश्लेषण (टेक्निकल एनालिसिस) के आधार पर। तकनीकी विश्लेषण किसी शेयर या कमोडिटी में आने वाली मांग और आपूर्ति को को समझने का तरीका है। जब भी किसी शेयर में एक सौदा होता है तो उसमें एक लेने वाला और एक बेचने वाला होता है। तकनीकी विश्लेषण खरीदारों और बेचने वालों की संख्या और उससे मूल्य पर होने वाले असर को समझने का तरीका है। हम सब जानते हैं कि जब मांग ज्यादा होती है तो मूल्य उपर जाता है और जब आपूर्ति ज्यादा होती है तो मूल्य नीचे आता है।
तकनीकी विश्लेषण का मनोविज्ञान
तकनीकी विश्लेषण में मनोविज्ञान की खास भूमिका है। हम जब बुनियादी तरीके से किसी कंपनी का आकलन करते हैं तो उसकी आर्थिक स्थिति, उसके कारोबार और लाभ-हानि वगैरह को देखा जाता है। लेकिन तकनीकी विश्लेषण में शेयर या कमोडिटी के केवल मूल्य के व्यवहार को देखा जाता है। इसमें यह माना जाता है कि किसी भी कंपनी के बारे में जो भी जानकारियाँ उपलब्ध हैं, उनका असर उसके शेयर के मूल्य में पहले ही आ चुका है। मतलब यह कि एक शेयर का मूल्य हर उपलब्ध जानकारी को पहले ही दर्शा रहा है।
किसी भी शेयर के मूल्य में उतार-चढ़ाव के तमाम बुनियादी कारण होते हैं, जैसे उस कंपनी की आमदनी, विश्व अर्थव्यवस्था की हालत, घरेलू अर्थव्यवस्था की हालत, ब्याज दरें, मौसम, राजनीति, अंतरराष्ट्रीय राजनीति, शेयर बाजार में आने-जाने वाली नकदी (लिक्विडिटी) की हालत वगैरह। इन सब कारणों से बाजार में काम करने वाले निवेशकों और कारोबारियों के उत्साह पर असर होता है और इसी वजह से शेयरों के मूल्य में छोटी अवधि में भी लगातार उतार-चढ़ाव चलता रहता है। छोटी अवधि में शेयरों के मूल्य पर बुनियादी बातों से कहीं ज्यादा असर धारणा और उत्साह का होता है।
लोगों के मन पर जो धारणाएँ सबसे ज्यादा असर डालती हैं, वे हैं डर और लालच। किसी भी चीज को लेने वाले के मन में लालच यह रहता है कि सस्ता मिल रहा है और डर यह रहता है कि कल यह इतना सस्ता नहीं मिलेगा। उसी समय बेचने वाले में लालच यह रहता है कि आज महंगा बिक रहा है और डर यह रहता है कि कल इस भाव पर नहीं बिकेगा। दोनों में ये भावनाएँ एक साथ काम करती हैं, जिससे एक सौदा हो जाता है। दोनों में से एक में भी डर या लालच नहीं हो तो वह सौदा नहीं हो सकता। इस सौदे के होने से भाव में उपर या नीचे की ओर जो भी बदलाव आता है, उसी के उतार चड़ाव को तकनीकी विश्लेषण में समझा जाता है। सीधे-सीधे यह किसी चीज के भाव के व्यवहार का विश्लेषण है।
कैसे काम करता है तकनीकी विश्लेषण?
सवाल है कि जो भाव निकल चुका है, उसका विश्लेषण करके क्या मिलेगा? दरअसल तकनीकी विश्लेषण इस सोच पर टिका है कि इतिहास अपने आपको दोहराता है। बाजार में भाव ऊपर-नीचे होने से भाव की कुछ खास तरह की संरचनाएँ (प्राइस पैटर्न) बनती हैं और ये संरचनाएँ बार-बार अपने आप को दोहराती हैं। अगर कभी कोई खास संरचना बनने पर भाव गिर जाता है तो अगली बार किसी और शेयर में वैसी ही संरचना बनने पर उसका भी भाव गिर जाने की काफी संभावना होती है।
आप किसी किसान से पूछें कि बारिश आने वाली है या नहीं तो वह सरल तरीके से आसमान में देखेगा और बादलों को देख कर, या हवा में नमी को महसूस करके आपको लगभग सही-सही बता देगा कि बारिश आने वाली है या नहीं। वह किसान भी एक तरह से तकनीकी विश्लेषण का इस्तेमाल कर रहा है, भले ही उसे इसका नाम तक नहीं पता। उस किसान का अनुभव उसे बताता है कि बारिश होने से पहले बादल कैसे होते हैं, हवा की गति कैसी होती है, हवा में नमी कैसी होती है। वह अनुभव उसे मिलता है सालों से बार-बार बारिश के पहले की संरचनाओं को समझ कर।
ऐसे ही आप किसी तकनीकी विश्लेषक से किसी शेयर के बारे में पूछेंगे तो वह उसकी कीमत का चार्ट देखेगा और उसमें बनती संरचनाओं के आधार पर आगे का अनुमान लगायेगा। मतलब यह है कि तकनीकी विश्लेषण किसी शेयर या कमोडिटी की कीमतों के पिछले व्यवहार को पैमाना बना कर भविष्य का अंदाजा लगाने के एक सुविचारित अध्ययन का नाम है।
जिंदगी में हर जगह है तकनीकी विश्लेषण
यह कोई ऐसी चीज नहीं है जिसका आपका इस्तेमाल न करते हों। सिर्फ आपको इसका नाम नहीं पता। एक पति अपनी पत्नी के ऐतिहासिक व्यवहार को पैमाना बना कर ही उससे आज व्यवहार करता है। वह जानता है कि पिछली बार किसी खास परिस्थिति में किसी बात का परिणाम क्या हुआ था। अगर वैसी ही परिस्थिति आज फिर आयी है तो अपने पुराने अनुभव से वह जानता है कि आज क्या करना है! वह भी ऐतिहासिक व्यवहार को आधार बना कर भविष्य का अनुमान लगा रहा है, यानी एक तरह से तकनीकी विश्लेषण का ही सहारा ले रहा है।
बच्चे अपने माँ-बाप के साथ, अधिकारी अपने अधीन काम करने वालों के साथ, प्रेमी प्रेमिका के साथ, गुरु शिष्य के साथ, खिलाड़ी दूसरे खिलाड़ी के साथ, हर समय इसी का इस्तेमाल करते हैं। वे एक-दूसरे के ऐतिहासिक व्यवहार का विश्लेषण करके भविष्य की संभावनाओं का अंदाजा लगाते हैं। समय के साथ उनका विश्लेषण सटीक होता जाता और उसके साथ ही उनका अंदाजा सही होने लगता है। कभी-कभी आपकी सोची हुई संभावना के हिसाब से काम नहीं होता। तब आपको लगता है कि आपका अंदाजा गलत हो गया और आप उसके हिसाब से अपना व्यवहार बदल लेते हैं। तकनीकी विश्लेषण में यही बात घाटा काटने के स्तर (स्टॉप लॉस) की तरह से दिखती है।
चतुर पैसे के पैरों की छाप
यह मान कर चलें कि जिस समय आप बाजार में खरीद-बिक्री कर रहे होते हैं, बिल्कुल उसी समय आपसे कहीं ज्यादा चतुर और ज्यादा बड़ी पूँजी ले कर चलने वाला निवेशक भी इस बाजार में मौजूद होता है। उस चतुर निवेशक या चतुर पैसे (स्मार्ट मनी) की जानकारी, सूचनाओं और पूँजी का स्तर आपसे कहीं ज्यादा है। उस चतुर पैसे का आकर इतना बड़ा होता है कि उसकी आने और जाने के पदचिह्न देखे जा सकते हैं। अगर आप उसके पैरों की छाप को पहचानते हैं तो उस चतुर पैसे का भावों पर असर साफ देख सकते हैं। आप कई बार देखते हैं कि जब किसी कंपनी के नतीजे अच्छे नहीं आते तो उसके शेयर का भाव नतीजे आने से पहले ही गिर चुका होता है। चतुर पैसे को पहले से यह अहसास होता है कि नतीजे अच्छे नहीं आने वाले, इसलिए वह उस शेयर से पहले ही बाहर निकल जाता है।
तकनीकी विश्लेषण की मदद से आप जान सकते हैं कि वह चतुर पैसा किधर जा रहा है और कहाँ से बाहर हो रहा है। अगर आप उस चतुर पैसे के पीछे चलेंगे तो नुकसान का जोखिम कम होगा।
उस चतुर पैसे का कोई नाम नहीं है। वह कोई म्यूचुअल फंड, कोई बैंक, कोई बीमा कंपनी, कोई हेज फंड, कोई बड़ा निवेशक, कोई विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) - कोई भी हो सकता है। तकनीकी विश्लेषण में उसका नाम जानने की जरूरत भी नहीं है। लेकिन उसका काम दिखाई देता है।
उस चतुर पैसे के बहाव की दिशा को देख कर आप बाजार की चाल का अंदाजा लगा सकते हैं। वह चतुर पैसा जब किसी शेयर में निवेश करता है या उससे बाहर निकलता है तो उस शेयर के भाव पर एक बड़ा असर छोड़ जाता है। उस भाव का विश्लेषण करके एक तकनीकी विश्लेषक उस शेयर को खरीदने या बेचने का फैसला कर सकता है।

तकनीकी विश्लेषण क्या है?

तकनीकी विश्लेषण का मतलब होता है शेयर के भाव के चार्ट्स की समीक्षा करके भविष्य के उतार-चढ़ाव की जानकारी पता करना।

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तकनीकी विश्लेषण का मतलब होता है शेयर के भाव के चार्ट्स की समीक्षा करके भविष्य के उतार-चढ़ाव की जानकारी पता करना। यह समझना जरूरी है कि तकनीकी विश्लेषण पूरी तरह से शेयर की कीमतों पर आधारित होता है। कंपनी की मूलभूत जानकारियों, जैसे मुनाफा, बिक्री, कर्ज, का इस्तेमाल तकनीकी विश्लेषण में नहीं किया जाता है। साथ ही, विश्लेषण करते समय माना जाता है कि बाजार से जुड़ी और दूसरी सभी जानकारी उपलब्ध हैं और उनका इस्तेमाल शेयर का चार्ट बनाते वक्त किया गया है।

तकनीकी विश्लेषण का मुख्य सिद्धांत है कि शेयर बाजार पूरी तरह से पारदर्शीय है और बाजार के सभी प्रतिभागी कुशल हैं। बिना किसी ठोस कारण के शेयरों की खरीद-फरोख्त तकनीकी विश्लेषण सिद्धांतों के खिलाफ है। फंडामेंटल विश्लेषण के मुकाबले तकनीकी विश्लेषण में ज्यादा लचीलापन है। फंडामेंटल विश्लेषण शेयरों के उतार-चढ़ाव को जानने के लिए तिमाही नतीजों, आय पर गाइडेंस और कंपनी नीतियों में बदलाव पर निर्भर करता है।

अगर ये माना जाए कि फंडामेंटल विश्लेषण ही शेयरों के उतार-चढ़ाव की सही तौर पर बता सकता है, तो ऐसे में शेयरों की कीमतों में साल में 4-5 बार ही बदलाव दिखना चाहिए। लेकिन, ऐसा नहीं होता है। शेयरों के भाव रोजाना बढ़ते-घटते हैं। इस उतार-चढ़ाव के बारे में तकनीकी विश्लेषण से ही पता किया जा सकता है।

मौलिक और तकनीकी विश्लेषण के बीच अंतर क्या है?

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मौलिक और तकनीकी विश्लेषण के बीच अंतर क्या है?

ये शब्द शेयरों के भविष्य के विकास के रुझानों के शोध और पूर्वानुमान के लिए उपयोग किए गए दो अलग-अलग स्टॉक-पैकिंग पद्धतियों का संदर्भ देते हैं। किसी भी निवेश की रणनीति या दर्शन की तरह, दोनों के पास उनके समर्थकों और प्रतिद्वंद्वियों हैं स्टॉक विश्लेषण के इन तरीकों में से प्रत्येक के परिभाषित सिद्धांत यहां दिए गए हैं:

  • मौलिक विश्लेषण एक स्टॉक के आंतरिक मूल्य को मापने का प्रयास करके प्रतिभूतियों का मूल्यांकन करने का एक तरीका है। मौलिक विश्लेषक समग्र अर्थव्यवस्था और उद्योग की स्थितियों से वित्तीय स्थिति और कंपनियों के प्रबंधन तक सब कुछ का अध्ययन करते हैं।
  • तकनीकी विश्लेषण बाजार की गतिविधियों से उत्पन्न आंकड़ों के अध्ययन के माध्यम से प्रतिभूतियों का मूल्यांकन है, जैसे पिछले कीमतों और मात्रा तकनीकी विश्लेषक किसी सुरक्षा के आंतरिक मूल्य को मापने का प्रयास नहीं करते बल्कि बदले में पैटर्न और प्रवृत्तियों की पहचान करने के लिए स्टॉक चार्ट का उपयोग करते हैं जो भविष्य में किसी शेयर के बारे में बताएंगे।

[यदि आप सीखने में दिलचस्पी रखते हैं कि अपनी खुद की क्रियाशील व्यापार योजना बनाने के लिए तह्कनिक विश्लेषण का उपयोग कैसे करना है, तो निवेशक अकादमी के तकनीकी विश्लेषण पाठ्यक्रम आपको इन उपकरणों को सीखने के लिए मांग पर वीडियो प्रशिक्षण प्रदान करता है, जिसमें चार्ट विश्लेषण शामिल हैं और तकनीकी संकेतक।]

स्टॉक विश्लेषण की दुनिया में, मौलिक और तकनीकी विश्लेषण स्पेक्ट्रम के पूरी तरह से विपरीत दिशा में हैं। कमाई, व्यय, परिसंपत्तियां और देनदारियां मौलिक विश्लेषकों के लिए सभी महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं, जबकि तकनीकी विश्लेषक इन संख्याओं के बारे में कम परवाह नहीं कर सके। कौन सा रणनीति सबसे अच्छा काम करती है हमेशा बहस होती है, और इन दोनों तरीकों पर पाठ्य पुस्तकों के कई खंड लिखे गए हैं। तो, कुछ पढ़ने और खुद का फैसला करें जो आपके निवेश के दर्शन के साथ सबसे अच्छा काम करता है

(अतिरिक्त पढ़ने के लिए, देखें मूल विश्लेषण का परिचय और तकनीकी विश्लेषण का परिचय ।)

तकनीकी विश्लेषण में तेज और धीमी स्टेचैस्टिक्स के बीच अंतर क्या है?

तकनीकी विश्लेषण में तेज और धीमी स्टेचैस्टिक्स के बीच अंतर क्या है?

तेज और धीमी स्टेचैस्टिक्स के बीच मुख्य अंतर एक शब्द में अभिव्यक्त है: संवेदनशीलता फास्ट स्टोचस्टिक अंतर्निहित सुरक्षा की कीमत में बदलाव के लिए धीमी स्टोचस्टिक की तुलना में अधिक संवेदनशील होता है और संभावित रूप से कई लेनदेन संकेतों में परिणाम होगा।

क्या शेयर बाजार में लंबी अवधि के निवेश निर्णयों का मूल्यांकन करने के लिए मौलिक विश्लेषण, तकनीकी विश्लेषण या मात्रात्मक विश्लेषण का उपयोग करना बेहतर है? | इन्वेस्टोपैडिया

क्या शेयर बाजार में लंबी अवधि के निवेश निर्णयों का मूल्यांकन करने के लिए मौलिक विश्लेषण, तकनीकी विश्लेषण या मात्रात्मक विश्लेषण का उपयोग करना बेहतर है? | इन्वेस्टोपैडिया

मूलभूत, तकनीकी और मात्रात्मक विश्लेषण के बीच के अंतर को समझते हैं, और प्रत्येक माप कैसे निवेशकों को दीर्घकालिक निवेश का मूल्यांकन करने में सहायता करता है।

मैं अपने स्टॉक पोर्टफोलियो में रिटर्न उत्पन्न करने के लिए मात्रात्मक विश्लेषण के साथ तकनीकी तकनीकी विश्लेषण कैसे काम करता है विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण कैसे मर्ज कर सकता हूं? | इन्वेस्टोपैडिया

मैं अपने स्टॉक पोर्टफोलियो में रिटर्न उत्पन्न करने के लिए मात्रात्मक विश्लेषण के साथ तकनीकी विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण कैसे मर्ज कर सकता हूं? | इन्वेस्टोपैडिया

जानें कि कैसे मौलिक विश्लेषण अनुपात मात्रात्मक स्टॉक स्क्रीनिंग विधियों के साथ जोड़ा जा सकता है और एल्गोरिदम में तकनीकी संकेतक कैसे उपयोग किए जा सकते हैं।

शेयरों में निवेश करने में आपकी मदद करता है टेक्निकल एनालिसिस

आज शेयर बाजार केवल शेयरों की खरीद-फरोख्त के मंच नहीं रह गए हैं. ये कॉम्प्लेक्स इकोसिस्टम के रूप में विकसित हो चुके है.

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बगैर बुनियादी जानकारी शेयर बाजार में उतरना बुरा अनुभव साबित हो सकता है. हालांकि, ऐसे उपाय हैं, जो नए निवेशकों और ट्रेडर्स की मदद कर सकते हैं.

आज शेयर बाजार केवल शेयरों की खरीद-फरोख्त के मंच नहीं रह गए हैं. ये कॉम्प्लेक्स इकोसिस्टम के रूप में विकसित हो चुके हैं, जिनकी अपनी खुद की कार्यशैली और ढांचा है.

बगैर बुनियादी जानकारी शेयर बाजार में उतरना बुरा अनुभव साबित हो सकता है. हालांकि, ऐसे उपाय हैं, जो नए निवेशकों और ट्रेडर्स की मदद कर सकते हैं. इनके जरिए वे प्राइस मूवमेंट को समझ सकते हैं और बेहतर ढंग से फैसले ले सकते हैं.

टेक्निकल एनालिसिस यानी तकनीकी विश्लेषण ऐसा ही एक उपाय है. इसकी मदद से निवेशक रुझानों का विश्लेषण, मूल्य औसत का अनुमान, मार्केट की अस्थिरता का आंकलन कर सकते हैं.

कई ट्रेडर्स सिक्योरिटीज की सप्लाई-डिमांड और बाजार के मनोविज्ञान को गहराई से समझने के लिए टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करते हैं. आइए नजर डालते हैं कुछ सरल तकनीकी संकेतकों पर जो बेहतर सूझ-बूझ के साथ निर्णय लेने में ट्रेडर्स की मदद करते हैं.

एक्सपोनेंशियल मूविंग ऐवरेज (ईएमए)
एक्सपोनेंशियल मूविंग ऐवरेज को सामान्य तौर पर एक्सपोनेंशियली वेटेड मूविंग एवरेज समझा जाता है, जो सबसे हालिया डाटा बिंदुओं पर महत्वपूर्ण ढंग से काम करता है.

वह चीज जो ईएमए को सिंपल मूविंग एवरेज यानी एसएमए से अलग करती है, वह यह है कि यह हालिया प्राइस मूवमेंट पर बेहतर ढंग से प्रतिक्रिया देता है, जबकि एसएमए पूरी अवधि के सभी परीक्षणों पर बराबर जोर देता है.

पैराबोलिक एसएआर
जे. वेल्स वाइल्डर जूनियर (सापेक्षिक शक्ति सूचकांक, आरएसआई के जनक) द्वारा विकसित किया गया पैराबोलिक एसएआर एक तकनीकी संकेतक है जो किसी परिसंपत्ति की बढ़ रही कीमत की दिशा निर्धारित करने के लिए लागू किया जाता है. जब कीमत की दिशा बदल रही है तो यह उसे उजागर करने में भी मदद करता है.

इसे वैकल्पिक रूप से "स्टॉप ऐंड रिवर्सल सिस्टम" के रूप में जाना जाता है. स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करने के लिए पैराबोलिक एसएआर का उपयोग करने जैसे अन्य मापदंड भी हैं.

उदाहरण के लिए, स्टॉक मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि होने पर पैराबोलिक एसएआर संकेतक से मेल बैठाने के लिए स्टॉपलॉस को स्थानांतरित किया जा सकता है. यह एक छोटे ट्रेड के लिए भी लागू किया जा सकता है. आप देख सकते हैं कि जब कीमत गिरती है, तो संकेतक भी यही इशारा करता है.

टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग तकनीकी विश्लेषण कैसे काम करता है करने के कुछ फायदे निम्नलिखित हैं

रुझानों के विश्लेषण में मिलती है मदद
टेक्निकल एनालिसिस का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह निवेशकों और ट्रेडर्स को एक निश्चित मात्रा में सटीकता के साथ बाजार के रुझान का अनुमान लगाने में मदद करता है. चार्ट एनालिसिस ऊपर, नीचे और साइड के रुझानों के अनुमान में मदद कर सकता है.

शुरुआती संकेत उपलब्ध कराता है

टेक्निकल एनालिसिस शुरुआती चिन्ह और संकेत प्रदान करने में मदद करता है. साथ ही, यह निवेशकों और व्यापारियों के निर्णयों के पीछे के मनोविज्ञान को समझने में भी मदद करता है.

मूल्य-मात्रा का विश्लेषण भी बाजार निर्माताओं की गतिविधियों को इंगित करता है. टेक्निकल एनालिसिस का एक और प्रमुख लाभ यह है कि यह रुझान के पलटने पर शुरुआती चेतावनी के संकेत देता है.

गहराई से जानकारियां उपलब्ध कराता है
टेक्निकल चार्ट उन तमाम सूचनाओं को प्रदान करते हैं जो ट्रेडर्स और निवेशकों को अपनी जगह बनाने और ट्रेड्स को मजबूत बनने में मदद कर सकती हैं. मार्केट अस्थिरता के बारे में जानकारी, ट्रेडर के मनोविज्ञान की जानकारी और बाजार की गति इत्यादि. टेक्निकल एनालिसिस द्वारा प्रदान की जाने वाली इस तरह की जानकारियों के कुछ उदाहरण हैं.

टेक्निकल एनालिसिस स्विंग ट्रेडिंग, लघु अवधि के ट्रेड और दीर्घकालिक निवेश के लिए सहायक है और फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में ट्रेडर्स द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है.

टेक्निकल एनालिसिस एक कला और विज्ञान है और यह सभी ट्रेडर्स के लिए एक प्रभावी इक्पिमेंट है. इसे व्यवस्थित करने से ट्रेडर्स को शेयर बाजार में महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त करने में मदद मिल सकती है.


(इस लेख में दी गई सलाह विश्लेषकों की अपनी निजी राय है. ईटी मार्केट्स का इससे सहमत होना अनिवार्य नहीं है. शेयरों में किसी भी निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से राय अवश्य लें.)

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