शेयर बाजार पर आय

शेयर बाजार पर आय
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10 रु. वाले शेयर का बाजार मूल् .
10 रु. वाले शेयर का बाजार मूल्य 15 रु. है। गणेश ऐसे 100 शेयर खरीदता है। यदि कम्पनी 8% लाभांश देती है, तो इन शेयर पर उसकी वार्षिक आय क्या होगी ?
शेयर मार्केट से हुई कमाई पर कैसे बनती है टैक्स की देनदारी, जानिए सभी जरूरी सवालों के जवाब
अगर शेयर मार्केट में लिस्टेड शेयरों को खरीदने से 12 महीने के बाद बेचने पर लाभ होता है तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स कहते है. शेयरों की बिक्री करने वाले को इस कमाई पर उसे टैक्स देना पड़ता है.
taxation on Share Selling : सैलरी, किराये और बिजनेस से होने वाली आय पर इनकम टैक्स लगता है. लेकिन क्या शेयरों की शेयर बाजार पर आय खरीद-बिक्री और इस पर होने वाले मुनाफे पर भी टैक्स लगता है? जी हां, शेयरों की खरीद-बिक्री और इससे होने वाले लाभ पर टैक्स लगता है. शेयरों की बिक्री से होने वाली आय या घाटा ‘कैपिटल गेन्स’ के तहत कवर होता है.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (Long term Capital gains tax)
अगर शेयर मार्केट में लिस्टेड शेयरों को खरीदने से 12 महीने के बाद बेचने पर लाभ होता है तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स कहते है. शेयरों की बिक्री करने वाले को इस कमाई पर उसे टैक्स देना पड़ता है. 2018 के बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को फिर से शुरू किया गया था. इससे पहले इक्विटी शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड ( Equity Mutual funds) की यूनिटों की बिक्री से होने वाले लाभ पर टैक्स नहीं लगता था. इनकम टैक्स रूल्स (Income tax Rules) के सेक्शन 10 (38) के तहत इस पर टैक्स से छूट मिली हुई थी. लेकिन 2018 के बजट में शामिल किए गए प्रावधान में कहा गया कि अगर एक साल के बाद बेचे गए शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिटों की बिक्री पर एक लाख रुपये से ज्यादा का कैपिटेल गेन हुआ है तो इस पर 10 फीसदी टैक्स लगेगा.
शॉर्ट टर्म कैपिटेल गेन्स टैक्स ( Short term Capital gains tax)
अगर शेयर मार्केट में लिस्टेड शेयरों को खरीदने के 12 महीनों के अंदर बेच दिया जाता है तो 15 फीसदी की दर से टैक्स लगता है. चाहे आप इनकम टैक्स देनदारी के 10 फीसदी के स्लैब में आते हों या 20 या 30 फीसदी के स्लैब के तहत, आपने शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन किया है तो इस पर 15 फीसदी का ही टैक्स लगेगा. अगर आपकी कर योग्य आय ढाई लाख रुपये से कम है तो शेयर बेचने से हासिल लाभ को इससे एडजस्ट किया जाएगा और फिर टैक्स कैलकुलेट होगा. इस पर 15 फीसदी टैक्स के साथ 4 फीसदी सेस लगेगा.
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सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (शेयर बाजार पर आय STT)
स्टॉक एक्सचेंज में बेचे और खरीदे जाने वाले शेयरों पर सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स यानी STT लगता है. जब भी शेयर बाजार में शेयरों की खरीद-फरोख्त होती है , इस पर यह टैक्स देना पड़ता है. शेयरों की बिक्री पर सेलर को 0.025 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. यह टैक्स शेयरों के बिक्री मूल्य पर देना पड़ता है. डिलीवरी बेस्ड शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिट्स की बिक्री पर 0.001 फीसदी की दर से टैक्स लगता है.
Income Tax on Share Market Earning: जानिए शेयर बाजार से हुई कमाई पर कैसे लगता है इनकम टैक्स, समझ लेंगे तो होगा फायदा ही फायदा!
Income Tax on Share Market Earning: शेयर बाजार से हुई कमाई (Share Market Earning) के साथ-साथ उस पर लगने वाले इनकम टैक्स (Income Tax) की जानकारी होना भी जरूरी है। अलग-अलग तरह की कमाई पर अलग-अलग दर से टैक्स (Taxation on Share Market Earning) लगता है। अगर आप शेयर बाजार से हुई कमाई पर इनकम टैक्स का सही कैल्कुलेशन (Income Tax Calculation on Share Market Earning) नहीं कर पाएंगे, तो आपको नुकसान हो सकता है। आइए जानते हैं शेयर शेयर बाजार पर आय बाजार से हुई कमाई पर कैसे और कितना लगता है टैक्स।
Income Tax on Share Market Earning: जानिए शेयर बाजार से हुई कमाई पर कैसे लगता है इनकम टैक्स, समझ लेंगे तो होगा फायदा ही फायदा!
इंट्रा-डे और फ्यूचर-ऑप्शन ट्रेडिंग से हुई कमाई पर टैक्स
शेयर बाजार में अगर आप एक ही दिन में शेयर खरीद कर उसी दिन शाम तक बेच देते हैं तो इसे इंट्रा-डे ट्रेडिंग कहा जाता है। इस तरह से हुई कमाई को स्पेक्युलेटिव बिजनस इनकम कहा जाता है। वहीं फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग से हुई कमाई को नॉन-स्पेक्युलेटिव बिजनस इनकम कहा जाता है। इंट्रा-डे और फ्यूचर-ऑप्शन ट्रेडिंग से हुई कमाई पर आपको टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होता है। यानी 2.5 लाख रुपये तक की कुल कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, उसके ऊपर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा।
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स
अगर आप शेयर बाजार में 1 साल से कम और 1 दिन से अधिक के लिए शेयर खरीदते हैं तो इससे हुए कमाई शॉर्ट टर्म कैपिल गेन कहलाती है। शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर आपको फ्लैट 15 फीसदी टैक्स देना होता है। हालांकि, अगर आपकी कुल कमाई 2.5 लाख रुपये तक ही है, तो आपको कोई टैक्स नहीं चुकाना होता है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि आप कौन से टैक्स स्लैब में आते हैं।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स
अगर शेयर बाजार में आप 1 साल से अधिक की अवधि के लिए शेयर खरीदते हैं तो 1 साल बाद उसे बेचने से हुई कमाई लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहलाती है। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 1 लाख रुपये तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगता है, जबकि उससे अधिक की कमाई पर फ्लैट 10 फीसदी का टैक्स शेयर बाजार पर आय लगता है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस टैक्स स्लैब में आते हैं। हालांकि, अगर आपकी कुल कमाई 2.5 लाख रुपये तक ही है, तो आपको कोई टैक्स नहीं चुकाना होता है।
Stock market: शेयर मार्केट से हुई इनकम पर कब कितना देना पड़ता है टैक्स, जानिए सबकुछ
Stock market tax rule: शेयर मार्केट में इनकम टैक्स रूल शेयर ट्रांजैक्शन पर किस तरह इनकम हुई है, उसके मुताबिक लागू होता है.
Tax rule on stock market transections: शेयर बाजार में इन्वेस्टमेंट से आप एक झटके में मोटी कमाई कर सकते हैं. इसमें सबसे बड़ा फैक्टर काम करता है कि आपके पास रिस्क लेने की क्षमता कितनी है. बहरहाल, यहां एक जरूरी बात यह जानना जरूरी है कि शेयर बाजार में शेयरों की खरीद-बिक्री और उससे होने वाली इनकम भी टैक्स के दायरे में आती है. शेयरों की बिक्री से होने वाली इनकम या लॉस ‘कैपिटल गेन्स’ के दायरे में आता है.
ब्रोकरेज फर्म एंजल ब्रोकिंग की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, शेयर मार्केट में इनकम टैक्स रूल शेयर ट्रांजैक्शन पर किस तरह इनकम हुई है, उसके मुताबिक लागू होता है. बाजार से दो तरह की इनकम, शॉर्ट टर्म कैनिटल गेन्स और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स, होती है.
शॉर्ट टर्म कैपिटेल गेन्स टैक्स ( Short term Capital gains tax)
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स उसे कहते हैं, जब शेयर मार्केट में लिस्टेड शेयरों को खरीदने के 12 महीनों के अंदर बेच दिया जाता है. इससे होने वाली इनकम पर 15 फीसदी की दर से शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना होता है. इसमें चाहे आप किसी भी टैक्स स्लैब में आते हो. अगर आपको शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस होता है, तो आप इसे अगले 8 साल तक कैरी फॉर्वर्ड कर सकते हैं.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (Long term Capital gains tax)
शेयर मार्केट में लिस्टेड शेयरों को खरीदने से 12 महीने के बाद बेचने पर लाभ होता है, तो यह लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स के दायरे में आता है. इस हालत में शेयरों की बिक्री करने वाले को इस कमाई पर उसे टैक्स देना पड़ता है. इसमें 10 फीसदी की दर से इनकम टैक्स देना पड़ता है. इसका मतलब कि अगर आप एक साल के बाद शेयर बेचते हैं और उस पर इनकम होती है तो 10 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना होगा. अगर आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल लॉस होता है तो आप नुकसान को अगले 8 साल कैरी फॉर्वर्ड कर सकते हैं.
सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (STT)
सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (STT) को 2004 में इनकम टैक्स रूल में शामिल किया गया था. स्टॉक एक्सचेंज में बेचे और खरीदे जाने वाले शेयरों पर सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स यानी STT लगता है. जब भी शेयर बाजार में शेयरों की खरीद-बिक्री की जाती है, इस पर यह टैक्स देना पड़ता है. दिसंबर 2017 से इक्विटी ट्रांजैक्शन (खरीद या ब्रिकी) पर 0.1 फीसदी की दर से एसटीटी देना होता है. इंट्राडे में शेयरों की बिक्री पर सेलर को 0.025 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. हालांकि, इंट्राडे में में सिक्युरिटीज की खरीद पर कोई टैक्स नहीं देना होता है.
डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स (DDT)
बजट 2020 से पहले जो कंपनियां शेयरधारकों को डिविडेंट एलान करती थीं, उन्हें डीडीटी देना होता था. नियमों के मुताबिक 31 मार्च 2020 तक डीडीटी का रेट 20.56 फीसदी था. बजट 2020 में किए गए प्रस्ताव के मुताबिक, डिविडेंड हासिल करने वाले निवेशक को अपने टैक्स ब्रैकेट के मुताबिक टैक्स रेट से डीडीटी का भुगतान करना होता है. इसमें डिविडेंड से चाहे आपको कितनी भी रकम हासिल हुई हो. पहले, टैक्सपेयर को अगर 10 लाख रुपये से ज्यादा डिविडेंड मिलता था, तो उसे डिविडेंड पर 10 फीसदी की दर से टैक्स देना पड़ता था.
ITR-2 किसे भरना है?
इनकम टैक्स रिटर्न-2 या ITR-2 फार्म उसे भरने की जरूरत पड़ती है, अगर इंडिविजिुअल का इन्वेस्टमेंट कैश सेगमेंट में के दायरे में आता है.
ITR-3 कब भरना है?
इनकम टैक्स रिटर्न - 3 या ITR-3 फार्म उस टैक्सपेयर्स को फाइल करना है, जिसका इन्वेस्टमेंट डेरिवेटिव सेगमेंट के दायरे में आता है. एग्रेसिव इंट्राडे ट्रेडर्स इस कैटेगरी में आते हैं.